Saturday 29 April 2023

आपके अंतिम संस्कार के बाद क्या होगा❓कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगीरिश्तेदारों के लिए खाना बनवाने या मंगवाने में जुटे जायेगा परिवार,कुछ पुरुष सोने से पहले चाय की दुकान पर टहलने निकल जाएंगे।कोई रिश्तेदार आपके बेटे या बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है।और तो और इधर आपका मृत शरीर चिता पर जल रहा होगा, उधर आपको अंतिम विदाई देने आए लोगों में से कोई फोन पर किसी से बतिया रहा होगा, कोई वाट्स एप, फेसबुक पर व्यस्त होगा तो दूर झुंड बनाकर बैठे कुछ लोग घर परिवार, व्यवसाय, खेल आदि अन्य विषयों पर चर्चा कर रहे होंगे।अगले दिन रात के खाने के बाद, कुछ रिश्तेदार कम हो जाएंगे, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते होंगे।भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी ,आपका कार्यालय या आपकी दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी ओर को ढूंढने में जल्दबाजी करेगा।महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा।सबका जीवन सामान्य हो जाएगा। आपको इस दुनिया में आश्चर्यजनक गति से भुला दिया जाएगा। इस बीच आपकी प्रथम वर्ष पुण्यतिथि भव्य तरीके से मनाई जाएगी। पलक झपकते ही साल बीत गए और आपके बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।एक दिन बस पुरानी तस्वीरों को देखकर आपका कोई बेहद करीबी आपको याद कर सकता है।लोग आपको आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं, फिर आप किसके लिए दौड़ रहे हो? और आप किसके लिए चिंतित हैं?क्या आप अपने घर, परिवार, रिश्तेदार को संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं? जिंदगी एक बार ही होती है, बस इसे जी भर के जी लो… और जितना हो सके इसके परम उद्देश्य के जितना निकट पहुंच सको, पहुंचने का कोशिश करें ।सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया .... 🌹सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ....🌹#death

Friday 28 April 2023

ਕੰਧ ਵਿੱਚ ਉਗਿਆ ਰੁੱਖ🪴🌴ਨਿੱਕਾ ਸਾਂ ਜਦ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੋਏਚਾਚਿਆਂ ਤਾਇਆਂ ਬੂਹੇ ਢੋਏਮਰ ਮਰਕੇ ਝੱਲੀ ਭੁੱਖ ਯਾਰੋਮੇਰੇ ਤੇ ਜਵਾਨੀ ਕੀ ਆਉਂਦੀਮੈਂ ਕੰਧੀ ਉਗਿਆ ਰੁੱਖ ਯਾਰੋਮੇਰੇ ਤੇ ਜਵਾਨੀ ਕੀ ਆਉਂਦੀਅੰਨੇ ਬੈਲ ਦੇ ਖੂਹ ਨੂੰ ਗੇੜੇਦਿਨ ਬਚਪਨ ਦੇ ਲੰਘ ਗਏ ਮੇਰੇਲੂੰਏਂ ਪਿੰਡੇ ਧੁੱਪਾਂ ਝੱਲੀਆਂਮੇਹਨਤ ਕੀਤੀ ਸ਼ਾਮ ਸਵੇਰੇਇਕ ਪਲ ਨਾ ਮਿਲਿਆ ਸੁੱਖ ਯਾਰੋਮੇਰੇ ਤੇ ਜਵਾਨੀ ਕੀ ਆਉਂਦੀਮੈਂ ਕੰਧੀ ਉਗਿਆ ਰੁੱਖ ਯਾਰੋਕਮਲਾ ਪੀਤਾਂ ਦੀਪਾਂ ਪਿਆਰੀਤਿੰਨ ਭੈਣਾਂ ਦੀ ਜੁਮੇਵਾਰੀਮਾੜੇ ਘਰ ਕੋਈ ਸ਼ਾਕ ਨਾ ਜੋੜੇਮਾਂ ਲਈ ਚਿੰਤਾ ਬਣੀ ਬਿਮਾਰੀਹੱਡਾਂ ਚ ਬਹਿ ਗਏ ਦੁੱਖ ਯਾਰੋਮੇਰੇ ਤ ਜਵਾਨੀ ਕੀ ਆਉਂਦੀਮੈਂ ਕੰਧੀ ਉਗਿਆ ਰੁੱਖ ਯਾਰੋਲੋਕ ਦਿਵਾਲੀ ਨੂੰ ਮੌਜਾਂ ਕਰਦੇਸਾਡੀ ਲੰਘਦੀ ਤਲੀਆਂ ਮਲਦੇਵੇਖਕੇ ਚਿੱਤ ਪਰਚਾ ਲੈਂਦੇ ਸਾਂਸ਼ਾਹਾਂ ਕੋਠੀ ਦੀਵੇ ਬਲਦੇਕਦੇ ਹਵਾ ਨਾ ਬਦਲੀ ਰੁਖ ਯਾਰੋਮੇਰੇ ਤੇ ਜਵਾਨੀ ਕੀ ਆਉਂਦੀਮੈਂ ਕੰਧੀ ਉਗਿਆ ਰੁੱਖ ਯਾਰੋ #punjabistatus #hearttouching #punjabiSTORY #beautifullife

