Thursday, 31 August 2023
क्या आप जानते हैं कि आपके अंतिम संस्कार के बाद आम तौर पर क्या होता है?कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगी। आपका परिवार रिश्तेदारों के लिए होटलों/हलवाइयों से खाना मंगवाने में जुट जायेगा।पोते-पोती दौड़ते और खेलते रहेंगे। कोई ज्यादा शरारती पोता/पोती खाने की किसी विशेष वस्तु के लिए ज़िद करके मचल जाएगा और उसको हर हाल में लेकर रहेगा।कुछ भद्र पुरुष सोने से पहले आपके बारे में कुछ संवेदनात्मक टिप्पणी करेंगे। कोई रिश्तेदार आपकी बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है।अगले दिन रात के खाने में, कुछ रिश्तेदार कम हो जाते हैं, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते हैं।भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी..आने वाले दिनों में कुछ कॉल आपके फोन पर बिना यह जाने आ सकती हैं कि आप मर चुके हैं।आपका कार्यालय या दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी को ढूंढने में जल्दबाजी करेंगे।दो सप्ताह में आपका बेटा और बेटी अपनी आपातकालीन छुट्टी खत्म होने के बाद काम पर लौट आएंगे।महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी भी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा। सबका जीवन सामान्य हो जाएगाजिस तरह एक बड़े पेड़ के सूखे पत्ते में और जिसके लिए आप जीते और मरते हैं, उसमें कोई अंतर नहीं है, यह सब इतनी आसानी से, इतनी तेजी से, बिना किसी हलचल के होता है। आपको इस दुनिया में आश्चर्यजनक गति से भुला दिया जाएगा। इस बीच आपकी प्रथम वर्ष पुण्यतिथि भव्य तरीके से मनाई जाएगी। पलक झपकते ही साल बीत गए और तुम्हारे बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।एक दिन बस पुरानी तस्वीरों को देखकर आपका कोई करीबी आपको याद कर सकता है,मुझे अभी बताओ...लोग आपको आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं। फिर आप किसके लिए दौड़ रहे हो? और आप किसके लिए चिंतित हैं?अपने जीवन के अधिकांश भाग के लिए 80% आप इस बारे में सोचते हैं कि आपके रिश्तेदार और पड़ोसी आपके बारे में क्या सोचते हैं? क्या आप उन्हें संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं? जो किसी काम का नहीं !जिंदगी एक बार ही मिलती है, बस इसे जी भर के जी लो...…. हां एक बात और अपनी क्षमता के अनुसार किसी जरुरतमंद की सहायता प्रेमपूर्वक जरूर करना, वह आपको हमेशा याद रखेगा।अहंकार छोड़िये अपने होने का, अपने बड़े होने का, अपने प्रसिद्ध होने का,अपने सेलिब्रिटी होने का,अपने अमीर होने का..........अपने अधिकारित्व के पायजामे से बाहर निकलिये।नेक कर्म करते रहिये,यही है जिन्दगी। 🙏Hindi Motivational Quotes #,Beautifullife #hindistory #death
Wednesday, 30 August 2023
Tuesday, 29 August 2023
Monday, 28 August 2023
Sunday, 27 August 2023
Friday, 25 August 2023
Thursday, 24 August 2023
Wednesday, 23 August 2023
मैंने सुना है, अरस्तु एक दिन सागर के किनारे टहलने गया और उसने देखा एक पागल आदमी—पागल ही होगा, अन्यथा ऐसा काम क्यों करता—एक गड्डा खोद लिया है रेत में और एक चम्मच लिए हुए है; दौड़कर जाता है, सागर से चम्मच भरता है, आकर गडुए में डालता है, फिर भागता है, फिर चम्मच भरता है, फिर गडुए में डालता है।अरस्तु घूमता रहा, घूमता रहा, फिर उसकी जिज्ञासा बढ़ी, फिर उसे अपने को रोकना संभव नहीं हुआ—सज्जन आदमी था, एकदम से किसी के काम में बाधा नहीं डालना चाहता था, किसी से पूछना भी तो ठीक नहीं, अपरिचित आदमी से, यह भी तो एक तरह का दूसरे की सीमा का अतिक्रमण है।