Saturday 31 August 2024

मन एक ऐसी जमीन हैजहां आप ; जैसी मानसिकता का बीज बोयेंगे, आपको वैसा ही फल प्राप्त होगा ।

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹🌹सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और🌹तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है, 🌹और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,🌹हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.🌹‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है, 🌹अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है, 🌹खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है. देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है, 🌹फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है, और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.🌹एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है, 🌹बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,🌹और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,🌹लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है, दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,🌹पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं, "काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,🌹अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,🌹हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है,पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹बुढापे मे माँ बाप जब बीमार रहते हैं तो एक एक दिनबहुत डरावना लगता हैं🙏 मेरे अनमोल रतनमाँ पापा भगवान् आपको ठीक रखे 🙏🙏देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिस उनकी ही राह पर आना पड़ रहा है। 😊1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना।5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना। इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।आभार स्वदेशी ❤️🙏#जीवनशैली #रसोई #रसोईघर #गांव #ग्रामीण #बर्तन #चूल्हा #दैनिक #दैनिकजीवन

कहानी: जो दिल को छू जाए #गायत्री_निवास : एक बेहद मार्मिक कहानी पढ़िए एक थोड़ी सी पुरानी कहानी , बिलकुल ही एक नये अंदाज में और जानिए कि क्यूं जरूरी है घर में बड़े बुजुर्गों की उपस्थिति??? बच्चों को स्कूल बस में बैठाकर वापस आकर शालू खिन्न मन से टैरेस पर जाकर बैठ गयी। सुहावना मौसम, हल्के बादल और पक्षियों का मधुर गान कुछ भी उसके मन को वह सुकून नहीं दे पा रहे थे, जो वो अपने पिछले शहर के घर में छोड़ कर आयी थी। शालू की इधर-उधर दौड़ती सरसरी नज़रें थोड़ी दूर पर एक पेड़ की ओट में खड़ी एक बुढ़िया पर ठहर गयी। वह सोचने लगी ‘ओह! फिर वही बुढ़िया, आखिर वह क्यों इस तरह से उसके घर की ओर ताकती है?’ शालू की उदासी बेचैनी में तब्दील हो गयी, मन में शंकाएं पनपने लगीं। इससे पहले भी शालू उस बुढ़िया को तीन-चार बार नोटिस कर चुकी थी। शालू को पूना से गुड़गांव शिफ्ट हुए पूरे दो महीने हो गये थे , मगर अभी तक वह यहां ठीक से एडजस्ट नहीं हो पायी थी। पति सुधीर का बड़े ही शॉर्ट नोटिस पर तबादला हुआ था इसलिए वो तो आते ही अपने काम और ऑफ़िशियल टूर में व्यस्त हो गए। उधर बेटी शैली का तो पहली क्लास में आराम से एडमिशन हो गया, मगर सोनू को बड़ी मुश्किल से पांचवीं क्लास के मिड सेशन में एडमिशन मिला। वो दोनों भी धीरे-धीरे रूटीन में आ रहे थे लेकिन शालू ? शालू की स्थिति तो उस पौधे की तरह हो गयी थी जिसे जड़ से उखाड़ कर दूसरी ज़मीन पर रोप दिया गया हो ,जो अभी भी नयी ज़मीन नहीं पकड़ पा रहा था। सब कुछ कितना सुव्यवस्थित चल रहा था पूना में? उसकी अच्छी जॉब थी। घर संभालने के लिए अच्छी मेड थी जिसके भरोसे वह घर और रसोई छोड़कर सुकून से ऑफ़िस चली जाती थी। घर के पास ही बच्चों के लिए एक अच्छा-सा डे केयर भी था। स्कूल के बाद दोनों बच्चे शाम को उसके ऑफ़िस से लौटने तक वहीं रहते थे। लाइफ़ बिल्कुल सेट थी, मगर सुधीर के एक तबादले की वजह से सब गड़बड़ हो गया। यहां न आस-पास कोई अच्छा डे केयर है और न ही कोई भरोसे लायक मेड ही मिल रही है। उसका करियर तो चौपट ही समझो और इतनी टेंशन के बीच ये विचित्र बुढ़िया? कहीं छुपकर घर की टोह तो नहीं ले रही? वैसे भी इस इलाके में चोरी और फिरौती के लिए बच्चों का अपहरण कोई नयी बात नहीं है। सोचते-सोचते शालू परेशान हो उठी। दो दिन बाद सुधीर टू

