Wednesday, 22 November 2023

----- वृद्धाश्रम -----" मेरे दो दोस्त क्या आ गए, तुमसे चाय बनाना न हो पाया।"" बाबूजी, दूध खत्म हो गया था तो लाने चली गयी थी। लेकर आयी तो आपके दोस्त चले गए थे।""झूठ और केवल झूठ! मेरा एक छोटा सा काम करने में तुम लोगों की नानी मर जाती है। दो महीने से कह रहा हूँ कि थोड़ा काशी ले चलो लेकिन नहीं! मेरे पेंशन पर पूरा हक है लेकिन मेरा ख्याल रखना नहीं हो पाता है इनसे। इससे अच्छा तो मैं वृद्धाश्रम चला जाता।"" क्या कहा आपने! जितना आपका पेंशन आता है, उससे कम खर्चा है क्या आप पर। दुनिया भर की रिश्तेदारी और उस पर से बीमारी का खर्चा! सबेरे शाम कीच कीच। मैं तो तंग आ गयी हुँ।""क्या कहा, मैं कीच कीच करता हुँ। अभी समान पैक करता हूँ। अब इस घर में एक दिन भी नहीं रहूँगा।""हाँ, हाँ! चले जाइये। कौन रोकता है। कुछ तो शांति मिलेगी। आने दीजिये इनको। अब बहुत हो गया।"पति के आने के साथ ही, "इस घर में या तो आपके पूज्य पिताजी रहेंगे या मैं।""अरे,बात क्या हुई? लोग क्या कहेंगे?""कुछ नहीं,अगर उनको इस घर से नहीं निकाला तो मैं अभी गैस सिलिंडर में आग लगा लूंगी।"बेटा नम आंखों से अपने बाप को वहाँ छोड़ने जा रहा था जहाँ जाने की कल्पना कोई बाप नहीं करता है।बाबुजी तो चले गए , साथ में घर की खुशियाँ भी ले गए।घर में श्मशान सा सन्नाटा छा गया था। इस एक हफ्ते न कभी वह खुश हो पाई और न ही पति के चेहरे पर कोई मुस्कान ही दिखा। चार पांच बार हैरी के चिल्लाने की आवाज़ ही थी जो पड़ोसियों को सुनने को मिली थी। अब उसे बाबुजी का गुस्सा भी अमृत ही लग रहा था। अपने आपको संभालने की तमाम कोशिश नाकाम ही साबित हुई। फिर भागी वृद्धाश्रम की ओर। दौड़ती रही तो बस दौड़ती ही रही। वहाँ पहुंच कर जब बाबुजी को देखा तो लोक लाज भूलकर ऐसे गले लगी जैसे बचपन में मेले में बिछड़ने के बाद मिलने पर अपने बाप के गले लगी थी।"माफी के काबिल तो मैं नहीं बाबूजी, पर माफ कर दीजिए।""बेटी, मुझे भी माफ कर दो। दोस्तों के अनुभव सुन सुनकर मैं भी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गया था।" ----- मृणाल आशुतोष

मैंने सुना है, एक आदमी था, उसका जहांज डूब गया। वह बड़ा आर्किटेक्ट था। वह एक जंगली टापू पर लग गया। वहॉ कोई भी न था। यहूदी था वह आर्किटेक्ट। वर्षों बीत गये। कुछ काम तो था नहीं वहां। लकड़ियां खूब उपलब्ध थीं, पत्थर के खूब ढेर लगे थे—तो उसने कई मकान बना डाले। बैठे—बैठे करता क्या? वही कला जानता था। सड़क बना ली।कोई बीस वर्ष बाद कोई जहाज किनारे लगा.। उस आदमी को देख कर उन्होंने कहा कि तुम आ जाओ, हम तुम्हें ले चलें वापिस। उसने कहा, इसके पहले कि आप मुझे ले चलें, मैं सभी को निमंत्रित करता हूं कि मैंने जो बीस वर्षों में बनाया उसे देख तो लें! उसे देखने फिर कभी कोई नहीं आयेगा। वे सब देखने गये।वे बड़े चकित हुए। उसने एक मंदिर बनाया—सिनागॉग। उसने कहा कि यह मंदिर है जिसमें मैं रोज प्रार्थना करता हूं। और सामने एक मंदिर और था। तो उन यात्रियों ने पूछा कि यह तो ठीक है; तुम अकेले ही हो इस द्वीप पर; तुमने एक मंदिर बनाया; पूजा करते हो। यह दूसरा मंदिर क्या है? उसने कहा : 'यह वह मंदिर है जिसमें मैं नहीं जाता।’अब अकेला मंदिर जिसमें हम जाते हैं, उसमें तो कुछ मजा ही नहीं। मस्जिद भी तो चाहिए न, जिसमें तुम नहीं जाते! गिरजा भी तो चाहिए, जिसमें तुम नहीं जाते! उसने वह मंदिर भी बना लिया है, जिसमें नहीं जाता है! काम पूरा कर लिया है। जाने के लिए भी मंदिर बना लिया है; न जाने के लिए भी मंदिर बना लिया है।न जाने के लिए मंदिर! लगेगा व्यर्थ तुमने श्रम किया, लेकिन तुम अपने मन में तलाश करना। तुम वे भी योजनाएं करते हो जो तुम्हें करना है, तुम उनकी भी योजनाएं करते हो जो तुम्हें नहीं करना है। तुम नहीं करने की भी योजना करते हो। तुम उन चीजों से भी जुड़े हो जो तुम्हारे पास हैं। तुम उनसे भी जुड़े हो जो तुम्हारे पास नहीं हैं। दूसरे के पास हैं जो चीजें, उनसे भी तुम जुड़े हो। पड़ोसी के गैरेज में जो कार रखी है उससे भी तुम जुड़े हो। उससे तुम्हारा कुछ लेना—देना नहीं है; उससे भी तुम जुड़े हो। उससे भी तुमने नाता बना लिया है।#osho

