डिप्रेशन के बारे में जितना कहा या सुना जाए कम ही लगेगा क्यूँकि जिसको होता है वो समझा नहीं सकता और जिसको होता नहीं वो समझ नहीं सकता। सिर्फ़ शब्दों का खेल नहीं है ये बहुत कुछ छुपाता है वो व्यक्ति जो गुज़र रहा होता है इस बीमारी से!!!! असल में ये बीमारी भी नहीं है ये हमारी बदली हुई लाइफ़्स्टायल , फ़ैमिली वैल्यूज़ की कमी, अकेले रहने की आदत, सहनशक्ति खतम हो जाने जैसे बहुत सी चीज़ों का परिणाम है। अक्सर हम सुनते हैं कि अरे मुझे तो मेरी प्राइवसी ही पसंद है। इस शब्द की आड़ में हम अपनी सारी कमियाँ छुपा देना चाहते हैं और धीरे धीरे सब से अलग हो जाते हैं। समझने वाली बात ये है कि हर इंसान में कुछ ना कुछ कमी है.. कोई भी पर्फ़ेक्ट तो है ही नहीं..ज़रूरत है तो एक दूसरे की कमियों को स्वीकारते हुए रिश्ते को निभाने की। हमारे माताजी पिताजी या दादी दादा जी के जमाने में नहीं हुआ करती थी ये समस्या (डिप्रेशन)। अब अगर हम थोड़ा विचार करें तो पाएँगे की तब संयुक्त परिवार हुआ करते थे.. बातें करने के लिए इतने सदस्य होते थे कि कुछ मन में रखना ही नही पड़ता था.. दिल साफ़ रहते थे सबके.. अब तो प्राइवसी चाहिए!! मैं प्राइवसी के ख़िलाफ़ बिल्कुल नहीं हूँ पर क्या अपने बच्चों की दिमाग़ की शांति को किनारे करके प्राइवसी मिलना सही है? और हम जिसे प्राइवसी कहते हैं वह वाक़ई में तो बस रिश्ते ना निभाने का एक आसान सा बहाना है! हमने अक्सर देखा है कि आज बच्चे माँ बाप के साथ भी समय बिताना पसंद नहीं करते और वो ऐसा हम ही से सीख जाते हैं। याद रखिए बच्चे कहने से नहीं आपको देख कर सीखते हैं। और सबसे ज़्यादा दुःख तो तब होता है जब एक ही परिवार के सदस्य आपस में बातचीत बंद कर लेते हैं। बड़ों की अकड़ में बच्चे पिस जाते हैं । अपने ही भाई बहनो से मिलने से, उनके साथ खेलने से वंचित रह जाते हैं, और ये होता है उनके माँ बाप की ज़िद के कारण! ऐसे सभी परिवार वालों को मेरी सलाह है कि नाराज़ होना बंद कीजिए, अपने परिवारवालों के साथ सम्बंध बनाइए! एक ना एक दिन ये सब नाराज़गियाँ ख़त्म हो ही जानी हैं, आपके सामने या आपके बिना।ऐसा ना हो की बहुत देर हो जाए और आपकी ग़लतियों की सजा आपके बच्चे को सहनी पड़े. इंसान ही इंसान की ताक़त बन सकता है! याद रखिए परिवार से बढ़कर आपको कोई सगा नहीं!! खुद को और अपने बच्चों को परिवार के प्यार से वंचित मत कीजिए! थोड़ा भूलना और निभाना सीखिए! ज़िंदगी वाक़ई ख़ूबसूरत है बस थोड़ा झुकना सीखिए, रिश्तों में शर्तें नहीं होतीं उन्हें दिल से निभाइए! माना जा सकता है कि ये मुश्किल है पर कोशिश तो कीजिए! परिवार से बढ़ कर कुछ नही है खुश रहिए स्वस्थ रहिए 🙏🏻❤️🌹🌹