Tuesday 28 February 2023

#story "मदद... #help अरे मोहन भैया ....आइए आइए .... जैसे ही आकाश ने मोहन को देखा तो उसका स्वागत करते हुए बोलाक्या बात है आकाश भाई ...नये कपड़े पहने कहीं जाने की तैयारी कर रहे हो लगता है में गलत समय पर आ गया फिर कभी आऊंगा अरे नहीं ....में तो बस मंदिर जा रहा था वो ...नया टैंडर होनेवाला है तो भगवान से प्रार्थना करने की ये टेंडर मुझे मिल जाएमंदिर ... अरे तो चलो में भी साथ चलता हूं भाई वाह ...एक और एक ग्यारह तो चलो मोहन ने बाइक स्टार्ट की और आकाश पीछे बैठ गया दोनों पास के मंदिर में भगवान जी के दर्शन करने पहुंचे दोनों ने मंदिर में भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया और बाहर निकल आए मोहन जहां बाइक पार्किंग से लेने चला गया तो आकाश वहीं बाहर उसका इंतजार करने लगा तभी ... बाबूजी ... बाबूजी भगवान के नाम पर कुछ दीजिए भगवान आपका भला करेंगे...एक बुजुर्ग आकाश की और आते हुए बोला उसके कपड़े लगभग मैले कुचैले से थे अबे चल... दूर हट...बाबूजी .... भूखा हूं कुछ ...सुना नहीं चल हट ... जाकर कमा कर खाओ ...आ जाते हो मुंह उठाकर बेशर्म कही के मांगने के लिए...ये देखकर मोहन ने बाइक स्टैंड पर खड़ी की और बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा ...आप कुछ खाएंगे भूख लगी है आपको बाबाहां बेटा ....मोहन तुरंत पास की दुकान से पूड़ी सब्जी लेकर आया और बुजुर्ग व्यक्ति को देते हुए बोला ...वो बाबा खा लों ...बुजुर्ग बड़े चाव से खाने लगा तब तक बाइक में रखी पानी की बोतल निकालकर मोहन ने उस बुजुर्ग व्यक्ति को देते हुए कहा ... साफ पानी है बाबा ... पी लीजिएगाये सब देख रहे आकाश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था क्योंकि उसकी तरह मोहन भी भीख देना अच्छा नहीं मानता था मगर आज ...इससे पहले वो मोहन को कुछ कहता मोहन उससे बोला क्या यार आकाश .... देखकर तो बोला कर बुजुर्ग आदमी है पता नहीं किस मजबूरी में...और अगर तुम्हें कुछ भी नहीं देना था तो कोई बात नहीं मगर इतना डांटना तो नहीं था मोहन ...मेरी बात सुन... ये लोग ऐसे मानने वाले नहीं है और तू कबसे इनका हिमायती बनने लगा तू भी भीख देने के खिलाफ रहता है नाहां ...में भी किसी को भीख देने के खिलाफ रहता हूं मगर उन बुजुर्ग व्यक्ति ने पैसे नहीं भूख का हवाला देकर कहा था कि वह भूखे हैं और भूखे को खाना खिलाना भीख नहीं होती में तो तुझे बस ये कह रहा था कि भाई अगर तुम्हें उसे कुछ नहीं भी देना था तो कम से कम प्यार से मना कर देता ....अच्छा .... उससे क्या हो जाता और क्यों मना करता प्यार से वो मुझसे मांग रहा था समझा कोई कर्जा नहीं ले रखा मैंने उससे ये होते ही बेशर्म लोग हैं एकबार दे दो तो मुंह उठाए चले आते हैं मांगने को सही कहा मेरे भाई तुमने ... बेशर्म लोग....अब एकबार यही बात खुदपर भी लागू करते हुए सोचकर देख तो क्या मतलब ...मतलब ये हम भी तो आए दिन भगवान जी से कुछ ना कुछ मांगते रहते हैं अगर भगवान जी ने भी इसी तरह से हमें डांटना शुरू कर दिया कि जा मेहनत कर बेशर्म कही के आ जाता है बार बार मांगने के लिए तो ...तो फिर कैसा रहेगा...अब आकाश शर्मिंदगी से सिर झुकाए खड़ा हुआ थामेरे भाई ....में नहीं कहता कि तुम किसी को भीख दो मगर किसी जरूरतमंद की मदद तो कर सकते हो तो करो ना इसी का नाम तो दुनियादारी है जैसे हमें उम्मीद होती हैं किसी से की वो हमारे लिए ये काम कर दे तो आसानी होगी काम बन जाएगा वैसे ही हम जैसे लोगों से भी कुछ लोग उम्मीद बांधे देखते हैं तो उन जरुरतमंद लोगों की मदद करने में हिचकिचाहट कैसी ....चल अब घर चले कहते हुए मोहन ने बाइक स्टार्ट की और आकाश पीछे मुस्कुरा कर बैठ गयाएक सुंदर रचना...#दीप...🙏🙏🙏

#saas#bahu #rishta. मंजू ने लम्बी साँस लेते हुए मन में सोचा -''आज सासू माँ की तेरहवीं भी निपट गयी .माँ ने तो केवल इक्कीस साल संभाल कर रखा मुझे पर सासू माँ ने अपने मरते दम तक मेरे सम्मान, मेरी गरिमा और सबसेबढ़कर मेरी इस देह की पवित्रता की रक्षा की .ससुराल आते ही जब ससुर जी के पांव छूने को झुकीतब आशीर्वाद देते हुए सिर पर से ससुर जी का हाथपीछे पीठ पर पहुँचते ही सासू माँ ने टोका था उन्हें .......'' बिटिया ही समझो ...बहू नहीं हम बिटियाही लाये हैं जी !''सासू माँ की कड़कती चेतावनी सुनते ही घूंघट में से ही ससुर जी का खिसियायाहुआ चेहरा दिख गया था मुझे . .उस दिन के बाद से जब भी ससुर जी के पांव छुए दूर से ही आशीर्वादमिलता रहा मुझे .पतिदेव के खानदानी बड़े भाई जब किसी काम से आकर कुछ दिन हमारे घर में रहे थे तब एक बेटे की माँबन चुकी थी थी मैं ...पर उस पापी पुरुष की निगाहें मेरी पूरी देह पर ही सरकती रहती .एक दिन सासू माँ ने आखिर चाय का कप पकड़ाते समय मेरी मेरी उँगलियों को छूने का कुप्रयास करते उस पापी को देख ही लिया और आगे बढ़ चाय का कप उससे लेते हुए कहा था ......''लल्ला अब चाय खुद के घर जाकर ही पीना ...मेरी बहू सीता है द्रौपदी नहीं जिसे भाई आपस में बाँट लें .'' सासू माँ की फटकार सुन वो पापी पुरुष बोरिया-बिस्तर बांधकर ऐसा भागा कि ससुर जी की तेरहवी तक में नहीं आया और न अब सासू माँ की .चचेरी ननद का ऑपरेशन हुआ तो तीमारदारी कोउसके ससुराल जाकर रहना पड़ा कुछ दिन ...अच्छी तरह याद है वहाँ सासू माँ के निर्देश कान में गूंजतेरहे -'' ...बचकर रहना बहू ..यूँ तेरा ननदोई संयम वाला है पर है तो मर्द ना ऊपर से उनके अब तक कोई बाल-बच्चा नहीं ...''आखिरी दिनों में जब सासू माँ ने बिस्तर पकड़ लिया था तब एक दिन बोली थी हौले से .......'' बहू जैसे मैंने सहेजा है तुझे तू भी अपनी बहू की छायाबनकर रक्षा करना ..जो मेरी सास मेरी फिकर रखती तो मेरा जेठ मुझे कलंक न लगा पाता .जब मैंने अपनी सास से इस ज्यादती के बारे में कहा था तब वे हाथ जोड़कर बोली थी मेरे आगे कि इज्जत रख लेघर की ..बहू ..चुप रह जा बहू ...तेरी गृहस्थी के साथ साथ जेठ की भी उजड़ जावेगी ..पी जा बहू जहर ....भाई को भाई का दुश्मन न बना ....और मैं पी गयी थी वो जहर ..आज उगला है तेरे सामने बहू !!'' ये कहकर चुप हो गयी थी वे और मैंने उनकी हथेली कसकर पकड़ ली थीमानों वचन दे रही थी उन्हें''चिंता न करो सासू माँ आपके पोते की बहू मेरे संरक्षण में रहेगी .'' सासू माँ तो आज इस दुनिया में न रही पर सोचती हूँ कि शादी से पहले जो सहेलियां रिश्ता पक्का होने पर मुझे चिढ़ायाकरती थी कि -'' जा सासू माँ की सेवा कर ..तेरे पिता जी से ऐसा घर न ढूँढा गया जहाँ सास न हो '' ....उन्हें जाकर बताउंगी कि ''सासू माँ तो मेरी देह के लिबास जैसी थी जिसने मेरी देह को ढ़ककर मुझे शर्मिंदा होने से बचाये रखा न केवल दुनिया के सामने बल्कि मेरी खुद की नज़रों में भी .'

