Saturday, 31 October 2020
Friday, 30 October 2020
I have been wearing a mask in stores (and limiting my trips) since March when this whole thing went down. I’m not sure how being considerate to others for the common good is now being mocked by some who are calling it “living in fear”, but it needs to stop.... When I wear a mask over my nose and mouth in public and in the stores/supermarkets/pharmacies/offices - I want you to know the following:💥 I'm educated enough to know that I could be asymptomatic and still give you the virus.💥 No, I don't "live in fear" of the virus; I just want to be part of the solution, not the problem.💥 I don't think the "government controls me". I'm an adult contributing to the security in our society and I want to teach others the same.💥 If we could all live with the consideration of others in mind, the whole world would be a much better place.💥 Wearing a mask doesn't make me weak, scared, stupid or even "controlled". It makes me caring and responsible.💥 When you think about your appearance, discomfort, or other people's opinion of you, imagine a loved one - a child, father, mother, grandparent, aunt, uncle or even a stranger - placed on a ventilator, alone without you or any family member allowed at their bedside..... Ask yourself if you could have helped them a little by wearing a mask.Feel free to copy and paste. I did.
Thursday, 29 October 2020
Wednesday, 28 October 2020
Tuesday, 27 October 2020
समुद्र के किनारे एक लहर आई। वो एक बच्चे की चप्पल अपने साथ बहा ले गई। बच्चे ने रेत पर अंगुली से लिखा-“समुद्र चोर है।” उसी समुद्र के दूसरे किनारे पर कुछ मछुआरों ने बहुत सारी मछली पकड़ी। एक मछुआरे ने रेत पर लिखा-“समुद्र मेरा पालनहार है।”एक युवक समुद्र में डूब कर मर गया। उसकी मां ने रेत पर लिखा-“समुद्र हत्यारा है।”दूसरे किनारे पर एक ग़रीब बूढ़ा, टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था। उसे एक बड़ी सीप में अनमोल मोती मिला। उसने रेत पर लिखा-“समुद्र दानी है।”अचानक एक बड़ी लहर आई और सारे लिखे को मिटा कर चली गई।लोग समुद्र के बारे में जो भी कहें, लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है। अपना उफान और शांति वह अपने हिसाब से तय करता है।अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी के निर्णय पर अपना ध्यान ना दें। जो करना है अपने हिसाब से करें। जो गुज़र गया उसकी चिंता में ना रहें। हार-जीत, खोना-पाना, सुख-दुख इन सबके चलते मन विचलित ना करें। अगर जिंदगी सुख शांति से ही भरी होती तो आदमी जन्म लेते समय रोता नहीं। जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरे समय को ज़िंदगी कहते हैं।‘कुछ ज़रूरतें पूरी, तो कुछ ख़्वाहिशें अधूरी...इन्ही सवालों का संतुलित जवाब है।*–ज़िंदगी !
Monday, 26 October 2020
कौआ एकमात्र ऐसा पक्षी है, जो बाज़ पर चोंच मारने की हिम्मत करता है, वह बाज़ की पीठ पर बैठता है और उसकी गर्दन पर काटता है, लेकिन बाज़ जवाब नहीं देता ,और न ही कौआ से लड़ता है और न ही कौआ पर अपना समय बर्बाद करता है। बस अपने पंख खोलता है और आसमान में ऊँचा उठना शुरू कर देता है। उड़ान जितनी ऊँची होती है, उतना ही मुश्किल होता है ऊपर साँस लेना और फिर आक्सीजन की कमी के कारण कौआ गिर जाता है....!कौआ के साथ अपना समय बर्बाद करना बंद करो,बस खुद ऊंचाइयों पर चले जाओ ,अपने काम मे लगे रहो, वे ऐसे ही मिट जाएंगे!!🙏🏻
*पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*************************भारतीय पिता पुत्र की जोड़ी भी बड़ी कमाल की जोड़ी होती है ।दुनिया के किसी भी सम्बन्ध में, अगर सबसे कम बोल-चाल है, तो वो है पिता-पुत्र की जोड़ी में ।घर में दोनों अंजान से होते हैं, एक दूसरे के बहुत कम बात करते हैं, कोशिश भर एक दूसरे से पर्याप्त दूरी ही बनाए रखते हैं।बस ऐसा समझो किदुश्मनी ही नहीं होती।माहौल कभी भी छोटी छोटी सी बात पर भी खराब होने का डरसा बना रहता है और इन दोनों की नजदीकियों पर मां की पैनी नज़र हमेशा बनी रहती है।ऐसा होता है जब लड़का,अपनी जवानी पार कर, अगले पड़ाव पर चढ़ता है, तो यहाँ, इशारों से बाते होने लगती हैं, या फिर, इनके बीच मध्यस्थ का दायित्व निभाती है माँ ।