Tuesday 28 March 2023

ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त ज़रुर होना चाहिए, जिससे आप जब चाहें कॉल कर सकें, मैसेज कर सकें, सलाह-मशवरा ले सकें, सुख-दुःख बाँट सकें, डांट सकें, लड़ सकें, कंधे पर सिर रख कर रो सकें, खुलकर हँस सकें, घूम सकें, जब चाहें मिल सकें, बेझिझक होकर निःसंकोच सब कुछ उसे बता सकें बिना इस बात की परवाह किये कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोचेगा...? अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो वाकई आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं..हो सके तो किसी के अच्छे दोस्त बनिए, किसी को सुनने का प्रयास करिए, क्योंकि अधिकांश लोग अकेलेपन के अवसाद से ग्रसित हैं, आये दिन आत्महत्याएँ होती हैं, कभी सोचा है क्यों?? क्योंकि इनके पास सुनाने वाले तो बहुत हैं पर सुनने वाला कोई नहीं...!♥️♥️ #friend #dost #beautifullife #hindimotivationalquotes

#Rishtey रिश्ते कोई भी हो शर्तों पर नहीं चलतेसमझ से चलते है, अगर किसी से रिश्ता निभाना हो तो बस उसके साथ खड़े रहो उसकी कमज़ोरियों का इस्तेमाल मत करो...!! नाम ज़रूरी नहीं किसी भी रिश्ते का , निभाना हो तो बस साथ निभाओ ..वादों में ना बांधों इन रिश्तों को इज़्ज़त दोगे तो ही इज़्ज़त मिलेगी...!! ज़िन्दगी में सिर्फ रिश्ते बनाना ज़रूरी नहींउनकी इज़्ज़त करना, उन्हें निभाना और सहेज कर रखना ज़्यादा ज़रूरी है..!! निभाओगे, साथ दोगे , तभी आपके बुरे वक़्त मेंयही रिश्ते काम आएंगे...!! अहम् में रहोगे तो अकेले हीं रह जाओगेकद्र करो... बसइन रिश्तों को इसी की ज़रूरत है...

Monday 27 March 2023

*मृत्यु*जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आयो पास।जगत में कैसा नाता रे।#beautifullife

अगर इंसान समय रहते बूरी आदत ना बदले तो बुरी आदत उसका समय बदल देती है

Sunday 26 March 2023

शिकायतों का कोई अंत नहीं साहेब, पत्थर कहते हैं कि हम पानी की मार से टूट रहे हैं , और पानी को शिकायत है कि पत्थर हमें खुलकर बहने भी नहीं देते ।

#CORONAਰੋਕ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਕਿਸੇ ਗਾਹ ਨੂੰ ਵੱਧਦਾ ਹੋਇਆ ਕਦਮ ਮੇਰਾਬਿਨਾਂ ਕੋਈ ਗੱਲ ਕੀਤਿਆਂ ਕਾਤੋ ਪਾ ਲਿਆ ਮੈਨੂੰ ਘੇਰਾਆਪਣੇ ਘਰੋਂ ਬਾਹਰ ਜਾਣਾ ਏਹੇ ਕਿਥੋਂ ਦਾ ਗੁਨਾਹ ਹੋ ਗਿਆ ਇਕ ਪੁਲਿਸ ਮੁਲਾਜ਼ਮ ਐਵੇਂ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਖਫ਼ਾ ਹੋ ਗਿਆਕਹਿੰਦਾ ਹੁਣ ਨਾ ਥੋਡੇ ਚੋਬਾਹਰ ਨੂੰ ਕੋਈ ਝਾਕੇਚੁਪ ਚੁਪੀਤੇ ਲੱਗ ਜਾਓ ਆਖੇਨਈ ਤਾਂ ਸਮਝਾਉਂਗਾ ਡੰਡਾ ਲਾਕੇਸਮਝ ਰਤਾਂ ਨਾ ਆਇਆ ਮੈਨੂੰਸਮਝਾਉਣਾ ਕੀ ਏ ਚਾਉਂਦਾ ਹੋਕਾ ਜੇਹਾ ਇਕ ਦੇਈ ਜਾਏਗੇਟ ਹਰ ਇਕ ਦਾ ਟੌਹਦਾ ਟੌਹਦਾਕਹਿੰਦਾ ਬਿਮਾਰੀ ਆਈ ਲੋਕੋਬਹੁਤੀ ਜਾਦੀ ਘਾਤਕਗਲਾ ਫੜਦੀ ਛਾਤੀ ਫੜਦੀ ਰੋਕੇ ਸਾਡੇ ਸਾਹ ਤੱਕਗੱਲ ਸੁਣਕੇ ਅਜੀਬ ਜਿਹੀ ਯਕੀਨ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕੀਤਾਡੰਡਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਗੁੱਸੇ ਦੇ ਨਾਲ ਮੁਲਾਜਮ ਬੋਲਿਆ ਭਰਿਆ ਪੀਤਾਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਨਾ ਹੁਣ ਮੈਨੂੰਦੱਸਣਾ ਪਵੇ ਦੁਬਾਰੇ ਬਾਹਰ ਦੇ ਲੋਕ ਮਰਦੇ ਜਾਂਦੇਡਾਕਟਰ ਕਈ ਨੇ ਹਾਰੇਇਕ ਹੀ ਇਸ ਦੀ ਰੋਕ ਹੈਆਪਣਿਆਂ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ ਘਟਾਓਨਮਸਤੇ ਦੇ ਨਾਲ ਯਾਰੀ ਲਾਕੇਹੱਥ ਮਿਲਾਉਣ ਤੋਂ ਘਬਰਾਓਮੂੰਹ ਦੇ ਉੱਤੇ ਕੱਪੜਾ ਰੱਖ ਕੇ ਛਿਕੋ ਅਤੇ ਖੰਗੋਰੱਬ ਤੋਂ ਉੱਤੇ ਕੁਝ ਹੋਰ ਨਈਘਰ ਰਹਿ ਕੇ ਸਰਬਤ ਦਾ ਭਲਾ ਮੰਗੋ ਜਤਿੰਦਰ ਪਾਲ #corona

सच बोलना तो दूर रहा, आजकल लोग सच सुनना भी पसंद नहीं करते।

जब अपने ही करने लगे अपनों से अपनों की बुराई तो समझ जाना कोई अपना नहीं है!

