Thursday 16 May 2024

मेरी बेटी बड़ी हो गई,साथ मेरे खड़ी हो गई।डांट देती मुझे ऐसे,मेरी वो सहेली हो गई।बीपी शुगर क्यों बड़ाई आपने,क्यों मीठा खाया आपने ।पहन लेती हो कुछ तो भी कपड़े बेतुके ,मैं दिलाऊ तुम्हें कुछ ढंक के।हो जाती हैं नाराज मुझसे,मैं फिर करती हूं बात उससे।कुर्ती पहन रखी इतनी बड़ी,जी लो खुद के लिए दो घड़ी। सफेद बाल क्यों रख रखे?मेंहदी लगाने से क्यों डर रहे । सहज योग, मेडिटेशन क्यों नही करते,अपने आप को पॉजिटिव क्यो नही रखते।मॉर्निंग वाक पर जाओ,अपना मन ध्यान योग पर लगाओ।नेगेटिव विचार मन से हटा दो,अपना मन भक्ति में लगा दो।मेरी हर कमी पुरी हो गई,मेरी बेटी बड़ी हो गई। दुनियां से लड़ेगी मेरे लिए,मेरे कंधे से ऊंची हों गई,मैरी बिटिया मुझसे समझदार हो गई।।#maa #beti.

Tuesday 7 May 2024

जानने की आकांक्षा सुख दुख से ऊपर नहीं ले जाती जाननें के बाद ये समाप्त होता हैजो जैसा चल रहा उसे स्वीकार करना जैसे एक बच्चा कर लेता है कभी रो कर कभी हँस कर इसलिए ही वह बेफिक्र रहता है.. क्योंकि पाने या खोने या मान लेने के लिए वो बुद्धि को ज्यादा देर तक नहीं लगाता बच्चा गफ़लत में ही अपना बचपन व्यतीत कर देता है.. और बचपन अच्छा होता है मुद्दा ये नहीं है , ...मुद्दा ये है की किसी भी विषय पर ज्यादा देर विश्लेषण नहीं करना ही बचपन है. #beautifullife #bachpan #Hindisuvihar #Adhyatama

❤️ एक औरत की कमी तब अखरती हैजब वो चली जाती है, और वापस लौट कर नहीं आतीछत पर लगे जाले व आँगन की धूलहटाने में संकोच आता है।" तुम्हारी ये सफाई " कहने का मौकानहीं मिल पाता !!😢एक औरत की कमी तब अखरती हैजब कालरों की मैल छुटाने मेंपसीना छूट जाता हैचूडियां साथ में नहीं खनकतीउसका "मेहनतकश" होना याद आता है !!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब घर में देर से आने पररोटियां ठंडी हो जाती है सब्जियों मेंतुम्हारी पसंद का जायका नहीं रहताऔर तुमसे यह कहते नही बनता"मुझे ये पसंद नहीं "!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब बच्चा रात को ज़ोर से रोता हैआप अनमने से उठ जाते होऔर यह नहीं कह पाते"कितनी लापरवाह हो तुम"!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप रात में अकेले सोते हैंकरवट बदलते रहते हैं बगल मेंपर हाथ धरने पर कुछ नहीं मिलता!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब त्यौहारों के मौसम मेंनयी चीज़ों के लिए कोई नहीं लड़ताऔर तुमसे ये कहते नही बनता"और पैसे नहीं हैं "!!❤️एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप गम के बोझ तले दबे होते हैं ,निपट अकेले रोते हैंऔर आपके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होताआप किसी से कुछ नहीं कह पातेहाँ, औरत की कमी तब अखरती जरूर है!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... हर उस औरत की कमी अखरती है जो संस्कारी, गृहकार्य में दक्ष तथा हर रिश्ते को बखूबी निभाना जानती है। #beautifullife #hindisuvichsr

Monday 6 May 2024

जानने की आकांक्षा सुख दुख से ऊपर नहीं ले जाती जाननें के बाद ये समाप्त होता हैजो जैसा चल रहा उसे स्वीकार करना जैसे एक बच्चा कर लेता है कभी रो कर कभी हँस कर इसलिए ही वह बेफिक्र रहता है.. क्योंकि पाने या खोने या मान लेने के लिए वो बुद्धि को ज्यादा देर तक नहीं लगाता बच्चा गफ़लत में ही अपना बचपन व्यतीत कर देता है.. और बचपन अच्छा होता है मुद्दा ये नहीं है , ...मुद्दा ये है की किसी भी विषय पर ज्यादा देर विश्लेषण नहीं करना ही बचपन है. #beautifullife #bachpan #Hindisuvihar #Adhyatama

शब्द और रिश्ते की कीमत तभी पता चलती है जब दोनों निकल जाएं, एक मुंह से तो दूसरा जीवन से।

Friday 3 May 2024

If someone misses, then the person certainly will look for you and make a call. If the person needs you, the man will tell about that firmly. Do not go looking for proofs of care. The person certainly will relate to you with warmth if the person cares. If it didn’t occur, then the person doesn’t deserve your attention. Do not waste your time to the people who do not value your presence in their life. Stay with those people who appreciate you and who surround with you of love. Your time is not endless, and you should spend it with the people who need that, as well as who you need too.Beautifullifeskl

उर्दू के टीचर ने सवाल पूछा-*नाकाम इश्क़"* और *मुकम्मल इश्क़* में क्या फर्क होता है?स्टूडेंट ने जवाब दिया:*नाकाम इश्क* बेहतरीन शायरी करता है, ग़ज़ल गाता है, पहाड़ों में घूमता है, उम्दा शराब पीता है..*मुकम्मल इश्क, सब्ज़ी के साथ मुफ्त में धनिया कैसे मिले,रास्ते से ब्रेड लाने, और दाल में नमक ज़्यादा/कम , संडे को पंखा साफ़ करने, घर के मच्छर मारने, में दम तोड़ देता है..*😜😁🙏🏻

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है. गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता. वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.⚱फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.⚱लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.🏺गिलास और लोटे के पानी में अंतर---+---+---+---+---+---+---+---+---+---गिलास के पानी और लोटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. 🏺सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. "पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना".अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है, आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.🏺दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया .क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.🏺इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा , मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.🏺इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लोटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.🏺अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है. तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें. लोटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें. तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लोटे को वापिस लाइए और प्रयोग करें।। Beautifullifeskl.