पिता अक्सर पुत्र की माँ से कहता है, जा, "उससे कह देना"और, पुत्र अक्सर अपनी माँ से कहता है, "पापा से पूछ लो ना"इन्हीं दोनों धुरियों के बीच, घूमती रहती है माँ । जब एक, कहीं होता है, तो दूसरा, वहां नहीं होने की, कोशिश करता है,शायद, पिता-पुत्र नज़दीकी से डरते हैं ।जबकि, वो डर नज़दीकी का नहीं है, डर है, माहौल बिगड़ने का । भारतीय पिता ने शायद ही किसी बेटे को, कभी कहा हो, कि बेटा, मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ , जबकि वह प्यार बेइंतहा ही करता है।पिता के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी वही होता है,क्योंकि, पिता, हर पल ज़िन्दगी में, अपने बेटे को, अभिमन्यु सा पाता है ।पिता समझता है,कि इसे सम्भलना होगा, इसे मजबूत बनना होगा, ताकि, ज़िम्मेदारियो का बोझ, इसको दबा न सके । पिता सोचता है,जब मैं चला जाऊँगा, इसकी माँ भी चली जाएगी, बेटियाँ अपने घर चली जायेंगी,तब, रह जाएगा सिर्फ ये, जिसे, हर-दम, हर-कदम, परिवार के लिए, अपने छोटे भाई के लिए,आजीविका के लिए,बहु के लिए,अपने बच्चों के लिए, चुनौतियों से,सामाजिक जटिलताओं से, लड़ना होगा ।पिता जानता है कि, हर बात, घर पर नहीं बताई जा सकती,इसलिए इसे, खामोशी से ग़म छुपाने सीखने होंगें ।परिवार और बच्चों के विरुद्ध खड़ी, हर विशालकाय मुसीबत को, अपने हौसले से, दूर करना होगा।कभी कभीतो ख़ुद की जरूरतों और ख्वाइशों का वध करना होगा । इसलिए, वो कभी पुत्र-प्रेम प्रदर्शित नहीं करता।पिता जानता है कि, प्रेम कमज़ोर बनाता है ।फिर कई बार उसका प्रेम, झल्लाहट या गुस्सा बनकर, निकलता है, वो गुस्सा अपने बेटे कीकमियों के लिए नहीं होता,वो झल्लाहट है, जल्द निकलते समय के लिए, वो जानता है, उसकी मौजूदगी की, अनिश्चितताओं को । पिता चाहता है, कहीं ऐसा ना हो कि, इस अभिमन्यु की हार, मेरे द्वारा दी गई, कम शिक्षा के कारण हो जाये,पिता चाहता है कि, पुत्र जल्द से जल्द सीख ले, वो गलतियाँ करना बंद करे,हालांकि गलतियां होना एक मानवीय गुण है,लेकिन वह चाहता है कि उसका बेटा सिर्फ गलतियों से सबक लेना सीख ले।सामाजिक जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं, रिश्ते निभाना भी सीखे,फिर, वो समय आता है जबकि, पिता और बेटे दोनों को, अपनी बढ़ती उम्र का, एहसास होने लगता है, बेटा अब केवल बेटा नहीं, पिता भी बन चुका होता है, कड़ी कमज़ोर होने लगती है ।पिता की सीख देने की लालसा, और, बेटे का, उस भावना को नहीं समझ पाना, वो सौम्यता भी खो देता है, यही वो समय होता है जब, बेटे को लगता है कि, उसका पिता ग़लत है, बस इसी समय को समझदारी से निकालना होता है, वरना होता कुछ नहीं है,बस बढ़ती झुर्रियां और बूढ़ा होता शरीर जल्द बीमारियों को घेर लेता है । फिर, सभी को बेटे का इंतज़ार करते हुए माँ तो दिखती है, पर, पीछे रात भर से जागा, पिता नहीं दिखता, जिसकी उम्र और झुर्रियां, और बढ़ती जाती है, बीमारियांभी शरीर को घेर रहीं हैं। पिता अड़ियल रवैए का हो सकता है लेकिन वास्तव में वह नारियल की तरह होता है।कब समझेंगे बेटे, कब समझेंगे बाप, कब समझेगी दुनिया.पता है क्या होता है, उस आख़िरी मुलाकात में, जब, जिन हाथों की उंगलियां पकड़, पिता ने चलना सिखाया था, वही हाथ, लकड़ी के ढेर पर पड़ेपिता को लकड़ियों से ढकते हैं,उसे घी से भिगोते हैं, और उसे जलाते हैं, इसे ही पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाना कहते हैं। ये होता है,हो रहा है, होता चला जाएगा ।जो नहीं हो रहा,और जो हो सकता है,वो ये, कि, हम जल्द से जल्द, कहना शुरु कर दें,हम आपस में, कितना प्यार करते हैं?और कुछ नहीं तो कम से कम घर में हंस के मुस्कुरा कर बात तो की ही जा सकती है, सम्मान पूर्वक।फिर, समय निकलने के बाद पश्चाताप वश यह ना कहना पड़े-हे मेरे महान पिता.. मेरे गौरव, मेरे आदर्श, मेरा संस्कार, मेरा स्वाभिमान, मेरा अस्तित्व...मैं न तो इस क्रूर समय की गति को समझ पाया.. और न ही, आपको अपने दिल की बात, भीकह पाया...................... *एक पिता द्वारा प्रेषित*
Sunday, 25 October 2020
Saturday, 24 October 2020
Friday, 23 October 2020
Thursday, 22 October 2020
Tuesday, 20 October 2020
Monday, 19 October 2020
