Friday 30 June 2023
Thursday 29 June 2023
Wednesday 28 June 2023
Monday 26 June 2023
... ︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵ ✧ ★ उसने चाहा था ★ ✧ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ वह बालक से बड़ा हो रहा था, तो औरों के साथ बहुत कुछ ऐसा होते देखता जा रहा था, जो उसे स्वयं के साथ होते देखना कभी पसंद नहीं होता. इसलिए उसने चाहा था, कि वह युवा से बूढ़ा कभी न हो, लेकिन ... उम्र के साथ 👉 वह बूढ़ा हो गया था. उसने चाहा था, कि ~ वह कभी किसी के आश्रित न हो, लेकिन ... बीमार और कमजोर होने पर बिस्तर पर पड़, अपने परिवार जनों के आश्रित हो गया था.🎯 उसने चाहा था, कि ~ उसके उपचार पर .. ज्यादा खर्च नहीं करना पड़े, उसके बेटे-बहुयें, बेटी-दामाद को उसके लिए परेशान नहीं होना पड़े, किन्तु .. आखिरी के कुछ महीनों में नरम-गरम हालत के चलते उसके उपचार पर पाँच लाख रूपये का खर्च आया था. सभी परिजन उसकी सेवा सुश्रुषा एवं उपचार पर व्यय से तंग आ गए थे.🎯 उसने चाहा था, कि ~ जब अंतिम घड़ी आये, उसे पीड़ा ज्यादा न हो, किंतु कई महीनों बिस्तर पर रहकर उसने बहुत कष्ट सहे थे. अंतिम श्वाँस लेते वक़्त ... वह दुनिया से गुजरने का कोई मलाल नहीं करे, मगर ऐसी खराब हालत में भी उसे देहत्याग करने में भय हो रहा था.🎯 उसने चाहा था, कि ~ अंतिम समय उसके मलद्वार नाक, मुँह साफ़ रहें, मगर यह भी नहीं हुआ था. सभी जगह से रक्त गंदगी बाहर आई थी.🎯 उसने चाहा था, कि ~ जब उसकी अंत्येष्टि हो, तो उसके जाने पर दुःखी होने वाले लोग ही अंत्येष्टि में शामिल हों, मगर यह तक नहीं हो पाया था. चार-पाँच सौ की ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई थी, जो अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की मजबूरी में थी. अधिकांश लोग .. राजनीति, सिनेमा और व्यापारिक चर्चा में लीन रहे थे. कुछ तो पान-गुटका, सिगरेट का सेवन करते हुए हँसी ठिठोली कर रहे थे. •┈┈✤┈┈• 🔘 •┈┈✤┈┈┈• कुछ भी तो नहीं लग रहा था, जो उसके चाहे अनुसार हुआ था, लेकिन उसका तो देहावसान हो चुका था. ❗ वह इस हेतु ❗ पश्चाताप करने के लिए भी नहीं बचा था, कि व्यर्थ वह अपने रूप पर आत्ममुग्ध रहता था. बेकार अपनी शिक्षा, ज्ञान और अर्थ अर्जन से स्वयं में गर्व बोध करता था. भ्राँति में जीता था, कि ... पत्नी, बच्चे, उसके नाते-रिश्तेदार और उसके मित्र सच्चे और उसे बेहद प्यार करने वाले हैं. जीवन में पाले हुये अपनी हैसियत और शक्ति का घमंड उसका श्रेष्ठता-बोध सभी तो मिथ्या सिध्द हुआ था.🎯 दुखद आश्चर्य यह था, कि ~ उसकी ऐसी परिणीति से भी कोई कुछ समझने को तैयार नहीं था. #oldage #budapa
Saturday 24 June 2023
#karma हमेशा सोच समझकर काम करें।जब कर्ण के रथ का पहिया जमीन में फंस गया तो वह रथ से उतरकर उसे ठीक करने लगा। वह उस समय बिना हथियार के थे...भगवान कृष्ण ने तुरंत अर्जुन को बाण से कर्ण को मारने का आदेश दिया।अर्जुन ने भगवान के आदेश को मान कर कर्ण को निशाना बनाया और एक के बाद एक बाण चलाए। जो कर्ण को बुरी तरह चुभता हुआ निकल गया और कर्ण जमीन पर गिर पड़े।कर्ण, जो अपनी मृत्यु से पहले जमीन पर गिर गया था, उसने भगवान कृष्ण से पूछा,"क्या यह तुम हो, भगवान? क्या आप दयालु हैं? क्या यह आपका न्यायसंगत निर्णय है! एक बिना हथियार के व्यक्ति को मारने का आदेश? सच्चिदानंदमय भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए और उत्तर दिया, "अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु भी चक्रव्यूह में निहत्था हो गया था, जब उन सभी ने मिलकर उसे बेरहमी से मार डाला था, आप भी उसमें थे। तब कर्ण तुम्हारा ज्ञान कहाँ था? यह कर्मों का प्रतिफल है. यह मेरा न्याय है।" सोच समझकर काम करें। अगर आज आप किसी को चोट पहुँचाते हैं, उनका तिरस्कार करते हैं, किसी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं। भविष्य में वही कर्म आपकी प्रतीक्षा कर रहा होगा और शायद वह स्वयं आपको प्रतिफल देगा। जय श्रीराम!! 🚩