सोचने दे ज़माने को जो सोचना है, अगर तेरा दिल सच्चा हैतो नाज़ कर खुद पर...

Tuesday 25 April 2023

*मृत्यु*जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आयो पास।जगत में कैसा नाता रे। #hindistory

शरीर में कोई सुंदरता नहीं होती, अच्छे कर्म, विचार, वाणी, व्यवहार और संस्कार जिसके जीवन में यह सब है वही सबसे सुंदर इंसान है

Monday 24 April 2023

"सहारा...... #hindistoryमम्मी आप यहां...... ऐसे कयुं बैठी है ....चाय बना लाऊं आपके लिए ...... नही कुछ नही सुधा .....बस यूहीं ....नींद नहीं आ रही थी .....सुषमा जी बोली मम्मी .....तबीयत तो ठीक है ना आपकी ....दिखाइए..... बदन को हाथ लगाते हुए सुधा बोली..... ठीक है बहु .....बेकार चिंता मत कर .....अब मुझ बुढिया की उम्र में .....खैर ....जा बिटिया मोहन जाग गया होगा तुम्हें उसके पास जाना चाहिए...... सुधा कुछ परेशान सी होकर पति मोहन के पास पहुंची.... सुनिए .....मोहनजी...... हां.... कया है सुधा ....उठता हूं अभी थोड़ी देर में ...... आप यहां सो रहे है बेफिक्र से वहां मां.... मां....कया हुआ मां को .....कया हुआ ..... मोहनजी पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं वह ना तो ठीक से खाती है और ना ठीक से सो पाती है ....अभी भी बालकनी मे बैठी है गुमसुम सी .....मुझे उनकी चिंता हो रही है ......पापा के अचानक चले जाने से शायद वह ..... सुधा .....पापा का अचानक चले जाना हमसब के लिए बडी क्षति पहुंचाने वाला है एक छाया जो अबतक हमें अपने अनुभवों के पतों से बचाती थी अब वो छाया .....कहकर सुबकने लगा..... मोहनजी ....जो चला गया उसे तो वापस हम नही ला सकते मगर जो है उसे भी खोना .....मोहनजी मां का यूं अकेला रहना नींद ना लेना अच्छे से खाना नही खाना ...उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही है..... ठीक कहती हो सुधा ....मे आज ब्लकी अभी उन्हें डाक्टर के पास..... मोहनजी .....उनका इलाज डाक्टर के पास नहीं ब्लकी हमारे ही पास है ..... कया मतलब..... हमारे पास.... मोहनजी ....जब बचपन में आप डर जाते थे तो और अकेलेपन से घबराते थे तो आप कया करते थे... मां के पास......ओह......समझ गया ...... हां .....अबसे मां के साथ आप उनके कमरे में रहेंगे .....दिन मे मे और आराध्या उनके आसपास रहेंगे उनसे बातचीत करेंगे वैसे ही आप रात मे उनसे बचपने की बातें वो नादानियों से उनकी डांटने वाली समझाने वाली घटनाओं को स्मरण कराएंगे ...... सुधा ......मे आजरात से मां के पास ही सोऊंगा .... हूं..... यही अच्छा होगा...... रात को मां के कमरे में......कौन..... कौन है..... मां....मे हूं मोहन..... मोहन......तू यहां ......बेटा काफी रात हो गई है तू सोया नही ....कुछ काम था .... हां.....आज मे आपके पास सोऊंगा यहां..... कया...... मगर बहु ....और आराध्या .....बेटा तुम्हें उनके पास होना चाहिए ..... नही मां...... मां .....कहा ना मे आपके पास सोऊंगा..... कया सुधा से झगडकर आया है .....देख वो बडी प्यारी बच्ची है उससे झगड़ा मत किया कर ....जा अभी ....और मना ले उसे..... नही मां .....ऐसा कुछ नहीं है .....सुधा सचमुच बहुत अच्छी है .....मां याद है बचपन में जब मे डर जाता था तो आपके पास आकर सोता था .... हां....याद है .....कयोंकि तू उसवक्त बच्चा था .....कमजोर था ......डरता था घबराता था .....इसलिए तू मेरे पास आकार लिपटकर सो जाता था..... मां .......जैसे हम बच्चे बचपन में कमजोर घबराकर डरकर अपने बडे मां के आंचल मे बेखौफ होकर सो जाते थे वैसे ही जब बडे बुजुर्ग अकेले में घबराहट महसूस करने लगे तो कया उन बच्चों का जो अब जवान हो चुके हैं उन बुजुर्गों का सहारा नही बनना चाहिए......मां .....मुझे पता है आप पापा के अचानक चले जाने से अकेला महसूस करने लगी है.......मां ....आप अकेली नही हो ....आपका मजबूत कंधा आपके पास है आपका बेटा ......मां .....कहकर मोहन एकबारगी फिर से मां से बचपने की तरह लिपट गया .....दोनों की आँँखे भीगी हुई थी .....कुछ देर मे बेखौफ बेखबर मां सचमुच बडी अच्छी नींद में सो रही थी .....एक प्ररेणास्त्रोत रचना...🙏🙏🙏

