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Friday, 4 April 2025
मैं अंधी नहीं हूं, मैं सब कुछ देखती हूं।मैं देखती हूं......जब लोग मुझे अलग तरह से ट्रीट करते हैं।...जब दूसरों को लगता है कि मैं इतनी मूर्ख हूं कि झूठ को समझ नहीं पाऊंगी।...जब मैं योजना का हिस्सा नहीं होती।...जब कुछ लोग मेरे प्रति अजीब व्यवहार करते हैं।...जब मैं सिर्फ एक विकल्प होती हूं।...जब मुझे किसी और के फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है।...जब दया का कोई और मतलब होता है।...जब लोग साजिश करते हैं।मैं सब कुछ देखती हूं।तो मेरी चुप्पी को मूर्खता न समझें।मैं इसके लिए बहुत सतर्क हूं।मैं अंधी नहीं हूं, मैं सब कुछ देखती हूं।
🌹🌹🌹सड़क का कुत्तासड़क के किनारे, वो अकेला चलता, न कोई सहारा, न कोई पलटा। भूखे पेट उसकी, दरिद्रता की कहानी, चोटों से भरी है, उसकी ये जवानी। रात की चादर में, वो सिमट जाता, सपनों में खोकर, वो खुद को भुला जाता। कभी एक टुकड़ा, कभी एक दया की नजर, पर सच्चाई की ठोकर, उसे हर बार बिखेरा। जब बारिश आती है, वो पनाह ढूंढता, कभी किसी खण्डहर में,कभी किसी कोने में। लोग गुज़रते हैं, पर आँखें मूंद लेते, उसकी पीड़ा में, कोई भी नहीं पड़ता। बच्चों की खिलौने, वो बस देखता है, पर खुद के लिये कोई,उसे नहीं देता है। एक झलक प्यार की, वो तरसता रहता, सड़क पर ये कुत्ता,बस खामोशी में जीता। कभी-कभी उसे, एक दोस्ती मिलती, पर वो भी पल भर में, फिर से छूट जाती। आँखों में आँसू हैं, दिल में है उदासी, इस सड़क के कुत्ते की, क्या है ये बेमिसाली। एक दिन जब वो, थक कर सो जायेगा, सड़क की धूल में, चुपचाप खो जायेगा। बस यादों में रहेगा,उस प्यार का नज़ारा, सड़क का ये कुत्ता, सबका है प्यारा। पर क्या कोई समझेगा,उसकी ये कहानी? क्योंकि वो सिर्फ एक कुत्ता है, पर दिल में है इंसानियत की ज़मीनी।😒
Monday, 31 March 2025
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