एक शिक्षक कहा करते थे, आप जीवन में कुछ भी करें, लेकिन आपको खुश करने के लिए किसी और को खोजने की कोशिश न करें। कभी भी किसी पर इस हद तक निर्भर न रहें कि आपकी उम्मीदें पूरी न होने पर आप उदास हो जाएं। विशेषकर मानसिक रूप से. आप परेशान हैं, हेमंत का संगीत सुनें, अपने लिए एक गर्म कप कॉफी बनाएं, दोपहर की मीठी धूप में खुद से बात करें, अपने पसंदीदा लेखक की किताब पढ़ें। अगर आपमें कोई खास रचनात्मकता है तो खुद को उसमें व्यस्त रखें। 🥀 दूसरों पर व्यंग्य करके स्टेटस लिखना, अपने दुख, कमजोरी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना किसी बुद्धिमान व्यक्ति का काम नहीं है। अगर आप बहुत परेशान हैं तो कमरे में अंधेरा कर दें और चुपचाप बैठ जाएं। अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना करें. यादें ताजा करें, हंसें, रोएं, जो भी हो, अपने साथ एक खूबसूरत रिश्ता बनाएं ताकि दुख के दिनों में आपको कंधे की जरूरत न पड़े। अगर आप किसी चीज में सफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, अगर आप असफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, खुद से एक वादा करें। लेकिन किसी और की नज़रों में अपनी पूर्णता खोजने की कोशिश न करें। आपको कष्ट तब होगा जब दूसरों की नजरें आपके दोषों में आपके गुण नहीं ढूंढ पाएंगी, यदि आप ढूंढ सकते हैं, तो आप ढूंढ सकते हैं। रेस्तरां में अकेले खाना खाना सामान्य होना चाहिए, पार्क में अपने साथ समय बिताना क्यों हास्यास्पद होगा? यदि संभव हो तो वित्तीय लोगों को भी खुद को स्थापित करना चाहिए। ताकि आप गंभीर मूड स्विंग्स में खुद को चॉकलेट दे सकें, आप अपने जन्मदिन पर खुद को एक उपहार दे सकें या वंचित बच्चों के साथ जन्मदिन की खुशी साझा कर सकें, आप अपनी पसंदीदा पोशाक खरीद सकें, भले ही आप अपने लिए पैसे बचा सकें।कभी-कभी अपने आप को कुछ फूल दीजिए। घर के एक कोने में फूल होंगे, मनमोहक खुशबू फैलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। हर किसी को खुश रखना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, हर किसी को खुश रखना दुनिया में किसी के लिए भी संभव नहीं है। जहां आप नहीं कह सकते, वहां "नहीं" कहना सीखें। मेरे माता-पिता मेरी कद्र नहीं करते, मेरे दोस्त मुझे समय नहीं देते, मेरे करीबी मुझसे ठीक से बात नहीं करते, मेरे लिए उनके पास समय नहीं है, इससे कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी भाषा में ध्यान दूसरों के लिए अनावश्यक तनाव मात्र है। दूसरों को परेशान क्यो

Friday 30 August 2024

मैं पुरुष हूँ।मैं भी घुटता हूँ, पिसता हूँ, टूटता हूँ , बिखरता हूँ,भीतर ही भीतर, रो नही पाता, कह नही पातापत्थर हो चुका, तरस जाता हूँ पिघलने को,क्योंकि मैं पुरुष हूँ।मैं भी सताया जाता हूँ, जला दिया जाता हूँ,उस दहेज की आग में, जो कभी मांगा ही नही था।स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का,तिनका-तिनका कमाया था जिसे मैंने,मगर आह नही भर सकता,क्योकि मैं पुरुष हूँ।मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की,हमेशा धकेल दिया जाता हूँ रिश्तों का वजन बांध कर,जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी।कभी अपना दर्द बता नही सकता,किसी भी तरह जता नही सकता,बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ।क्योंकि मैं पुरुष हूँ।हाँ, मेरा भी होता है बलात्कार,उठा दिए जाते है मुझ पर कई हाथ,बिना वजह जाने, बिना बात की तह नापे,लगा दिया जाता है सलाखों के पीछे कई धाराओं में,क्योंकि मैं पुरुष हूँ।सुना है, जब मन भरता है, तब आँखों से बहता है,मर्द होकर रोता है, मर्द को दर्द कब होता है,टूट जाता है तब मन से, आंखों का वो रिश्ता, तब हर कोई कहता है,हर स्त्री स्वेत स्वर्ण नही होती,न ही हर पुरुष स्याह कालिख,मुझे सही गलत कहने वालों,पहले मेरे हालात क्यों नही जांचते?क्योंकि मैं पुरुष हूँ? #man #admi #purash

