Wednesday 28 April 2021

चार दिन है जिंदगी हंसी खुशी में काट लें ...मत किसी का दिल दुखा दर्द सबके बांट लें... कुछ नहीं है साथ जाना एक नेकी के सिवा ...कर भला होगा भला गांठ में ये बांध ले।

गुजर रही है ज़िन्दगी ऐसे मुकाम से... अपने भी दूर हो जाते हैं जरा से जुकाम से... तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी की हवा हो गई... वक़्त ने कैसा सितम ढाया कि दूरियाँ ही दवा हो गई ।

1. जिन्होंने अपनो को खो दिया, उनके लिए कोरोना एक महामारी है ।2. जो अस्पताल में रहकर वापस आ गए, उनके लिए बीमारी है।3. जिन्हें कुछ नहीं हुआ, उनके लिए कलाकारी (नौटंकी) है।एक यही कटु सत्य है ....

Monday 26 April 2021

🙏🏻💕🙏🏻💕हर हर महादेव जी🌹🙏🙏🏻💕🙏🏻8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा,--क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया।बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा!-- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो?-- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है?दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया।लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा,-- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर?पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे ! बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया,----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही तुम्हारी मां को बचा सकते हैं। क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?-- हां, मिलेंगे...! कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?-- सिर्फ एक रूपए।-- कोई दिक्कत नहीं है। एक रूपए में ही ईश्वर मिल सकते हैं।दुकानदार बच्चे के हाथ से एक रूपए लेकर उसने पाया कि एक रूपए में एक गिलास पानी के अलावा बेचने के लिए और कुछ भी नहीं है। इसलिए उस बच्चे को फिल्टर से एक गिलास पानी भरकर दिया और कहा, यह पानी पिलाने से ही तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी।अगले दिन कुछ मेडिकल स्पेशलिस्ट उस अस्पताल में गए। बच्चे की मां का आप्रेशन हुआ और बहुत जल्दी ही वह स्वस्थ हो उठीं।डिस्चार्ज के कागज़ पर अस्पताल का बिल देखकर उस महिला के होश उड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर कहा, "टेंशन की कोई बात नहीं है। एक वृद्ध सज्जन ने आपके सारे बिल चुका दिए हैं। साथ में एक चिट्ठी भी दी है"। महिला चिट्ठी खोलकर पढ़ने लगी, उसमें लिखा था-"मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको तो स्वयं ईश्वर ने ही बचाया है ... मैं तो सिर्फ एक ज़रिया हूं। यदि आप धन्यवाद देना ही चाहती हैं तो अपने अबोध बच्चे को दीजिए जो सिर्फ एक रूपए लेकर नासमझों की तरह ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ा। उसके मन में यह दृढ़ विश्वास था कि एकमात्र ईश्वर ही आपको बचा सकते है। विश्वास इसी को ही कहते हैं। ईश्वर को ढूंढने के लिए करोड़ों रुपए दान करने की ज़रूरत नहीं होती, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।",,,,,,,,,,,,🙏🏻💕हर हर महादेव जी🌹🙏

Sunday 25 April 2021

एक साथ चार कंधे देख कर मुर्दे के मन में विचार आया...एक ही काफी था , अगर जीते जी सहारा मिला होता।

हमें अहसास हो गया कि कुदरत के आगे हम पहले भी जीरो थे, आज भी जीरो है। कार है, पैसा है, दुकान है, फैक्ट्री है, सोना है, बहुत सारे नए कपड़े है, सब जीरो जैसे हो गए हैं। अपने ही घर मे डरे डरे घूम रहे हैं, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई अपना प्रिय भी आ जाये,तो अच्छा नहीं लग रहा । कुदरत ने बता दी हमे हमारी औकात, सबका घमंड चूर चूर कर दिया बहुत लोग घमंड में कहते थे कि तुम हमें जानते नही हो.. अब ये कुदरत ने बता दिया है कि तुम लोग मुझे जानते नहीं हो । अभी ये जो ज़िन्दगी है, ये ही सत्य है आत्म मंथन करो, सत्य को स्वीकारो ईश्वर की लाठी के आगे हम सब जीरो है।

Sunday 18 April 2021

जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे... और पराये अपने लगने लगे,तो समझ लीजिए की विनाश का समय आरम्भ हो चुका है।