मगर फिर बात बहुत बढ़ गई, उसकी भागदौड़, इतनी जिज्ञासा भर गई कि यह मामला क्या है, यह कर क्या रहा है, पूछा कि मेरे भाई, करते क्या हो?उसने कहा, क्या करता हूं;सागर को उलीच कर रहूंगा! इस गड्डे में न भर दिया तो मेरा नाम नहीं! अरस्तु ने कहा कि मैं तो कोई बीच मे आने वाला नहीं हूं मैं कौन हूं;जो बीच में कुछ कहूं;लेकिन यह बात बड़े पागलपन की है यह चम्मच से तू इतना बड़ा विराट सागर खाली कर लेगा!जन्म—जन्म लग जाएंगे फिर भी न होगा, सदियां बीत जाएंगी फिर भी न होगा! और इस छोटे से गडुए में भर लेगा? और वह आदमी खिलखिलाकर हंसने लगा, और उसने कहा कि तुम क्या सोचते हो, तुम कुछ अन्य कर रहे हो, तुम कुछ भिन्न कर रहे हो?तुम इस छोटी सी खोपड़ी में परमात्मा को समाना चाहते हो? अरस्तू बड़ा विचारक था। तुम इस छोटी सी खोपड़ी में अगर परमात्मा को समा लोगे, तो मेरा यह गड्डा तुम्हारी खोपड़ी से बड़ा है और सागर परमात्मा से छोटा है; पागल कौन है?अरस्तू ने इस घटना का उल्लेख किया है और उसने लिखा है कि उस दिन मुझे पता चला कि पागल मैं ही हूं। उस पागल ने मुझ पर बड़ी कृपा की। वह कौन आदमी रहा होगा? वह आदमी जरूर एक पहुंचा हुआ फकीर रहा होगा, समाधिस्थ रहा होगा, वह सिर्फ अरस्तू को जगाने के लिए, अरस्तू को चेताने के लिए उस उपक्रम को किया था।नहीं, तुम्हारी चाह तो छोटी है—चाय की चम्मच—इस चाह से तुम समाधि को नहीं पा सकोगे। चाह को जाने दो। और फिर जल्दीबाजी मचा रहे हो! जल्दबाजी मे तो चम्मच में थोड़ा—बहुत पानी आया, वह भी गिर जाएगा—अगर ज्यादा भागदौड़ की तो, और ज्यादा जल्दबाजी की। तुमने देखा न, कभी कभी जल्दबाजी में यह हो जाता है, ऊपर की बटन नीचे लग जाती है, नीचे की बटन ऊपर लग जाती है;सूटकेस में सामान रखना था वह बाहर ही रहा जाता है, सूटकेस बंद कर दिया, फिर उसको खोला तो चाबी नहीं चलती, कि चाबी अटक जाती है। तुमने जल्दबाजी में देखा, स्टेशन पहुंच गए और टिकट घर ही रह गई। और बड़ी जल्दी की!जितनी जल्दबाजी करते हो, उतने ही अशांत हो जाते हो। जितने अशांत हो जाते हो, उतनी संभावना कम है समाधि की। शांत हो रहो। और शांत होने की कला है अचाह से भर जाना। चाहो ही मत, मांगो ही मत; कहो कि जो जब होना है, होगा, हम प्रतीक्षा करेंगे। जल्दी भी क्या है? समय अनंत है। #story #kahani
Tuesday, 22 August 2023
Saturday, 19 August 2023
पिता कभी नहीं कहते मेरे पास पैसे नहीं हैंमाँ ने कभी नहीं कहामेरी तबियत खराब है मैंने कभी नहीं कहाआज खाने में नमक कम हैशायद सच ना बोलने से दुनिया थोड़ी सुंदर बनी रहती हैकविता कभी किसी से नहीं कहतीपृथ्वी वासनाओं का सुंदर विस्तार हैमन कभी अपने गुण नहीं बताताआत्मा कभी नहीं कहती मोक्ष मन को मिली भिक्षा हैउसकी उपलब्धि नहींफूल कभी नहीं बताते उनके चेहरे पर खिला रंग उनका लहू हैजो तितलियों के काटने से बहा हैकिसान कभी नहीं बताते खेती करना उनकी मज़बूरी हैऔर किसी दिन मज़बूर होकरछोड़ देंगे खेतीसुंदर इमारतें कभी नहीं बताती उन्होंने पीया है मजदूरों का गाया गीत और कोई मोल नहीं दिया उसकापानी कभी नहीं बताता उसकी नमी पहाड़ों के हृदय से लिया गया उधार है सड़कें कभी नहीं बतातीइन पर चलकर बस हम यात्रा नहीं करतेपृथ्वी भी पहुँचती रहती है कहीं हमारे साथ चल करबहुत दूर आ गई है पृथ्वीअब लौटना चाहती हैमगर लौट नहीं सकती लोग इसे सभ्यता का विकास कहते हैं हमारी देह अनंत यात्राओं का वृतांत हैहमारी आंखें कुआं