दर्द जो कहना अभी बाकी हैं,बहुत सहा पर और सहना अभी बाकी है,करते रहे खिदमत सभी की, पर खुद की खिदमत करना अभी बाकी है,जिये तो बहुत सबके लिए,पर अपने लिए जीना अभी बाकी है,तोहमत है कि खुदगर्ज है हम,पर खुदगर्ज बनाने अभी बाकी है,अधूरे जो ख्वाब रह गए,उन्हें पूरा करना अभी बाकी है,टूट के बिखरने लगे थे हम,फिर से उठने की चाहत अभी बाकी है,कहने को तो जिंदा है अभी,पर जिंदगी जीना अभी बाकी है,कहते हैं कि अपनी भी एक दुनिया है,पर इसमें खुद को ढूंढना अभी बाकी है,