Monday 27 February 2023

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌟🔱 *सुविचार मंथन*🔱🌟परिवर्तन 🔆 चाहे कैसा भी हो...सरलता से नहीं होता...चाहे आप अपनी उन्नति, प्रगति अथवा अपने अच्छे जीवन, अच्छे भविष्य 🌠 के लिए ही क्यों न कर रहे हों..!! जैसे दिन के पश्चात रात्रि आती है..अंधेरे का आगमन होता है तो उसे समाप्त करने के लिए प्रकाश 💡 की व्यवस्था करनी पड़ती है, फिर सुबह भोर में उसी कृत्रिम प्रकाश को बंद कर दिया जाता है। स्पष्ट संकेत 💫 है कि परिवर्तन यदि हो रहा है या आप परिवर्तन की इच्छा रख रहे हैं तो उसके अनुरूप ही प्रयास ✊🏻 भी आपको करने ही होंगे। परिवर्तन के अनुसार निर्णय लेना कष्टदायी अवश्य हो सकता है, किन्तु बिना किन्हीं ठोस प्रयासों के केवल परिवर्तन की चाह 💗 बनाये रखना कदाचित अधिक कष्ट ही देता है...!! स्मरण रखें, एक सूखा पत्ता भी बिना किसी कारण अपने स्थान से हिलता 🍂 तक नहीं है..यदि हिलता है तो उसका कारण भी पहले ही उत्पन्न होगा..!! *प्रसन्न रहें 😊!! एक बार प्रेम से अवश्य कहें/लिखें, जय जय श्रीराधेकृष्णा, जय जय सियाराम*!!!🙌🏻💐 🕉 *ईश्वर सदैव हमारे संग हैं* 🕉 *"परिस्थितियाँ" हमारे "नियंत्रण" से बाहर हो सकती है लेकिन....हमारा "आचरण" नियंत्रण से बाहर नहीं होना चाहिए।**एक चाहत होती है... अपनों के साथ जीने की, वरना पता तो हमें भी है ...कि मरना अकेले ही है!*”*मित्रता एवं रिश्तेदारी "सम्मान" की नही "भाव" की भूखी होती है...बशर्तें लगाव "दिल" से होना चाहिए "दिमाग" से नही। कहा जाता है की एक "प्रणाम" कई “परिणाम” बदल देता है!**तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया यही रह जाना है ! कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ यही तेरे जाना है !रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं, लेकिन मुस्कुराने से पराये भी अपने हो जाते हैं !* *मुझे वो रिश्ते पसंद है, जिनमें " मैं " नहीं " हम " हो !! इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही, उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही।**आप कितने भी अच्छे इंसान हो फिर भी आप किसी न किसी के लिए बुरे होगे क्योंकि.….लोग हमेशा अपने हित के अनुसार आपका मूल्यांकन करते है।**विस्तार की इच्छा मनुष्य में जन्मजात गुण धर्म है, कोई भी कमजोर या अविकसित रहने की इच्छा नहीं रखता, "सभी अपने मानसिक क्षैत्र का विस्तार करना चाहते हैं, विस्तार की इस प्यास को बुझाने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से प्रयास करते रहना चाहिए!"* *गलतियां सुधार लेना ही आख़िरी विकल्प है, क्योंकि चिंता कभी परिणाम को बदल नही सकती।।* *मैं आपके सफल सुखद और स्वास्थ्य से भरपूर मंगल दिवस की कामना करता हूं।💐आपका दिन शुभ हो।🙏💐*

लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों..! किसी को पता नहीं, सांसों की मोहलत कहां तक है..!!

फिर मेरे हिस्से में आएगा समझौता कोई, आज फिर कोई कह रहा था, समझदार हो तुम.!

Saturday 25 February 2023

#patipatni #hindistory Great Lesson for Generations🙏पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया।मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहीन समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता।लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही।मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया।पति-पत्नी के हाथ में तलाक के कागज़ों की प्रति थी।दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार।मुकदमा दो साल तक चला था। अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे , कोल्ड ड्रिंक्स लिया।यह भी महज़ इत्तेफाक ही था कि तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे।लकड़ी की बेंच और वो दोनों .''कांग्रेच्यूलेशन .... आप जो चाहते थे वही हुआ ....'' स्त्री ने कहा।''तुम्हें भी बधाई ..... तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल की ....'' पुरुष बोला।''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है????'' स्त्री ने पूछा।''तुम बताओ?''पुरुष के पूछने पर स्त्री ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था....अच्छा हुआ.... अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा।''''वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था'' पुरुष बोला।''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेली है'', स्त्री की आवाज़ सपाट थी न दुःख, न गुस्सा।''जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' पुरुष ने कहा।स्त्री चुप रही, उसने एक बार पुरुष को देखा।कुछ पल चुप रहने के बाद पुरुष ने गहरी साँस ली और कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।''''गलत कहा था''.... पुरुष की ओऱ देखती हुई स्त्री बोली।कुछ देर चुप रही फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप लगाती लेकिन मैं नहीं...''प्लास्टिक के कप में चाय आ गई।स्त्री ने चाय उठाई, चाय ज़रा-सी छलकी। गर्म चाय स्त्री के हाथ पर गिरी।स्सी... की आवाज़ निकली।पुरुष के गले में उसी क्षण 'ओह' की आवाज़ निकली। स्त्री ने पुरुष को देखा। पुरुष स्त्री को देखे जा रहा था।''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?''''ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम,'' स्त्री ने बात खत्म करनी चाही।''तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती।'' पुरुष ने कहा तो स्त्री फीकी हँसी हँस दी।''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े????'' स्त्री ने पूछा।''अस्थमा।डॉक्टर सूरी ने स्ट्रेन... मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' पुरुष ने जानकारी दी।स्त्री ने पुरुष को देखा, देखती रही एकटक। जैसे पुरुष के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो।''इनहेलर तो लेते रहते हो न?'' स्त्री ने पुरुष के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा।''हाँ, लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, '' पुरुष ने कहा।''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है, '' स्त्री ने हमदर्द लहजे में कहा।''हाँ, कुछ इस वजह से और कुछ...'' पुरुष कहते-कहते रुक गया।''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' स्त्री ने बात पूरी की।पुरुष कुछ सोचता रहा, फिर बोला, ''तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी।''''हाँ... फिर?'' स्त्री ने पूछा।''वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए होगी??? मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए....'' स्त्री ने स्पष्ट किया।''बिटिया बड़ी होगी... सौ खर्च होते हैं....'' पुरुष ने कहा।''वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे,'' स्त्री बोली।''हाँ, ज़रूर दूँगा।''''चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना,'' स्त्री ने कहा।उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।पुरुष उसका चेहरा देखता रहा....कितनी सह्रदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।स्त्री पुरुष को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे...एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह वह बचाने चला आया था उसे। खुद तैरना नहीं आता था लाट साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करता रहा था... कितना अच्छा है... मैं ही खोट निकालती रही...''पुरुष एकटक स्त्री को देख रहा था और सोच रहा था, ''कितना ध्यान रखती थी, स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था। हर महीने कंजूसी करती, पैसे बचाती, और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी। कितनी संवेदना थी इसमें। मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा। काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।''दोनों चुप थे, बेहद चुप।दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश।दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे....''मुझे एक बात कहनी है, '' आवाज़ में झिझक थी।''कहो, '' स्त्री नजल आँखों से उसे देखा।''डरता हूँ,'' पुरुष ने कहा।''डरो मत। हो सकता है तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो,'' स्त्री ने कहा।''तुम बहुत याद आती रही,'' पुरुष बोला।''तुम भी,'' स्त्री ने कहा।''मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ।''''मैं भी.'' स्त्री ने कहा।दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं।दोनों की आवाज़ जज़्बाती और चेहरे मासूम।''क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते?'' पुरुष ने पूछा।''कौन-सा मोड़?''''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति-पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।''''ये पेपर?'' स्त्री ने पूछा।''फाड़ देते हैं।'' पुरुष ने कहा औऱ अपने हाथ से तलाक के कागजात फाड़ दिए। फिर स्त्री ने भी वही किया। दोनों उठ खड़े हुए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे। दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति-पत्नी का था ।।पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो ।।