*पता-ही-नहीं-चला*.liअरे सखियो कब 30+, 40+, 50+ के हो गये पता ही नहीं चला। कैसे कटा 21 से 31,41, 51 तक का सफ़र पता ही नहीं चला क्या पाया क्या खोया क्यों खोया पता ही नहीं चला बीता बचपन गई जवानी कब आया बुढ़ापा पता ही नहीं चला कल बेटी थे आज सास हो गये पता ही नहीं चला कब मम्मी से नानी बन गये पता ही नहीं चला कोई कहता सठिया गयी कोई कहता छा गयीं क्या सच है पता ही नहीं चला पहले माँ बाप की चली फिर पतिदेव की चली अपनी कब चली पता ही नहीं चला पति महोदय कहते अब तो समझ जाओ क्या समझूँ क्या न समझूँ न जाने क्यों पता ही नहीं चला दिल कहता जवान हूं मैं उम्र कहती नादान हुं मैं इसी चक्कर में कब घुटनें घिस गये पता ही नहीं चला झड गये बाल लटक गये गाल लग गया चश्मा कब बदलीं यह सूरत पता ही नहीं चला मैं ही बदली या बदली मेरी सखियां या समय भी बदला कितनी छूट गयीं कितनी रह गयीं सहेलियां पता ही नहीं चला कल तक अठखेलियाँ करते थे सखियों के साथ आज सीनियर सिटिज़न हो गये पता ही नहीं चला अभी तो जीना सीखा है कब समझ आई पता ही नहीं चला आदर सम्मान प्रेम और प्यार वाह वाह करती कब आई ज़िन्दगी पता ही नहीं चला बहु जमाईं नाते पोते ख़ुशियाँ लाये ख़ुशियाँ आई कब मुस्कुराई उदास ज़िन्दगी पता ही नहीं चला जी भर के जी लो प्यारी सखियो फिर न कहना *पता ही नहीं चला*🙏🌷🌷#beautifullife #Hindisuvichar #story
Friday 23 June 2023
Thursday 22 June 2023
"सुकून की दौलत ....सवारियो के इंतजार मे आटो स्टैण्ड पर अपने आटो में बैठा मोहन.. बाजू के आटो में बैठे दीनू चाचा से बातें कर रहा था... कया बात है मोहन... आज तो तेरे चेहरे पर एक अलग ही मुसकान है....अरे चाचा.... आपको पता है कल रात मैंने एक मन के सुकून का काम किया.....मुझे सुकून की दौलत मिली...दीनू चाचा-कया...सुकून की दौलत... अरे हमें भी तो पता चले ...हमारे छोटे ने कया सुकून भरा काम किया .....और उसे कैसे सुकुन की दौलत मिली...क्या किसी बडे मंत्रीजी को आटो में बैठाकर शहर में घुमाया या किसी फिल्मी एक्टर को अपने आटो में बैठाया........अरे....नहीं चाचा...मैंने लोभ, लालच और बेईमानी को हराकर, ईमानदारी का परचम लहराया, एक गरीब और मजबूर परिवार को होनेवाले बहुत बड़े नुकसान से बचाया...दीनू चाचा - क्या कह रहा है छोटे....ऐसा क्या किया तूने...तो मोहन बोला..चाचा कल रात मैं रोज की तरह लगभग ग्यारह बजे सवारियो का इंतजार कर रहा था कि एक महिला और एक 12-13 साल का लड़का, जिनके पास दो-तीन झोले, चादर, कंबल, एक पानी की केन, स्टोव आदि बहुत सा सामान था, बस से उतरकर सीधे मेरे पास आये और बोले, भैया सिटी हास्पिटल चलोगे...मैंने बोला हां चलो, उन्होंने आटो में फटाफट अपना सामान रखा और खुद भी बैठ गये हम लोग 15-20 मिनिट में सिटी हास्पिटल पहुंच गये वे दोनों आटो से उतरे और जल्दी-जल्दी अपना सामान उठाया और सीधे हास्पिटल के अंदर चले गये। और मैं भी आटो लेकर बारह बजे वाली बस की सवारियों के लिये वापस बस स्टैण्ड आ गया...स्टैण्ड पर आटो खड़ा कर, सोचा पीछे की सीट पर थोड़ा लेट जाता हूं, पीछे गया तो देखा सीट के पीछे एक नीले रंग की पन्नी में कुछ बंधा हुआ पड़ा है, खोलकर देखा तो उसमें पांच-पांच सौ के नोटों की दो गड्डियां थी... साठ सत्तर हजार से कम नहीं रहे होंगे...