Thursday, 16 November 2023

ज्यादा अच्छा होना भी अच्छा नहीं होता, पता ही नहीं चलता लोग कदर कर रहे हैं.. या इस्तेमाल...!

🪔🪔🪔🪔🪔*दिवाली जा रही है!**अगले साल आने के लिए !!**जाते जाते दे रही है!**कुछ संदेश निभाने के लिए !!*🪔*दिवाली कहती हैं कि* *मेरे जाने के बाद भी* *चंद दीपक जला के रखना!*🪔*एक दीपक आस का!*🪔*एक दीपक विश्वास का!*🪔*एक दीपक प्रेम का!*🪔*एक दीपक शांति का!*🪔*एक दीपक मुस्कुराहट का!*🪔*एक दीपक अपनों के साथ का!*🪔*एक दीपक स्वास्थ का!*🪔*एक दीपक भाईचारे का!*🪔*एक दीपक बड़ों के आशीर्वाद का!*🪔*एक दीपक छोटों के दुलार का!*🪔*एक दीपक निस्वार्थ सेवा का!**और इन ग्यारह दीपकों के साथ बिताना आप अगले ग्यारह महीने !!* *मैं फिर अगले साल आ जाऊंगी !**फिर से एक दूसरे के साथ मिल कर* *आप मेरे नए दीपक जला लेना !!* 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔

Monday, 6 November 2023

क्या होता है दुनिया छोड़कर जाना ! संग सोफे पर बैठकर रिमोट के लिए लड़ने वाले काउसी कमरे की दीवार पर एकमुस्कुराती तस्वीर में कैद हो जाना....क्या होता है दुनिया छोड़कर जाना !आँगन ,दर , दहलीज़ सब पहले से हर समान है जस का तस सिर्फ एक चेहरे की मौजूदगी कासदा के लिए कम हो आना ।क्या होता है किसी का छोड़कर जाना !कैलेंडर के पन्ने पलटते जाते तारीखें अनन्त के सफर पर ।वक्त के पहिये घूमने के बावजूदजिंदगी का ठहर जाना ।क्या होता है किसी का जाना !दुनिया भर के हँसी-ठठो में एक खिलखिलाहट का कम हो जाना ।सर से तकिया छीनने वाले कोबाँस पर लिटा सफ़ेद चादर ओढ़ाना ।इतना ही है किसी का छोड़कर जाना !आदतन उनको पुकारने परजवाब में अटूट सन्नाटा पाना ।हिदायतों के साथ देते थे जोउन सामानों का लावारिस गर्द खाना ।क्या होता है किसी का छोड़कर जाना ...भरम सा बना रहता जैसेकही घूमने गए शाम लौट आएंगे ।हर त्यौहार, हर मौके परछाती पर पड़े पत्थर का वज़न बढ़ जाना ।क्या होता है किसी का छोड़कर जाना...भीड़ में जो हुए है तन्हा कदम पैमाना नही तौले जो वो खालीपन ।रैक में पड़ी चप्पल का रखा रह जाना परसी एक थाली का कम हो जाना ।क्या होता है किसी का छोड़कर जानाक्या होता है किसी का छोड़कर जाना(शेयर करने अनुमति की आवश्यकता नही है ।)Madhu- writer at film writer's association Mumbai