Saturday, 14 October 2023

अक्सर कहा जाता है कि मायका माँ के साथ ही खत्म हो जाता है !सच कहूं तो ससुराल भी सास के साथ ही खत्म हो जाता है !रह जाती हैं बस यादें ...उनकी उस न्यौछावर की जो तुमपर वार कर दी थी मिसरानी को !उनकी उस हिदायत की, जो तुम्हारी मुट्ठियों मेंचावल भरकर थाली में डालने की रस्म के दौरान कान में फुसफुसाते हुए दी थी कि यूंही अन्नपूर्णा बन कर रहना हमेशा !उनकी उस 'सदा सौभाग्यवती रहो!' वाले आशीष की जो तुम्हें अपने गठजोड़ संग उनके चरण स्पर्श करते ही मिली थी!उनके अपनेपन की उस आहट की जो पहली रसोई की ‌रस्म निभाते कान में फुसफुसाकर कही थी 'सब मैंने बना दिया है,बस तुम खीर में शक्कर डाल देना । रस्म पूरी हो जाएगी !'उनकी उस चेतावनी की जो हर त्यौहार से पहले मिल जाया करती थी, 'अरी सुन कल सुहाग का त्यौहार है , मेहंदी लगा लियो !'उनकी उस दूरदृष्टि की, जो तुम्हारी अधूरी ख्वाहिशों के मलाल को सांत्वना देते दिखती कि' सबर रक्खा करैं , देर-सबेर सब कुछ मिला करै !'उनके उस बहाने की ,जो तुम्हारे मायके जाने के नाम से तैयार हो जाता कि 'पता नहीं क्यों रात से जी घबड़ा रा !'उनके उस उलाहने की, जो तुम्हारे बच्चों संग सख्ती के दौरान सुनाया जाता,'हमने तो कभी न मारे बालक !'उनकी उस आखिरी हिदायत की,'मेरे बाद ननद, देवरानी, जेठानी संग मिल के रहियो !'उनके उस इमानदार कुबूलनामे की, जो उनके अंतिम लम्हों में उनकी याददाश्त खोने के बावजूद भी,बड़बड़ाते सुना कि 'बहुत मेहनत करै , न दिन देखै न रात , बहुत करा इसने सबका !'उनकी उस धमकी की जो कभी कभार ठिठोली करते मिलती , 'मैं कहीं न जाऊं , मरकर भी यहीं रहूंगी इसी घर में, तेरे सिर पे, हुकुम चलाने को !'मैंने तो सच माने रखा उस ठिठोली वाली धमकी को,तुम्हारे जाने के बाद भी !तो क्यों नहीं याद दिलाई कल मेहंदी लगाने की ?आज सुहाग का त्यौहार था और मैं भूल गई मेहंदी लगाना !*मालूम नहीं‌ सास-बहु के इस पेचीदा रिश्ते की समझ हमें देर से क्यों आती है ?#SaaS #bahu

Monday, 2 October 2023

ਚੀਕੋ ਪੁਕਾਰਮਨ ਦੇ ਆਰ ਪਾਰਖੁਦਾਈ ਵਜੂਦ ਦੇ ਅੰਦਰਮਨ ਦੇ ਵਜੂਦ ਨੂੰ ਬਣਾਵੇ ਖੰਡਰਰੁਕੇ ਰੁਕੇ ਜਜ਼ਬਾਤਬੀਤਦੇ ਨਾ ਬਿਤਾਏਔਖੇ ਔਖੇ ਲਮਹਾਤਜਜ਼ਬੇ ਜੋ ਜਜ਼ਬ ਨਾ ਹੁੰਦੇ ਜਜ਼ਬਾਤ ਜੋ ਨਸ਼ਰ ਨਾ ਹੁੰਦੇ ਘੁਟੇ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਜੋ ਧੁਰ ਅੰਦਰਕਤਲੋਗਾਰਤ ਕਰਦੇ ਅੰਦਰੋਂ ਅੰਦਰ ਬੋਲ ਦੱਸ ਕੇ ਜੋ ਜਾਏ ਨਾ ਦੱਸਣਚੀਰ ਚੀਰ ਜਾਂਦੇ ਦੱਬੇ ਘੁੱਟੇ ਅਰਮਾਨਮਨ ਆਇਆ ਨਾ ਫਲਿਆ ਜਜ਼ਬਾਤਧੀਆਂ ਤੇ ਹੀ ਐਸਾ ਲਮਹਾ ਕਿਉਂ ਆ ਪੈਂਦਾ ਇੱਜ਼ਤ ਇੱਜ਼ਤ ਕਹਿ ਸਮਾਜ ਚਿੜਾਉਂਦਾਮਾਰ ਕੇ ਮਨ ਨੂੰ ਧੀਆਂ ਬਾਹਰੋਂ ਮੁਸਕਾਣਅੰਦਰ ਜ਼ਖਮ ਤੇ ਬਾਹਰੋਂ ਗੁਣਗਾਨਦਿਓ ਮੌਕੇ ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਅਸਮਾਨੀ ਉੱਡਣ ਦੇਖੰਭ ਨਾ ਰੱਖੋ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇਵੀਆਂ ਦੇ ਕੁਤਰ ਕੇਦਿਓ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਰਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਉਡਾਣਰੱਬ ਦੀ ਦਿੱਤੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਏਹ ਵੀ ਮਾਣ ਕੇ ਜਾਣਰੱਬ ਦੀ ਦਿੱਤੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਏਹ ਵੀ ਮਾਣ ਕੇ ਜਾਣ#beautifullife #punjabistatus #dhee #Betiya