हैंजो हमारे पूर्वजों ने पानी की खोज में खोदा थाहमारे आंसूसमुद्र मंथन से निकला अमृत हैमगर हमारे पूर्वज अब तक अतृप्तवो तमाम पत्थर जिन्हें हम ठोकर मार कर आगे बढ़ जाते हैंउनके भीतर से निकला है अग्नि का सूत्रवो नहीं बताती अपना दुःख कि दुनिया में कितनी आग हैकितनी कम है रौशनी मगरक्या तुम्हारे आंचल ने तुम्हें कभी बताया हैकितने युद्ध लड़े गएकितने लोग शहीद हुएबांटे गए कितने देशकपास की सियासत मेंहां ! तुम्हारा आंचलएक युद्ध का विराम चिन्ह हैमैं इसे ओढ़ कर एक अनंत निद्रा में लीन हो जाऊंगामृत्यु कोई उपलब्धि नहीं हैना कोई प्राप्तिना कोई संदेश है ना उपदेशकोई विशिष्टता नहीं है इसमें मृत्यु एक सूक्ति हैजिसे हम जीते जी न सुनते हैं ना पढ़ते हैंइसीलिए कि दुनिया थोड़ी सुंदर लगती रहे -
Thursday, 17 August 2023
*दही की जमावट*एक लड़की अपनी माँ के साथ पुलिस मे अपने पति एवं ससुराल वालो के खिलाफ शिकायत करने जाती है !वहां की अफसर लड़की से पुछते है ..."क्या तुम्हारा पति मारता हैं ?क्या वो तुमसे अपने माँ बाप से कुछ मांग के लाने को कहता है ?क्या वो तुम्हे खाने पहनने को नहीं देता ?क्या तुम्हारे ससुराल वाले कुछ कहते है ?क्या वो तेरा ख्याल नहीं रखता ?"इन सब सवालो का जवाब लड़की ने नही में दिया !इस पर लड़की की माँ बोली की मेरी बेटी बहुत परेशान है ! वो इसे टौरचेर करते है !अफसर समझ गयी !उसने लड़की की माँ से पुछा बहन जी क्या आप घर में दही ज़माती हो ?लड़की की माँ नें कहा ..हाँ !अफसर : तो जब दही ज़माती हो तो बार बार दही को ऊंगली मार कर जांचती हो ?लड़की की माँ : जी अगर बार बार ऊंगली मार के जाचुंगी तो दही कहां से जमेगा ?वो तो खराब हो जायगाअफसर : "तो बहिन जी इस बात को समझिए शादी से पहले लड़की दूध थी ! अब उस को ज़म कर दही बनना है ! आप बार बार ऊंगली मारगी तो वह ससुराल में बसेगी कैसे ?आपकी लड़की ससुराल में परेशान नहीं है ! आप की उसकी घर में दखलांदाजी ही उसके परेशानी का कारण है ! उसे उसके ससुराल में ऐडजस्ट होने की शिक्षा दीजिए ना की गलत कर के अपने घर को खराब करने की !"#beti #maa
Wednesday, 16 August 2023
Tuesday, 15 August 2023
Monday, 14 August 2023
Sunday, 13 August 2023
Saturday, 12 August 2023
बड़ा भाई... *वो दोनों सड़क पर एक दूसरे से लड़ते लड़ते जा रहे थे। तभी बड़ा भाई बड़े होने के गुरूर के कारण तना तना, आगे आगे बिना परवाह किये तेजी से चलने लगा वो खाली हाथ था..*जबकि छोटे भाई की कमर पर एक भारी बैग टंगा था जिसे लिये लिये वह रोता चिल्लाता चल रहा था। बीच बीच में चिल्ला कर भाई को रोते हुए स्वर में पुकारता - ओ भाई.....रुक जा ना ...मुझसे चला नहीं जा रहा ....भाई*पर बड़ा सब बातों से बेखबर मस्त हाथी की तरह चलता ही जा रहा था**बडे़ भाई की उमर होगी कोई लगभग सात आठ साल की और छोटा मुश्किल से पांच साल का होगा बहुत देर तक सड़क पर यही क्रम चलता रहा.. *तभी वहां एक चौराहा आया जहां अच्छी खासी भीड़ और ट्रैफिक भी था। आड़ी तिरछी बाइक ,स्कूटर, स्कूटी, कार, टैम्पो और पैदल लोगों की आवाजाही और भीड़..*तभी बड़े वाला वहां पर रुक कर छोटे का इन्तजार करने लगा। छोटा गिरता पड़ता, रोता चिल्लाता भाई के पास पहुंचा और जोर से बैग फैंक दो चार हाथ भाई के जोर जोर से मारे। वह क्रोध , पीड़ा और भाई की उपेक्षा से छटपटा रहा था.*लेकिन बड़े भाई ने इस सब के बाद भी कोई खास प्रतिक्रिया ना दी बस उसने पास में पड़ा हुआ बैग कन्धे पर लटकाया और भाई को पीठ पर बैठाने के लिए नीचे बैठ गया। छोटा सब गुस्सा भूल गालों पर बहते आँसुओं को आस्तीन से पोंछ कर बडे़ भाई की कमर पर चढ गया...