"प्रतिष्ठा...अपनी पत्नी को खो देने के बाद ना चाहते हुए भी मनोहर बाबू को उनके बेटे बहु शहर ले आएं शायद बिरादरी का दबाव था या समाज में अपनी छवि का .... यहां आकर मनोहर बाबू को अक्सर तानों से सामना करना पड़ता था... क्या पापाजी आप ठीक से खाना भी नहीं खा सकते देखिए कितना गिरा दिया टेबल पर....क्या पापा कम से कम बाथरूम में पानी तो ठीक से डाल दिया करो कितनी गंदगी छोड़ दी....मनोहर बाबू भरसक कोशिश करते की बेटा बहु को शिकायत का कोई मौका नहीं दें मगर साठ पार की उम्र में कंपकंपाते हाथ कम दिखाई देती नजरें अक्सर धोखा दे जाती थी वह चुपचाप रह जाते थे कभी कभी तो मन करता इससे अच्छा तो गांव में अकेले रहकर भूखे या घुटघुटकर मर जाता मगर फिर अपने बेटे की प्रतिष्ठा का ख्याल आता तो सिसककर रह जाते पहले जैसे तैसे उनकी पत्नी के साथ कट जाती थी कुछ वो तो कुछ मनोहर बाबू साथ देते हुए गुजर बसर कर लेते थे मगर अब वो भी उन्हें अकेला छोड़कर चली गई थी.....यहां रुकने की एक वजह और भी थी उनका पोता....वो कहते है ना मूल से ब्याज ज्यादा प्यारी लगती है तो बस उन्हें अपने पोते से प्यार और उसके साथ सुबह शाम पार्क में समय व्यतीत करना अच्छा लगता था आज भी सुबह सुबह बहु ने जोरदार लताड़ लगाई थी नाश्ते पर बेचारे ठीक से नाश्ता भी नहीं कर पाए थे पार्क की बैंच पर बैठें हुए अपने दादाजी को भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए देखकर नन्हे केशव ने उनके आंसुओं को पोंछते हुए पूछा.... दादाजी.... हम इंसान बूढ़े क्युं हो जाते है... पोते केशव की बात सुनकर मनोहर बाबू कुछ देर उसे निहारते रहे फिर अपने आसपास नजरें घुमाने लगे आसपास बच्चों से लेकर जवान बुजुर्ग सभी नजर आ रहे थे उनकी आँखों में उनके बचपन से लेकर उनके बुढ़ापे तक का पूरा सफर तैर गया अपनी भीगी आँखे और कंपकंपाती जुबान से इतना ही बोल पाएं.....ताकि.. हमारे मरने पर..किसी को कोई अफसोस ना हो...."दोस्तों जब से लोग बुज़ुर्गों की इज्जत कम करने लगे,तब से लोग दामन में दुयाएं कम, दवाएं ज्यादा भरने लगे..." #copied #hindistory