Tuesday 21 March 2023

शतरंज सी जिन्दगी, में हर कोई मोहरा है, इंसान तो एक है ,मगर किरदार दोहरा है.।

गरीब रहोगे, कोई ध्यान नही देगा । मेहनत करोगे सब हंस कर मनोबल तोड़ने की कोशिश करेंगे। मग़र जब कामयाब हो जाओगे सब जलेंगे।

खुशियां पराई होती है सब में बाँट दी जाती है.. दर्द सिर्फ अपने होते हैं दिल में रखने पड़ते हैं..!!

"मनुष्य की सबसे बड़ी शिक्षक उसकी गलतियां होती हैं"

•❁ धन, बहुत ज़रूरी है ❁• 👇 लेकिन 👇 ❥❥═══════♡♡ किसी गाँव में ... एक धनी सेठ रहता था. उसके बंगले के पास एक जूते सिलने वाले गरीब मोची की छोटी सी दुकान थी.उस मोची की एक खास आदत थी, कि वो जब भी जूते सिलता, तो भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था, लेकिन ... सेठ ने कभी उसके भजनों की तरफ ध्यान नहीं दिया. एक दिन सेठ की तबीयत बहुत ख़राब हो गयी, लेकिन पैसे की कोई कमी तो थी नहीं, सो शहर से डॉक्टर, वैद्य, हकीमों को बुलाया गया. लेकिन कोई भी सेठ की बीमारी का इलाज नहीं कर सका. अब सेठ की तबीयत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही थी. वह चल फिर भी नहीं पाता था. एक दिन वह घर में लेटा था. अचानक उसके कान में मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी, आज मोची के भजन, सेठ को कुछ अच्छे लग लग रहे थे. कुछ ही देर में सेठ इतना मंत्रमुग्ध हो गया, कि उसे ऐसा लगा जैसे वो साक्षात परमात्मा से मिलन कर रहा हो. मोची के भजन सेठ को उसकी बीमारी से दूर ले जा रहे थे. कुछ देर के लिए सेठ भूल गया, कि ★ वह बीमार है. ★ उसे अपार आनंद की प्राप्ति हुई. कुछ दिन यही सिलसिला चलता रहा. अब धीरे-धीरे सेठ के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा. एक दिन उसने मोची को बुलाया, और कहा ~ मेरी बीमारी का इलाज बड़े-बड़े डॉक्टर नहीं कर पाये, लेकिन .... तुम्हारे भजन ने मेरा स्वास्थ्य सुधार दिया. ये लो 1000 रुपये इनाम. मोची खुशी-खुशी पैसे लेकर चला गया. लेकिन ... उस रात मोची को बिल्कुल नींद नहीं आई. वो सारी रात यही सोचता रहा, कि इतने सारे पैसों को कहाँ छुपा कर रखूँ, और ... इनसे क्या-क्या खरीदना है ? इसी सोच की वजह से वो इतना परेशान हुआ, कि अगले दिन काम पर भी नहीं जा पाया. अब भजन गाना तो जैसे ◆ वो भूल ही गया था. ◆ मन में खुशी जो थी ... पैसे की. अब तो उसने काम पर जाना ही बंद कर दिया, और धीरे-धीरे उसकी दुकानदारी भी चौपट होने लगी. इधर सेठ की बीमारी ... फिर से बढ़ती जा रही थी. एक दिन मोची सेठ के बंगले में आया, और बोला ~ सेठ जी .. आप अपने ★ ये पैसे वापस रख लीजिये. ★ इस धन की वजह से मेरा धंधा चौपट हो गया, मैं भजन गाना ही भूल गया. इस धन ने तो मेरा परमात्मा से नाता ही तुड़वा दिया. मोची पैसे वापस करके फिर से अपने काम में लग गया. ♾️♾️♾️♾️ मित्रों ! ये एक कहानी मात्र नहीं है, ये एक सीख है, कि ~ किस तरह पैसों का लालच हमको अपनों से दूर ले जाता है. हम भूल जाते हैं , कि ... कोई ऐसी शक्ति भी है जिसने हमें बनाया है. आज के माहौल में ये सब कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है. ❗ लोग 24 घंटे सिर्फ ❗ जॉब की बात करते हैं, बिज़नेस की बात करते हैं, पैसों की बात करते हैं. ❗ हालांकि ❗ धन, जीवन यापन के लिए बहुत जरुरी है. लेकिन ... उसके लिए अपने अस्तित्व को भूल जाना मूर्खता ही है.#beautifullife #Hindistory

गाय का बछडा मां से उठकर दुध पीने की आशा से कहता है हे मां उठ मुझै भूख लगी है मुझे दुध पीला और घर चलते है निराश मां कहती है जबतक मे दूध दैती थी घर वालो को प्यारी लगती थी मेरी उम्र ढल चुकी हैं घर वालो ने हमे बैघर कर दिया तू जा बेटा घास खाकर गुजारा कर मेरे पांवो मे वो ताकत नहीं है .जो खडी हो सकु इतना कहकर उस गाय ने इस स्वार्थी मानव को दुआ दैकर संसार से विदाई लेली 😭😭

सच्ची बात बोलने वाला, और सही राह पर चलने वाला इंसान , हमेशा दुनिया को बुरा लगता है ।

जब इंसान के अक्ल पर पर्दा पड़ता है ना, तो सबसे पहला शत्रु समझाने वाला ही लगता है।

सच्ची बात बोलने वाला, और सही राह पर चलने वाला इंसान , हमेशा दुनिया को बुरा लगता है ।

शरीर की हिफाजत धन से भी अधिक करनी चाहिए क्योंकि शरीर बिगड़ने के बाद धन भी उसकी हिफाजत नहीं कर सकता..