**बड़े भाई ने दोनों तरफ सावधानी से ट्रैफिक का जायजा ले कर सड़क पार की। सड़क पार कराने के लिए बड़े भाई ने जितनी जिम्मेदारी से छोटे को बैग समेत अपनी कमर पर लादा था सड़क पार करके फिर से बैग समेत छोटे भाई को उतार दिया और फिर अपने उसी मस्त अन्दाज में चल पड़ा।*छोटे भाई ने जैसे तैसे लड़खड़ाते हुए पुन: बैग को उठाया और गिरता पड़ता भाई के पीछे पीछे चल दिया। पर अब वह रोया चिल्लाया नहीं था ....**क्योंकि वह अब समझ चुका था उसका बड़ा भाई उसे मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए छोटी छोटी परेशानियों से उसे अकेले तो कठिन परिस्थितियों में उसकी ढाल बनकर खड़ा है...!!*#जीवन में बड़ी कामयाबी पाने के लिए #आत्मनिर्भर होकर अपनी #ज़िम्मेदारी निभाने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।*
Monday, 7 August 2023
हमेशा याद रखें कि अगर कोई दरवाज़ा बंद है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके पीछे जो था वह आपके लिए नहीं था। गुरुजी ने आपके जीवन के लिए कुछ और सुंदर योजना बनाई है। निराश मत होइए क्योंकि हम सभी उनके बच्चे हैं और उनकी अनंत आंखें बेहतर ढंग से देख सकती हैं कि आगे क्या होने वाला है,जो कि हम नहीं जानते और हमारे भविष्य के लिए वास्तव में क्या आवश्यक है। उन सभी चीजों के लिए जिन्हें खोने पर आप पछताते हैं, भविष्य में आपको खुशी मिलेगी जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे और पाएंगे कि उन्हें खोना ही अच्छा था और आप प्राप्त सभी उत्तम चीजों के लिए गुरुजी को धन्यवाद देंगे🙇♂️𝐁𝐞𝐚𝐧𝐭 𝐒𝐡𝐮𝐤𝐫𝐚𝐧𝐚 𝐆𝐮𝐫𝐮ji ♥️𝐁𝐥𝐞𝐬𝐬𝐢𝐧𝐠𝐬 𝐀𝐥𝐰𝐚𝐲𝐬 𝐆𝐮𝐫𝐮ji ♥️🙏🏻💞 Jai Guru Ji 💞🙏🏻
Sunday, 6 August 2023
Saturday, 5 August 2023
Thursday, 3 August 2023
#Galti #beautifullife #hindiquotes #motivation🕊🕊🕊🕊🕊स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा:9×1= 9 9×2 =18 9×3 =27 9×4 =36 9×5 =45 9×6 =54 9×7 =63 9×8 =72 9×9 =81 9×10=89 लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी।फिर शिक्षक ने कहा:"मैंने आखिरी लाइन किसी उद्देश्य से गलत लिखी हैक्यूंकि मैं तुम सभी को कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिखाना चाहती हूँ ।दुनिया तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी..!तुम देख सकते हो कि मैंने ऊपर 9 बार सही लिखा है पर किसी ने भी मेरी तारीफ नहीं की..??और मेरी सिर्फ एक ही गलती पर तुम लोग हंसे और मुझे गलत भी कहा "!! गलत को गलत कहना सही बात है मगर...!!ये एक नसीहत है...दुनिया कभी भी आपके लाख अच्छे कार्यों को एप्रीशिएट (appreciate) नहीं करेगी, परन्तु आपके द्वारा की गई एक गलती की आलोचना (criticize) जरूर करेगी।ये एक कड़वा सच है!!!इसिलिए सत्मार्ग पर चलते हुए खुश रहें,मस्त रहें ये गुनगुनाते हुए -- "कुछ तो लोग कहेंगे...लोगों का काम है कहना...😃"दूसरी बात लोग क्या कहेंगे ये भी यदि हम हीं सोचने लगे तो फिर वो क्या करेंगे 🤣साभार 🙏🙏
Wednesday, 2 August 2023