Monday 17 April 2023

साभार मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ). माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता था माँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनी माँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता था बिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीना माँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिए ले लेती साल भर के लिए देसी चावल जब छोटे छोटे बच्चों के साथ जाती तो कहती भूल जाओ सब , आनंद करो , मस्ती करो सब मैं संभाल लूँगी मेरे घर आती तो सब बनेरों पे पड़े होते धुले हुए चादर खेस लिहाफ़ सारे मोहल्ले को पता होता माँ आईं हैं निहायत बुरे वक्तों में सीने में मेरा मुँह छुपा लेती और कहती मैं हूँ न बुरा सपना आता तो सुबह बस पकड़ आती देखती मैं ठीक हूँ तो शाम को लौट जातींहाँ , काफ़ी छुपाती थी मैं अपने दर्द उन से पर माँ की आँखें तो तस्वीर में भी भाँप जाती है दर्द गईं तो मेरा मायका भी साथ ले गईंएक बार गई मैं तो बाहर वाले कमरे में बैठ घंटों रोती रहीकिसी को ख़बर तक न पड़ी मेरे आने की फिर सालों साल उस शहर में क़दम पड़े ही नहीं वो रास्ते यूँ जैसे नाग फ़न फैलाए बैठे हों सोचा था , अब धुँधला पड़ने लगा है सब अब जाने लगी हूँ उस शहर ख़रीदारी भी कर लेती हूँ वहाँ माँ थीं तो ज़रूरी होता था शॉपिंग पे जाना नहीं तो पूछतींकोई बात है उदास हो क्या पैसे मुझ से ले लो कुछ बचा कर रखे हैं तुम्हारे बाबू जी से परे नहीं , पर कुछ भी धुँधला नहीं पड़ा है पालती मार कर बैठा था कहीं ज़िंदगी की व्यस्तता में कहीं एक शब्द पढ़ा तो ज़ार ज़ार फूट पड़ा सब कोई भी दर्द क्या मर पाता है कभी पूरी तरह यूँ तो सब ठीक है पर काश माँ को कोई दर्द न देती काश उनका दर्द बाँट लेती काश उनके लिए ढेरों सूट गहने ख़रीद पाती काश उन्हें घुमाने ले जा पाती काश उन्होंने कभी जो देखे थे ख़्वाब पूरे कर पाती पर यह काश भी तो ख़ुद माँ बन कर ही समझ आता है इतनी देर से क्यों समझ आता है ?

प्रेम बचपन में सबको मुफ्त मे मिलता है...जवानी में प्रेम कमाना पड़ता है...और बुढ़ापे में हमे मांगना पड़ता है

Friday 14 April 2023

कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है बोलने की भी और चुप रहने की भी….

अपनी #मृत्यु और अपनों की मृत्यु #डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...मौत के स्वाद का #चटखारे लेता मनुष्य ...थोड़ा #कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा #स्वाद है।---बकरे का,गाय का,भेंस का,ऊँट का,सुअर का,हिरण का,तीतर का, मुर्गे का,हलाल का,बिना हलाल का, ताजा बकरे का,भुना हुआ बकरे का,छोटी मछली, #बड़ी मछली, हल्की आंच पर सिका हुआ #मछली।न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....स्वाद से कारोबार बन गई #मौत। मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"❗ #स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी #ऑफिशियल। गली गली में खुले नये बिरयानी #रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है। जो हमारी तरह बोल नही सकते, #अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ? कैसे मान लिया कि उनमें #भावनाएं नहीं होतीं ?या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?#डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की #आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए ! बच्चों में झुठे #संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक #आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??जिसे काटा गया होगा ? जो कराहा होगा ? जो तड़पा होगा ? जिसकी आहें निकली होंगी ? जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर #अत्याचार बढ़ेंगे तोभगवान सिर्फ तुम इंसानों की #रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓क्या मूक #जानवर उस परमपिता #परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की #चिंता नहीं है .. ❓धर्म की आड़ में उस #परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की #बली चढ़ाते हो।कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो। पर मरा कटा एक बेजुबान ही 😌कभी सोचा ...??क्या ईश्वर का #स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?किसे ठग रहे हो ?भगवान को ? वाहेगुरु को ? अल्लाह को ? जीसस को ? या स्वयं को ?#मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!अभी रोज़े चल रहे हैं ....!#नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!झूठ पर झूठ......झूठ पर झूठ..झूठ पर झूठ ..हमारे बच्चों को अगर कोई ऐसे खाए तो हमें कैसा लगेगा ?? #कर्म का #फल मिल कर रहता है ये याद रखना ।ईश्वर ने #विवेक सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम #जन्म_मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को #भगवान समझ लिया।प्रकृति के साथ रहो।प्रकृति के होकर रहो।

