Wednesday, 22 November 2023

मैंने सुना है, एक आदमी था, उसका जहांज डूब गया। वह बड़ा आर्किटेक्ट था। वह एक जंगली टापू पर लग गया। वहॉ कोई भी न था। यहूदी था वह आर्किटेक्ट। वर्षों बीत गये। कुछ काम तो था नहीं वहां। लकड़ियां खूब उपलब्ध थीं, पत्थर के खूब ढेर लगे थे—तो उसने कई मकान बना डाले। बैठे—बैठे करता क्या? वही कला जानता था। सड़क बना ली।कोई बीस वर्ष बाद कोई जहाज किनारे लगा.। उस आदमी को देख कर उन्होंने कहा कि तुम आ जाओ, हम तुम्हें ले चलें वापिस। उसने कहा, इसके पहले कि आप मुझे ले चलें, मैं सभी को निमंत्रित करता हूं कि मैंने जो बीस वर्षों में बनाया उसे देख तो लें! उसे देखने फिर कभी कोई नहीं आयेगा। वे सब देखने गये।वे बड़े चकित हुए। उसने एक मंदिर बनाया—सिनागॉग। उसने कहा कि यह मंदिर है जिसमें मैं रोज प्रार्थना करता हूं। और सामने एक मंदिर और था। तो उन यात्रियों ने पूछा कि यह तो ठीक है; तुम अकेले ही हो इस द्वीप पर; तुमने एक मंदिर बनाया; पूजा करते हो। यह दूसरा मंदिर क्या है? उसने कहा : 'यह वह मंदिर है जिसमें मैं नहीं जाता।’अब अकेला मंदिर जिसमें हम जाते हैं, उसमें तो कुछ मजा ही नहीं। मस्जिद भी तो चाहिए न, जिसमें तुम नहीं जाते! गिरजा भी तो चाहिए, जिसमें तुम नहीं जाते! उसने वह मंदिर भी बना लिया है, जिसमें नहीं जाता है! काम पूरा कर लिया है। जाने के लिए भी मंदिर बना लिया है; न जाने के लिए भी मंदिर बना लिया है।न जाने के लिए मंदिर! लगेगा व्यर्थ तुमने श्रम किया, लेकिन तुम अपने मन में तलाश करना। तुम वे भी योजनाएं करते हो जो तुम्हें करना है, तुम उनकी भी योजनाएं करते हो जो तुम्हें नहीं करना है। तुम नहीं करने की भी योजना करते हो। तुम उन चीजों से भी जुड़े हो जो तुम्हारे पास हैं। तुम उनसे भी जुड़े हो जो तुम्हारे पास नहीं हैं। दूसरे के पास हैं जो चीजें, उनसे भी तुम जुड़े हो। पड़ोसी के गैरेज में जो कार रखी है उससे भी तुम जुड़े हो। उससे तुम्हारा कुछ लेना—देना नहीं है; उससे भी तुम जुड़े हो। उससे भी तुमने नाता बना लिया है।#osho