*-कभी तानों में कटेगी,**कभी तारीफों में;**ये जिंदगी है यारों,**पल पल घटेगी !!**-पाने को कुछ नहीं,**ले जाने को कुछ नहीं;**फिर भी क्यों चिंता करते हो,**इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,**ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!**बार बार रफू करता रहता हूँ,**..जिन्दगी की जेब !!**कम्बखत फिर भी,**निकल जाते हैं...,**खुशियों के कुछ लम्हें !!**-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...**ख़्वाहिशों का है !!**ना तो किसी को गम चाहिए,**ना ही किसी को कम चाहिए !!**-खटखटाते रहिए दरवाजा...,**एक दूसरे के मन का;**मुलाकातें ना सही,**आहटें आती रहनी चाहिए !!**-उड़ जाएंगे एक दिन ...,**तस्वीर से रंगों की तरह !**हम वक्त की टहनी पर...*,*बेठे हैं परिंदों की तरह !!**-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!**बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!**घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।**संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!**-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",**ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";**बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!*
Sunday, 18 October 2020
Saturday, 17 October 2020
Friday, 16 October 2020
Thursday, 15 October 2020
Sunday, 11 October 2020
Friday, 9 October 2020
मिठास 〰〰〰〰 चाय का कप लेकर आप खिड़की के पास बैठे हों और बाहर के सुंदर नज़ारे का आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..; और तभी फिर से किचन मेँ जाकर चीनी डालने का आलस आ गया.... आज फीकी चाय को जैसे तैसे पी गए,कप खाली कर दिया तभी आपकी नज़र कप के तल में पड़ी बिना घुली चीनी पर पडती है..!! मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड गये...चम्मच होता तो मिला लेता हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है... सुख ही सुख बिखरा पड़ा है हमारे आस पास... लेकिन, बिन घुली उस चीनी की तरह !! थोड़ा सा ध्यान दें- किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए ! अपनो की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना चाहिए ! रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा मान अपमान ? बस अपनों के दिल मे रहना आना चाहिए...! जितना हो सके...."सरल" बनने की कोशिश करें..."स्मार्ट" नही,क्योंकि....हमें "ईश्वर" ने बनाया है..."किसी electronic company" ने नही..😀🙏🙏🙏🙏🙏
Thursday, 8 October 2020
#पत्नि_हो_तो_ऐैसीबेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था .... ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी।मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की, खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।"*बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी । बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती .....वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है, मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।"*और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।"*आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे..... उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था।.....तभी खुशबू खाने का टिफिन लेकर आई और बोली, "अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो । कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको।.... मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। ".......पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे।*"कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये , देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं।"......पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ को सहलाने लगी।*"सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू ।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।"*"इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?"*"अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?"*"तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।"*"क्या मतलब?"*"तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।" खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया।*"खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े.... आज वही काम आए हैं। "*सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रही थी।{दोस्तो स्टोरी कैसी लगी... ?} ( कैसा लगा ये प्रसंग ? कॉमेंट कर के बताइएे, दोस्तों इस पोस्ट को शेयर करने में मेरी मदद करे...