एकपल को तो मुझे लगा, यार आज तो लॉटरी लग गयी है शाम से सवारियों ले जा रहा हूं कोई पूछने भी नहीं आया मन में आया कि इन पैसों को मैं ही रख लेता हूं, फिर थोड़ी देर सोच-विचार किया तो मुझे लगा कहीं ये पैसे अभी हास्पिटल जानेवाली महिला और उसके साथवाले लड़के के तो नही.. यही सोचकर मैंने, तुरंत आटो स्टार्ट किया और सिटी हास्पिटल चला गया और वहां उस महिला और लड़के को ढूंढने लगा, तो देखा वे दोनों वहीं बाहर ही शेड के नीचे बैठे फूट-फूट कर रो रहे थे...मैंने पूछा तो वह महिला कहने लगी, भैया हम लोग दूर गांव से आये है मेहनत-मजूरी करके जीवन यापन करते है मेरे पति यहां भर्ती हैं, उनके ब्रेन ट्यूमर का आप्रेशन होना है गांव में पैतृक जमीन का आधे एकड़ का टुकड़ा था, उसे बेचकर आप्रेशन के लिये पैसे लाये थे गांव से चले तो पैसे मेरे पास ही इस छोटे झोले में ही रखे थे, पर यहां आकर देखा तो पैसे की पन्नी है ही नहीं समझ ही नहीं आ रहा कि पैसे कहां चले गये... मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं भैया, डॉक्टर कहते हैं कि पति का आप्रेशन नहीं होगा तो उनकी जान का खतरा हैं.....ना जाने पैसे कहां गिर गये कहकर वह लगातार रोये जा रही थी...मैंने बोला आप चिंता मत करो...रामजी की दया से सब ठीक हो जायेगा....अच्छा बताओ पन्नी किस रंग की थी, वह बोली भैया नीले रंग की पन्नी थी और पांच-पांच सौ के नोटों की दो गड्डियां थी पूरे सत्तर हजार रूपये थे भैया....मैंने जेब से पन्नी निकाली और बोला यह लो तुम्हारे पैसे जल्दी-जल्दी में मेरे आटो में सीट के पीछे गिर गये थे...पैसे लेकर उस महिला के जान में जान आई पन्नी खोलकर मुझे दो हजार रूपये देने लगी, बोली यह रख लो भैया... मैंने बोला नहीं-नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं यह आपका पैसा है आप शांति से अपने पति का इलाज कराओ, सब ठीक हो जायेगा... मैं लौटने लगा तो वह महिला मेरे पैर पड़ने लगी मैंने उसे मना किया और वापस आ गया।दीनू चाचा बोले... वाह......छोटे तूने वाकई बहुत अच्छा काम किया बेटा, आज जबकि समाज में कई लोग हजार-पांच सौ के लिये अपना ईमान बेच देते हैं, इतनी बड़ी रकम पाकर भी तूने अपना ईमान डिगने नहीं दिया, बहुत बढ़िया छोटे...बेटा सच्चाई, ईमानदारी और संतोष से बढ़कर कोई दौलत नहीं है ...ईमानदारी की एक नेक पहल किसी का जीवन संवार सकती है और एक बेईमानी किसी का जीवन तबाह कर सकती है बेईमानी से हमें क्षणिक सुख भले मिल जाये, पर उसका अंत हमेशा दुखद ही होता है...छोटे, मुझे तुझ पर गर्व है बेटा...दीनू चाचा के मुंह से ये सुनकर मोहन का चेहरा और भी खिल उठाएक सुंदर रचना...#दीप...🙏🙏🙏
Tuesday 20 June 2023
एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज रात में सोने से पहले अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर लिख लिया करती थीं।एक रात उसने लिखा..."मैं खुश हूं कि मेरा पति पूरी रात ज़ोरदार खर्राटे लेता है क्योंकि वह ज़िंदा है और मेरे पास है ना...भले ही उसकी खर्राटो की आवाज़ मुझें सोने नहीं देते...ये भगवान का शुक्र है"...!"मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ता है कि रात भर मच्छर-खटमल सोने नहीं देते यानी वह रात घर पर गुज़रता है ,आवारागर्दी नहीं करता...इस पर भी भगवान का शुक्र है"...!"मैं खुश हूं कि हर महीना बिजली,गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है ,यानी ये सब चीजें मेरे पास,मेरे इस्तेमाल में हैं ना... अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती...? इस पर भी भगवान का शुक्र ".....!"मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है....यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ ऊपरवाले के आशीर्वाद से है"...!"मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है शुक्र है मेरे पास घर तो है ना... जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा...?इस पर भी भगवान का शुक्र है"...!"मैं खुश हूं कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ यानी कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं।इसके लिए भी भगवान का शुक्र है"..!"मैं खुश हूं कि हर साल दिवाली पर उपहार देने में पर्स ख़ाली हो जाता है यानी मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार ,दोस्त हैं जिन्हें उपहार दे सकूं...अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बे रौनक हो...?इस पर भी भगवान का शुक्र है".....!"मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ यानी मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है...ज़ाहिर है ये भी भगवान का ही करम है"...!जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए अपनी भी और अपने से जुड़े सभी लोगों की ज़िंदगी संतोषपूर्ण बनानी चाहिए.....छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश..खुश रहने का अजीब अंदाज़...औऱ हर हाल में खुश रहने की कला ही जीवन है.......!!'दोस्त, कठिन है यहाँ किसी को भी अपनी पीड़ा समझाना...दर्द उठे, तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना, चलते जाना...बस चलते जाना !!' 🚩🙏😊
Monday 19 June 2023
ना किस्से ना बातेना वादेना ही मुलाकातें कोई याद बाकी नही कोई चाह अब आधी नहीथा एक फरेब वो बसनासमझी में उसको खुदा बना दिया और देखो खुदा बनकरवो मेरी ही किस्मत मिटा गया बस एक उम्मीद ही थीउसे अपना बनाने कीएक रंगीन दुनिया सजाने कीजाने कैसी थी वो रात एक झटके में सब बदल गयाबेरंग हुई मैं रंगों सेखुशियों से नाता टूट गया हर सु अब तिमिर दिखता है कोई नही जो उजाले में मिलता है बदली दुनिया और बदली मैंअब दिल का साथी भी तन्हा मुझको कर गया वो मेरी ही किस्मत मिटा गयाएक झटके में सब बदल गया ।
Sunday 18 June 2023
एक चूहे ने हीरा निगल लिया तो हीरे के मालिक ने उस चूहे को मारने के लिये एक शिकारी को ठेका दिया। जब शिकारी चूहे को मारने पहुँचा तो वहाँ हजारों चूहे झुंड बनाकर एक दूजे पर चढे हुए थे मगर एक चूहा उन सबसे अलग बेठा था। शिकारी ने सीधा उस चूहे को पकड़ा जिसने डायमन्ड निगला था। अचम्भित डायमन्ड के मालिक ने शिकारी से पूछा, हजारों चूहों में से इसी चूहे ने डायमन्ड निगला यह तुम्हें केसे पता लगा ? शिकारी ने जवाब दिया बहुतही आसान था, जब मूर्ख धनवान बन जाता है तब अपनों से भी मेल-मिलाप छोड़ देता है। #beautifullife #Hindisuvichar
#happyfathersday2023 to all beautiful dads.#beautifullife #hindisuvichar#पितृ_दिवस के अवसर पर नमन हर पिता को उनके त्याग ,बलिदान और अदम्य साहस के लिए जो एक चट्टान की तरह खड़े होते हैं अपने बच्चों को सुरक्षित व सुयोग्य बनाने के लिए। पिता के प्रति असीम आदर भरे दिवस#पितृ_दिवस की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।❤❤💚💚#fathersday #happyfathersday2023
Friday 16 June 2023
Tuesday 13 June 2023
#व्यवहार असली परिचय देता है.. 🥀एक राजा के दरबार मे एक अनजान व्यक्ति नौकरी के लिए प्रस्तुत हुआ।योग्यता पूछी गई, कहा, "बुद्धि का खेल जानता हूँ ।"राजा के पास राजदरबारियों की भरमार थी, उसे खास "घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज" बना लिया।कुछ दिनों बाद राजा ने उस से अपने सब से महंगे और प्रिय घोड़े के बारे में पूछा, उसने कहा, "अच्छी नस्ल का नही है।"राजा को आश्चर्य हुआ, उसने जंगल से घोड़े की जानकारी वालो को बुला कर जांच कराई।उसने बताया, घोड़ा अच्छी नस्ल का नहीं हैं, लेकिन इसके जन्म पर इसकी मां मर गई थी, ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला है।राजा ने अपने उसको बुलाया और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा अच्छी नस्ल का नहीं हैं?"