#Bachpan #oldtimememories #puranajamana #beautifullife ❤❤हमारा भी एक जमाना था...हमें खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल, बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था।🤪 पास/ फैल यानि नापास यही हमको मालूम था... परसेंटेज % से हमारा कभी संबंध ही नहीं रहा।😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था।🤣किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं, ऐसी हमारी धारणाएं थी।☺️ कपड़े की थैली में बस्तों में और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में किताब, कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी।😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम लगभग एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था। 🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम।🤪 हमारे माताजी/ पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ है ऐसा कभी लगा ही नहीं। 😞 किसी दोस्त के साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी।इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे।🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना,पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना,और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था।🧐😝घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनिक जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी।मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे। मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला है इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए😀......😜बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है।😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने भी दी नहीं.....इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं। साल में कभी-कभार एक आद बार मैले में जलेबी खाने को मिल जाती थी तो बहुत होता था उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे।छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे।दिवाली में लिए गये पटाखों की लड़ को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा।😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था।😌आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं क्या पतास्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है।वह दोस्त कहां खो गए वह बेर वाली कहां खो गई....वह चूरन बेचने वाला कहां खो गया...पता नहीं।😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है।🙃 कपड़ों में सिलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन क्या था हमें अच्छे से मालूम ही नहीं...हम अपने नसीब को दोष नहीं देते जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है जो जीवन हमने जिया उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती।😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम पर हमारा भी एक जमाना था। वो बचपन हर गम से बेगाना था।☺😊
🙏जीवन यापन 🙏- पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…पति- क्यों??उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…पति- क्यों??पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…पति- 500 रूपए में इतना कुछ???वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है…लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे…“जीवन के लिए खर्च” या“खर्च के लिए जीवन” कानवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया….#story #hindi #kahan #hindistorytelling