Friday 24 February 2023

... ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ •❁ मेरी कोई ज़ायदाद नहीं ❁• ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ एक दिन मैं तन्हा बैठा था अपने मकान में, चिड़िया बना रही थी घोंसला रोशनदान में. पल भर में आती .. पल भर में जाती थी वो, छोटे-छोटे तिनके ... चोंच में भर लाती थी वो. बना रही थी वो अपना घर .. एक न्यारा, एक तिनका ही था, उसकी ईंट और गारा. कड़ी मेहनत से घर जब उसका बन गया, आए खुशी के आँसू और सीना तन गया. कुछ दिन बाद मौसम बदला और ... हवा के झोंके आने लगे, नन्हे से प्यारे-प्यारे दो बच्चे, घोंसले में चहचहाने लगे. पाल पोसकर चिड़िया ... कर रही थी बड़ा उन्हे, पंख निकल रहे थे दोनों के ... पैरों पर करती थी खड़ा उन्हे. इच्छुक है हर इंसान ... जमीन आसमान के लिए, कोशिश थी जारी उन दोनों की ... एक ऊँची उड़ान के लिए. देखता था मैं हर रोज उन्हें ... जज्बात मेरे उनसे कुछ जुड़ गए, पंख निकलते ही दोनों बच्चे ... माँ को छोड़ अकेला .. उड़ गए. चिड़िया से पूछा मैंने कि .. तेरे बच्चे तुझे अकेला क्यों छोड़ गए ? तू तो थी माँ उनकी ... फिर ये रिश्ता क्यों तोड़ गए ? इंसान के बच्चे अपने माँ-बाप का ... घर नहीं छोड़ते, जब तक मिले न हिस्सा अपना ... रिश्ता नहीं तोड़ते. चिड़िया बोली ~ परिन्दे और इंसान के बच्चे में ... यही तो फर्क है. आज के इंसान का बच्चा ... मोह-माया के दरिया में गर्क है. इंसान का बच्चा .. पैदा होते ही ... हर चीज पर अपना हक जमाता है. न मिलने पर वो माँ-बाप को ... कोर्ट कचहरी तक ले जाता है. मैंने बच्चों को जन्म दिया, पर ... करता कोई मुझको याद नहीं. मेरे बच्चे .. क्यों रहेंगे साथ मेरे, क्योंकि ... ★ मेरी कोई #जायदाद नहीं. ★

👉बेटे के जन्मदिन पर .....रात के 1:30 बजे फोन आता है, बेटा फोन उठाता है तो माँ बोलती है:- "जन्म दिन मुबारक लल्ला"बेटा गुस्सा हो जाता है और माँ से कहता है: - सुबह फोन करती। इतनी रात को नींद खराब क्यों की? कह कर फोन रख देता है।थोडी देर बाद पिता का फोन आता है। बेटा पिता पर गुस्सा नहीं करता बल्कि कहता है:- सुबह फोन करते।फिर पिता ने कहा: - मैनें तुम्हे इसलिए फोन किया है कि तुम्हारी माँ पागल है जो तुम्हे इतनी रात को फोन किया। वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा और उसने मना किया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई पर ऑपरेशन नहीं करवाया। रात के 1:30 को तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात 1:30 तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी । लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गयी ।उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । तुम्हारे जन्म से पहले डॉक्टर ने दस्तखत करवाये थे कि अगर कुछ हो जाये तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे। तुम्हे साल में एक दिन फोन किया तो तुम्हारी नींद खराब हो गई......मुझे तो रोज रात को 25 साल से रात के 1:30 बजे उठाती है और कहती है देखो हमारे लल्ला का जन्म इसी वक्त हुआ था। बस यही कहने के लिए तुम्हे फोन किया था। इतना कहके पिता फोनरख देते हैं।बेटा सुन्न हो जाता है। सुबह माँ के घर जा कर माँ के पैर पकड़करमाफी मांगता है....तब माँ कहती है, देखो जी मेरा लाल आ गया।फिर पिता से माफी मांगता है तब पिता कहते हैं:- आज तक ये कहती थी कि हमे कोई चिन्ता नहीं हमारी चिन्ता करने वाला हमारा लाल है। पर अब तुम चले जाओ मैं तुम्हारी माँ से कहूंगा कि चिन्ता मत करो। मैं तुम्हारा हमेशा की तरह आगे भी ध्यान रखुंगा।तब माँ कहती है:- माफ कर दोबेटा है।सब जानते हैं दुनियाँ में एक माँ ही है जिसे जैसा चाहे कहो फिर भी वो गाल पर प्यार से हाथ फेरेगी।पिता अगर तमाचा न मारे तो बेटा सर पर बैठ जाये। इसलिए पिता का सख्त होना भी जरुरी है।माता पिता को आपकी दौलत नही बल्कि आपका प्यार औरवक्त चाहिए। उन्हें प्यार दीजिए। माँ की ममता तो अनमोल है।निवेदन:- इसको पढ़ कर अगर आँखों में आंसू बहने लगें तो रोकिये मत, बह जाने दीजिये। मन हल्का हो जायेगा!* भगवान से बढ़कर माता पिता होते है #maa #BAAP #mother ❣❤

Thursday 23 February 2023

एक राजा को जब पता चला कि मेरे राज्य मे एक ऐसा व्यक्ति है जिसका सुबह-सुबह मुख देखने से दिन भर भोजन नही मिलता है। सच्चाई जानने के इच्छा से उस व्यक्ति को राजा ने अपने साथ सुलाया। दुसरे दिन राजा की ब्यस्तता ऐसी बढ़ी कि राजा शाम तक भोजन नही कर सका, इस बात से क्रुद्ध होकर राजा ने उसे तत्काल फॉसी की सज़ा का ऐलान कर दिया। आखिरी इच्छा के अंतर्गत उस व्यक्ति ने कहा " राजन मेरा मुँह देखने से आप को शाम तक भोजन नही मिला, किंतु आप का मुँह देखने से मुझे मौत मिलने वाली है।" इतना सुनते ही लज्जित राजाको संत वाणी याद आ गई ।।।।बुरो जो देखण मै चल्यो, बुरो न मिल्यो कोय जो दिल ढूढ्यो आपणो, मुझ सो बुरो न कोय।

Tuesday 21 February 2023

घर की नई नवेली इकलौती बहू एक प्राइवेट बैंक में बड़े ओहदे पर थी । उसकी सास तकरीबन एक साल पहले ही गुज़र चुकी थी । घर में बुज़ुर्ग ससुर औऱ उसके पति के अलावे कोई न था । पति का अपना कारोबार था ।पिछले कुछ दिनों से बहू के साथ एक विचित्र बात होती ।बहू जब जल्दी जल्दी घर का काम निपटा कर ऑफिस के लिए निकलती ठीक उसी वक़्त ससुर उसे आवाज़ देते औऱ कहते बहू ,मेरा चश्मा साफ कर मुझें देती जा। लगातार ऑफिस के लिए निकलते समय बहू के साथ यही होता । काम के दबाव औऱ देर होने के कारण क़भी कभी बहू मन ही मन झल्ला जाती लेकिन फ़िरभी अपने ससुर को कुछ बोल नहीं पाती ।जब बहू अपने ससुर के इस आदत से पूरी तरह ऊब गई तो उसने पूरे माजरे को अपने पति के साथ साझा किया ।पति को भी अपने पिता के इस व्यवहार पर बड़ा ताज्जुब हुआ लेकिन उसने अपने पिता से कुछ नहीं कहा। पति ने अपनी पत्नी को सलाह दी कि तुम सुबह उठते के साथ ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो ,फिर ये झमेला समाप्त हो जाएगा ।अगले दिन बहू ने ऐसा ही किया औऱ अपने ससुर के चश्मे को सुबह ही अच्छी तरह साफ करके उनके कमरे में रख आई।लेकिन फ़िरभी उस दिन वही घटना पुनः हुई औऱ ऑफिस के लिए निकलने से ठीक पहले ससुर ने अपनी बहू को बुलाकर उसे चश्मा साफ़ करने के लिए कहा। बहू गुस्से में लाल हो गई लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। बहू के लाख उपायों के बावजूद ससुर ने उसे सुबह ऑफिस जाते समय आवाज़ देना नहीं छोड़ा ।धीरे धीरे समय बीतता गया औऱ ऐसे ही कुछ वर्ष निकल गए। अब बहू पहले से कुछ बदल चुकी थी। धीरे धीरे उसने अपने ससुर की बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और फ़िर ऐसा भी वक़्त चला आया जब बहू अपने ससुर को बिलकुल अनसुना करने लगी । ससुर के कुछ बोलने पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती। गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन बेचारे बुज़ुर्ग ससुर भी गुज़र गए।समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था,वो घूमता रहा घूमता रहा। छुट्टी का एक दिन था। अचानक बहू के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया। वो अपने घर की सफ़ाई में जुट गई। तभी सफाई के दौरान मृत ससुर की डायरी उसके हाथ लग गई।बहू ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था-"दिनांक 26.10.2019.... आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए ढाल का काम करता है। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझें कहा था कि बहू को अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं हैं। उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना । वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा!! डायरी पढ़कर बहू फूटफूटकर रोने लगी। आज उसके ससुर को गुजरे ठीक 2 साल से ज़्यादा समय बीत चुके हैं लेकिन फ़िर भी वो रोज़ घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर रख दिया करती है, उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में।जीवन में हम रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं। रिश्तों के महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखें।