उसने कहा "जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि अच्छी नस्ल का घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता हैं।राजा उसकी परख से बहुत खुश हुआ, उसके घर अनाज, घी और अच्छे फल बतौर इनाम भिजवाया। और उसे रानी के महल में तैनात कर दिया।कुछ दिनो बाद, राजा ने उस से रानी के बारे में राय मांगी, उसने कहा, "तौर तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन राजकुमारी नहीं हैं ।"राजा के पैरों तले जमीन निकल गई, तो अपनी सास को बुलाया, मामला उसको बताया, सास ने कहा "सत्य यह है, कि आपके पिता ने मेरे पति से हमारी बेटी के जन्म पर ही रिश्ता मांग लिया था, लेकिन हमारी बेटी 6 माह में ही मर गई थी, तो हम ने आपके राजा से निकट संबंध हमेशा रहे इस लिए किसी और कि बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।"राजा ने अपने उस मंत्री से पूछा "तुम को कैसे जानकारी हुई?"उसने कहा, "उसका नौकरों के साथ व्यवहार मूर्खों से भी निम्न हैं। एक कुलीन व्यक्ति का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका एक शिष्टाचार होता हैं, जो रानी में बिल्कुल नही है।राजा फिर उसकी परख से खुश हुआ और बहुत से अनाज, भेड़ बकरियां बतौर इनाम दीं साथ ही उसे अपने दरबार मे शामिल कर लिया।कुछ समय बीता, मंत्री को बुलाया, अपने बारे में जानकारी चाही।उसने कहा "अभयदान दे तो बताऊं।"राजा ने वचन दिया। उसने कहा, "न तो आप राजा के पुत्र हो न आपका व्यवहार राजाओं वाला है।"राजा को गुस्सा आया, मगर अभयदान दे चुका थे, सीधे अपनी माँ के महल पहुंचा ।माँ ने कहा, "ये सच है, तुम एक ग्वाले के बेटे हो, हमारे पुत्र नहीं था तो हमने तुम्हे उनसे लेकर हम ने पालन पोषण किया।"राजा ने उसको बुलाया और पूछा, बता, "तुझे कैसे पता हुआ ????"उसने कहा "राजा जब किसी को "इनाम " दिया करते हैं, तो हीरे मोती जवाहरात के रूप में देते हैं। लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें देते हैं। यह चलन राजा के बेटे का नहीं है, किसी ग्वाले के बेटे का ही हो सकता है।"किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, प्रतिष्ठा, ज्ञान, बाहुबल हैं ये सब बाहरी चरित्र हैं ।इंसान की असलियत की पहचान उसके व्यवहार, उसकी नीयत से होती है।एक इंसान बहुत आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से बहुत शक्तिशाली होने के उपरांत भी अगर वह छोटी छोटी चीजों के लिए नीयत खराब कर लेता है, इंसाफ और सच की कदर नहीं करता, अपने पर उपकार और विश्वास करने वालों के साथ दगाबाजी कर देता है, या अपने तुच्छ फायदे और स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरे इंसान को बड़ा नुकसान पहुंचाने की लिए तैयार हो जाता है, तो समझ लीजिए, खून में बहुत बड़ी खराबी है। बाकी सब तो पीतल पर चढ़ा हुआ सोने का पानी है।#hindistory #hindikahani
अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? गीता में श्रीकृष्ण ने दिया है अर्जुन को इसका जवाब🥀🥀अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? वहीं जो लोग बुरे कर्म करते हैं और अज्ञान की राह पर होते हैं वो खुशहाल दिखते हैं। श्रीकृष्ण ने इसका जवाब #गीता में दिया है#श्रीकृष्ण ने #अर्जुन को जवाब देते हुए समझाई है ये बातलोगों को उनके कर्मों का फल हमेशा मिलता हैगीता सार: आपने महसूस किया होगा कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं वो परेशान रहते हैं वहीं जो बुरे कर्म करते हैं वो खुशी से रह रहे होते हैं। अच्छे कर्म करने वाले परेशान होते हैं कि आखिर उन्हें इतनी परीक्षा क्यों देनी पड़ रही है जबकि जो अधर्म की राह में हैं वो खुश हैं और जिंदगी का लुत्फ उठा रहे हैं। अगर आपके