Wednesday, 7 October 2020
#जीवन_की_मुस्कान......💐💐💐 🖋🖊एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है? उस व्यक्ति ने कहा- "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा।इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।"वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?" उसने कहा-"मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।"पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा-"मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ।अभी मेरे पास पैसे नहीं है,इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।"मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।" होटलवालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए। समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S.की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची।सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया।उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं।मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए,मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी।आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ।आप दोनो का एहसान में सदैव याद रखूंगी।आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी।कल आप दोनों को "" श्रेष्ठ नागरिक "" का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा। शिक्षा-- किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें।संभव है आपके कारण कोई गुदड़ी का लाल अपनी मंजिल तक पहुंच जाए। 卐🙏अनुकरणीय🙏शेयर जरूर करें......⤴️➡️
*चश्मा- एक लघुकथा*******************जल्दी -जल्दी घर के सारे काम निपटा, बेटे को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस जाने का सोच, घर से निकल ही रही थी कि...फिर पिताजी की आवाज़ आ गई,*"बहू, ज़रा मेरा चश्मा तो साफ़ कर दो ।"*और बहू झल्लाती हुई....सॉल्वेंट ला, चश्मा साफ करने लगी। इसी चक्कर में आज फिर ऑफिस देर से पहुंची।पति की सलाह पर अब वो सुबह उठते ही पिताजी का चश्मा साफ़ करके रख देती, लेकिन फिर भी घर से निकलते समय पिताजी का बहू को बुलाना बन्द नही हुआ।समय से खींचातानी के चलते अब बहू ने पिताजी की पुकार को अनसुना करना शुरू कर दिया ।आज ऑफिस की छुट्टी थी तो बहू ने सोचा -घर की साफ- सफाई कर लूँ ।अचानक,पिताजी की डायरी हाथ लग गई । एक पन्ने पर लिखा था-दिनांक 23/2/15 आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सर पर रख देता । वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा...।आज पिताजी को गुजरे ठीक 2 साल बीत चुके हैं। अब मैं रोज घर से बाहर निकलते समय पिताजी का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर रख दिया करती हूँ। उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में.....।जीवन में हम कुछ महसूस नहीं कर पाते और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुकी होती हैं ......Start valuing your relations before it's too late🙏💐सुप्रभात 👨👩👧👦🌹
Monday, 5 October 2020
Sunday, 4 October 2020
Saturday, 3 October 2020
Friday, 2 October 2020
Thursday, 1 October 2020
🙏🙏🌹🌹 अधिकमास की वार्ता 🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🙏एक घर मे दोई सास बहू रहती थी । सास ने बहु से कहा , बहु अब कल सी अधिकमास लग रहा है तो मैं सुबह से अधिकमास नहाउंगी रोज । तो बहु ने कहा माताजी ये अधिकमास कई होय म्हारे भी बताओ तो सास बोली कि जिस महीने संक्रांति नही होती वो अधिकमास होता और इसको पुरषोत्तम मास भी कहते है । पुरषोत्तम मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने नारायण , तरायण और परायण करना चाहिए । तो बहु बोली माँ नारायण , तरायण और परायण कैसो करणु । तो सास बोली कि सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने तालाब में नहानु उसके बाद नारायण यानी सूर्य नारायण को पानी चढ़ाओ और ध्रुव तारा को दर्शन करो , परायण मतलब की रामायण को मास परायण करो 🙏🏻बहु ने कहा कि माँ मैं भी करूंगी तो सास बोली नही नही तू भी करेगी तो घर को सुबह को काम कुन करेगा । तो बहु भी बिचारि डर गई ।