अगर आपने सफर शुरू कर ही दिया है तो बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वापस आने में जितनी दूरी तय होगी क्या पता मंजिल उससे भी पास हो..#beautifullife #hindisuvichar #motivation

स्त्रियांबाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती हैऔर तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।स्त्रियांकिचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती हैऔर तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???स्त्रियांबाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???स्त्रियांबच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???स्त्रियांकही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।स्त्रियांबच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।स्त्रियां दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार 😘 करती है............ ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... .....नोट-- यह पोस्ट सभी गृह कार्य में दक्ष गृहणियों को ही समर्पित है।।झाड़ू-पोछा चौंका बर्तन और कपड़े नौकरानी से साफ करने वाली ना भावुक हों..!!🙏🙏🙏🙏🙏#हर_बेटी_मेरी

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹🌹सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और🌹तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है, 🌹और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,🌹हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है, "रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.🌹‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है, देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है, 🌹अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है, और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है, 🌹खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है. देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है, 🌹फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है, और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.🌹एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है, 🌹बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,🌹और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,🌹लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है, दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,🌹पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं, "काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..🌹हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,🌹अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,🌹हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है,पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..🌹देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..#maabaap #beautifullife #hindisuvichar

Wednesday 28 August 2024

घर से भागी हुई बेटी का बाप इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ आदमी होता है, पहले तो वो महीनों तक अपने घर से बाहर ही नहीं निकलता है और जब बाहर निकलता है तो हमेशा सिर झुकाकर चलता है। आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे बस यही लगता है कि जैसे लोग उसी को देखकर हस रहे हों, जिंदगी भर किसी से तेज आवाज में बात नहीं करता क्योंकि डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले घुट घुट कर जीता है और अंदर ही अंदर रोता रहता है।एक बाप अपनी बेटी की मोहब्बत से नहीं डरता बल्कि अपनी बेटी के लूट जाने से डरता है ।सभी बेटियों से निवेदन है कृपया ऐसी नौबत ना आने दे।

Monday 26 August 2024

कहीं आप अपनी पत्नी के साथ गलत तो नहीं कर रहे? आज कुछ ऐसे पति भी हैं जो पढ़े-लिखे हैं और अपनी पत्नी की मानसिक अशांति या आंतरिक खुशी का कारण नहीं जानते या समझने की कोशिश भी नहीं करते। सच बताऊं तो कई पति ऐसे होते हैं जिन्हें अगर उनकी पत्नी यह कहे कि मैं तुम्हारे साथ मानसिक रूप से अच्छी नहीं हूं तो उन्हें आश्चर्य होता है, तब पति सोचते हैं और अपनी पत्नियों से कहते हैं कि मैं तुम्हारे भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले रहा हूं तो तुम अच्छी क्यों नहीं हो? उन्हें इन बातों की परवाह ही नहीं है. लेकिन कोई भी लड़की अपने पति के घर सिर्फ भोजन और कपड़े के लिए नहीं आती है। एक लड़की अपने पिता के घर में भी बिना भोजन और आवश्यकता के नहीं रहती है, चाहे वह कहीं भी हो, ईश्वर उसकी जीविका प्रदान करता है क्या आपकी पत्नी कम से कम एक बार अच्छी है? वह वास्तव में आपसे क्या चाहती है? क्या वह आपसे खुश है? अगर आप अपनी पत्नी से दूरियां बनाते हैं तो आप खुद को ही नुकसान पहुंचाएंगे। आप अपनी पत्नी की मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करें। प्यार करते समय आप जिस तरह से एक लड़की की पसंद-नापसंद का पता लगाते हैं। अगर पत्नी को समय दिया होता तो इतने रिश्ते नहीं टूटते. दुनिया में ऐसी बहुत सी लड़कियाँ हैं जो अपने पति के प्रति वफादार होती हैं, अगर उनके पति बुरे हैं और समय नहीं देते हैं, तो वे कभी भी दूसरे लड़कों के साथ समय नहीं बिताएँगी...!! लेकिन पति इतने असफल होते हैं कि वो ये समझने की कोशिश भी नहीं करते कि ऐसा क्यों हो रहा है. इसलिए अपनी गलती के कारण किसी लड़की को दिन-ब-दिन मानसिक पीड़ा सहना अनुचित है। इसलिए अपनी पत्नी का अच्छे से ख्याल रखें। पति-पत्नी का रिश्ता ईश्वर द्वारा दिया गया एक आशीर्वाद है और यदि ईश्वर के किसी सेवक को ठेस पहुँचती है, तो ईश्वर ऐसा करेगा पीड़ित। अब समय है अपनी पत्नी से पूछने का और उसके अंदर के दर्द को बाहर लाने का। #patiptani