Thursday 18 April 2024

एक सेवक ने अपने गुरू को अरदास की, जी मैं सत्सँग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला सतगुरु ने प्यार से पूछा, बेटा तुम्हे क्या चाहिए ?सेवक बोलामैं तो बहुत ही ग़रीब हूँ दाता सतगुरु ने हँस कर पूछा, बेटा तुम्हें कितने पैसों की ज़रूरत है ?सेवक ने अर्ज की, सच्चे पातशाह, बस इतना बख्श दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत हो ।गुरु ने पूछा और ज़्यादा की भूख तो नहीं है बेटा ?सेवक हाथ जोड़ के बोला नहीं जी, बस इतना ही बहुत है ।गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ, जहाँ ये बुझ जाये, वहाँ खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना I अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना, लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फँस जाओगे ।सेवक बहुत खुश हो कर चल पड़ा जहाँ मोमबत्ती बुझ गई, वहाँ खोदा, तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला बहुत खुश हुआ और सतगुरु का शुक्राना करने लगा थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जा कर ऐश करूँगा I मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा हीरे मोती मिल गये ।खुशी बहुत बढ़ गई, मग़र मन की भूख भी बढ़ गई ।तीसरी मोमबत्ती जलाई और उत्तर दिशा में चला वहाँ से भी बेशुमार धन मिल गया।सोचने लगा के चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा के लिये गुरू ने मना किया था, सोचा, शायद वहाँ से भी क़ोई अनमोल चीज़ मिलेगी ।मोमबत्ती जलाई और चला दक्षिण दिशा की ओर, जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से ख़ुदाई करने लगा I खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गयाअंदर एक और दरवाजा दिखाई दिया उसे खोल के अन्दर चला गया।अँधेरे कमरे में उसने देखा, एक आदमी चक्की चला रहा हैसेवक ने पूछा भाई तुम कौन हो ?चक्की चलाने वाला बहुत खुश हो कर बोला, ओह ! आप आ गये ?यह कह कर उसने वो चक्की गुरू के सेवक के आगे कर दीसेवक कुछ समझ नहीं पाया,सेवक चक्की चलाने लगा,सेवक ने पूछा भाई तुम कहाँ जा रहे हो ?अपनी चक्की सम्भालो,आदमी ने केहा,मैने भी अपने सतगुरु का हुक्म नहीं माना था, और लालच के मारे यहाँ फँस गया था, बहुत रोया, गिड़गिड़ाया, तब मेरे सतगुरु ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहाँ आयेगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगीआज तुमने भी अपने गुरु के हुक्म को नहीं माना है, अब भुगतो सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगावो आज भी इंतज़ार कर रहा है, कि कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आयेगा, तभी उसकी मुक्ति हैहमेशा सतगुरु की रज़ा में राज़ी रहना चाहिए, सतगुरू को सब कुछ पता है, कि उनके बच्चों को, कब और क्या चाहिए जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज़्यादा है, बस अब सब्र करो और प्रेम से सत्संग सिमरन करो। अपने गुरु परमात्मा की दी हुई राह पर चलो।जय गुरु जी 🙏🙏#Guru # Greed

Tuesday 16 April 2024

"ना छेड़ क़िस्सा-ए-उल्फ़त बड़ी लम्बी कहानी है"... मैं ज़माने से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है। #beautifullifeskl

NOBODY IS YOUR ENEMY*ANYONE THAT ANNOYS YOU* --is teaching you patience and calmness.*ANYONE THAT ABANDONS YOU* --is teaching you how to stand up on your own feet.*ANYBODY THAT OFFENDS YOU* --is teaching you forgiveness and compassion.*ANYTHING THAT YOU HATE* --is teaching you, unconditional love.*ANYTHING THAT YOU FEAR* --is teaching you the courage to overcome your fears.*ANYTHING YOU CAN'T CONTROL* --is teaching you to let go.*ANY "NO" YOU GET FROM HUMAN* --is teaching you to be independent.*ANY PROBLEM YOU'RE FACING* --is teaching you how to get a solution to problems.*ANY ATTACK YOU GET FROM PEOPLE* --is teaching you the best form of defence.*ANYONE WHO LOOKS DOWN ON YOU* --is teaching you to look up to CREATOR ( *GOD* ). Always look out for the lesson in every situation you face in every phase of life.Be polite, calm, gentle and thankful to God because He will be with you to the end.Life had taught me lessons. I do not see people at my cross road, because humans are not reliable. I only see God as the author and finisher of my faith.*R E F L E C T I O N S**When you live your life without anyone betraying, hurting, disappointing, disgracing or offending you, then it means you never did anything worthy.* *The beauty of life, is that it comes with disappointments and betrayals, from people you least expect.**Unfortunately, some of us spend so much time crying over these betrayals and disappointments, and end up becoming victims of all circumstances.* *Remember One Thing:* *Holding unto anger is like knocking your head on the wall and expecting the other person to feel the pain. You are only hurting yourself.**The fact is that the world is full of annoying, naughty, stupid and ungrateful people, and you will always come across them at one point or another in life. But the best thing to do, is to deal with them with wisdom and maturity.**You can’t get everyone to love you, think like you or behave like you... never.Patrick

Monday 15 April 2024

लड़के ! हमेशा खड़े रहेखड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रहीबस उन्हें कहा गया हर बारचलो तुम तो लड़के होखड़े हो जाओछोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहेकक्षा के बाहर.. स्कूल विदाई परजब ली गई ग्रुप फोटो,लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहेवे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..कॉलेज के बाहर खड़े होकर,करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे,एक झलक, एक हाँ के लिएअपने आपको आधा छोड़ वे आज भीवहीं रह गए हैं...बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे,मंडप के बाहर बारात का स्वागत करने के लिएखड़े रहे रात भर हलवाई के पास,कभी भाजी में कोई कमी ना रहेखड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाएखड़े रहे विदाई तकदरवाजे के सहारे और टैंट केअंतिम पाईप के उखड़ जाने तकबेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगीवे खड़े ही मिलेंगे...वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर वे खड़े रहेबहन के साथ घर के काम में,कोई भारी सामान थामकरवे खड़े रहेमाँ के ऑपरेशन के समयओ. टी.के बाहर घंटों. वे खड़े रहेपिता की मौत परअंतिम लकड़ी के जल जाने तकवे खड़े रहे ,अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी मेंलड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,क्या यह अकड़ती नहीं.....?- #marad #boys #gents #admit