मन में भी ये सवाल आया है तो आज हम आपको इसका जवाब देंगे, ये जवाब वो है जो भगवत गीता में लिखा है और श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। भगवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार जब भी अर्जुन के मन में कोई दुविधा होती थी तो वो श्रीकृष्ण के पास पहुंच जाते थे। एक बार की बात है अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के समीप आकर कहा कि वो दुविधा में हैं और इसका जवाब वो श्रीकृष्ण से चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने पूछा कि क्या सवाल है? अर्जुन ने कहा- मुझे ये जानना है कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? वहीं बुरे लोग खुशहाल दिखते हैं। अर्जुन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर श्रीकृष्ण मुस्कुराएं और कहा- मनुष्य जैसा सोचता है और महसूस करता है वैसा कुछ नहीं होता है बल्कि अज्ञानता की वजह से वो सच्चाई नहीं समझ पाता है। अर्जुन उनकी ये बात समझ नहीं पाएं इसके बाद श्रीकृष्ण ने क्या कहा वो जानते हैं।श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- पार्थ मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं, उसे सुनकर तुम समझ जाओगे कि हर प्राणी को उसके कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है। प्रकृति हर किसी को अपनी राह चुनने का मौका देती है, अब वो मनुष्य की इच्छा पर निर्भर करता है कि उसे धर्म की राह चुननी है या अधर्म की। कथा शुरू करते हुए श्रीकृष्ण ने कहा- एक नगर में दो पुरुष रहा करते थे, एक पुरुष व्यापारी था जिसके जीवन में धर्म की बहुत महत्ता थी, वो पूजा-पाठ में यकीन रखता था, वो हर रोज मंदिर जाता था और दान-धर्म भी करता था और हर रोज भगवान की पूजा करता था। वहीं दूसरा पुरुष बिल्कुल विपरीत था वो हर रोज मंदिर तो जाता था लेकिन पूजा करने नहीं बल्कि मंदिर के बाहर से जूते-चप्पल चुराने। उसे दान और धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। समय बीतता गया और एक दिन बहुत जोर की बारिश हो रही थी, इस वजह से मंदिर में पुजारी के अलावा कोई नहीं था। ये बात जब दूसरे पुरुष को पता चली तो उसने कहा कि ये सही मौका है, मंदिर का धन चुराने का। पंडित से नजर बचाकर उसने मंदिर का सारा धन चुरा लिया। उसी समय धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाला व्यक्ति भी मंदिर पहुंचा, दुर्भाग्य से मंदिर के पुजारी ने उसे ही चोर समझ लिया और चिल्लाने लगे। वहां लोग एकत्र हो गए और उसे बहुत मारा। किसी तरह वो बचते बचाते वहां से निकला तो दुर्भाग्य ने उसका साथ वहां भी नहीं छोड़ा, मंदिर के बाहर वो एक गाड़ी से टकरा गया और घायल हो गया। फिर वो व्यापारी लंगड़ाते हुए घर जाने लगा तो रास्ते में उसकी मुलाकात उस पुरुष से हुई जिसने मंदिर से धन चुराया था, उसने कहा- आज तो मेरी किस्मत चमक गई, एक साथ इतना सारा धन मिल गया। ये सब देखकर उसे बहुत बुरा लगा और उसने अपने घर से भगवान की सारी तस्वीरें निकाल दीं। कुछ सालों बाद दोनों की पुरुषों की मृत्यु हो गई। मरने के बाद जब दोनों यमराज की सभा में पहुंचे और भले पुरुष ने दूसरे व्यक्ति को देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसने क्रोधित होकर यमराज से पूछ ही लिया- मैं तो हमेशा अच्छे कर्म करता था, दान में विश्वास रखता था। उसके बदले जीवन भर मुझे अपमान और दर्द ही मिला और इस व्यक्ति को नोटों से भरी पोटली। आखिर ऐसा भेदभाव क्यों? इस पर यमराज ने कहा- पुत्र तुम गलत समझ रहे हो। जिस दिन तुम्हारी गाड़ी से टक्कर हुई थी, वो दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन था। परंतु तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मौत सिर्फ एक छोटी से चोट में बदल गई। तुम इस दुष्ट व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हो, दरअसल इसके भाग्य में राजयोग था, मगर इसके कुकर्मों और अधर्म की वजह से वो सिर्फ एक छोटी सी धन की पोटली में बदल गया।