दूसरे दिन सासुजी तो 4 बजे उठी ने तालाब में गया नहाने तो बहु भी पीछे ही उठ गयी और मटके के निचे का कुंडा का पानी भरा उससे नहा ली । और नारायण , तरायण कर लिया । सब जल्दी जल्दी कर लिया कि कहि सासुजी आ गयी तो लड़ेगी । ऐसे करते करते दो तीन दिन निकले । साथ मे काम भी करती । रोज कुएं का पानी भरने जाती । गुंडी बेड़ा से पानी भी भरती । एक दिन कुएं का पानी लेने गयी तो उससे बेड़ा नही उठ रहा था रोज तो उठा कर ले जाती थी आज क्यों नही उठा पा रही मैं , बहु सोच में पड़ गयी । उसने इधर उधर देखा तो एक नोजवान लड़का दिखाई दिया , तो उसने उसे बुलाया और कहा भाई मुझे ये गुंडी बेड़ा उठवा दो रोज उठा लेती हूं पर आज नही उठा पा रही 🤔 तो नोजवान ने उसकी मदद की और साथ मे कहता चला गया कि " सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड " 🤔 एक दिन, 2 दिन , रोज ही ये नियम बन गया कि बहु से बेड़ा नही उठता और वही लड़का उसकी मदद करता और वही बोलता चला जाता कि 😌सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड 😔 एक दिन बहु ने उससे पूछा कि भाई तो ऐसा क्यों बोलता है तो वह बोला कि तुम रोज नहाती हो ना कुंडे के पानी से । बहु ने पूछा कि तुझे कैसे पता और क्या नाम है तुम्हारा ? तो वह बालक मधुर मुस्कान से बोला मेरा नाम दामोदर है । और कहते ही अपना विराट रूप दिखा दिया । बहु तो देखते ही रह गयी और भगवान के श्री चरणों मे गिर गयी और कहने लगी । माफ करना प्रभु 🙏🏻🙏🏻 मैने अज्ञानता वश आपको नही पहचाना 🌹🙏🏻 इधर सासु माँ को भी बीस , पच्चीस दिन हो गए तो उसने बहु से कहा कि कल मैं अधिकमास का जोड़ा जिमाउंगी तो कल 5 पकवान बनाना । अब बहु तो चिंता में पड़ गयी कि अधिकमास तो मैं भी कर रही हु मैं जोड़ा कहा से जिमाउंगी 🤔😔 सोचते हुए रात गयी सुबह वैसे ही नारायण , तरायण किया और पानी लेने गयी कुएं पर । देखा तो दामोदर वही था तो उसको अपनी समस्या बताई । 🙏🏻 अब दामोदर ने कहा की बहन चिंता क्यों कर रही है मै हु ना मैं आ जाऊँगा जोड़ा जीमने , तो बहु बोली मैं कैसे बुलाने आऊँगी तो दामोदर ने कहा कुछ नही 2 थाली परोस कर तुलसी वृन्दावन में रख देना और घंटी बजा देना तो मैं आ जाऊँगा । ☺️ बहु बोली ठीक है ।अब दूसरे दिन भी जल्दी नारायण ,तरायण किया और 5 पकवान बना लिये सासु जी से कहा कि बुला लाओ , भोजन तैयार है ।सास ने भी जोड़े कोआगे बिठाया और थाली परोस दी । बहु भी पीछे के दरवाजे से तुलसी वृन्दावन में 2 थाली लेकर गयी और गरुड़ घंटी बजा दी 🙏🏻 राधा कृष्ण आ गए बहु के लिए जोड़ा जीमने 🙏🏻रसोई में बैठे भोजन करने लगे । बहु भाग भाग कर आगे सास जी के जोड़े को भी परोस रही और रसोई में बैठे दामोदर राधा को भी परोस रही । आगे बहु ने देखा कि सासु माँ ने तो जोड़े को टका ( पैसा ) कपड़ा सब दे रही तो अंदर आकर सोचने लगी कि मैं दामोदर को क्या दूंगी तो भगवान समझ गए । प्रभु ने कहा तुलसी लाकर मेरे हाथ मे पर अर्पण करो । तो बहु झट झट तुलसी का पत्ता लाई और राधा दामोदर के हाथ पर रख दिया तो देखा कि तुलसी तो सोने का टका बन गयी ।🙏🏻🙏🏻मजे में दोनो जोड़े जिम लिए और चले गए अब सासु जी ने कहा कि चल बहु अपन दोनो भी भोजन करते है । तो इधर रसोई में देखा तो 2 थाली भरी हीरे , मोती , माणिक , कलश भी सोने का हो गयाऔर जाते हुए भगवान के पद चिन्ह 😳🤔🙏🏻🙏🏻 मिले ।सासु जी को आश्चर्य हुआ बहु से पूछा तो बहु ने पूरी बात बताई ।सास बोली बहु तू बड़ी भागवान है तेरे लिए भगवान श्री कृष्ण स्वयं राधा के साथ आये 🙏🏻🙏🏻। सास , बहु दोनो का अधिकमास संपन्न हुआ । कहता , सुनता , हुंकार भरता , कहानी पड़ता सभी बहनों को पुरषोत्तम मास सफल होय 🙏🏻🌹🌹🙏बोलो राधे कृष्णा की जय🙏🏻🌹
Excellent Poem By ...Shri. Gulzaar Ji ...Heart Touching....!*ऐ उम्र !**कुछ कहा मैंने,**पर शायद तूने सुना नहीँ..!**तू छीन सकती है बचपन मेरा,**पर बचपना नहीं..!!**हर बात का कोई जवाब नही होता...,**हर इश्क का नाम खराब नही होता...!**यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले....,**मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...!**खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है....!**हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है....!**जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,**असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है....!**किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!**दुआ में अपनी मौत मांगी,**खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर...!**उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी...!**हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता....!**हर एक इन्सान बुरा नही होता.**बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....!**हर बार कुसुर हवा का नही होता.. !!* *✍- गुलजार🌾*✍
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