Wednesday 10 April 2024

लोग अकेलेपन से त्रस्त है , अकेलेपन को दूर करना चाहते हैं,किसी से मन की कह हल्के हो लेना चाहते हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है इसीलिये कोई पेड़ पौधों से बातें कर रहा है कोई कुत्ते बिल्ली से। मन तो है किसी से बोलें पर समस्या है कि बोलें किससे।भाग कर रिश्तेदारों के पास बोलने जाता है, रिश्तेदार पुराने बही खाते संभाले बैठे साहूकार की तरह हैं, तेरे पिताजी ने तेरी शादी में हमें नहीं बुलाया था जैसी बरसों पुरानी शिकायतों के बंडल निकल आते हैं। इंसान वहां गया था मन हल्का करने और बोझ लिए वापिस लौट आता है।फिर इंसान पड़ोसी के पास जाता है, उसके पास भी कई शिकायतें हैं, पानी को लेकर पार्किंग को लेकर। दोस्तों के पास अब समय नहीं रहा । सहकर्मी तो ऑफिस की बातों के अलावा कुछ सुनते समझते नहीं। हममें से ज्यादातर के जीवनसाथी की रुचियाँ बिल्कुल भिन्न है, आप संगीत की बात करो, वो आज खाने में क्या बनाना है के यक्ष प्रश्न पर अटकी है या आप कोई कविता सुनाना चाहती हैं और वो ट्वेंटी ट्वेंटी के मैच में उलझा है।घबराया इंसान यहां सोशल मीडिया पर आता है, अपने मन की बात यहां कह हल्का हो लेता है। धीरे धीरे उसकी बात सुनने या उसकी जैसी कहने वाले लोगों का एक ग्रुप बनता जाता है। यहां अतीत के उलाहने नहीं हैं, यहां पानी और पार्किंग के झगड़े नहीं हैं, रुचियां समान हैं तभी एक चौपाल सजाए बैठे हैं । यहां जुड़ना सरल है और निकलना उससे भी सरल, कुछ चुभे, बस अनफ़्रेंड करो और भूल जाओ, ज्यादा बुरा लगता हो तो ब्लॉक मारो, मिट्टी पाओ।किसी की कोई बड़ी अपेक्षा नहीं, किसी के ताने नहीं। किसी से आजीवन जुड़े रहने की कोई मजबूरी नहीं।लोग कहते हैं ये दुनिया नकली है मैं कहता हूं यही दुनिया असली है यहां किसी को कुछ खोने पाने का डर नहीं है । जिसे असली जीवन में किसी अखबार में एक लाइन लिखने को नहीं मिल सकती वो यहां चंद्रकांता संतति रच दे कौन रोकता है, सब अपनी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन यहां कर दें समान अवसर है। यदि बन्दा बस अपना मन हल्का करने के उद्देश्य से यहां है, किसी लाइक कमेन्ट फॉलोवर्स की विशाल संख्या की अपेक्षा नहीं है तो उसके लिए यह नकली दुनिया स्वर्ग है।संदीप साहनी

जज:औरत से” हां तो आपके तलाक की जमीन क्या है….? ”औरत :” जमीन शहर के बीचों बीच एक बहुत बड़ा आलीशान बंगला है…और उसके साथ थोड़ी सी खाली जामीन हैं…”जज :” नहीं…नहीं….!! मेरे कहने का मतलब है कि तलाक के लिए ग्राउंड क्या क्या हैं….?? ”औरत :” ग्राउंड तो बंगले के साथ ही है…पर बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है….”जज :” आप समझ नहीं रही हैं…….मैं आधार की बात कर रहा हूँ……”औरत :” आधार कार्ड तो बना हुआ है लेकिन उनका कैमरा अच्छा न होने से फोटो अच्छी नही आई……..”जज:” तलाक की नींव क्या चीज है……?? ”औरत:” नींव काफी गहरी है….आप चिंता ना करें….”जज:” देवी जी आप तलाक क्यों लेना चाहती हैं…….?? ”औरत :” तलाक मैं नहीं मेरे पति लेना चाहते हैं….”जज ( औरत के पति से ) :” आपके अपनी पत्नी से तलाक लेने की वजह क्या है….?? ”पति — यही मगज़मारी जो अभी आपके साथ हुई, मेरे साथ रोज़ होती है..जज की आंख मे आंसू आ गये।😂😂

Friday 5 April 2024

I grew up in Punjab India, and I never once questioned my mother's income or my father's!! It was never a discussion. 🙆‍♀️We ate homemade meals (which was not an optional choice).🙆‍♀️ We didn't talk unless told to, hence we were known as the silent generation. We never touched anything that did not belong to us.🙆‍♀️ We never opened a refrigerator at anyone's house unless asked to do so.🙆‍♀️ We were taught to respect other people's property. And we were rewarded for acting properly.🙋‍♀️We grew up during a time when we did odd jobs and helped with all chores. 🙋‍♀️We by no means were given everything we wanted. We went outside a lot to play, run with friends, play hide and seek, or go bike riding.🙋‍♀️ We rarely just sat inside. Bottled water was unheard of. If we had a soft drink, it was in a glass bottle, and we didn’t break the bottle when finished. We saved the bottle for the return money.🙋‍♀️We had to tell our parents where we were going, who we were going with, and be home before dark.🙆‍♀️ We LEARNED from our parents instead of disrespecting them and treating them as if they knew absolutely nothing. What they said was LAW and we /you did not question it and you had better know it!🙆‍♀️ We watched what we said around our elders and neighbors because we knew if we DISRESPECTED any grown-up, we would get a real good whooping, it wasn't called abuse, it was called discipline! 🤷‍♀️We held the doors for others and carried the shopping into the house. We gave up our seats for an older person without being asked.🙆‍♀️ You didn't hear swear words on the radio, in songs, or on TV.“Please" and "Thank you" were part of our daily vocabulary!🙋‍♀️The world we live in now is just so full of people who hate and disrespect others. Friends, consider Re-posting if you're thankful for your childhood. I will never forget where I came from and only wish children and people nowadays had half the chance at the fun and respect for real life we grew up with! And we were never bored!!! 🙆‍♀️🙋‍♀️🤷‍♀️

Wednesday 3 April 2024

एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्यक्या है?बुद्ध ने उसे एक Stone दियाऔर कहा : जा और इस stone कामूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यानरखना stone को बेचना नही है Iवह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पासलेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसेमुझे दे जा"आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखाऔर कहा"एक बोरी आलू ले जा औरइस stone को मेरे पास छोड़ जा"आगे एक सोना बेचने वाले केपास गया उसे stone दिखाया सुनारउस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेचदे" lउसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे देया बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरूने इसे बेचने से मना किया है lआगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stoneदिखाया lजौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहलेउसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उसबेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका lफिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमतीरुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भीइसकी कीमत नही लगाई जा सकतीये तो बेसकीमती है l"वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पासआया lअपनी आप बिती बताई और बोला"अब बताओ भगवान ,मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?बुद्ध बोले :संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे"की बताई lसब्जी वाले के पास गया उसनेइसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई lआगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔरजौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया lअब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है lतू बेशक हीरा है..!!लेकिन,सामने वाला तेरी कीमत,अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत सेलगाएगा।घबराओ मत दुनिया में..तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।Respect Yourself,Love ur selfYou are Unique!