Sunday 25 August 2024

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर हर दिन सुबह के वक्त एक कार आकर रुकती थी। उसमें से एक युवा व्यक्ति उतरता, और वृद्धाश्रम के बगीचे में बैठी एक बुजुर्ग महिला के पास जाकर बैठ जाता। दोनों के बीच धीमी-धीमी आवाज़ में बातें होतीं, और फिर कुछ देर बाद वह युवक उठकर चला जाता। यह दृश्य अब वृद्धाश्रम के सभी निवासियों के लिए एक परिचित और रोजमर्रा का हिस्सा बन गया था। धीरे-धीरे, सबको यह भी पता चल गया कि वह बुजुर्ग महिला, उस युवक की माँ है।आज सुबह का दृश्य भी कुछ वैसा ही था, लेकिन आज युवक अपनी माँ के सामने घुटनों के बल बैठा था, बार-बार उनके पैरों को पकड़कर माफी मांग रहा था। वृद्धाश्रम के गेट कीपर, रघु, जो हमेशा अपने काम में तल्लीन रहता था, आज इस दृश्य को देखकर विचलित हो गया। उसने पास ही बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति से कहा, "लोग कहते हैं कि औलाद बदल जाती है, लेकिन यहाँ तो कुछ और ही कहानी नजर आ रही है।"बुजुर्ग व्यक्ति, जो जीवन के अनुभवों से समृद्ध था, हल्की मुस्कान के साथ बोला, "जो तुम्हारी आंखें देख रही हैं, वह पूरा सच नहीं है। यहाँ आने वाले हर व्यक्ति की एक कहानी होती है, और उस कहानी में बहुत कुछ छिपा होता है।"जब युवक वहां से चला गया, तो रघु अपने मन की जिज्ञासा को रोक नहीं सका और वह सीधे उस बुजुर्ग महिला के पास पहुंच गया। "ताई," उसने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछा, "जो लड़का आपसे मिलने आता है, वह आपका बेटा है न?"बुजुर्ग महिला ने सिर हिलाकर सहमति दी, लेकिन कोई शब्द नहीं बोले।रघु ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "ताई, आपका बेटा तो बहुत अच्छा है। देखिए, कितनी मिन्नतें कर रहा है। क्या वह आपको यहां से ले जाना चाहता है?"बुजुर्ग महिला ने एक बार फिर से सिर हिला दिया, लेकिन उसके चेहरे पर एक गहरी उदासी छाई हुई थी। अब तक, आसपास कुछ और बुजुर्ग महिला-पुरुष आकर उनके पास खड़े हो गए थे।एक बुजुर्ग व्यक्ति, जो अपने अनुभवों का ढेर अपने कंधों पर उठाए था, बोला, "कहते हैं कि औरत वसुधा की तरह धैर्यवान होती है, लेकिन आपको देखकर ऐसा नहीं लगता।"बुजुर्ग महिला, जो अब तक सबकी बातें चुपचाप सुन रही थी, किसी को कोई जवाब नहीं दे रही थी। एक और व्यक्ति ने कहा, "अब जमाना बदल गया है। सहनशीलता बीते दिनों की बात हो गई है। आजकल की महिलाएं भी पुरुषों की तरह स्वतंत्रता चाहती हैं। हर कोई आजादी चाहता है—किसी को माँ-बाप से और किसी को अपने बच्चों से!"यह सब सुनकर बुजुर्ग महिला की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने फिर भी अपने होंठ सी लिए।अगले दिन फिर वही कार वृद्धाश्रम के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई। इस बार उस युवक के साथ एक महिला भी थी, जो अपनी गोद में एक छोटे से बच्चे को लेकर आई थी। दोनों वृद्धाश्रम के अंदर आए और महिला ने बच्चे को बुजुर्ग महिला की गोद में रखते हुए, पैरों पर गिरकर रोते हुए कहा, "माँजी, हमें माफ कर दीजिए। हमारे साथ घर चलिए, आपको अपने पोते की कसम है।"इस दृश्य को देखकर रघु, जो हमेशा से बुजुर्ग महिला के प्रति सम्मान रखता था, अपने आंसू रोक नहीं पाया। उसने गुस्से में आकर कहा, "ताई नहीं जाना चाहती, तो क्यूँ उन्हें जबरदस्ती ले जाना चाहते हो? तुम जैसे बच्चे भगवान सबको दें। वर्ना आजकल तो बच्चे जानबूझकर माँ-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ जाते हैं।"इस बार बुजुर्ग महिला का धैर्य टूट गया। उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। अपने आंचल से आंसू पोंछते हुए उसने रुंधे गले से कहा, "आप शायद नहीं जानते रघुजी! जब मेरे पति इस दुनिया से चले गए, तो मेरी सारी जमा-पूंजी इन लोगों ने ले ली। रोज़ एक निवाले के लिए मुझे घंटों इंतजार करना पड़ता था। ये लोग मुझे दिन-रात खरी-खोटी सुनाते, और रातों में खून के आंसू रुलाते। अंत में, इन्होंने मुझसे कहा कि या तो मैं उनकी शर्तों पर चलूं या घर छोड़ दूं। मैंने घर छोड़ दिया, क्योंकि मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। आज ये लोग माफी मांगने नहीं आए हैं। इन्हें मुझसे कोई प्रेम नहीं, बल्कि इन्हें बच्चे को संभालने के लिए एक आया चाहिए। इसीलिए यह नाटक आपके सामने कर रहे हैं।"बुजुर्ग महिला की इस बात ने वहां खड़े सभी लोगों को सन्न कर दिया। रघु, जो हमेशा से लोगों के प्रति दयालु रहा था, आज इस सचाई से बेहद दुखी हो गया। उसने सोचा, जो आँखें देख रही थीं, वह सच नहीं था। कभी-कभी, जो दिखाई देता है, वह सच्चाई से बहुत दूर होता है। आज, वृद्धाश्रम के हर निवासी ने एक कड़वी सच्चाई को समझा—कि जब रिश्ते स्वार्थ की बुनियाद पर टिकते हैं, तो वे केवल एक दिखावा बनकर रह जाते हैं। #hindistory