सरल स्वभाव वाले व्यक्ति को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए.. सरलता उसका संस्कार है.. कमजोरी नहीं..

Thursday 16 March 2023

एक कहानी दृष्टिहीनों कीपुरातन समय की बात है एक बस्ती में एक अजीब बीमारी फैलने लगी लोगो की नजर कमजोर होने लगी , कई लोग अंधे हो गए इसका कारण समझ नहीं आ रहा था ।हर घर में यह बीमारी फैल रही थी।उस बस्ती के गणमान्य व्यक्ति इक्ठे हुए और उन्होंने कुछ फैसले लिए ।लोगो की सुरक्षा अहम मुद्दा था ।किसी को भी पता नहीं था कब वो बस्ती सिर्फ अंधे लोगो की बस्ती बन जाए इस लिए फैसला लिया गया की बस्ती के चारो और दीवार बना दी जाए ताकि कोई बस्ती में रहने वाले को नुकसान न पहुंचा सके ,कोई भी बस्ती में रहने वाला भटक कर दूर न चला जाए की वापसी न हो पाएं ।धीरे धीरे सब बस्ती के लोग अंधे हो गए ।समय बदलता गया नए जन्म हुए वंशावली बदल गई उनकी आंखों पर एक झिल्ली आ गई नजर बिल्कुल खत्म हो गई,अगर गलती से भी लोग आपस में टकरा जाते तो लड़ाई हो जाती अब लोगो ने गुट बना लिए यह सोचकर की हम दूसरों से सुरक्षा रहेंगे जबकि दूसरा कोई था ही नहीं सब उसी बस्ती के लोग ही थे और सब दृष्टिविहीन थे।अब उन लोगो का भाग्य कहे या दुर्भाग्य एक डॉक्टर वहां पहुंच गया वो उस बीमारी से ग्रसित नहीं था और देख सकता था गणमान्य नागरिकों को पता चला कोई बाहर से उनकी बस्ती में आया है तो वो उस चिकिसक का स्वागत करने आए । Us डॉक्टर को बोलने का समय दिया गया ।इस डॉक्टर ने आंखों का ज़िक्र किया ,रोशनी का ,सूर्य का सूर्य के प्रकाश का , पेडों का , घास का जिसे सुनकर वो सारे लोग आपस मे विरोधी बातें करने लगे ,उन्हे डर लगने लगा की यह डॉक्टर उन्हे मिटाने आया है वो डॉक्टर को झूठा कहने लगे,आंख जैसी कोई चीज नहीं होती।अब डॉक्टर भी अड़ गया और उसने कुछ लोगो को अपने प्रभाव में लिया और कुछ लोगो की चिकित्सा कर डाली ।वो लोग भी डॉक्टर की बातों के समर्थक बन गए । शहर के विद्वानों को लगा की यह हमे खतम करे की तैयारी है ,हमारी सभ्यता नष्ट हो जाएगी वो भी प्रचार करने लगे यह डाक्टर झूठ बोल रहा है ,इसे यहां से निकालो यह हमारे शहर को खतम कर देगा। जबकि डॉक्टर तो उन्हे आंखें दे रहा था ,उन्हे जीवन की खूबसूरती दिखाना चाहता था।उनका जीवन भयमुक्त करना चाहता था ।लोगों ने डॉक्टर पर भी हमले किए और उसे वहां से जाने को मजबूर कर दिया ।जरा सोचिए वो डॉक्टर उन्हे अंधेरे से निकालना चाहता था उसे कोई स्वार्थ नहीं था पर उसे जाने को मजबूर कर दिया गया ।ऐसे ही जब अज्ञानता का अंधकार छा जाता है और हमारी देखने और सोचने की शक्ति का विनाश हो जाता है,तब दुनिया में इंसानों को इस अज्ञानता की बीमारी से बचाने ईश्वर सतगुरु बनकर आ जाता है पर हम सुनने को तैयार नहीं ,हमे अंधेरा पसंद हो गया,हम सतगुरु (ईश्वर)का विरोध करते हैं ,हम इस गफलत की नींद से जागना नहीं चाहते ।हमारी धारणाओं हमारी रुढ़ियों ने हमे इस कदर पकड़ रखा है की हम कुछ सुनना नहीं चाहते ,कुछ देखना नहीं चाहते ,मौका नहीं देना चाहते की वो हमे हमारी असली दुनिया दिखा सके । पूछिए अपने आप से कहीं आप भी उन दृष्टिहीन व्यक्तियों में शामिल तो नहीं । जागिए अभी वक्त है ,कहीं ऐसा न हो वक्त हाथों से निकल जाए और बाद में हमारे पास सिर्फ पश्चताप के अलावा कुछ हाथ न आए ।कृपा मेरा प्रेम पूर्ण अभिवादन स्वीकार करे और मुझे कृतार्थ करें । धन्यवाद #story #kahani