Sunday 24 March 2024

#maa #mother मां के जाने के बाद मायके छूट जाते हैं मां नहीं है फिर भी मां की याद आती है, ठंड का मौसम होता था, बेफिक्र मां की शाल ओढ लिया करते थे, मां के साथ रजाई में छुप जाया करते थे, रजाई की गर्मी से अधिक मां का साथ अच्छा लगता था, सर्दी जाने कहां गुम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था, मां के साथ कुछ भी बात कर सकते थे, मां कभी बुरा नहीं मानती, बिना कहें बिना जाने सब कुछ जान जाती थी, अपनी मां को मां कहूं या जादूगर बिन मांगे सब कुछ पातें थे, पिता से बहुत कुछ सीखा, संयम, सीखने की शक्ति, माफ करने का गुण, वे कहा करते थे बोलने वाला अपना मुंह गंदा करता है, अपशब्द हमारे शरीर पर कहीं चिपक गए क्या, चिपक गए हो तो ढूंढ कर मुझे लौटा दो, हम हंस पड़ा करते थे, भूल जाओ वह इंसान ऐसा ही है, वह बदलने वाला नहीं खुद को बदल डालो, मां की साड़ी पहन जब मैं गुड़िया गुड़िया खेला करती थी मां साड़ी गंदी होने पर डाटा नहीं करती थी, प्यार किया करती थी, मेरी लाडो रानी ब्याह कर कहीं और चली, ऐसे मीठे संवाद कहती थी, कई वर्ष बीत गए उनसे बिछड़े हुए, उनसी ममता फिर कहीं मिली नहीं, बहुत चाहने वाले हैं फिर भी मां तो मां होती है, मेरे लिए तो सारा जहां थी, अल्प बचत करने का गुण उन्होंने सिखाया भविष्य में बड़ी बचत बनकर तुम्हारे काम आएगा, छोटी-मोटी बातें लेकिन महत्वपूर्ण कहा करती थी, वर्तमान नहीं भविष्य भी सवरेगा अगर मेरी बात पर ध्यान दोगे, मन में कोई स्वास्थ्य नहीं होता है, निस्वार्थ सिर्फ आपका भला चाहती है, पिता आसमान थे जिनकी छत्र छाया मे दुख कभी देखा नहीं, बहुत सौभाग्यशाली रही उन्हीं के हाथों मेरी डोली विदा हुई, जरा सी बात पर रूठ जाऊं तो दौड़ कर गले लगा लेती थी, क्या है क्या हुआ मेरी लाडो रानी चल तुझे कुछ दिलाऊ, मां तेरे हाथ के बने स्वेटर पहनकर बड़े हुए, फुर्सत में बैठना उन्हें पसंद नहीं होता था, कुछ ना कुछ किया करती थी, हर गुण था उन में तभी मुझे मोहब्बत थी उनसे, आज भी हैं, हमेशा रहेगी, अपनी मां का ही अंश हूं ,मां की ही परछाई खुद को कहती हूं..!!

Wednesday 20 March 2024

रिश्ता _नहीं _सौदा _था. लडके के पिता ने पंडित जी को एक लडकी देखने को कहा ! पण्डित जी बोले हाँ एक लडकी है. अभी कुछ दिनों पहले उसके पिता ने भी एक लडका देखने को कहा था. एक दिन तय हुवा और शादी हो गयी. सब कुछ ठीक चल रहा था कि कुछ महीनो बाद. लडका लडकी मे आये दिन.झगडा होने लगा. वह लडका रोज नशे में घर आता और पत्नी से मारपीट करता वह उसे शारीरिक और मांसिक रूप से परेशान करता... वहीं बहू भी न सास देखती न ससुर अपने पति के जाते ही अपने स्कूल के एक मित्र के साथ फ़ोन पर लग जाती और भूल जाती की वह अब किसी की पत्नी किसी की बहू है. एक दिन उन दोनों के बीच झगडा शुरू हुआ और दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे. गुस्से में आकर लडकी ने आत्महत्या कर ली. लडके को पुलिस ले गयी. अब दोनों घरो के लोग एक दूसरे को गाली देने लगे खानदान को गरियाने लगे मामला कोर्ट पहुंचा. जज सहाब ने सभी को उपस्थित रहने को कहा और उस पंडित को भी बुलाने को कहा जिसने रिश्ता करवाया था..... पंडित जी आये. वकील से पहले जज साहब ही पूछ बैठे ये रिश्ता तुम ने करवाया था.? दोनो घर बर्बाद हो गये. इन लोगों का कहना है की आपको सब पता था फ़िर भी.? पंडित जी ने कहा जज सहाब ये रिश्ता नहीं था. #सौदा था...... क्योंकि लडकी के माता पिता ने कहा.. लडका पैसे वाला हो परिवार छोटा हो. जमीन जायदाद हो. और सास ससुर न भी हो तो कोई बात नहीं... वही लडके के माँ बाप बोले. लडकी दिखने में सुन्दर हो खानदान हमारी बराबरी का हो. लडके को दहेज में गाडी मिले. बाकी हमे कोई सिकायत नहीं.. और मैने ये सौदा करवा दिया. साहब इसे रिश्ता नाम देकर. रिश्ते शब्द को अपमानित न करें. अगर इन लोगों को रिश्ता करवाना होता तो लडकी वाले मुझसे कहते... कि लडका बेशक गरीब हो मगर मेहनती हो भरा पूरा परिवार हो. ऐसा घर हो जहाँ मेरी बेटी हंस कर खिलखिलाकर रहे जिस घर में गाड़ी न हो मगर खुशी और संस्कार हो. वही लडका वाले कहते...... बहू बेशक गरीब घर की हो मगर संस्कार हो जो भरे पूरे परिवार से हो जो घर को घर बनाकर रखे. कुछ न हो देने के लिए मगर बडो का अदब और अतिथि का आदर सत्कार हो. बहू धनवान नहीं गुणवान हो. तब कहीं जाकर ये रिश्ता कहलाता जज साहब. और आजकल तो रिश्ते कम और सौदा अधिक होता है. इन के माता पिता भी बराबर के दोषी है इस तरह के मानसिकता वाले लोगों को जरूर सजा मिलनी चाहिए.. जज सहाब सोच में पड गये. बोले पंडित जी आपने मेरे हृदय में भी एक चुभन पैदा कर दी क्योंकि मैने भी अपने बच्चों को सब कुछ दिया आज का आधुनिक माहौल भी दिया. मगर संस्कार देने में शायद मै भी चूक गया....!!

Thursday 7 March 2024

बाबूजी ने करवट बदली और खखारे, ज़ोर लगा कर लरज़ते सुर में बोले,बेटा! आठ मार्च तो कल ही है ना? मैंने झुंझलाहट में भरकर, लहजे में कुछ तेज़ी लाकर, कहा कि कितनी बार बताऊं। ये ही काम बचा है मेरा, टेप करा कर रख देता हूं, उसको ही तुम सुनते रहना, मेरा पीछा छोड़ो बाबा। आठ मार्च को क्या है ऐसा? क्या कोई जागीर मिलेगी? ख़ामोशी छा गई थी कुछ पल। पहले गीली आंखें पोंछीं, लहजे में फिर शहद घोल कर, सहमें सहमें आहिस्ता से, बोले मेरा जनम दिवस है, कल मैं पचहत्तर का हूंगा। ज़हरीले से सुर में मैंने,चुटकी लेते हुए कहा था, तुम्हें बुढ़ापे में भी बाबा, कितनी चाहत है जीने की,अरे ज़िन्दगी में से बाबा, एक साल कम हो जाएगा। बाबूजी फिर प्यार से बोले, बेटा जब तू बच्चा था ना, मेरी गोद में बैठ के तेरा, रोज़ाना का काम यही था, मेरा बर्डे कब है बाबा? तेरा माथा चूम के फिर में, रोज़ रोज़ ये बतलाता था। फिर हम दोनों, रोज़ाना ये प्लान बनाते, ग़ुब्बारे औ केक, खिलौने, डेकोरेशन कैसे होंगे? मैं तो कभी नहीं झुंझलाया, तेरे पास तो समझाने को मैं था बेटा। मेरे पास तो तू है बेटा। पचहत्तर का जब मैं हूंगा, ढाई सौ रुपए मेरी पिन्शन बढ़ जाएगी। मेरा चश्मा उतर गया है, ठीक दिखाई नहीं दे रहा, सोच रहा था, नम्बर लेकर बनवा लेंगे। तुझ पर क्यों कर बोझ बढ़ाऊं। मेरी ऐसी उम्र में बेटा बूढ़े बच्चे एक बराबर, तेरे भी तो दांत नहीं थे, मेरे भी अब दांत नहीं हैं, याददाश्त भी साथ नहीं है। एक बात ही बार बार तब तू भी पूछा करता था, एक बात ही बार बार अब मैं भी पूछा करता हूं। तेरे पास तो बाबूजी थे, मेरे पास तो तू है बेटा। तेरे पास तो बाबूजी थे, मेरे पास तो तू है बेटा। ~सलीम आफ़रीदी