“The wife looked at herself in the mirror and asked her husband: Do you still love me.? The man replied: Oh yes! But is my body not the same as when we first met?No, I did not notice, the man replied.She put her hand on her stomach andsaid, look my belly is much bigger and heavier, My legs are not smooth anymore. She came to him with tears in her eyes and asked, "Why do youlove me like this?" The man replied:Look, when I touch your body, I feelyour love, I see your kind heart, I see your beautiful figure, I know it's a perfect shape, I love you. Don't be mad at the way you look, enjoy the way I see you, And the way I still feel you. I fell in love with the sensualityand kindness of your soul, not withthe bustle of your body, and throughtears I drew a smile on her face,which shines again. That's how it should be in life and love, becauseyou love not with your eyes, but withyour heart.”Unknown author ✍️

इंतजार की हद भी अजीब होती है, ना दरवाजा बंद होने देती है और ना आँखें।

Saturday 18 February 2023

*कृपया बिना रोए पढ़ें। यह मेसेज मेरे दिल को छू गया है* #patipatni #story 💐जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई! अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया कीजिए। आपकी सुविधा - असुविधा, आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हैं। उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है। वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है !घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था।उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:में अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे।तो मैं जा रही हूँ।जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जीयेंगे ऐसा वचन दिया था पर अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझको पता नहीं था।मुझे जाने दो।अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। बहुत दर्द हो रहा है मुझे।लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती।मुझे जाने दोबेटा और बहू रो रहे हैं देखो। मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता बा बा बा कर रहा है उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों।मुझे जाने दोअभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी तब उसे संभालना और शांत करना। और आपभी बिल्कुल नही रोना।मुझे जाने दोजिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम में डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल लेना।मुझे जाने दोआपने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं।मुझे जाने दोआपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नहीं खाना अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहू पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं यह समझ कर जीना सीख लेना।मुझे जाने दोबेटा और बहू कुछ बोले तोचुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नहीं होना। मुझे जाने दोअपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जिएं ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना लेकिन कभी कमजोर नही होना।मुझे जाने दोमेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नहीं। सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहू भूल जाये तो सामने से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।मुझे जाने दोबुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे धीरे से चलना।यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।मुझे जाने दोशाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तभी पानी पी लेना।अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं उसका ध्यान रखना।मुझे जाने दोशादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नहीं मिलेगी।मुझे जाने दोउठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना किसी की प्रतीक्षा नही करना।मुझे जाने दोऔर हाँ .... एक बात तुमसे छिपाई है मुझे माफ कर देना।आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये हैं। मेरी दादी ने सिखाया था। एक - एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया। इसमें से पाँच - पाँच लाख बहू और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना अपने लिए।मुझे जाने दोभगवान की भक्ति और पूजा करना भूलना नही। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे !!मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना। *मुझे जाने दो* *मुझे जाने दो*🙏🙏❣❣

Wednesday 15 February 2023

लोग तो किताबों से भी बेहतर सबक सिखाते हैं।

कर्ज उतर जाता है, एहसान नहीं उतरता।

वो लोग भी परेशान रहते हैं , जिन्हें हर बात याद रह जाती है।

एक औरत जब शादी के बाद अपने सारे फर्ज निभाती है ओर उसे फिर भी वो हक नही मिलते ओर हर बार उसे ताने दिये जाते हैं ना समय पर खाने को ना सेहत को ले कर किसी उसका ध्यान करना जिनके लिये वो नौकरों जैसे काम करे।ओर पती शराब का आदी है ओर लाख समझाने पर भी एक ना सुने दिन भर शराब में डुबा हो जिसे इस बात का ज्ञान ना हो घर में क्या माहोल हो रहा है ओर जरुरत क्या है घर में बस अपनी शराब में डुबा रहे किसी की कोई परवाह ना हो सिरफ शराब सुबह शाम रात में उस औरत को क्या कदम उठाना चाहिए। जो हर तरफ से मजबूर है मां बाप को बता ना सके इस डर से के दुख होगा उन्हें जब बेटी को इस हाल में देखेंगे जहां एक बाप की तीन बेटियां हो ओर जिसने बड़े नाजों से पाला है उसके साथ मायके में ये हालात हो जिस बाप की सिर्फ तीन बेटियां हो ओर बेटा ना हो उन बेटियों को ही बेटा समझा हो जिसने जो खुद अपनी सेहत से ठिक ना हो क्या करे वो बेटी।।औरत होना जुर्म नही है फिर भी सजा भुगत ती है कुछ एक बार औरत ही अपने हर फर्ज को निभा कर भी कुछ हिस्से नही आता।।बाताऐं क्या करना चाहिये उस औरत को।।❤️🥰❤️

तू अपनी खूबियां ढूंढ,कमियां निकालने के लिए लोग हैं...अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,पीछे खींचने के लिए लोग हैं...सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,नीचा दिखाने के लिए लोग हैैं...अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,जलने के लिए लोग हैैं...अगर बनानी है तो यादें बना,बातें बनाने के लिए लोग हैं...प्यार करना है तो गोकू से कर,दुश्मनी करने के लिए लोग हैं...रहना है तो बच्चा बनकर रह,समझदार बनाने के लिए लोग हैं...भरोसा रखना है तो ख़ुद पर रख,शक करने के लिए लोग हैैं...तू बस सवार ले ख़ुद को,आईना दिखाने के लिए लोग हैं...ख़ुद की अलग पहचान बना,भीड़ में चलने के लिए लोग हैं...तू कुछ करके दिखा दुनिया को,तालियां बजाने के लिए लोग हैैं..जो भी करना हैं तू आज करकल कहने के लिए लोग हैं.......सभी शुभचिंतकों को समर्पित 😃💐🌺🌷

Tuesday 14 February 2023

एक औरत जब शादी के बाद अपने सारे फर्ज निभाती है ओर उसे फिर भी वो हक नही मिलते ओर हर बार उसे ताने दिये जाते हैं ना समय पर खाने को ना सेहत को ले कर किसी उसका ध्यान करना जिनके लिये वो नौकरों जैसे काम करे।ओर पती शराब का आदी है ओर लाख समझाने पर भी एक ना सुने दिन भर शराब में डुबा हो जिसे इस बात का ज्ञान ना हो घर में क्या माहोल हो रहा है ओर जरुरत क्या है घर में बस अपनी शराब में डुबा रहे किसी की कोई परवाह ना हो सिरफ शराब सुबह शाम रात में उस औरत को क्या कदम उठाना चाहिए। जो हर तरफ से मजबूर है मां बाप को बता ना सके इस डर से के दुख होगा उन्हें जब बेटी को इस हाल में देखेंगे जहां एक बाप की तीन बेटियां हो ओर जिसने बड़े नाजों से पाला है उसके साथ मायके में ये हालात हो जिस बाप की सिर्फ तीन बेटियां हो ओर बेटा ना हो उन बेटियों को ही बेटा समझा हो जिसने जो खुद अपनी सेहत से ठिक ना हो क्या करे वो बेटी।।औरत होना जुर्म नही है फिर भी सजा भुगत ती है कुछ एक बार औरत ही अपने हर फर्ज को निभा कर भी कुछ हिस्से नही आता।।बाताऐं क्या करना चाहिये उस औरत को।।❤️🥰❤️

*👉👉 पत्नी के हाथों का गर्म गर्म खाना खाने के बाद पति का चेहरा जब संतुष्ट होकर गुलाब की तरह खिल जाता है, बस!!!! यही है Rose day* 🌹🌹🌹🌹🌹❤️ *👉👉 जब पति-पत्नी एक दूसरे को जिंदगी भर सुख दुख में साथ देने की बात करते हैं, तो बस!!! यही है Propose day ❤️* *👉👉 रास्ते पर किसी अनाथ बच्चे को चोकलेट खिलाओ और उसके हंसते चेहरे पर खुशी देखो बस!!! यही है chocolate🍫🍫🍫🍫🍫 day ❤️* *👉👉 बच्चों के लिए टेडी क्यों खरीदें, बल्कि खुद उनके साथ उनके दोस्त बनकर खेले, बस!!! यही है Teddy 🧸🧸🧸🧸🧸 day ❤️* *👉👉 माता पिता और सास ससुर को कभी वृद्धाश्रम में नहीं जाने देगें, यह वचन ही तो है🤝🤝🤝 Promise day ❤️* *❤️ परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के काम को सराहे, और एक दूसरे को गले लगा कर प्रोत्साहित करें!!!! बस यही है Hug day* *❤️ जिस परिवार में यह सब कुछ मिल जाए, यही तो है Velentine day ❤️*#valentinesday2023 #valentinesdayspecial

Monday 13 February 2023

एक औरत जब शादी के बाद अपने सारे फर्ज निभाती है ओर उसे फिर भी वो हक नही मिलते ओर हर बार उसे ताने दिये जाते हैं ना समय पर खाने को ना सेहत को ले कर किसी उसका ध्यान करना जिनके लिये वो नौकरों जैसे काम करे।ओर पती शराब का आदी है ओर लाख समझाने पर भी एक ना सुने दिन भर शराब में डुबा हो जिसे इस बात का ज्ञान ना हो घर में क्या माहोल हो रहा है ओर जरुरत क्या है घर में बस अपनी शराब में डुबा रहे किसी की कोई परवाह ना हो सिरफ शराब सुबह शाम रात में उस औरत को क्या कदम उठाना चाहिए। जो हर तरफ से मजबूर है मां बाप को बता ना सके इस डर से के दुख होगा उन्हें जब बेटी को इस हाल में देखेंगे जहां एक बाप की तीन बेटियां हो ओर जिसने बड़े नाजों से पाला है उसके साथ मायके में ये हालात हो जिस बाप की सिर्फ तीन बेटियां हो ओर बेटा ना हो उन बेटियों को ही बेटा समझा हो जिसने जो खुद अपनी सेहत से ठिक ना हो क्या करे वो बेटी।।औरत होना जुर्म नही है फिर भी सजा भुगत ती है कुछ एक बार औरत ही अपने हर फर्ज को निभा कर भी कुछ हिस्से नही आता।।बाताऐं क्या करना चाहिये उस औरत को।।❤️🥰❤️

जब सही उम्र में शादियां हो जाती थी तो लोग पोती पोतों की शादी भीदेख लेते थे...आने वाले समय में- अपनी की शादीदेख लेना भी बड़ी बात- होगी../#shadi #,marriage

Sunday 12 February 2023

" पुत्र की निगाह मे एक पिता "जब मैं 3 वर्ष का था तब मैं यह सोचता था की मेरे पिता दुनिया के सबसे मजबूत और ताकतवर इंसान हैं ।जब मैं 6 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया की मेरे पिता दुनिया के सबसे ताकतवर ही नहीं सबसे समझदार इंसान भी हैं ।जब मैं 9 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मेरे पिता को दुनिया की हर चीज़ के बारे में ज्ञान है ।जब मैं 12 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस करने लगा की मेरे दोस्तों के पिता मेरे पिता से ज्यादा समझदार हैं ।जब मैं 15 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मेरे पिता को दुनिया के साथ चलने के लिए कुछ और ज्ञान की ज़रूरत है ।जब मैं 20 वर्ष का हुआ तब मुझे यह महसूस हुआ की मेरे पिता किसी दूसरी दुनिया के हैं और यह मेरी सोच के साथ नहीं चल सकते ।जब मैं 25 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मुझे किसी भी काम के बारे में अपने पिता से सलाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें हर काम में कमी निकलने की आदत सी पड़ गयी है ।जब मैं 30 वर्ष का हुआ तब मैं यह महसूस करने लगा की मेरे पिता को मेरी नक़ल करने से कुछ समझ आ गयी है ।जब मैं 35 वर्ष का हुआ तब मुझे लगा की छोटी मोती बातों में उनसे सलाह ली जा सकती है ।जब मैं 40 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की कुछ ज़रूरी बातों में सलाह लेनी चाहिए ।जब मैं 50 वर्ष का हुआ तब मैंने यह फैसला किया की अपने पिता की सलाह के बिना कुछ नहीं करना चाहिए क्योंकि मुझे यह ज्ञान हो चूका है की मेरे पिता दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति हैं पर इससे पहले मैं यह समझ पाता और अपने फैसले पर अमल कर पाता मेरे पिता जी इस संसार को अलविदा कह गए और मैं अपने पिता की हर सलाह और तजुरबे से वंचित रह गया..!!दोस्तों दुनिया में पिता का साया क्या होता हे ये शायद पिता के जाने के उपरांत ही समझ आता हे जब तक पिता जीवित होते हे हम जहाँ थोड़े से समझदार होते ही उनकी अवहेलना करने लगते हे परंतु उनके जाते ही हमें सब कुछ अहसास हो जाता हे । अतः आप सभी के करबद्ध निवेदन हे आप ऐसा न होने दे । अपने पिता का पूर्ण मान सम्मान करे उनकी बात को पूरा महत्व दे । आप खुद ही जीवन में अंतर पायेंगे । दुनिया के सभी पिता को समर्पित 💓💓💓💓💓

Foreign में एक newspaper में बड़ा अजीब सा advertisement था - एक old couple चाहिए, जो साथ में रहे। एक old couple ने फोन किया - हमें job चाहिए पर काम क्या करना होगा।वहाँ से आवाज आई हम दोनों doctors है, हमारी माँ तीन महिने पहले चल बसी।काम करने के लिए हमारे पास servants है, पर हमें कोई पुछने वाला नहीं है कि बेटा late क्यूं हो गये,खाना खाया या नहीं,हम काम से आए तो कोई प्रेम देकर सहला दे।उनकी आँखों में आँसू आ गए।जगत की विडम्बना है कि जिनके घर में माता-पिता है उनको value नहीं है और जिनके नहीं है उनको लगता है माता-पिता होते तो अच्छा रहता। अपनों का ख़्याल रखें।स्वस्थ रहें व्यस्त रहें मस्त रहें 🥰

12 फरवरी - 30 माघ - जनम दिवस साहिबज़ादा बाबा अजीत सिंघ जी, श्री गुरू गोबिंद सिंघ जी के बड़े पु़त्र साहिबज़ादा अजीत सिंह छोटी उम्र में बड़ी कुर्बानी के कारण सिख इतिहास में उनका नाम बहूत सन्मान से लिया जाता है ।जब बाबा अजीत सिंघ 5 महीनों के हुए तो उस समय दसवें पातशाह श्री गुरू गोबिंद सिंघ की पहाड़ी राजाओं से भंगानी के मैदान में घमासान की लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में गुरू के साथीयों ने महान जीत हासिल की थी जिस की ख़ुशी के कारण साहिबजादे का नाम अजीत सिंघ रखा गया।छोटी आयु में ही अजीत सिंघ काफ़ी बुद्धिमान थे। जहां उन्होने गुरबाणी का गहन ज्ञान हासिल किया, वही सिख योद्धायों व गुरू पिता से युद्ध कलाओं में भी मुहारत हासिल की। साहिबज़ादा अजीत सिंघ ने अपनी आयु का अधिक समय गुरू गोबिंद सिंह जी की छत्र छाया तले श्री आनंदपुर साहिब में ही व्यतीत किया।लुटेरों को सबक सिखानाएक बार मई 1699 ई0 श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी के दर्शनों के लिया संगत पोठोहार से आ रही थी मगर रास्ते में ही संगत के सामान को लुटेरों ने लूट लिया, जब इस बात की खबर गुरु जी को मिली तो गुरु जी ने अपने बड़े पुत्र को उन लुटेरों को सबक सीखने के लिए भेजा, साहिबज़ादा अजीत सिंह उस वक़्त केवल १२ वर्ष के थे तो साहिबज़ादा अजीत सिंघ सौ सिक्खों के जत्थे का नेतृत्व करते हुए आनंदपुर साहिब के नजदीक गांव नूर पहुंच गए ,जहां उन्होने ने वहां के रंगड़ों को अच्छा सबक सिखाया जिन्होने पोठोहार की संगत को श्री आन्नदपुर साहिब आते समय लुट लिया था।किला तारागढ़ निरमोहगढ़ को संभालाअगस्त 1700 ई0 को जब पहाड़ी राजाओं ने तारागढ़ किले पर हमला क्यिा तो अजीत सिंघ ने बड़ी बहादुरता के साथ उनका सामना किया। अक्टूबर के आरम्भिक दिनों में जब पहाड़ी राजाओं ने निरमोहगढ़ पर धावा बोला तो उस वक़्त भी साहिबज़ादा अजीत सिंह ने दशम पिता का पूरा साथ दिया था।ब्राह्मण की पत्नी को छुड़वा कर लानाएक दिन कलगीधर पातशाह का दरबार सजा हुआ था।एक गरीब ब्राह्मण रोता हुआ आकर कहने लगा “मैं ज़िला होशियारपुर के गांव बस्सी का रहनंे वाला हूं गांव के पठानों ने मेरे साथ धक्केशाही की है। मेरी पिटाई करके मेरी र्धम-पत्नी भी मेरे से छीन ली है।अन्य किसी ने मेरे अनुरोघ पर कोई ध्यान नहीं दिया।गुरू नानक का दर सदैव ही निमाने कामान बनता रहा है।कृपा मेरी इज्ज़त मुझे वापिस दिला दो।मै हमेशा के लिए गुरू नानक के घर का कृतज्ञ रहूंगा।“ गुरू गोबिंद सिंह जी ने साहिबज़ादा अजीत सिंघ को कहा कि “बेटा! जी कुछ सिखों को साथ लेकर जाओ तथा जाबर खां से इस मज़लूम की जोरू छुडवा कर लै आओ।” साहिबज़ादा अजीत सिंह ने 100 घुडसवार सिक्खें का जत्था साथ लेकर बस्सी गांव पर धावा बोल दिया। जाबर खां की हवेली को घेर लिया तथा गरीब ब्राह्मण की पहचान पर उसकी अबला पत्नी को ज़ालिम के कब्ज़े से छुड़ा लिया।गांव पर हमले के समय दोषी के अतिरिक्त किसी ओर का कोई नुकसान नहीं होने दिया।अपने लक्ष्य को हासिल कर जब वह श्री आनंदपुर साहिब आए तो गुरू पिता ने उनका बहुत सम्मान किया।ब्राह्मण की पत्नी उस को सौंप दी गई तथा कुकर्मी ज़ाबर खां को सजा दी गई। श्री आनंदपुर साहिब में हुए मुगलों तथा पहाड़ीयों के हमले का साहिबज़ादा अजीत सिंह ने बड़े ही दलेराना तथा सूझपूर्वक ढंग से सामना किया।चमकौर का युद्धश्री आनंदपुर साहिब की घमासान लड़ाई के समय पहाड़ी राजाओं तथा मुगलों की फौजों ने श्री आनंदपुर साहिब को आधे साल से ज्यादा समय तक घेरा डाली रखा । पहाड़ी राजाओं और मुगलों की कसमों और सिखों के कहने पर गुरु महाराज जी ने आनंदपुर का किला छोड़ागुरू परिवार तथा ख़ालसा फौज़ अभी सरसा नदी के नजदीक पहुंचे ही थे कि दुश्मन की फ़ौज ने हमला कर दिया।इस संकट के समय साहिबज़ादा अजीत सिंघ ने कुछ शेरदिल सिक्खों को साथ लेकर दुश्मन दल के सैनिकों को तब तक रोके रखा जब तक गुरू पिता तथा उनके सहयोगीयों ने सरसा नदी को पार न कर लिया।बाद में स्वंय भी अपने साथीयों के साथ नदी पार कर गए।नदी पार करने के बाद गुरू साहिब तथा ख़ालसा फ़ौज के कुछ सिक्खां ने चमकौर साहिब में चैधरी बुद्धी राम की एक गढ़ीनुमा कच्ची हवेली में पुहंचे। इस गढ़ी के आसरे ही श्री गुरू गोबिंद सिंह जी ने दुश्मनों की फ़ौज के साथ ”लोहा लेने का मन बना लिया।सुबह पांच-पांच सिक्खों के जत्थे बारी-बारी दुश्मनों से युद्ध करके शहीदी प्राप्त करने लगे। सिक्खों को युद्ध करते देख कर साहिबज़ादे ने भी गुरू जी से युद्ध मे जाने का मन बनाया । जब उन्होनें गुरू साहिब से मैदान-ए- जंग में जाने की आज्ञा मंगी तों कलगीधर पातशाह ने पुत्र को सीने से लगा लिया तथा कहा,“लाल जीओ! जब मैं अपने पिता (गुरू तेग बहादुर) जी को शहीद होने के लिए भेजा था तो उस समय मैने धर्मी पुत्र होने का फर्ज़ अदा किया था। उसी तर्ज पर आज मैं तुम्हें रणभूमि में भेज कर धर्मी पिता का फर्ज निभाना जा रहा हूँ, लगता है परमात्मा ने मुझे यहां भेजा ही इस लिए है।”श्री गुरू गोबिंद सिंह जी ने इतनी ख़ुशी व उत्साह से साहिबज़ादा अजीत सिंघ को जंग की और भेजा जितने चाव के साथ बारात में भेजा जाता है। शीश पर सुंदर कलगी शोभ रही थी। जब वह बाहर निकले तो मुगलों की फौज को प्रतीत हुआ कि हजूर स्वंय ही गढ़ी से बाहर आ गए है। भारी (बडी़) संख्या में विरोद्धियों को सदा की नींद सुला के बाबा अजीत सिंघ आप भी शहादत प्राप्त कर गए। सारा जिस्म तीरों व तलवारों से छलनी हुआ पड़ा था,परन्तु आत्मा परमात्मा में लीन हो चुकी थी। अपने फ़र्ज़न्द की बहादुरी को देख कर दश्मेश पिता जी कह रहे थे, ”बेटा अजीत! तेरी शहादत ने सही अर्थ में मुझे अकाल पुरख की ओर से सुरखरू कर दिया है।ऐसे सुरवीर योद्धा को मेरा बार बार प्रणाम है

Saturday 11 February 2023

.. «❥❥ एक गृहिणी का 💖 अनोखा वैलंटाइन 💖 🔅🔅🔅🔅 पति की बाहों में गुजरे ... मेरा हर पल ऐसे ~ जैसे ... वो मेरे गुलशन, अौर मैं उनकी गुलाब. बस ... यही है मेरा 🌸 --> ROSE DAY <-- 🌸 💘 जब पति को जिंदगी भर सुख-दुःख में साथ देने की बात करती हूँ, बस ...वही है मेरा 🔘 --> PROPOSE DAY <-- 🔘 💘 रास्ते पर किसी अनाथ बच्चे को चॉकलेट खिलाऊँ, और उसके हँसते चेहरे पर ख़ुशी देखूँ, बस ... वही है मेरा --> CHOCOLATE DAY <-- 💘 बच्चों के लिये ... खरीदा हुआ टेडी क्यूँ ? मैं खुद उन्हें पीठ पर बैठाऊँ, बस ... वही है मेरा 🎀 --> TEDDY DAY <-- 🎀 💘 माता-पिता को कभी ... वृद्धाश्रम में नहीं रखूँगी. यह वचन देती हूँ. बस ... यही है मेरा --> PROMISE DAY <-- 👍 💘 मैं चाहे ज़ितना थक जाऊँ, और बच्चे दौड़कर गले लगाते हैं, बस ... वही है मेरा 💠 --> HUG DAY <-- 💠 💘 छुट्टी के दिन ~ परिवार के साथ हँसते-खेलते दिन बिताऊँ, बस ... वही है हमारा ALL FAMILY 👉 VALENTINE DAY 👈 💘

ये दुनिया भी ऐसी ही है | दिखते तो सब अपनों की तरह हैलेकिन अपना कौन है उसका पता नही।

*इस कथा को जो पढ़ेगा उसे 84 लाख योनियों से मुक्ति मिल जायेगी* एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ीं। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे।भागते- भागते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे । कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि 'कुम्हारजी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित हैं। मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही हैं। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।' तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बड़े से मटके के नीचे छिपा दिया। कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्हार से पूछने लगीं- 'क्यूँ रे, कुम्हार ! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या ?' कुम्भार ने कह दिया- 'नहीं, मैया ! मैंने कन्हैया को नहीं देखा।' श्री कृष्ण ये सब बातें बड़े से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे। मैया तो वहाँ से चली गयीं। अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार से कहते हैं- 'कुम्हारजी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो।' कुम्भार बोला- 'ऐसे नहीं, प्रभु जी ! पहले मुझे चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।' भगवान मुस्कुराये और कहा- 'ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ। अब तो मुझे बाहर निकाल दो।' कुम्हार कहने लगा- 'मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा।' प्रभु जी कहते हैं- 'चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ। अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।' अब कुम्हार कहता है- 'बस, प्रभु जी ! एक विनती और है। उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा।' भगवान बोले- 'वो भी बता दे, क्या कहना चाहते हो ?' कुम्भार कहने लगा- 'प्रभु जी ! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है। मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।' भगवान ने कुम्हार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया।' प्रभु बोले- 'अब तो तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयीं, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।' तब कुम्हार कहता है- 'अभी नहीं, भगवन ! बस, एक अन्तिम इच्छा और है। उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है- जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे। बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा।' कुम्भार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्हार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया। फिर कुम्हार ने बाल श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया। उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगाकर इतना रोये कि प्रभु में ही विलीन हो गये। जरा सोच करके देखिये, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं, तो क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे। लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर। कोई कितने भी यज्ञ करे, अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, चाहे कितनी भी भक्ति करे, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु श्री कृष्ण मिल नहीं सकते। जय श्री कृष्ण। जय श्री राधे राधे।*एक सुंदर कथा भेजी है, विश्वास और मनन कीजिये। अच्छी लगे तो दूसरों को भी भेजिए!* प्रार्थना नष्ट नहीं होती। उपयुक्त समय पर क्रियान्वित होती हैं। ईश्वर सदैव आप सभी को स्वस्थ व सुखी रखें। जय श्री राधेकृष्ण 🙏🏻🙏🏻💐💐राधे राधे

ये दुनिया भी ऐसी ही है | दिखते तो सब अपनों की तरह हैलेकिन अपना कौन है उसका पता नही।

जिंदगी में अपनापन तो सब दिखाते है ,पर अपना कौन है ? यह तो सिर्फ वक्त ही बताता है। ."

Thursday 9 February 2023

विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला।सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वो सब किया गया।वापस ससुराल जाते समय पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया और कहा कि पुत्री तुम जब ससुराल में पूजा करोगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना...माँ ने मन्द स्वर में कहा-बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो भला कोई अगरबत्ती जैसी चीज देता है?पिता ने झट से जेब मे हाथ डाला और जेब मे जितने भी रुपये थे, वो सब बेटी को दे दिए...ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु का बैग टटोला और पूछा कि तुम्हारे माँ बाप ने बिदाई में क्या दिया, कुछ विशेष न मिलने पर उनकी नजर अगरबत्ती का पुडे पर पड़ी । क्रोधवश सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना...सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी, अगरबत्ती का पुडा खोला तो उसमे से एक चिट्ठी निकली-लिखा था...बेटी यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधित कर देती है। इतना ही नही, आजू-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवं प्रफुल्लित कर देती है...!!हो सकता है की तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी, कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बाते सुननी भी पड़ जाए, या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के बर्ताव पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये, तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना -अगरबत्ती की तरह जलना, जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन करते हुए ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना...बेटी चिट्ठी पढ़कर फफक-2 कर रोने लगी, सासू माँ दौड़कर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर मे पहुंचे जहां बहु रो रही थी।"अरे हाथ को चटका लग गया क्या? -पति ने पूछा"क्या हुआ यह तो बताओ- ससुरजी बोले।सासु माँ आजू बाजू के सामान में कुछ है क्या- यह देखने लगी तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी, चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी।चश्मा ना पहने होने की वजह से चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा...सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया।"सासु माँ उच्च स्वर में बोली अरे यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है, यह मेरी बहू को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है, पूजा घर के बाजू में ही इसकी फ्रेम होनी चाहिए ।और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाती रही, और अन्ततः अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी...क्या आप भी ऐसे संस्कार अपनी बेटी को देना चाहेंगे ... " बेटियां दो कुलों को महकाती है*❤

मकान जले तो बीमा ले सकते हैं। सपने जले तो क्या किया जाए....आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं। आँख बरसे तो क्या किया जाए...शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं। अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए...काँटा चुभे तो निकाल सकते हैं। कोई बात चुभे तो क्या किया जाए...

Wednesday 8 February 2023

कल रोज़-डे था , आज प्रोपोज़-डे है ।सोच रहीं हूँ आज प्रोपोज़-डे को मैं भी प्रोपोज़ कर दूं ।प्रोपोज़ल मायने प्रस्ताव रखना, विचार करना .....अब वक्त आ गया है ,प्यार से आगे भी बढ़ा जाए ।जिन हसीं चेहरों पे आ के दिल ठहर गया था,वहां से आगे भी चला जाए ।कुछ और भी चेहरे हैं इस जहां में..बदसूरत...शून्य....सूखी आंखो वाले ।रूखे हाथों वाले....भूखे पेट वाले ।इन बर्फीली सर्द रातों में भी जो फुटपाथ तले सोते हैं । हम छोड़ देते हैं जूठन प्लेटों में,वो दो टुकडों के लिए रोते हैं...!इक प्रस्तावना इनके उत्थान की ।इक मानवता के नाम की ।कुछ भूखी विलकती बच्चिओं कामंडियों में भाव भी सुना लगता है ....उदर की आग बुझाने का,सब्जबाग दिखाया जाता है...फिर मक्कारी से हवस की आग को बुझाया जाता है...भ्रूण हत्या का तो सुना था...यहां तो जिन्दा दफनाया जाता है ।एक और प्रस्ताव भी रखना है ।एक और विचार भी करना है ,उन बूढों का...उन बुज़ुर्गों का.......जो जिन्दगी के सफर के बाद भी..लाचार हैं..मजबूर हैं ।कुछ बृद्धाश्रम में सड़ रहे, कुछ घर में भी रह मज़बूर हैं ।मंजिल तक पहुंचाई औलाद जिन्होंने ....उसी के हाथों दर्द मिला....आंखे भावशून्य...न चेहरे पे नूर है ।आओ उठें...चलें ।हाथ लें मिला ।करें आज के दिन कोई नयी प्रस्तावना...क्योंकि गालिब़ ने कहा था-"और भी हैं काम ज़माने में...मोहब्बत के सिवा....."स्वस्थ रहें व्यस्त रहें मस्त रहें 🥰

किसी के जाने के बाद miss you लिखने से बेहतर है कि उसके जिंदा रहते हुए कह दो with you (मैं हूँ ना) इस शब्द में बहुत ताक़त है!

Tuesday 7 February 2023

वैलंटाइन डे मनाओ...मगर अपना तरीका बदलकर. . .*ツ किसी रोते हुये बच्चे को चॉकलेट दे कर तो देखो**ツ किसी अनाथ बच्चे को टेडी दे कर तो देखो**ツ सारे दिन काम करती माँ के हाथो को चूम करतो देखो**ツ जिसको पैदा होते ही फेँक दिया उस मासूम सी बच्ची को Hug कर तो देखो**ツ उस बच्चे को Rose दे कर देखो जो तुम्हारे जागने से पहले तुम्हारे घर मेँ अखबार रखकर चला जाता है**ツ अरे उसे प्रपोज कर देखो, जिनको कभी प्यार ना मिला हो।**ツ यह सब करने का प्रॉमिस करो तो हर दिन वेलेन्टाइन डे है।**_तरीका बदलो सोच बदलेंगी_*...प्रभु श्री राम जी का आशीर्वाद चाइये बस•••जय श्री राम

सभी मर्द एक जैसे होते हैं।कौन मर्द ?जो बाप बनकर ताउम्र तुम्हारी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ख्वाहिशों को पूरी करता है,जिसे अपने फटे हुए जूते सिलवाने याद रहे ना रहे लेकिन अपनी बिटिया के लिए स्कूल ड्रेस खरीदना कभी नहीं भूलता है जो महज तुम्हारी छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक गुड़िया और एक तुम्हारी पहली स्कूटी और साइकिल के लिए रोज 4 घंटे ओवरटाइम के नाम पर घर लेट आया करता है तुम उसी मर्द की बात कर रही हो ना?सभी मर्द एक जैसे होते हैं।कौन मर्द ?वही मर्द ना ,जो भाई बनकर ताउम्र अपनी ख्वाहिशों को मार कर अपने सारे खिलौने तुम्हे दे दिया करता है, तुम्हें डांट ना पड़े इसलिए अपने बाप से मार भी खा लिया करता है, लाख लापरवाह रहे हो वो, लेकिन तुम्हारे एक तरफ उठने वाली हर एक नजर को वह फोड़ दिया करता है वही मर्द ना जो जिंदगी भर पागलों की तरह हंसता रहता है लेकिन तुम्हारी विदाई में फूट फूट कर रोया करता है वही मर्द ना जो जिंदगी के भाग दौड़ में सबसे दूर भाग कर तुम्हारे एक फोन कॉल का इंतजार करता है तुम उसे मर्द की बात कर रही हो ना?सभी मर्द एक जैसे होते हैं।कौन मर्द ?वही मर्द ना जो पति बनकर अपने लड़कपन को एक ही झटके में खत्म कर देता है 80 की रफ्तार से चलाने वाला बाइक अचानक से 40 की रफ्तार में अपने जिम्मेदारियों को थाम लेता है मंगलसूत्र का पहचान वह मर मर्द ता उमर तुम्हारी छोटी छोटी ख्वाहिशों के लिए अपने हर बड़े बड़े अरमानों को मार दिया करता है तुम उसी मर्द की बात कर रही हो ना जो पति बनकर हर उम्र में एक दोस्त की तरह तुम्हारा साथ दिया करता है बोलो ना तुम उसी की बात कर रही हो ना?सभी मर्द एक जैसे होते हैंकौन मर्द ?वही मर्द ना जो प्रेमी बनकर पूरी दुनिया को भूलाकर बस तुमसे मोहब्बत करता है तुम्हारे हर झूठे तुम्हारे हर कहानी की बातों को सच मानकर तुमसे बेइंतेहा इश्क करता है वह तुम्हारी झूठ में भी खुद के लिए सच खोज लिया करता है तुम्हारी एक मुस्कान के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया करता है तुम उसी मर्द की बात कर रही हो ना जो प्रेमी बनकर अपनी प्रेमिका के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाया करता है अरे बोलो ना, अरे चुप क्यों हो, बताओ ना की बात कर रही हो ना?सभी मर्द एक जैसे होते हैं । कौन मर्द ??वही मर्द ना जो दोस्ती के रिश्ते में एक दोस्त बनकर तुम्हें परिवार का हिस्सा मान लेता है जो तुम्हें पिज़्ज़ा खिलाने के लिए खुद के लिए बल्ला खरीदने का पैसा निकाल कर तुम्हें पिज्जा खिला देता है, वही मर्द ना जो मात्र दोस्ती का रिश्ता होने के बावजूद भी पूरी दुनिया से तुम्हारे लिए लड़ जाया करता है तुम्हें सब से बचाता है तुमसे हमेशा गाली खाता है लेकिन तुम्हारी आंखों में कभी आंसू नहीं आने देता वही मर्द ना जो तुमसे लड़ता है झगड़ते है तुम्हें रुलाता है और फिर तुम्हें हंसाने के लिए खुद जोकर बन जाया करता है बताओ ना तुम उसी मर्द की बात कर रही हो ना?सभी मर्द एक जैसे ही होते है कौन मर्द ??वही मर्द जो एक बेटा बन कर हमेशा अपनी मां का ढाल बन कर खड़ा रहता है वही मर्द जिसकी हर तम्माना को पूरी करने के लिए मां रात भर जागती है और मां के बुढ़ापे में वही लड़का एक ढाल बन कर मां की सेवा करता है मां के लिए उसका बेटा ही सबसे बेहतर होता है मां के लिए उसका बेटा ही हीरो है , हां ये बात सही है कि शादी होने के बाद वही कुछ बेटे अपनी मां को घर से निकाल कर वृद्ध आश्रम में भेज देते है लेकिन उनके इस कुकर्म के लिए क्या सिर्फ मर्द ही जिमेद्दार होते है लेकिन इन सब से दूर हिंदुस्तान के आज भी हर घर में श्रवण कुमार जैसे बेटे रहते है जिनके लिए उनकी मां ही उनकी दुनिया है ,बताओ ना क्या तुम उसी मर्द की बात कर रहीं हो जो अपनी मां के लिए जान भी देते है 🙏

Monday 6 February 2023

कुछ पंडितों ने एक औरत को कहा - घर में तू विष्णु जी की फोटो रख ले और रोटी खाने से पहले उनके आगे रोटी की थाली रखना कर कहना है विष्णु अर्पण,अगर पानी पीना है तो पहले भी विष्णु जी के आगे रखकर कहना है विष्णु अर्पणउस औरत की आदत हो गई कि जो भी काम करती पहले मन में यह कहती कि विष्णु अर्पण, फिर वह काम करती थी।आदत इतनी पक्की हो गई कि 1 दिन घर का कूड़ा इकट्ठा किया और फेंकते हुए कहा विष्णु अर्पणवही पास से नारद मुनि जा रहे थे। उन्होंने जब यह सुना तो उस औरत को थप्पड़ मार कर कहा - विष्णु जी को कूड़ा अर्पण कर रही है।विष्णु जी के प्रेम में रंगी औरत थप्पड़ पड़ते ही बोली विष्णु अर्पण अब तो नारद जी ने दूसरे गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा कि थप्पड़ भी विष्णु अर्पण कह रही है लेकिन वह औरत यही कहती रही विष्णु अर्पण।नारद मुनि क्रोध करते हुए विष्णुपुरी में चले गए, वहाँ देखते है कि विष्णु जी के दोनों गालों पर उंगलियों के निशान बने हुए है,पूछने लगे - भगवान यह क्या हो गया। आपके चेहरे पर यह निशान कैसे पढ़े?विष्णु जी बोले - नारद थप्पड़ मारो भी तुम और पूछो भी तुम!नारद जी बोले - प्रभु मैं आपको थप्पड़ कैसे मार सकता हूँ?विष्णु जी बोले - नारद जिस औरत ने कूड़ा फेंकते हुए यह कहा था कि विष्णु अर्पण और तुमने उसे थप्पड़ मारा तो वह थप्पड़ उसने मुझे अर्पण कर दिया था। उसी अर्पित थप्पड़ के निशान है जो आपने उसे मारे थे।श्री हरि हर का नाम ले, कार्य कीजिये नेक।भगवन जिनके हिय बसें, उनके शुद्ध विवेक।।🙏💐

जिस व्यक्ति के पास संतुष्टि नहीं है, उसे कितना भी मिल जाए वह असंतुष्ट हीरहेगा..

Saturday 4 February 2023

पंछी कभी अपने बच्चों के भविष्य के लिए घोंसले बनाकर नहीं देते... वे उन्हें बस उड़ने की कला सिखाते हैं।

शादी शुदा स्त्री अक्सर कर बैठती हैं #इश्क़मांग में सिंदूर होने के बावजूदजुड़ जाती हैं किसी के अहसासों सेकह देती है उससे कुछ अनकही बातेंऐसा नहीं की वो बदचलन हैंया उसके चरित्र पर कोई दाग़ हैंतो फिर क्या हैं जो वो खोजती हैंसोचा कभी, स्त्री क्या सोचती हैंतन से वो हो जाती हैं शादीशुदापर मन कुंवारा ही रह जाता हैंकिसी ने मन को छुआ ही नहींकोई मन तक पहुंचा ही नहीबस वो रीती सी रह जाती हैंऔर जब कोई मिलता हैं उसके जैसाजो उसके मन को पढ़ने लगता हैंतो वो खुली किताब बन जाती हैंखोल देती है अपनी सारी गिरहेंऔर नतमस्तक हो जाती हैं सम्मुखस्त्री अपना सबकुछ न्योछावर कर देती हैंजहां वो बोल सके खुद की बोलीजी सके खुद के दो पलबता सकें बिना रोक टोक अपनी बातेंहंस सके एक बेख़ौफ़ सी हसींहां लोग इसे इश्क ही कहते हैपर स्त्री तो बस दूर करती हैंअपने मन का कुंवारापन❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

Friday 3 February 2023

उधार धन लेकर वापस ना करने वाले लोग इतने बड़े बेशर्म होते हैं कि...आपके कई बार तकादा करने पर भी आपके सामने फकीर बन जाएंगे मगर इनकी मौज मस्ती में कोई कमी नहीं आएगी, परिवार के साथ घूमने जाएंगे, हर शादी मे व्यवहार देंगे दावत उड़ाएंगे, खुद की नशा पत्ती बीयर या दारू में कोई कटौती नही करेंगेपैसे वापस मांगों तो फिर फकीर बन जाएंगे यदि कोई आपके बुरे वक्त में आपकी आर्थिक मदद करता है तो आप का भी फर्ज बनता है कि उसके टोकने से पहले पैसे वापस कर दें ..#udhar #,karan.#beautifullife

उधार धन लेकर वापस ना करने वाले लोग इतने बड़े बेशर्म होते हैं कि...आपके कई बार तकादा करने पर भी आपके सामने फकीर बन जाएंगे। मगर इनकी मौज मस्ती में कोई कमी नहीं आएगी, परिवार के साथ घूमने जाएंगे, हर शादी में व्यवहार देंगे दावत उड़ाएंगे, खुद की नशा पत्ती बीयर या दारू में कोई कटौती नही करेंगे।पैसे वापस मांगों तो फिर फकीर बन जाएंगे । यदि कोई आपके बुरे वक्त में आपकी आर्थिक मदद करता है, तो आप का भी फर्ज बनता है कि उसके टोकने से पहले पैसे वापस कर दें ..।#beautifullife