Sunday 2 April 2023

दो ही चीजे ऐसी हैं, जिन्हें देनेमें किसी का कुछ नही जाता... "एक मुस्कुराहट और दूसरी दुआ" हमेशा बाँटते रहिए हमेशा बढ़ती रहेगी !

विश्वास रखिये अगर आप किसी के लिए निःस्वार्थ कुछ अच्छा करोगे, तो कही ना कही आपके लिए कुछ बहुत अच्छा जरूर हो रहा होगा।

क्रोध बुरा होता है, पर जहां जरूरत है, वहां दिखाना ही चाहिए । नहीं तो गलत करने वाले को एहसास ही नहीं होगा के वो गलत कर रहा है। और वो आपके साथ हमेशा वैसा ही व्यव्हार करेगा। #Anger #krodh

विश्वास रखिये अगर आप किसी के लिए निःस्वार्थ कुछ अच्छा करोगे, तो कही ना कही आपके लिए कुछ बहुत अच्छा जरूर हो रहा होगा।

शरीर की हिफाजत धन से भी अधिक करनी चाहिए क्योंकि शरीर बिगड़ने के बाद धन भी उसकी हिफाजत नहीं कर सकता..

जीवन में किसी को रुला कर हवन भी किया तो कोई फ़ायदा नहीं …..किसी एक इंसान को हँसा दिया तो अगरबत्ती भी जलाने की ज़रूरत नहीं …..

Saturday 1 April 2023

जब वो मांग में सिंदूर आते ही लड़की से औरत बन जाती है।जब वो शादी के तुरंत बाद दीदी से आंटी बन जाती है जबकि उसका पति दो बच्चों के बाद भी भैया ही बना रहता है।जब शादी की अगली सुबह बेटे को आराम करने दिया जाता है और उसे रसोई में प्रवेश मिल जाता है। सबकी पसंद का खाना बना के खिलाओ ,अपनी पसंद का कोई पूछेने वाला नही जब उसकी हर ग़लती भी उसकी और उसके पति की हर ग़लती भी उसी की ग़लती कहलाती है।जब उसका शादी से बाहर का आकर्षण उसको धोखे बाज़ बना देता है और उसके पति का आकर्षण उसके प्यार की कमी कहलाता है।जब मायके आने के लिए किसी की इजाजत जरूरी हो जाती है।जब मायके की यादों की उदासी को उसके काम ना करने का बहाना करार दिया जाता है।जब जरूरत पड़ने पर ना वो पति से पैसे मांग पाती है और ना ही पिता से।जब उसकी माँ उसे समझौता करने को कहती रहती है। और अपनी सफल शादी की दुहाई देती रहती हैजब ऑफिस से थक कर आने के बाद कोई पानी तक नहीं पूछता है।जब रात को पति के बाद सोती है और सुबह पति से पहले उठती है।जब अपने सपने/ख्वाहिशें भूल जाती है और कोई पुरानी सहेली उसको याद दिलाती है।शादी सभी के लिए उतनी मीठी नहीं होती जितनी नज़र आती है। महिलाओं के लिए आज भी जीवन मुश्किल है।वो जो महिला को आप रोज़ देखते है और उससे उसकी आँखों के नीचे काले घेरे होने का कारण पूछते है, मत पूछिए। वो कभी नहीं बताएगी। और अगर बताती भी है तो आप कभी नहीं समझेंगे।अरे भई! जिसे उसकी माँ ने नहीं समझा, आप क्या खाक समझेंगे?और भी जाने क्या-क्या बकवास दलीलों के रूप में सुनने को मिलती है।महिलाओं के शांत चेहरों और फूल से हँसी के पीछे कौन-कौन से तूफ़ान गुज़र रहे होते है, आप कभी नहीं समझोगे। स्त्री को समझने के लिए सात जन्म कम पड़ जायेंगे ।एक दिन स्त्री की जगह लेकर तो देखो दिन में तारे नज़र आयेंगे ।🙏🙏🙏🙏🙏🙏