जब बात ज़रूरत की हो तो ज़ुबान सबकी मीठी हो जाती है।

कुछ लोग आपसे सिर्फ उतना ही प्यार करते हैं जितना वो आपको इस्तेमाल कर सकते हैं। जहाँ उनका मतलब खत्म, वहाँ उनका प्यार भी खत्म।

चार दिन है जिंदगी हंसी खुशी में काट लें मत किसी का दिल दुखा दर्द सबके बांट लें कुछ नहीं है साथ जाना एक नेकी के सिवा कर भला होगा भला गांठ में ये बांध ले

मुंह के आगे अलग.. पीठ के पीछे अलग.. बोलने वालों से हमेशा सोशल डिस्टेंस बना कर रखो। ये लोग कोरोनावायरस से भी ज्यादा ख़तरनाक होते हैं।.

अच्छे इंसान सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म द्वारा ही पहचाने जाते हैं.. क्योंकि अच्छी बातें तो बुरे लोग भी कर लेते है।

Thursday 15 April 2021

कभी कभी हम किसी के लिए उतना जरूरी भी नहीं होते जितना हम सोच लेते हैं,

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं...! बस मेरा रब जानता है की मैनें कभी किसी का बुरा नहीं चाहा...!

इज्ज़त तो सबको चाहिए...लेकिन लोग वापस देना भूल जाते हैं।

कभी कभीहम गलत नहीं होते.. बस हमारे पास वो शब्द ही नहीं होते..जो हमको सही साबित कर सकें।

बाप की धोती फटी हो तो बेटे का ब्रांडेड जींस पहनने का कोई फायदा नहीं... माँ से अगर ऊँची आवाज में बात की तो देवी पूजने का कोई फायदा नहीं...।

Monday 12 April 2021

Happy Baisakhi 😀💐 जब बजे ढोल, नाचे कृषक झूमी फसलें, उर में पुलक ! ‘नब बर्ष’ हुआ बंगाल में जब ‘पुत्तांडु’ तमिल मनायें सब केरल में है ‘पूरम विशु’ आसाम में ‘रंगाली बीहू’ ! गुरूद्वारों में रौनक छायी तब प्यारी बैसाखी आयी ! धूम मचाती भाती हर मन जन्म खालसा हुआ इसी दिन अमृत छका पंच प्यारों ने गुरुसाहब की याद दिलाने भंगड़ा गिद्दा होड़ लगाते घर बाहर रोशन हो जाते ! सब के मन पर मस्ती छायी तब प्यारी बैसाखी आयी !

दिल के साफ़ और सच बोलने वाले इंसान अक्सर अकेले मिलते हैं यही हक़ीक़त है ज़िंदगी की,

कैसे कह दूँ बदले में कुछ नहीं मिला, 'सबक' कोई छोटी चीज़ तो नहीं हैं...!!

मायूस मत हुआ करो क्योंकि तुमने जो माँगा है, ऊपरवाला उससे बेहतर तुम्हें देगा!

नरम दिल के लोग जल्दी रो पड़ते हैं। जल्दी रुठ जाते हैं , फिर जल्दी से मान भी जाते हैं । सुना है रब को ऐसे लोग बहुत पसंद आते हैं।

आप जैसे हो वैसे ही रहो क्योंकि Original की कीमत हमेशा Duplicate से ज्यादा ही होती है।

Sunday 11 April 2021

अपने अंदर ख़ुशी ढूंढना 'आसान' नहीं है..और कहीं और इसे ढूंढना 'संभव' नहीं है..

हर प्रशंसा करनेवाला, शुभचिंतकनहीं होता.

पहले खुद पर ध्यान दो; फिर दूसरों को ज्ञान दो।।

हर प्रशंसा करनेवाला, शुभचिंतकनहीं होता.

कहते हैं कि*मृत्यु* के ठीक पहले मनुष्य को वो सब कर्म दिखते हैं। जो उसने *जीवन* भर किये तो कर्म कुछ ऐसे करो कि जिससे मरते समय चेहरे पर *सुकून* हो ना कि *डर*

हर प्रशंसा करनेवाला, शुभचिंतकनहीं होता.