Monday 26 February 2024

*गुलज़ार साहब ने कितनी खूबसूरती से बता दिया कि जिंदगी क्या है।**-कभी तानों में कटेगी,**कभी तारीफों में;**ये जिंदगी है यारों,**पल पल घटेगी !!**-पाने को कुछ नहीं,**ले जाने को कुछ नहीं;**फिर भी क्यों चिंता करते हो,**इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,**ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!**बार बार रफू करता रहता हूँ,**..जिन्दगी की जेब !!**कम्बखत फिर भी,**निकल जाते हैं...,**खुशियों के कुछ लम्हें !!**-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...**ख़्वाहिशों का है !!**ना तो किसी को गम चाहिए,**ना ही किसी को कम चाहिए !!**-खटखटाते रहिए दरवाजा...,**एक दूसरे के मन का;**मुलाकातें ना सही,**आहटें आती रहनी चाहिए !!**-उड़ जाएंगे एक दिन ...,**तस्वीर से रंगों की तरह !**हम वक्त की टहनी पर...*,*बेठे हैं परिंदों की तरह !!**-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!**बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!**घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।**संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!**-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",**ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";**बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!**-जीवन की किताबों पर,**बेशक नया कवर चढ़ाइये;**पर...बिखरे पन्नों को,**पहले प्यार से चिपकाइये !!* *"गुलजार"*

#beti #bahu #sasural ससुराल में वो पहली सुबह - आज भी याद है.!!.. 😢. .. 😢. . . 😢कितना हड़बड़ा के उठी थी, ये सोचते हुए कि देर हो गयी है और सब ना जाने क्या सोचेंगे ?एक रात ही तो नए घर में काटी है और इतना बदलाव, जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया को, किसी ने सोने के मोतियों का लालच देकर, पिंजरे में बंद कर दिया हो।शुरू के कुछ दिन तो यूँ ही गुजर गए। हम घूमने बाहर चले गए।.जब वापस आए, तो सासू माँ की आंखों में खुशी तो थी, लेकिन बस अपने बेटे के लिए ही दिखी मुझे।सोचा, शायद नया नया रिश्ता है, एक दूसरे को समझते देर लगेगी, लेकिन समय ने जल्दी ही एहसास करा दिया कि मैं यहाँ बहु हूँ। जैसे चाहूं वैसे नही रह सकती।कुछ कायदा, मर्यादा हैं, जिनका पालन मुझे करना होगा। धीरे धीरे बात करना, धीरे से हँसना, सबके खाने के बाद खाना, ये सब आदतें, जैसे अपने आप ही आ गयीं, घर में माँ से भी कभी कभी ही बात होती थी, धीरे धीरे पीहर की याद सताने लगी। ससुराल में पूछा, तो कहा गया -अभी नही, कुछ दिन बाद!..जिस पति ने कुछ दिन पहले ही मेरे माता पिता से, ये कहा था कि पास ही तो है, कभी भी आ जायेगी, उनके भी सुर बदले हुए थे।अब धीरे धीरे समझ आ रहा था, कि शादी कोई खेल नही। इसमें सिर्फ़ घर नही बदलता, बल्कि आपका पूरा जीवन ही बदल जाता है।..आप कभी भी उठके, अपने मायके नही जा सकते। यहाँ तक कि कभी याद आए, तो आपके पीहर वाले भी, बिन पूछे नही आ सकते।..मायके का वो अल्हड़पन, वो बेबाक हँसना, वो जूठे मुँह रसोई में कुछ भी छू लेना, जब मन चाहे तब उठना, सोना, नहाना, सब बस अब यादें ही रह जाती हैं।..अब मुझे समझ आने लगा था, कि क्यों विदाई के समय, सब मुझे गले लगा कर रो रहे थे ? असल में मुझसे दूर होने का एहसास तो उन्हें हो ही रहा था, लेकिन एक और बात थी, जो उन्हें अन्दर ही अन्दर परेशान कर रही थी, कि जिस सच से उन्होंने मुझे इतने साल दूर रखा, अब वो मेरे सामने आ ही जाएगा।..पापा का ये झूठ कि में उनकी बेटी नही बेटा हूँ, अब और दिन नही छुप पायेगा। उनकी सबसे बड़ी चिंता ये थी, अब उनका ये बेटा, जिसे कभी बेटी होने का एहसास ही नही कराया था, जीवन के इतने बड़े सच को कैसे स्वीकार करेगा ?माँ को चिंता थी कि उनकी बेटी ने कभी एक ग्लास पानी का नही उठाया, तो इतने बड़े परिवार की जिम्मेदारी कैसे उठाएगी?..सब इस विदाई और मेरे पराये होने का मर्म जानते थे, सिवाये मेरे। इसलिए सब ऐसे रो रहे थे, जैसे मैं डोली में नहीं, अर्थी में जा रही हूँ।..आज मुझे समझ आया, कि उनका रोना ग़लत नही था। हमारे समाज का नियम ही ये है, एक बार बेटी डोली में विदा हुयी, तो फिर वो बस मेहमान ही होती है।..फिर कोई चाहे कितना ही क्यों ना कह ले, कि ये घर आज भी उसका है ? सच तो ये है, कि अब वो कभी भी, यूँ ही अपने उस घर, जिसे मायका कहते हैं, नही आ सकती..!!🙏🙏 #हर_बेटी_मेरी #Betiyaan #hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

ढेर सारी किताबें पढ़कर, डॉक्टर, इंजीनियर,वकील,प्रोफेसर, वैज्ञानिक , प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी बनने के बाद भी अगर दिमाग में अंधविश्वास, सड़े-गले विचार, अवैज्ञानिक पुराने तौर-तरीके वैसे ही बने रहें तो यह किताबी ज्ञान गधे पर रखी किताबों का बोझ जैसा है। इतना ज्ञान हासिल करने का क्या फ़ायदा जबकि आपका दिमाग पाखण्डी अन्धविश्वास से भरा है तो आपका ज्ञान व्यर्थ है

Sunday 18 February 2024

निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय,बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।निंदक नियरे राखिये दोहे का अर्थ है कि हमें निंदा करने वाले इन्सान को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, ऐसा इन्सान हमारे अंदर की दुर्बलता और कमियों को हमारे सामने लाता है जिस कारण हम बिना पानी, साबुन के ही निर्मल हो जाते हैं।व्यक्ति का चरित्र ही उसकी पहचान है हर किसी में कुछ ना कुछ अवगुण जरुर होते हैं, पर अगर उसके साथ में ऐसा व्यक्ति है यानि की निंदक है ,जो उसके इन अवगुणों को उसे बिना हिचकिचाहट के बता देता है तो वह इंसान इन अवगुणों को गुणों में बदल सकता है इसीलिए कहा गया गया है कि निंदक आपके चरित्र और व्यवहार को निर्मल करता है।निंदा करने वाले को पास रखने का क्या मतलब है?, हमें पानी या साबुन की आवश्यकता के बिना शुद्ध होने में मदद करते हैं। आलोचना को अपने नजदीक ही रखना चाहिए. ” “” शब्द उस आलोचक को संदर्भित करता है जो आलोचनाएँ प्रदान करता है...