कथा सुनाने के बाद श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- पार्थ क्या अब तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया? ऐसा सोचना कि भगवान तुम्हारे कर्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं, ये बिल्कुल भी सत्य नहीं है। भगवान हमें कब क्या किस रूप में दे रहा है मनुष्य को समझ में नहीं आता है। मगर आप अच्छे कर्म करते रहें तो भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसलिए अपने अच्छे कर्मों को बदलना नहीं चाहिए, क्योंकि उसका फल हमें इसी जीवन में मिलता है। इसलिए मनुष्य का फर्ज है कि वो हमेशा अच्छे कर्म करते रहें, क्योंकि श्रीकृष्ण ने गीता में भी बताया है कि किसी के द्वारा किया गया कर्म बेकार नहीं जाता है, चाहे वो अच्छा हो या बुरा। #beautifullife #Hindisuvichar
Saturday 10 June 2023
Wednesday 7 June 2023
Sunday 4 June 2023
"उठो सुबह हो गई चाय नहीं पीनी" "नहीं मैंने सुबह की चाय पीनी छोड़ दी है" "क्यों ""जब तुम थी तो सुबह सुबह मेरे हाथ की बनी चाय पीती थी, हम दोनों खुली छत या बरांडे में चाय की चुस्की लेते थे, परंतु अब नहीं"" मगर क्यों ? ""क्योंकि वो चाय नहीं प्यार का ही एक रूप था, तुम्हारे चले जाने के बाद, अब चाय की प्याली का क्या मतलब ? " "अरे ये क्या तुम बिस्तर झाड़ रहे हो,चादर ठीक कर रहे हो ?" "हां कर रहा हूं ""मेरे होने पर तो नहीं करते थे""तब मैं यह काम तुम्हारा समझता था,एक बेफिक्री थी । अब तुम्हारे सारे काम में खुद ही करता हूं ""बहुत सुधर गए हो, अब क्या करोगे ?"" टहलने जाऊंगा ""वहीं जहां मेरे साथ कभी कभी जाते थे"" हां वही ढूंढता हूं तुम्हें ,लेकिन तुम मिलती ही नहीं, निराश होकर लौट आता हूं ""फिर क्या करते हो ?"थोड़ी देर बाद नहाने चला जाता हूं ""इतनी सुबह सुबह पहले तो तुम 12:00 बजे के बाद नहाते थे तुम्हारे साथ साथ मेरी भी तो देर से नहाने की आदत हो गई थी""हां मगर अब सुबह ही नहा लेता हूं"" क्यों ?""क्योंकि अब जिंदगी के मायने बदल गये हैं "" नहाने के बाद क्या करते हो ?"" पूजा करता हूं भगवान जी और तुम्हारे फोटो के सामने अगरबत्ती जलाता हूं ""मेरे फोटो के सामने"" हां " "किस लिए ?""भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हारी आत्मा को शांति प्रदान करें"और हर जन्म में मुझे तुम ही पत्नी के रूप में मिलो. "मेरा इतना ख्याल रखते हो," "इतना प्यार करते हो मुझे"" पहले भी रखता था बस तुम समझती नहीं थी"" मैं भी तो रखती थी तुम ही कहां समझते थे"" हां,कह तो ठीक ही रही हो" "अब क्या करोगे ? "अब योग ,प्राणायाम आदि करूंगा " "मेरे सामने तो नहीं करते थे"" तब मन शांत था, अब मन को शांत करना होता है"" चाय भी नहीं पीई, कुछ खाया भी नहीं है ,नाश्ता नहीं करोगे ?""हां ,10:00 बजे करूंगा""अरे, नाश्ते में ये क्या खा रहे हो?"" जो बना है ""अब फरमाइश नहीं करते"" नही अब बहुत कम, हाँ जब कभी तुम्हारी बनाई डिश की याद आती है तो कभी कभी मांग लेता हूं"" अक्सर क्यों नहीं ?""तुमसे ही तो करता था, क्योंकि तुम पर मेरा एक विशेष अधिकार था इसलिए ,उसमें भी अधिकतर तो तुम बिना कहे ही मेरी पसंद की डिश बना लाती थी"" तो अब कहकर बनवा लिया करो ""जो तुम बनाती थीं वो हर कोई थोड़े ही बना सकता है ? वैसे भी मेरे स्वाद और पसंद तो तुम्हारे साथ चले गए" "अच्छा,अब क्या करोगे ?""