Friday, 20 June 2025

पिताजी ज़्यादा बोलते नहीं…पर जो नहीं बोलते,वही सबसे ज़्यादा महसूस होता है।न ग़ुस्से में कुछ कहते हैं,न थककर शिकायत करते हैं…बस एक लंबी चुप्पी ओढ़ लेते हैं जिसमें छुपा होता हैफिक्र का तूफान,दर्द का सागर,और मोहब्बत का पहाड़।उनकी खामोशी में…"बेटा ठीक है ना?""खर्चा तो पूरा पड़ रहा है ना?""थक गया होगा, चल मैं चाय बनाता हूँ…"…ये सब बातें होती हैं — बस अल्फ़ाज़ नहीं होते।पिताजी की खामोशी मेंसबसे ज़्यादा शोर होता है फिक्र का, दर्द का, और मोहब्बत का।अगर आज भी आपके पिताजी चुप रहते हैं,तो बिना कुछ पूछे… बस उनके पास जाकर बैठ जाइए।शब्दों की ज़रूरत नहीं होती — उन्हे बस साथ चाहिए।#बाप_पेज #पिता_की_खामोशी #Emotion #HindiPost #FatherLove