Thursday 8 April 2021

जो दिल से उतर गया तो फिर ,क्या फ़र्क पड़ता है ,वो किधर गया...।

इस कविता को गीतकार तनवीर ग़ाज़ी ने लिखा है।तू खुद की खोज में निकलतू किस लिए हताश है,तू चल तेरे वजूद कीसमय को भी तलाश हैजो तुझ से लिपटी बेड़ियाँसमझ न इनको वस्त्र तू ये बेड़ियां पिघाल केबना ले इनको शस्त्र तूबना ले इनको शस्त्र तूतू खुद की खोज में निकलविज्ञापनतू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद कीसमय को भी तलाश हैसमय को भी तलाश हैचरित्र जब पवित्र हैतो क्यों है ये दशा तेरीये पापियों को हक़ नहींकि ले परीक्षा तेरीकि ले परीक्षा तेरीतू खुद की खोज में निकलतू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद कीसमय को भी तलाश हैजला के भस्म कर उसेजो क्रूरता का जाल हैतू आरती की लौ नहींतू क्रोध की मशाल हैतू क्रोध की मशाल हैतू खुद की खोज में निकलतू किस लिए हताश हैतू चल तेरे वजूद कीसमय को भी तलाश हैसमय को भी तलाश हैचूनर उड़ा के ध्वज बनागगन भी कंपकंपाएगा अगर तेरी चूनर गिरीतो एक भूकंप आएगातो एक भूकंप आएगातू खुद की खोज में निकलतू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद कीसमय को भी तलाश हैसमय को भी तलाश है

पिता हैं तो छतरी है, जूते हैं पिता हैं तो दरख़्त है, हिमालय है । पिता हैं तो नींद है, सपने हैं । पिता हैं तो सुविधा है नास्तिक होने की । पिता के होते ईश्वर की प्रार्थना ज़रूरी नहीं।

पिता हैं तो छतरी है, जूते हैं पिता हैं तो दरख़्त है, हिमालय है । पिता हैं तो नींद है, सपने हैं । पिता हैं तो सुविधा है नास्तिक होने की । पिता के होते ईश्वर की प्रार्थना ज़रूरी नहीं।

जो पिता के चरण स्पर्श करे वो कभी संपत्तिहीन नही होता... जो माता के चरण स्पर्श करे वो कभी ममताहीन नहीं होता... जो बड़े भाई के चरण स्पर्श करे वो कभी शक्तिहीन नही होता... जो बहन के चरण स्पर्श करे वो कभी चरित्रहीन नही होता...जो गुरु के चरण स्पर्श करे वो कभी बुद्धिहीन नहीं होता....

क़ानून सब के लिए बराबर है यह दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है,कानून मकड़ी का वह जाला है... जिसमें कीड़े मकोड़े तो फंसते हैं मगर, बड़े जानवर इसे फाड़ कर निकल जाते है.।

जरूरत से ज्यादा चालाकी और निश्छल व्यक्ति के साथ कियागया छल आपकी बर्बादी के सभी द्वार खोल देता है, फिर चाहें आप कितने भी बड़े शतरंज के धूर्त खिलाड़ी ही क्यों ना हों।

मुझे गिरते हुए पत्तों ने ये सिखाया है, अगर बोझ बन जाओगे तो अपने भी गिरा देंगे।

Tuesday 6 April 2021

“निंदा कबहुँ न कीजिए”हमारे घर के अंदर अगर मकड़ी का जाला लग जाता है तो हम उसे झाडू से साफ करते हैं, वह जाला झाडू़ पर चिपक जाता है और हमारे घर की साफ सफाई हो जाती है, ठीक इसी तरह हम किसी की बुराई करते हैं या निंदा करते हैं तो समझो हम झाडू़ का काम कर रहे है, उसकी बुराई अपने सिर पर ले लेते हैं, जिस तरह झाडू़ पर जाला चिपकता उसी ही तरह सामने वाले के अवगुणो के पाप हमारे ऊपर चिपक जाते हैं, इसलिए सभी संतों ने कहा है किसी की बुराई मत करो ।

मौत का भी समय बदल गया । ना तुलसी, ना गंगाजल ना किसी के कंधे का सहारा ना कोई विश्राम, ना राम राम बस सीधा पैकिंग ओरश्मशान।कड़वा सचमाटी का संसार है, खेल सके तो खेल बाज़ी रब के हाथ है, पूरा विज्ञान फेल।

मुझे नही आती उड़ती पतंगों सी चालाकियां..गले मिलकर गला कांटू वो मांझा नही हूँ मैं..