80 साल की उस बूढ़ी माँ का वजन लगभग 40 किलो होगा !आज जब तबियत बिगड़ने पर वो डॉक्टर को दिखाने गयी , तो डॉक्टर ने कहा ' माताजी आप अपने स्वाथ्य का ख्याल रखिये ! आप का वजन जरूरत से ज्यादा कम है ।*आप खाने में जूस, सलाद , दूध , फल , घी , मेवा और हेल्थी फ़ूड लीजियें ... नहीं तो आपकी सेहत दिनों दिन गिरती जायेगी और हालत नाजुक हो जायेंगे। '*उसने भारी मन से डॉक्टर की बात को सुना और बाहर निकल कर सोचने लगी, इतनी महंगाई में ये सब कहाँ से आएगा......?*और पिछले पचास सालों में, फ्रूट, घी, मेवा घर में लाया कौन है....?*बहुत ही मामूली पेंसन से जो थोड़ा बहुत पैसा मिलता है उससे घर के जरुरी सामान तो पति ले आतें है, लेकिन फल, जूस, हरी सब्जी, ये सबपति ने कभी ला कर नहीं दिया, और खुदभी कभी ये सब खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकी....क्यूंकि जब भी मन करता कुछ खाने का, खाली पर्स हमेशा मुंह चिढाने लगता.*नागपुर जैसे शहर में ... मामूली सी नौकरी में और जिंदगी की गहमागहमी में सारी जमा पूंजी, पति का PF , घर की सारी अमानत ,संपदा, गहने जेवर सब एक बेटे और दो बेटियों की परवरिश , पढाई लिखाई शादी में में सब कुछ खत्म हो गया...*दूर दिल्ली में रह रहा बेटा एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर और मोटी तनख्वाह उठा रहा वो भी तो खर्चे के नाम पर सिर्फ पांच सौ रुपये देता है...वो भी महीने के..... बेटियों से अपने दुःख माँ ने सदा छुपाये है..उन्हें कभी अपने गमों में शामिल नहीं किया...आखिर ससुराल वाले क्या सोचेंगे.....?अब बेटे के भेजे इन पांच सौं रुपये में बूढ़े माँ बाप तन ढके या मन की करें ....*उसने सोचा चलो एक बार बेटे को डॉक्टर की रिपोर्ट बता दी जाए..*🌷👏🏻उसने बेटे को फ़ोन किया और कहा - बेटा डॉक्टर ने बताया है की विटामिन, खून की की कमी , कमजोरी से चक्कर आये थे....इसी लिए खाने में सलाद,जूस, फ्रूट, दूध , फल , आदि लेना शुरू करो !!*बेटा - "माँ आप को जो खाना है खाओ , डॉक्टर की बात ना मानों.... !!"*माँ ने कहा – बेटा, थोड़े पैसे अगर भेज देता तो ठीक रहता..... !!बेटा - " माँ इस माह मेरा बहुत खर्चा हो रहा है, *कल ही तुम्हारी पोती को मैंने फिटनेस जिम* ज्वाईन कराया है, तुझे तो पता ही है, वो कितनी मोटी हो रही है,*इसी लिए जिम ज्वाईन कराया है...**उसके महीने के सात हजार रुपये लगेंगे...*जिसमें उसका वजन, चार किलो हर माह कम कराया जाएगा..... और कम से कम पांच माह तो उसे भेजना ही होगा....... *पैंतीस हजार का ये**खर्चा बैठे बिठाये आ गया....अब जरुरी भी तो है ये खर्चा...!!*आखिर दो तीन साल में इसकी शादी करनी है और आज कल मोटी लड़कियां, पसंद कोई करता नहीं.....!!"*माँ ने कहा - " हाँ बेटा ये यतो जरुरी था.....* कोई बात नहीं, वैसे भी डॉक्टर लोग तो ऐसे ही कुछ भी कहतें रहते है.....चक्कर तो गर्मी की वजह से आ गयें होंगे, वरना इतने सालों में तो कभी ऐसा नहीं हुआ.....खाना तो हमेशा यही खा रही हूँ मैं...!"*बेटा - "हाँ माँ.....अच्छा माँ अभी मैं फोन रखता हूँ ....बेटी के लिए डाइट चार्ट ले जाना है और कुछ जूस, फ्रूट और डायट फ़ूड भी ....आप अपना ख्याल रखना !!"*फोन कट गया....और फोन में पैसे भी तो डलवाने है जिससे अपने बेटे से समय समय पर बातचीत करके उसका हाल चाल जान सके माँ ने एक गिलास पानी पिया... और साड़ी पर फाॅल लगाने में लग गयी.... एक साड़ी में फाॅल लगाने के माँ को पचास रुपये मिलेंगे....इन रुपयों से माँ फोन रिचार्ज करवा लेगी*माँ के पास आज साड़ी में फोल लगाने के तीन आर्डर है...माँ ने मन ही मन ऊपर वाले से प्रार्थना की उसके बेटे को सदा खुश रखे....#BeautifulLife #story #kahani kahani
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