अब 2 घंटे मोबाइल चलाऊंगा"तुम्हारे लिए कुछ लिखूंगा"2 घंटे ? ""क्यों ? ऊपर जाने के बाद भी मेरे मोबाइल से तुम्हारा बैर खत्म नहीं हुआ?"" मैं,शुरु शुरु में ही तो टोका करती थी बाद में तो टोकना बंद कर दिया था"" हां बंद तो कर दिया था , लेकिन तुम्हारे मन में मेरा मोबाइल हमेशा सौत ही बना रहा, बस दिखावे के लिए चुप रहती थी" "अच्छा अब लड़ो नहीं, चलो चला लो लिख लो"" तुम तो 2 घण्टे से भी ज्यादा देर तक चलाते रहे "***"हां ,तुम टोकने वाली नहीं थी ना" "अच्छा,अब भी उलाहना ,अब क्या करोगे ?"" अब आंखें थक गई हैं थोड़ी देर आंखों को आराम दूंगा, आंख बंद करके लेटूंगा ।"" अच्छा है आराम कर लो""अरे सोते ही रहोगे 2:30 बज गए तुम्हारा खाने का टाइम तो 12:00 बजे का है उठो खाना खा लो ""अच्छा क्या बना है ?""पता नहीं ""देखता हूं ""यह सब्जी, यह तो तुम्हें बिल्कुल पसन्द नही थी ""लेकिन ,अब पसन्द है "" कैसे ?""क्योंकि जब तुम थी तो मुझे चैलेंज करती थी ना कि मैं ही हूं जो तुम्हारे सारे नखरे बर्दाश्त करती हूं ,मैं चली जाऊंगी तब पता चलेगा "" अब तुम चली गई अपने साथ-साथ मेरे सारे नखरे और तुनक मिजाजी भी ले गई,अब तो मैं तुम्हारे सारे चैलेंज स्वीकार कर चुका हूं" "बहुत बदल गए हो" गलत ,बदल नहीं गया हूं, असल में जो मैं था वह तो तुम साथ ले गई ,अब तो बस शरीर है सांसे चल रही है ,कब तक चलेंगी,पता नहीं ""अरे देखो तुम्हारी कामवाली ने तुम्हारी पसंद का लाफिंग बुद्धा तोड़ दिया"" टूट जाने दो ""अरे,तुम्हें गुस्सा नहीं आया"" नहीं अब मुझे गुस्सा नहीं आता"" क्यों ?"" क्योंकि गुस्सा तो अपनों पर आता है, तुम तोड़ती तो जरूर आता, इस पर कैसा गुस्सा ?"" काश ! तुम मेरे होते हुए भी ऐसे ही होते हैं ?""हां, मैं भी यही सोचता हूं कि मैं तुम्हारे होते हुए ऐसा क्यों नहीं था ? क्यों हमने जिंदगी के कितने ही अमूल्य पल नोकझोंक अपने ईगो में गंवा दिए ?"" मुझे याद करते हो ?"" भूलता ही नहीं,तो याद करने की बात कहां से आ गई, हर समय मेरे चारों ओर जो घूमती रहती हो, "" रात हो गयी है, चलो अब सो जाओ तुम्हारे सोने का समय हो गया है,"" अच्छा ठीक है " "अरे ! सोते-सोते उठ कर कहां जा रहे हो ?""टीवी बंद कर दूँ ,अब तुम तो हो नहीं जो मेरे सोने के बाद बंद कर दोगी ""मैं तो अब चाह कर भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकती, तुम्हें छू भी नहीं सकती । चलो, दूर से ही थपकी देकर सुला देती हूँ " "चलो सुला दो, अब सो ही जाता हूं ...."अगर इस कहानी का एक भी शब्द आपके मन को छुआ है अगर आंखे थोड़ी भी नम हुई हैं,तो अभी सही समय है अपने जीवनसाथी से क्षमा मांगने का अगर आप भी उस पर बात बात गुस्सा करते हैं, गले लगिए और मांग लीजिए अपनी हर गलती के लिए उससे माफी उसके जीते जी उसे बता दीजिए आप उससे कितना प्यार करते हैं,क्योंकि बो भी आपसे असीम प्रेम करती है😢😢#hindistorytelling #beautifullife
दो भाई समुद्र के किनारे टहल रहे थे. दोनो में किसी बात को लेकर बहस हो रही थी, अचानक बड़े भाई ने छोटे भाई को थप्पड़ मार दिया, छोटे भाई ने कुछ नही कहा, सिर्फ रेत पे लिखा " आज मेरे भाई ने मुझे मारा" अगले दिन दोनों फिर समुद्र के किनारे घूमने निकले छोटा भाई समुद्र मे नहाने लगा, अचानक वो डूबने लगा, बड़े भाई ने उसे बचाया। छोटे भाई ने पत्थर पे लिखा " आज मेरे बड़े भाई ने मुझे बचाया " बड़े भाई ने पूछा- जब मैने तुम्हे मारा तो तुमने रेत पे लिखा, और जब मैने तुमको बचाया तो पत्थर पे लिखा. ऐसा क्यों ? विवेकशील छोटे भाई ने जवाब दिया जब हमे कोई दुःख दे तो रेत पे लिखना चाहिए ताकि वो जल्दी मिट जाए, परन्तु जो हमारे लिए अच्छा करता है तो हमें पत्थर पे लिखना चाहिए, जो मिट न पाए और हमेशा के लिए यादगार बन जाए।#beautifullie #hindishortstory #bhai #brother
Friday 2 June 2023
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