Wednesday 15 March 2023

🙏 सच्चाआनन्द 🙏 एक किसान की स्त्री ने चने की रोटी बनाई. किसान आया, उसने अपने बच्चों का मुख चूमा, स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये, वह रोटी खाने बैठ गया. तभी एक भिखारी किसान के घर भीख माँगने आया. स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया, भिखारी चना लेकर चल दिया. रास्ते में वह सोचने लगा ~ हमारा भी कोई जीवन है ? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं, फिर स्वयं बनाना पड़ता है. इस किसान को देखो, कैसा सुन्दर घर है, घर में स्त्री है, बच्चे हैं. स्वयं के खेत में अन्न पैदा करता है, बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है. वास्तव में सुखी तो यह किसान है. 📍📍📍📍 इधर वह किसान ... रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा ~ नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है, अब वह किसी तरह काम नहीं देता. यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाये, तो इस साल काम चले. महाजन के पास जाऊँगा, वह ब्याज पर दे देगा. भोजन करके वह महाजन के पास गया, बहुत देर चिरौरी विनती करने पर 1रु. सैकड़ा सूद पर महाजन ने रुपये देना स्वीकार किया.एक लोहे की तिजोरी में से महाजन ने एक थैली निकाली और गिनकर रुपये किसान को दे दिये. रुपये लेकर किसान अपने घर को चला, वह रास्ते में सोचने लगा ~ हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5 रु. भी नकद नहीं. कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये. महाजन कितना धनी है, उसके पास सैकड़ों रुपये हैं. वास्तव में सुखी तो यह महाजन ही है. 📍📍📍📍 महाजन छोटी सी दुकान करता था, वह एक बड़ी दुकान से कपड़े लाकर गाँव में बेचता था. दूसरे दिन महाजन कपड़े लेने गया. वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया. जितनी देर वह वहाँ बैठा, उतनी देर में कई तार आए. कोई बम्बई का था, कोई कलकत्ते का, किसी में लिखा था ~ 5 लाख मुनाफा हुआ, किसी में एक लाख का. महाजन यह सब देखता रहा. कपड़ा लेकर वह वापस चला. महाजन रास्ते में सोचने लगा ~ हम भी कोई आदमी हैं, सौ दो सौ जुड़ गये, और महाजन कहलाने लगे. पृथ्वीचन्द को देखो. एक दिन में लाखों का फायदा वास्तव में सुखी तो यह सेठ है. 📍📍📍📍 उधर पृथ्वीचन्द बैठे थे कि इतने में एक तार आया कि ~ 5 लाख का घाटा हुआ. वे चिन्ता में थे कि नौकर ने कहा ~ आज लाट साहब की रायबहादुर सेठ के यहाँ दावत है. आपको भी जाना है. पृथ्वीचन्द मोटर पर चढ़ कर रायबहादुर की कोठी पर गया. वहाँ सोने चाँदी की कुर्सियाँ थीं. रायबहादुर जी से कलेक्टर, कमिश्नर हाथ मिला रहे थे, जहाँ बड़े-बड़े सेठ खड़े थे. वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द को कौन पूछता. वे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गये. लाट साहब आये, रायबहादुर से हाथ मिलाया, उनके साथ चाय पी और चले गये. पृथ्वीचन्द अपनी मोटर में लौट रहे थे. रास्ते में सोचने लगे ~ हम भी कोई सेठ हैं, 5 लाख के घाटे से ही घबड़ा गये. रायबहादुर का कैसा ठाठ है. लाट साहब उनसे हाथ मिलाते हैं. वास्तव में सुखी तो ये ही हैं. 📍📍📍📍 अब इधर लाट साहब के चले जाने पर रायबहदुर के सिर में दर्द हो गया. घाटे के कई तार एक साथ आ गये थे, उनकी भी चिन्ता थी, कारोबार की भी बात याद आ गई, वे चिन्ता में पड़े थे. खिड़की से उन्होंने झाँक कर देखा ~ एक भिखारी हाथ में डंडा लिये अपनी मस्ती में जा रहा था. रायबहदुर ने उसे देखा और बोले ~ वास्तव में तो सुखी यही है, इसे न तो घाटे की चिन्ता ... न मुनाफे की खुशी. ─⊱━━━━⊱⊰━━━━━⊰─इस कहानी का मतलब इतना ही है, कि हम एक दूसरे को सुखी समझते हैं. वास्तव में सुखी कौन है, इसे तो वही जानता है, जिसे आन्तरिक शाँन्ति है.एक विरक्त साधु ने एक राजा से कहा थाराजन आप इतने बड़े राज्य के स्वामी हैं और मैं अपने फटे कपड़ों का स्वामी हूँ. यानि ... हम दोनों ही के पास स्वामित्व तो है ही. अब हम में दरिद्र वही है, जिसकी ... तृष्णा बढ़ी हुई हो. मैं तो इन फटे कपड़ों से ही सन्तुष्ट हूँ. तुम इतने बड़े राज्य से भी संतुष्ट नहीं. संतुष्टि राज्य वैभव में नहीं, वह तो मन का धर्म है, यदि मन सन्तुष्ट हुआ तो फिर चाहे लाख रुपये हों, या ... एक पैसा भी न हो, दोनों ही हालत में आनन्द है. केवल रुपये पैसे में आनन्द खोजना ... यह हमारी भूल है. #सच्चाआनंद, #सच्चासुख तो ... #भगवान् की प्राप्ति में ही है.🙏🙌#सच #story

सरल स्वभाव वाले व्यक्ति को, कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए.. सरलता उसका संस्कार है, कमजोरी नहीं..।

🙏 सच्चाआनन्द 🙏 एक किसान की स्त्री ने चने की रोटी बनाई. किसान आया, उसने अपने बच्चों का मुख चूमा, स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये, वह रोटी खाने बैठ गया. तभी एक भिखारी किसान के घर भीख माँगने आया. स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया, भिखारी चना लेकर चल दिया. रास्ते में वह सोचने लगा ~ हमारा भी कोई जीवन है ? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं, फिर स्वयं बनाना पड़ता है. इस किसान को देखो, कैसा सुन्दर घर है, घर में स्त्री है, बच्चे हैं. स्वयं के खेत में अन्न पैदा करता है, बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है. वास्तव में सुखी तो यह किसान है. 📍📍📍📍 इधर वह किसान ... रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा ~ नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है, अब वह किसी तरह काम नहीं देता. यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाये, तो इस साल काम चले. महाजन के पास जाऊँगा, वह ब्याज पर दे देगा. भोजन करके वह महाजन के पास गया, बहुत देर चिरौरी विनती करने पर 1रु. सैकड़ा सूद पर महाजन ने रुपये देना स्वीकार किया.एक लोहे की तिजोरी में से महाजन ने एक थैली निकाली और गिनकर रुपये किसान को दे दिये. रुपये लेकर किसान अपने घर को चला, वह रास्ते में सोचने लगा ~ हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5 रु. भी नकद नहीं. कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये. महाजन कितना धनी है, उसके पास सैकड़ों रुपये हैं. वास्तव में सुखी तो यह महाजन ही है. 📍📍📍📍 महाजन छोटी सी दुकान करता था, वह एक बड़ी दुकान से कपड़े लाकर गाँव में बेचता था. दूसरे दिन महाजन कपड़े लेने गया. वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया. जितनी देर वह वहाँ बैठा, उतनी देर में कई तार आए. कोई बम्बई का था, कोई कलकत्ते का, किसी में लिखा था ~ 5 लाख मुनाफा हुआ, किसी में एक लाख का. महाजन यह सब देखता रहा. कपड़ा लेकर वह वापस चला. महाजन रास्ते में सोचने लगा ~ हम भी कोई आदमी हैं, सौ दो सौ जुड़ गये, और महाजन कहलाने लगे. पृथ्वीचन्द को देखो. एक दिन में लाखों का फायदा वास्तव में सुखी तो यह सेठ है. 📍📍📍📍 उधर पृथ्वीचन्द बैठे थे कि इतने में एक तार आया कि ~ 5 लाख का घाटा हुआ. वे चिन्ता में थे कि नौकर ने कहा ~ आज लाट साहब की रायबहादुर सेठ के यहाँ दावत है. आपको भी जाना है. पृथ्वीचन्द मोटर पर चढ़ कर रायबहादुर की कोठी पर गया. वहाँ सोने चाँदी की कुर्सियाँ थीं. रायबहादुर जी से कलेक्टर, कमिश्नर हाथ मिला रहे थे, जहाँ बड़े-बड़े सेठ खड़े थे. वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द को कौन पूछता. वे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गये. लाट साहब आये, रायबहादुर से हाथ मिलाया, उनके साथ चाय पी और चले गये. पृथ्वीचन्द अपनी मोटर में लौट रहे थे. रास्ते में सोचने लगे ~ हम भी कोई सेठ हैं, 5 लाख के घाटे से ही घबड़ा गये. रायबहादुर का कैसा ठाठ है. लाट साहब उनसे हाथ मिलाते हैं. वास्तव में सुखी तो ये ही हैं. 📍📍📍📍 अब इधर लाट साहब के चले जाने पर रायबहदुर के सिर में दर्द हो गया. घाटे के कई तार एक साथ आ गये थे, उनकी भी चिन्ता थी, कारोबार की भी बात याद आ गई, वे चिन्ता में पड़े थे. खिड़की से उन्होंने झाँक कर देखा ~ एक भिखारी हाथ में डंडा लिये अपनी मस्ती में जा रहा था. रायबहदुर ने उसे देखा और बोले ~ वास्तव में तो सुखी यही है, इसे न तो घाटे की चिन्ता ... न मुनाफे की खुशी. ─⊱━━━━⊱⊰━━━━━⊰─इस कहानी का मतलब इतना ही है, कि हम एक दूसरे को सुखी समझते हैं. वास्तव में सुखी कौन है, इसे तो वही जानता है, जिसे आन्तरिक शाँन्ति है.एक विरक्त साधु ने एक राजा से कहा थाराजन आप इतने बड़े राज्य के स्वामी हैं और मैं अपने फटे कपड़ों का स्वामी हूँ. यानि ... हम दोनों ही के पास स्वामित्व तो है ही. अब हम में दरिद्र वही है, जिसकी ... तृष्णा बढ़ी हुई हो. मैं तो इन फटे कपड़ों से ही सन्तुष्ट हूँ. तुम इतने बड़े राज्य से भी संतुष्ट नहीं. संतुष्टि राज्य वैभव में नहीं, वह तो मन का धर्म है, यदि मन सन्तुष्ट हुआ तो फिर चाहे लाख रुपये हों, या ... एक पैसा भी न हो, दोनों ही हालत में आनन्द है. केवल रुपये पैसे में आनन्द खोजना ... यह हमारी भूल है. #सच्चाआनंद, #सच्चासुख तो ... #भगवान् की प्राप्ति में ही है.🙏🙌#सच #story

बुरे वक्त में जनाब.... अपनों के ताने दोस्तों के बहाने sanket. और गम भरे गाने सुनने पड़ते हैं....!!

Tuesday 14 March 2023

🥀🥀🥀🥀सबसे बड़ा धन🥀🥀🥀🥀 बहादुर सिंह गाँव के संपन्न किसान थे. भरा पूरा घर परिवार था, किसी चीज़ की कमी न थी. कमी थी, तो बस एक चीज़ की ... भगवान ने जितना दिया उससे कभी खुश नहीं रहते थे. बहादुर सिंह को हमेशा, भगवान से यही शिकायत रहती थी, कि भगवान ने मेरे लिए ❌ कुछ नहीं किया. ❌ मैंने अपनी मेहनत से हवेली बनायी है, लेकिन भगवान ने मेरे कामों को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. मैंने तो जीवन में जो पाया है ... खुद ही करके पाया है.समय का पहिया तेजी से घूमता गया, बचपन गुजरा, जवानी गयी, अब बहादुर सिंह 80 वर्ष के एक वृद्ध थे, लेकिन अकड़ आज भी वही पुरानी. पैसा था तो ... अकड़ तो होनी ही थी. उम्र के साथ शरीर में कमियाँ आने लगीं. बहादुर सिंह को अब अपने कान से बहुत कम सुनाई पड़ता था. बोलो कुछ ~ वो सुनते कुछ और. नाती, पोते हंसी उड़ाते थे, कि बाबा को सुनाई नहीं देता.कहो कुछ और, ये सुनते कुछ और हैं.बहादुर सिंह गुस्से में भरे हुए एक दिन डॉक्टर के यहाँ पहुँचे, और बोले ~ डॉक्टर बाबू ! कान से सुनाई - बहुत कम पड़ता है, आप जल्द से जल्द मेरा इलाज कर दीजिये. डॉक्टर ने बहादुर सिंह के कुछ मेडिकल चेकअप कराये, और ... दो दिन बाद उनसे रिपोर्ट ले जाने को कहा. 2 दिन बाद बहादुर सिंह फिर से डॉक्टर के पास अपनी रिपोर्ट लेने गए. डॉक्टर ने एक रिपोर्ट और एक बिल उनको दिया. बिल में करीब 50 हजार रुपये की रकम लिखी थी. उन दिनों 50 हजार बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. बहादुर सिंह ने डॉक्टर से बिल के बारे में पूछा, तो डॉक्टर ने बताया ~ महाशय, आपकी रिपोर्ट के अनुसार, आपके कान में गंभीर समस्या है, और इसके इलाज में 50 हजार रुपये लगेंगे. आप जल्दी ही बिल भर दें तो मैं ऑप्रेशन कर दूँगा.🎯 बस इतना सुनते ही बहादुर सिंह की आँखों से आँसू निकल पड़े. डॉक्टर .. बहादुर सिंह जैसे कड़क इंसान की आँखों में आँसू देख के बोले ~ क्या हुआ बिल की रकम बहुत ज्यादा है क्या ? बहादुर सिंह करूणा भरे स्वर में बोले ~ आज मेरी उम्र 80 साल है, और मेरा जीवन ज्यादा नहीं बचा है, फिर भी कान ठीक कराने के लिए मुझे 50 हजार रुपयों की जरुरत पड़ी. लेकिन ... उस ईश्वर ने 80 साल में मुझसे कुछ नहीं माँगा, मैं 80 सालों से इन कानों से सुनता आया हूँ , लेकिन ईश्वर ने तो कभी मुझसे कुछ माँगा ही नहीं, और थोड़े से बचे जीवन के लिए मुझे 50 हजार रुपये देने होंगे.🎯 ★ ... कैसी विडंबना है ... ★ इस अमूल्य शरीर को पाकर भी हम ईश्वर को ताना देते हैं कि मुझे कुछ नहीं दिया. लेकिन ईश्वर कहता है, कि ~ मैंने सबको बराबर दिया है, लोग अपने कर्मों से, अपनी बुद्धि से आगे बढ़ते हैं.. ♾️♾️♾️♾️ मित्रों, आपका शरीर दुनिया का सबसे बड़ा धन है. ईश्वर ने आपको जन्म से इस शरीर को देकर धनी बनाया है, लेकिन हम हमेशा ईश्वर को कोसते रहते हैं , कि हमें ये नहीं मिला या वो नहीं मिला.★ आँखों की कीमत ❗ उस इंसान से पूछो ... जिसको दिखाई न देता हो.★ कान की कीमत उससे पूछो ❗ जिसने आज तक कोई शब्द सुना ही न ह़ो.★ हाथों की कीमत उससे पूछो ❗ जो बेचारा हाथ ना होने के कारण ठीक से खा भी नहीं पाता.★ पैरों की कीमत उससे पूछो ❗ जो बेचारा वैसाखियों पर चलता है. सोचिये ... क्या बीतती होगी, ऐसे लोगों पर ? कितना आत्मविश्वास डगमगाता होगा ऐसे लोगों का ? कितनी बार वो खुद को असहाय महसूस करते होंगे ? ❗ और एक हम हैं ❗ शरीर से धनी होने के बावजूद जीवन भर कुछ नहीं कर पाते बस ... उस ईश्वर को ... कोसने में लगे रहते हैं.🎯 आज इस कहानी को पढ़ते हुए ... आपको मेरे साथ प्रण करना होगा, कि आज से कभी भगवान को नहीं कोसेंगे. या तो आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे , नहीं तो, जो मिला है उसी में खुश रहेंगे. 😍😍💐

Monday 13 March 2023

#beautifulladies 💗दुख कहा बताती है स्त्री खुद को कहा बाटती है स्त्री उसके पल्लू से पूछोउसके आंसुओ कोकितनी बार पोछा है उसके तकिए से पूछोउसके दिल का दर्द रात भर रोकर भी हर सुबह उठकर मुस्कुराती है स्त्री ।उसकी आंखों से पूछो कितनी रात जाग कर काटी है उसको लब से पूछो कितनी बार कुछ कहने से पहले थम जाती है कितनी बाते दिल के अंदर छुपा कर रह जाती है स्त्री ।कितनी थक चुकी है वो रिश्तों का भोज ढोते ढोतेजाने अंजाने में कितनी बार उसको झुकना पड़ा ना चाहकर भी उसको ही रुकना पड़ा बस रिश्तों को बचाने के लिए खुद झुक जाती है स्त्री ।एक पल भी उसका अपना कहा है सबवक्त तो उसने दूसरोके नाम कर दिया फिर भी जवाब देना पड़ता है कि तुमने किया क्याकिसको कहे दुख कैसे बयां करे खुद के अंदर के तूफान को छुपा कर हर दर्द सीने में कितना कुछ सह जाती है स्त्री खुद से ही कितना कुछ छुपा जाती है स्त्री ।। #Happywomen'sday to all beautiful ladies 💗

Sunday 12 March 2023

मन की बात.. 🖤एक स्त्री जब दुल्हन बनती है..अपने घूंघट के पीछे हजारों सपने लिए..अपने पति के घर जाने को तैयार हो जाती है..सपने कुछ उसकी खुशहाली के..कुछ अपनो के खुशहाली के होते..थोड़ा डर होता के क्या वो अपने सपने सच कर पाएगी??क्या अपने ससुराल वालों की आंखों का तारा बन पाएगी??कुछ अधूरे सपने अधूरे जवाब लिए मंडप पर बैठ जाती है..फिर मां से हौसला समेटे..अपने सपनों और हजारों सवाल के साथ ससुराल को आ जाती..घर में कभी कोई लाड प्यार से उसे संवारता है..तो कभी कोई खरी खोटी कह दुत्कारता है..वो डरती है सहमती है,, पर कुछ कह नहीं पाती..मां का फोन आता है..भरी सहमी अपनी बच्ची की आवाज को समझ,,मां पूछती है,, बेटा तू ठीक नहीं लग रही..एक बेटी तो अपनी मां से सब कह देना चाहती है..पर एक बहू और पत्नी के दर्जे से कुछ बयां नही कर पाती..और हंसकर कह जाती,, नहीं मां सब ठीक है..अक्सर एक स्त्री जब बेटी होती..उसमे जज़्बा होता अपने और अपनो के सपनों को सच कर दिखाने का..पर जैसे ही वह स्त्री एक बहू और पत्नी बनती है..उसके जीवन का पर्याय ही बदल जाता है..वो जिम्मेदारियो के बीच इतनी घिर चुकी होती है..के फिर ना उसके सपनों का कोई मोल होता है और ना सपने सच करने की उम्मीद..🖤🖤🖤

जहां कदर ना हो वहां रहना और बात करना फिजूल हैचाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।

यह जिस्म तो किराये का घर है.. एक दिन खाली करना पड़ेगा..॥सांसे हो जाएंगी जब पूरी यहाँ..रूह को तन से अलविदा कहना पड़ेगा.. मौत कोई रिश्वत लेती नहीं कभी..सारी दौलत को छोड़ के जाना पड़ेगा..| ना डर यूँ धूल के जरा से एहसास से तू..एक दिन सबको मिट्टी में मिलना पड़ेगा.. मत कर गुरुर किसी भी बात का ए दोस्त..तेरा क्या है... क्या साथ लेके जाना पड़ेगा.. इन हाथो से करोड़ो कमा ले भले तू यहां खाली हाथ आया खाली जाना पड़ेगा..॥ना भर यूँ जेबे अपनी बेईमानी की दौलत से कफ़न को बगैर जेब के ही ओढ़ना पड़ेगा.. ॥यह ना सोच तेरे बगैर कुछ नही होगा यहां..रोज यहां किसी को "आना " तो किसी को " जाना " पड़ेगा..|| #maut #jisam #beautifullife

Tuesday 7 March 2023

#दो बूँद #पानी तेरी #बादशाहत !!#बादशाह हारून रशीद के शाही तख्त पर एक फ़कीर आकर बैठ गया नाम बहलोल दाना है , इस जुर्म में उसे बहुत मारा गया !और #बादशाह बोला तुमने इस तख्त पर बैठने की जूर्रत कैसे की फ़कीर बोला एे वक्त के बादशाह मुझको तुझे कुछ बताना मक्सूद था ! मैं दो सवाल करूँगा बस इसका जवाब दे दो ?ए बादशाह ये बता अगर जंगल में तुझे शिद्धत की प्यास लगी हो और पानी बिल्कुल न हो और तेरी जान पर बन आये तो मैं तुझे एक बूंद जीने के लिये पिला दूँ तब क्या इसके बदले तुम अपनी आधी हुकुमत देन्गे , बादशाह बोला हाँ जान बचाने के लिये दे सकता हूँ ! बिना रुके फ़कीर फिर दुसरा सवाल करता है बोला एे बादशाह मुझे बता अगर तुझे पेशाब रुकने की बीमारी हो और एक बार ऐसा हो कि इसकी वजह से तुम्हारी जान निकलने वाली हो और मैं तेरा पेशाब बाहर करने की तदबीर जानता हूँ मेरे अलावा कोई एलाज न कर सके तब इसके बदले तुम आधी हुकुमत दे दोगे ?बादशाह बोला क्यों नहीं जान के बदले मैं ऐसा कर दूँगा !!अब क्या था फ़कीर ज़ोर से हंसा और बोला मैं तेरी हुकुमत तेरी सल्तनत की औकात बताना चाहता था देखा न तेरी पूरी बादशाहत की कीमत बस दो बूंद पानी यही है इस फानी दुनिया की हकीकत !!

शराफ़त पर कभीशक नहीं किया जातायही वज़ह है, कि आजकल सब शराफ़त का चोला ओढ़कर हीधोखा करते हैं

... ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ ✧​ शराफ़त का चोला ✧​ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ एक कबूतर और क़बूतरी पेड़ की डाल पर बैठे थे. उन्हें बहुत दूर से एक आदमी आता दिखाई दिया. कबूतरी के मन में कुछ शंका हुई, औऱ उसने क़बूतर से कहा कि चलो जल्दी उड़ चलें , नहीं तो ये आदमी हमें मार डालेगा. क़बूतर ने लंबी सांस लेते हुए इत्मीनान के साथ क़बूतरी से कहा ~ उसे ग़ौर से देखो तो सही, उसकी अदा देखो, लिबास देखो, चेहरे से शराफत टपक रही है, ये हमें क्या मारेगा. बिल्कुल सज्जन पुरुष लग रहा है. क़बूतर की बात सुनकर क़बूतरी चुप हो गई. जब वह आदमी उनके क़रीब आया, तो अचानक उसने अपने वस्त्र के अंदर से तीर कमान निकाला औऱ झट से क़बूतर को तीर मार दिया. औऱ बेचारे उस क़बूतर के वहीं प्राण पखेरू उड़ गए.असहाय क़बूतरी ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई औऱ बिलखने लगी. उसके दुःख का कोई ठिकाना न रहा औऱ पल भर में ही उसका सारा संसार उजड़ गया. उसके बाद वह क़बूतरी रोती हुई अपनी फरियाद लेकर राजा के पास गई औऱ राजा को उसने पूरी घटना बताई. राजा बहुत दयालु इंसान था. राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को उस शिकारी को पकड़कर लाने का आदेश दिया. तुरंत शिकारी को पकड़ कर दरबार में लाया गया. शिकारी ने डर के कारण अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उसके बाद राजा ने क़बूतरी को ही उस शिकारी को सज़ा देने का अधिकार दे दिया औऱ उससे कहा कि तुम जो भी सज़ा इस शिकारी को देना चाहो , दे सकती हो औऱ तुरंत उस पर अमल किया जाएगा.★ क़बूतरी ने बहुत दुःखी मन से कहा कि हे राजन, मेरा जीवन साथी तो इस दुनिया से चला गया, जो फ़िर क़भी भी लौटकर नहीं आएगा, इसलिए मेरे विचार से इस क्रूर शिकारी को बस इतनी ही सज़ा दी जानी चाहिए , कि अगर वो शिकारी है, तो उसेहर वक़्त शिकारी का ही लिबास पहनना चाहिए. ये शराफत का लिबास वह उतार दे, ❗ क्योंकि ❗ शराफ़त का लिबास ओढ़कर धोखे से घिनौने कर्म करने वाले सबसे बड़े नीच होते हैं. आप भी अपने आसपास शराफ़त का ढोंग करने वाले बहुरूपियों से हमेशा सावधान रहें , सतर्क रहें औऱ अपना बहुत ख़याल रखें. #story #kabootar #pigeon

Friday 3 March 2023

जरा ध्यान से पढ़ें जीवन की यही सच्चाई है 🙏🙏🙏*मत परेशान हो, क्योंकि आमतौर पर...* *1. चालीस साल की अवस्था में* "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं। (क्योंकि अब कहीं इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी).*2. पचास साल की अवस्था में* "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते).*3. साठ साल की अवस्था में* "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं। (चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है).*4. सत्तर साल की अवस्था में* "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं).*5. अस्सी साल की अवस्था में* आपके पास धन का "कम होना" या "ज्यादा होना" एक जैसे ही होते हैं। (अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है).*6. नब्बे साल की अवस्था में* "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें.*आगे चल कर एक दिन सब की यही स्थिति होनी है, यही जीवन की सच्चाई है...*चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं... पर ,बेचैनी से जीने के लिए चार गाड़ी, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!*जीवन की सच्चाई!*🙏🙏🙏🙏🙏🙏#zindagi #jeevankisachai #beautifullife

बाजार में सब कुछ मिल जाता हैं पर "माँ" जैसी जन्नत और "बाप" जैसा साया कभी नही मिलता।

Thursday 2 March 2023

...💐 ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ 💐 ✧​ ~ भाँति-भाँति के लोग ~ ✧​ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ जिस तरह हम सबके हालात और समस्याओं के आकार-प्रकार एक दूजे से अलग होते हैं, वैसे ही हम सभी इंसानों की सोच काम करने की शैली व समस्या से निपटने की क्षमता भी एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती हैं. सोच व शैली के अनुसार इंसानों को 3 श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं.1- कर्मठ इंसान --> जो अपने दम पर जीवन को चलाने की क्षमता रखते हैं, अनचाहे हालात को बदलने के लिए, दृढ़तापूर्वक संघर्ष-रथ पर सवार रहते, हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं. पूरे जोश और जुनून से अपना शत-प्रतिशत देकर, मनचाहे परिणाम पाकर 'मनमर्जी का जीवन' जीते हैं.2- सरल व संतुष्ट इंसान --> जो भले-बुरे कैसे भी हालात हों, उनमें खुश रह लेते हैं. इन्हें ज्यादा की चाह नहीं, इनकी इच्छाएं सीमित रहती, जो ईश्वर ने दिया, उसे प्रसाद समझकर, जो भी..जैसा भी..मिला उसमें खुश व मस्त रहते हैं. 'कंफर्टेबल ज़ोन' (आरामदायक स्थिति) में रहना उनको अधिक भाता है. नया करने से कतराते हैं. खुद में मगन , दोषारोपण और शिकवे-शिकायतों से दूर रहकर 'खुशी से जीवन जीते' हैं.3- नाखुश इंसान --> जिनकी इच्छाएं बहुत ज्यादा होती हैं. दूसरों की संपन्नता देख खुद हीनभावना से ग्रस्त हो जाते, तुलना के तराजू पर अक्सर बैठ जाते हैं , इसलिए असंतोष से भरे रहते हैं. इनकी इच्छाओं का घड़ा कभी नहीं भरता. चाहते तो बहुत कुछ हैं , लेकिन टालू प्रवृत्ति के कारण मेहनत करने से कतराते हैं. इन्हें खुद से ,अपनी किस्मत से, ईश्वर से व दुनिया से ,यानी सभी से बहुत शिकायतें होती हैं. जबकि सच यह है कि ... सिर्फ़ सोचने मात्र से कभी स्वप्न साकार नहीं होते. कोशिश करके , दृढ़ता से प्रयास करके ही जीवन में बेहतर परिणाम मिलते है.★ अब हमें तय करना है कि हम किस श्रेणी में आते हैं ? अपने स्वभाव को पहचानिए. अपने हालत व सोच के अनुसार अपनी उपस्थिति को महसूस कीजिए. अगर बदलाव की जरूरत है तो मनचाही दिशा में चलकर भी देख लीजिए.#BeautifulLife #hindisuvichar