#story को जरूर पढ़ना ✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी.तभी टीचर ने बच्चों से पूछा - अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?किसी ने कहा - मैं वीडियो गेम खरीदुंगा..किसी ने कहा - मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा..किसी ने कहा - मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी..तो, किसी ने कहा - मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी..एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था टीचर ने उससे पुछा - तुम क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे ?बच्चा बोला -टीचर जी मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !टीचर ने पूछा - तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ?बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया !बच्चे ने कहा -- मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है, और कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ.!टीचर -- बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है ! ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और, ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना और, मेरी इच्छा है, तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं !20 वर्ष बाद..........बाहर बारिश हो रही है, और अंदर क्लास चल रही है !अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रूकती है स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं !स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं !मगर ये क्या ?जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं, और कहते हैं -- सर मैं .... उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ !पूरा स्कूल स्टॉफ स्तब्ध !वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो पड़ता हैं !दोस्तों --*मशहूर होना, पर मगरूर मत बनना।**साधारण रहना, कमज़ोर मत बनना।**वक़्त बदलते देर नहीं लगती..*शहंशाह को फ़कीर, और फ़क़ीर को शहंशाह बनते,*देर नही लगती ....*यह छोटी सी कहानी आप के साथ शेयर की है, अगर दिल को छू गयी हो तो कृपया शेयर करें। 🙏🏻😊😊🙏🏻🙏🏻😊😊🙏🏻..#beautifullife #Hindi #story #kahani #motivational

Saturday 17 February 2024

एक बहुत ग़रीब लकड़हारा था।वह प्रतिदिन जंगल में जाकर लकड़ी काटता और उसे गांव ले जाकर बेचता था। लकड़ी काटना और बेचना ही उसका काम था। इसी से उसका घर चलता था। लकड़हारा जंगल से जब लकड़ी काट कर चलता, तो रास्ते में एक राजा का महल पड़ता था। राजा महल की छत पर खड़ा होकर रोज़ देखता कि सिर पर लकड़ी उठाए लकड़हारा चला जा रहा है। रोज लकड़हारे को रोज देखते हुए राजा को उस पर दया आने लगी थी औऱ वह सोचने लगा कि बेचारा कितनी मेहनत करता है। सारा दिन लकड़ियां काटता है और बेचता है।लकड़हारा भी राजा को दूर महल की छत पर देखता, सोचता राजा कितना अच्छा है,वो रोज़ उसकी ओर दया व करुणा से देखता है।इस तरह मन की तरंगों से दोनों के बीच एक रिश्ता बन गया था। राजा लकड़हारे की ओर देख कर मुस्कुराता। लकड़हारा राजा की ओर देख कर मुस्कुराता। दोनों मन ही मन एक दूसरे के प्रति प्रेम व सम्मान रखते । दिन गुज़रते रहे। एक दिन लकड़हारे के हाथ चंदन की लकड़ी लग गई। वो उसे बेचने गांव की ओर चला।अब चंदन की लकड़ी भला कौन खरीदता? इतनी महंगी लकड़ी। बेचारा लकड़हारा सिर पर लकड़ी का गट्ठर उठाए रोज़ गांव की ओर जाता। राजा उसे महल की छत से देखता।लकड़हारा लकड़ी नहीं बिकने से उदास था।अचानक उसके मन में ख्याल आया कि अगर राजा मर जाए तो उसे जलाने के लिए अवश्य ही चंदन की लकड़ी की ज़रूरत पड़ेगी।अब लकड़हारा मन ही मन राजा के मरने की दुआ करने लगा।लकड़हारा रोज़ जंगल से लौटते हुए राजा की ओर देखता, मन ही मन सोचता कि काश राजा की मृत्यु हो जाती ।इधर लकड़हारे का मन बदला, उधर राजा का भी मन परिवर्तित हो गया ।राजा को अचानक लगने लगा कि वो तो राजा है। उसका इतना बड़ा महल है। ये गरीब लकड़हारा रोज़-रोज़ इस रास्ते से अपनी गरीबी प्रदर्शित करते हुए गुज़रता है। इसे कोई हक नहीं कि वो इधर से आए-जाए।इससे राज्य की बदनामी हो रही है।कल तक जिस लकड़हारे को देख कर राजा का मन खुश होता था, आज उसे देख कर उसके मन में नफरत होने लगी । राजा ने सिपाहियों को बुलाया और आदेश दिया कि इस लकड़हारे को पकड़ कर जेल में बंद कर दो। अब लकड़हारा जेल में बंद हो गया।राजा इतने से ही नहीं माना। उसने उस लकड़हारे को मौत की सजा भी सुना दी। महामंत्री को जब ये बात पता चली तो उसे बहुत हैरानी हुई। राजा ऐसे तो किसी को सज़ा नहीं सुनाते। फिर आज क्या बात हुई?महामंत्री जेल में लकड़हारे से मिलने पहुंचे और उन्होंने उससे पूरी कहानी जाननी चाही।लकड़हारा खुद हैरान था कि ऐसा क्यों हुआ ? उसने महामंत्री को पूरी बात बताई कि वो रोज़ महल के सामने से गुज़रता था, राजा उसे देख कर मुस्कुराता था। दोनों के बीच मन ही मन प्रेम का रिश्ता था। पर जिस दिन उसके हाथ चंदन की लकड़ी लगी, उस दिन पहली बार उसके मन में विचार आया कि काश राजा मर जाए और उसे जलाने के लिए उससे चंदन की लकड़ी खरीदी जाए। बस उसी दिन से राजा का भी मन बदल गया। महामंत्री समझदार था। वो समझ गया कि लकड़हारे के मन में जो भाव राजा के लिए जागा, ठीक वही भाव राजा के मन में भी लकड़हारे के लिए जाग गया है। दिल से दिल का ये रिश्ता भी अजीब होता है। जब तक लकड़हारे के मन में राजा के प्रति ऐसे विचार नहीं आए थे, उधर से भी प्रेम टपक रहा था। जिस दिन लकड़हारे के मन में राजा के मरने की बात आई उस दिन राजा को भी उससे नफरत होने लगी । महामंत्री ने राजा को पूरी बात विस्तार से बताई औऱ साथ ही साथ उसने लकड़हारे को भी अपने विचार औऱ सोच राजा के प्रति शुद्ध रखने की हिदायत दी।राजा ने पूरी बात समझ लकड़हारे को माफ़ कर दिया औऱ फ़िर दोनों की भावना पहले जैसी हो गई।हम जिसके प्रति अपने मन में जैसी भावना रखते हैं ,हमारे प्रति भी उस व्यक्ति के मन मे बिलकुल वैसी ही भावना पनप जाती है।दिल से दिल का रिश्ता भी बहुत अज़ीब होता है।जीवन में अपना मन,भावना औऱ विचार बिलकुल शुद्ध व पवित्र रखना बेहद ज़रूरी है।गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है.......जाकी रही भावना जैसी...प्रभु मूरत देखी तिन तैसी...!!#story. #hindikahani

