Saturday 19 December 2020

10 लाख का दहेज़5 लाख का खानाघड़ी पहनायीअंगूठी पहनाईमंडे का खानाफिर सब सुसरालियो को कपड़े देना ।बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजनाबेटी हो गई कोई सज़ा हो गई।और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता हैफिर कभी नन्द आ रही है, जेठानी आ रही हैकभी चाची सास आ रही है मुमानी सास आ रही है टोलीया बनाबना के आते हैं और बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सबको आला से आला खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से वेलकमकरती है फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जातेहै फिर मंगनी हो रही है बियाह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तयहो रहे है 500 लाए या 800बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता हैशाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरीवजह से कर्ज में डूबा हैभगवान के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बापअपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके।