Sunday, 30 June 2019
Saturday, 29 June 2019
Friday, 28 June 2019
Thursday, 27 June 2019
Wednesday, 26 June 2019
Tuesday, 25 June 2019
Monday, 24 June 2019
Sunday, 23 June 2019
Aaj kal ki Kadvi sachai..!! Jisne bhi likha hai bahut khub likha hai . 👌👌. source.....whatsapp..🌹🌹 जब रिश्ते दिल की जगह दिमाग से निभाए जाने लगें तब उस रिश्ते का अस्तित्व धीरे धीरे ख़तम होने लगता है या फिर बहोत कमज़ोर होने लगता है, और उस रिश्ते में सिर्फ औपचरिकता ही शेष रह जाती है, पहले राजेश की सोंचता था, रिश्ते तो सिर्फ दिल से निभाए जाते हैं उसमे दिमाग का क्या काम, उसे लगता था कि सारे लोग उसकी तरह से हर रिश्ते को पूरी इमानदारी के साथ सिर्फ और सिर्फ दिल से निभाते हैं, वो हर रिश्ते को दिल से निभाया करता था अपने दिमाग का इस्तेमाल उसने रिश्तों को संजोय रखने के लिए कभी नहीं किया, कुछ लोगों ने इसे बेवकूफी भी कहा और कुछ ने तो इसका पूरा पूरा फायदा भी उठाया, धीरे धीरे उम्र बढ़ती गई और जिंदगी ने रिश्तों को समझने के नए आयाम दिए, नए तजुर्बे दिए, नए तरीके सिखाये, ये सारा कुछ बदलने में काफी वक़्त बीत गया, जिन लोगों से रिश्ता कभी दिल से निभाया था आज उन्ही लोगों ने रिश्तों में दिल के इस्तेमाल को पूरी तरह से हटाकर दिमाग का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, अब ज़ाहिर सी बात की अगर सामने वाला ही रिश्तों को ऐसे निभायेगा तो स्वाभाविक था सो एक दिन राजेश को बदलना ही पड़ा, और उन्ही के नज़रिए से रिश्तों को निभाना पड़ा, जब बड़ा हुआ तब इस बात का अहसास बेहतर ढंग से हो पाया की लोग उसके भोलेपन का फायदा उठा रहे हैं रिश्तों को निभाने की आढ़ में, बात कुछ दिनों पहले की ही है, जब एक बड़े भैय्या से बात हुई तो मालूम पड़ा की उनको किसी काम से हमारे शहर आना था, उनको आज मेरे साथ की जरुरत थी वो भी सिर्फ इसलिए कि उनके लिए ये शहर एकदम नया था, इसलिए नहीं की छोटे भाई का साथ अच्छा लगता है, हर बार तो मैं उनके साथ जाने की हामी भर देता था बिना कुछ सोंचे, पर इस बार पता नहीं क्यूँ मैंने बहाना बना कर उनके साथ जाने से मना कर दिया, आज मुझे भी इन लोगों ने सिखा ही दिया, कि रिश्ते दिल से नहीं दिमाग से निभाने चाहिए और हो सके तो एक-दो झूठ भी बोल देने चाहिए, पता नहीं आज भी जब रिश्तों को निभाने के लिए झूठ बोलता हूँ तो मन गवाही नहीं देता, पर क्या करें इन लोगों को रिश्ते ऐसे निभाना ही पसंद है, कभी कभी तो रिश्तों की आढ़ में अपना स्वार्थ साध लिया जाता है, अब इन रिश्तों से खुशबू नहीं आती, बस ये कागज़ के फूल बन कर रह गए हैं, पहले गरमाहट थी पर अब इन रिश्तों से आंच आने लगी है, जो दो पल साथ रहो तो तकलीफ देने लगती हैं, इन रिश्तों की उम्र अब दिन-ब-दिन छोटी होने लगी है, रिश्तों की डोर बहोत नाज़ुक सी हो गई है, पता नहीं कब किस पल किस बात पर ये टूट कर बिखर जायें.
Saturday, 22 June 2019
Friday, 21 June 2019
Thursday, 20 June 2019
Wednesday, 19 June 2019
Tuesday, 18 June 2019
Monday, 17 June 2019
Sunday, 16 June 2019
Saturday, 15 June 2019
Friday, 14 June 2019
Thursday, 13 June 2019
Wednesday, 12 June 2019
Tuesday, 11 June 2019
Monday, 10 June 2019
Sunday, 9 June 2019
Saturday, 8 June 2019
Friday, 7 June 2019
Thursday, 6 June 2019
Wednesday, 5 June 2019
Tuesday, 4 June 2019
Monday, 3 June 2019
Sunday, 2 June 2019
Saturday, 1 June 2019
Subscribe to:
Posts (Atom)