Wednesday 14 February 2024

फूल को यदि उड़ना आता तो नि:संदेह उड़कर जाता और खोज लाता रूठी तितली कोजो अब तक नहीं आई,और बसंत उसकी राह तककरचला भी गया.ख़त को यदि पता मालूम होता तोनि:संदेह पहुँच जाता उस चौखट परजिसके लिए लिखा गया थालेकिन डाकिया पता बताने वाले की राह तककर चला भी गया.हमें ज़रा भी समझ होती तो नि:संदेह पढ़ लेते तुम्हारी आँखें कि जिसमें सिर्फ़ मेरी इबारत लिखी थीलेकिन हम निपट अनपढ़ और प्रेम हमारे इकरार की राह तककर चला भी गया.जीवन में ठहरे हर पतझड़ काबस अंत हो,बसंत हो....

फूल नहीं जानता वह कौनसा फूल हैहवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता हैजमीन भी कहाँ तय कर पाती हैकौन सा फूल कब गिरेगापत्तियों को भी कहाँ पता होगा खुद का रंगबारिश भी कितना जानती होगी अपनी बूंदों कोक्या तुम बता सकते होसिल बटटे की हरी चटनी का तीखापनमात्र उसको देख कर ही,नहीं ना ?फिर क्यों करते हो खुद का आकलन परिक्षण किये बिना ही,क्यों स्वीकार्य करते हो पूर्वानुमानों कोजब करना चाहते हो प्रयास,क्यों भिगोते हो खुद को अनगिनत आभाओं सेजब रचना है तुम्हे स्वर्णिम इतिहाससुबह की शुरूआत हमेशा सूरज से नहीं होतीकई बार वो खुद के जागने से भी होती हैक्या तुमने देखा है ऐसा कोई वसंत जोबिना पतझड़ के आया होनहीं ना?फिर क्यों होते हो व्यथित संघर्ष पथ परजब जानते हो सफलता का मार्ग संघर्ष से ही संभव हैतुम साहस से भरे हुए हो तुम में सारे रस हैओ सारे रसो से परिपूर्ण मनुष्य तुम नहीं जानते तुम कौन हो।- सौंदर्या

Saturday 10 February 2024

होटल पर बैठे एक शख्स ने दूसरे से कहा यह होटल पर काम करने वाला बच्चा इतना बेवकूफ है कि मैं पाँच सौ और पचास का नोट रखूंगा तो यह पचास का ही नोट उठाएगा। और साथ ही बच्चे को आवाज़ दी और दो नोट सामने रखते हुए बोला इन मे से ज़्यादा पैसों वाला नोट उठा लो, बच्चे ने पचास का नोट उठा लिया।दोनों ने क़हक़हे लगाए और बच्चा अपने काम मे लग गया पास बैठे शख्स ने उन दोनों के जाने के बाद बच्चे को बुलाया और पूछा तुम इतने बड़े हो गए तुम को पचास और पाँच सौ के नोट में फर्क नही पता।यह सुनकर बच्चा मुस्कुराया और बोला-- यह आदमी अक्सर किसी न किसी दोस्त को मेरी बेवक़ूफ़ी दिखाकर एन्जॉय करने के लिए यह काम करता है और मैं पचास का नोट उठा लेता हूँ, वह खुश हो जाते है और मुझे पचास रुपये मिल जाते है, जिस दिन मैंने पाँच सौ उठा लिया उस दिन यह खेल भी खत्म हो जाएगा और मेरी आमदनी भी।ज़िन्दगी भी इस खेल की ही तरह है हर जगह समझदार बनने की जरूरत नही होती, "जहां समझदार बनने से अपनी ही खुशियां मुतासिर होती हो वहां बेवक़ूफ़ बन जाना समझदारी है।"

Sunday 4 February 2024

स्त्रियांबाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती हैऔर तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।स्त्रियांकिचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती हैऔर तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???स्त्रियांबाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???स्त्रियांबच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???स्त्रियांकही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।स्त्रियांबच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।स्त्रियां दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार 😘 करती है...Dedicated to all ladies🙏💎✨ #नारी सशक्तिकरणCopied

Sunday 21 January 2024

#oldtime#newtimeA young man asked his grandfather, "Grandpa, how did you live in the past without technology . . .without computerswithout droneswithout bitcoinswithout Internet connectionwithout TVswithout air conditionerswithout carswithout mobile phones?"Grandpa answered:"Just as your generation lives today . . .no prayers,no compassion,no respect,no GMRC,no real education,poor personality,there is no human kindness,there is no shame,there is no modesty,there is no honesty.We, the people born between the years 1930-1980, were the blessed ones. Our lives are a living proof."¶ While playing and riding a bike, we have never worn a helmet.¶ after school we did our homework ourselves and we always played in meadows until sunset¶ We played with real friends, not virtual friends.¶ If we were thirsty, we would drink frim the fountain, from the waterfalls, faucet water, not mineral water.¶ We never worried and get sick even as we shared the same cup or plate with our friends.¶ We never gained weight by eating bread and pasta every day.¶ Nothing happened to our feet despite walking barefoot.¶ We never used food supplements to stay healthy.¶ We used to make our own toys and play with them.¶ Our parents were not rich. They gave us love, not material gifts.¶ We never had a cell phone, DVD, PSP, game console, Xbox, video games, PC, laptop, internet chat . . . but we had true friends.¶ We visited our friends without being invited and shared and enjoyed the food with their family.Parents lived nearby to take advantage of family time.¶ We may have had black and white photos, but you can find colorful memories in these photos.¶ We are a unique and the most understanding generation, because we are the last generation that listened to their parents.And we are also the first ones who were forced to listen to their children.~We are limited edition.Take advantage of us. Learn from us. We are a treasure destined to disappear soon

Wednesday 17 January 2024

Monday 15 January 2024

Alwida Munawwar Rana saab 🙏 मां' पर किसने क्या नहीं लिखा ! लेकिन जैसा मुनव्वर ने लिखा वैसा किसी ने नहीं लिखा, ख़ासकर उर्दू साहित्य में। उर्दू ग़ज़ल में मुनव्वर राना से पहले सब कुछ था- माशूक़, महबूब, हुस्न, साक़ी, तरक़्क़ीपसंद अदब और बग़ावत इत्यादि पर 'मां' नहीं थी। इसलिए उन्होंने कहा भी है कि- ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती हैछू नहीें सकती मौत भी आसानी से इसकोयह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए हैयूँ तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिनमाँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती हैविज्ञापनवह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गयामाँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी हैमैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी हैसिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे 'राना'रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देतेमैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसूमुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होतीबस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की 'राना'माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती हैगले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैंअभी मस्जिद के दरवाज़े पे माँएँ रोज़ आती हैंऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गयामाँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गयाइस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती हैमेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँमाँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँलिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकतामैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती हैयारों को मसर्रत मेरी दौलत पे है लेकिनइक माँ है जो बस मेरी ख़ुशी देख के ख़ुश हैतेरे दामन में सितारे होंगे तो होंगे ऐ फलक़मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगीजब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती हैमाँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती हैघेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईंढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती मुझे तो सच्ची यही एक बात लगती हैकि माँ के साए में रहिए तो रात लगती है#munawwarranasahab #maa #,beautifullife

Tuesday 9 January 2024

गलती सिर्फ एक पल की ही होती है, परन्तु उससे होने वाले प्रभाव को हम सारा जीवन महसुस करते हैं.।

मैं अब किसी को अपने जीवन से जाने से नहीं रोकती। जो जाना चाहता है उसे कोई भी दलील दे कर रुक जाने को मजबूर भी नहीं करती।एक वक्त था जब किसी अज़ीज़ के चले जाने के अहसास भर से ही दिल दहक जाता था। रोते, ऐसा लगता था की उनके जाने के बाद जीवन में कुछ और बचेगा ही नहीं, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ कई ठोकरें खाने के बाद ये समझ आने लगा की हमारे जीवन में आने और जाने वाले लोग हमारे जीवन का मात्र एक हिस्सा भर है पूरा जीवन नहीं।अब मैं जाने वालों को वास्ता देकर रोकती नहीं, बल्कि उन्हें रास्ता देकर उनकी मुश्किल आसान बना देती हूं।बहुत से लोग समझ रहे होंगे कि मैं समझदार हो गई हूं, लेकिन मुझसे पूछे तो मैं कहूँगी की मैं अब थोड़ी चालाक और कठोर हो गई हूं।जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव ने कब मेरी मासूमियत छीन ली उसका एहसास ही नहीं हुआ।कितनी चालाकी से वक्त मासूमियत छीन कर समझदारी का झोला थमा देता है हमें। 2024 का पहला पन्ना मेरी कलम से.✍️😌

Sunday 7 January 2024

*E L I M I N A T I O N I N L I FE*🙋‍♀️ *Three Stages of Elimination in Life:*🌹🌹🌹*At the age of 60,* *the workplace eliminates you.* *No matter how successful or powerful you were during your career,* *You'll return to being an ordinary person.**So, don't cling to the mindset and sense of superiority from your past job,**let go of your ego, or you might lose your sense of ease!**At the age of 70,* *society gradually eliminates you.* *The friends and colleagues you used to meet and socialize with become fewer,* *and hardly anyone recognizes you at your former workplace.* *Don't say,* *"I used to be..."* *or "I was once..."* *because the younger generation won't know you, and you mustn't feel uncomfortable about it!**At 80/90, family slowly eliminates you.* *Even if you have many children and grandchildren,* *most of the time you'll be living with your spouse or by yourself.* *When your children visit occasionally, it's an expression of affection, so don't blame them for coming less often, as they're busy with their own lives!**After 90, the Earth wants to eliminate you.**At this point, don't be sad or mournful,* *Because this is the way of life, and everyone will eventually follow this path!**Therefore, while our bodies are still capable, live life to the fullest!* *Eat what you want, drink what you desire, play and do the things you love.**Remember,* *the only thing that won't eliminate you is the Whatsapp group.* 🙋‍♀️*So, communicate more in the group,* 🙋‍♀️*say a hello, maintain your presence, be happy, and have no regrets!**Stay blessed always* 🤷‍♀️(*Dedicated to Senior Citizens* )

Thursday 4 January 2024

#maa #mother.मां के जाने के बाद मायके छूट जाते हैं मां नहीं है फिर भी मां की याद आती है, ठंड का मौसम होता था, बेफिक्र मां की शाल ओढ लिया करते थे, मां के साथ रजाई में छुप जाया करते थे, रजाई की गर्मी से अधिक मां का साथ अच्छा लगता था, सर्दी जाने कहां गुम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था, मां के साथ कुछ भी बात कर सकते थे, मां कभी बुरा नहीं मानती, बिना कहें बिना जाने सब कुछ जान जाती थी, अपनी मां को मां कहूं या जादूगर बिन मांगे सब कुछ पातें थे, पिता से बहुत कुछ सीखा, संयम, सीखने की शक्ति, माफ करने का गुण, वे कहा करते थे बोलने वाला अपना मुंह गंदा करता है, अपशब्द हमारे शरीर पर कहीं चिपक गए क्या, चिपक गए हो तो ढूंढ कर मुझे लौटा दो, हम हंस पड़ा करते थे, भूल जाओ वह इंसान ऐसा ही है, वह बदलने वाला नहीं खुद को बदल डालो, मां की साड़ी पहन जब मैं गुड़िया गुड़िया खेला करती थी मां साड़ी गंदी होने पर डाटा नहीं करती थी, प्यार किया करती थी, मेरी लाडो रानी ब्याह कर कहीं और चली, ऐसे मीठे संवाद कहती थी, कई वर्ष बीत गए उनसे बिछड़े हुए, उनसी ममता फिर कहीं मिली नहीं, बहुत चाहने वाले हैं फिर भी मां तो मां होती है, मेरे लिए तो सारा जहां थी, अल्प बचत करने का गुण उन्होंने सिखाया भविष्य में बड़ी बचत बनकर तुम्हारे काम आएगा, छोटी-मोटी बातें लेकिन महत्वपूर्ण कहा करती थी, वर्तमान नहीं भविष्य भी सवरेगा अगर मेरी बात पर ध्यान दोगे, मन में कोई स्वास्थ्य नहीं होता है, निस्वार्थ सिर्फ आपका भला चाहती है, पिता आसमान थे जिनकी छत्र छाया मे दुख कभी देखा नहीं, बहुत सौभाग्यशाली रही उन्हीं के हाथों मेरी डोली विदा हुई, जरा सी बात पर रूठ जाऊं तो दौड़ कर गले लगा लेती थी, क्या है क्या हुआ मेरी लाडो रानी चल तुझे कुछ दिलाऊ, मां तेरे हाथ के बने स्वेटर पहनकर बड़े हुए, फुर्सत में बैठना उन्हें पसंद नहीं होता था, कुछ ना कुछ किया करती थी, हर गुण था उन में तभी मुझे मोहब्बत थी उनसे, आज भी हैं, हमेशा रहेगी, अपनी मां का ही अंश हूं ,मां की ही परछाई खुद को कहती हूं..!!

रिश्तों में मिठास तभी बनी रहती है, जब उनमें चालाकियां ना हों

ना बस में जिंदगी और ना काबू मौत पर, लेकिन इंसान फिर भी ख़ुदा बना फिरता है......#beautifullife #Hindisuvichar