Tuesday 20 August 2024

कोई दुख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं.. हारा वही जो लड़ा नहीं..

आज के जमाने में खुश वही है,, जो मतलबी है !!

The narcissist does not want a partner, they want a servant, a pawn in their game of self-aggrandizement, a mere reflection of their own magnificence. They crave a devoted follower, a loyal subject, a constant admirer, and a perpetual source of supply for their insatiable ego.They seek someone to:- Cater to their every whim- Anticipate their every need- Fulfill their every desire without question or hesitation- Idolize them, worship them, and put them on a pedestal- Be their echo chamber, their yes-person, their enabler, and their accompliceThe narcissist sees their partner as an extension of themselves, a tool to be used for their own gratification, a means to an end, not an end in themselves. They don't see their partner as a person with their own:- Thoughts- Feelings- Needs- DesiresBut as a mere object to be manipulated, controlled, and exploited. And when the partner finally realizes that they are nothing more than a servant, a slave to the narcissist's ego, and tries to break free, the narcissist will stop at nothing to keep them in their place.They will use:- Guilt- Anger- Manipulation- Gaslighting- Emotional blackmail- Even violenceto maintain their control and dominance. So, if you find yourself in a relationship with a narcissist, remember that you are not a partner, but a servant, and that your only value lies in your ability to serve their ego. Break free, take back your life, and never look back.Copied

Tuesday 13 August 2024

*पीले पत्ते और हमारे बुजुर्ग*🍁*पौधों की टहनियों पर लगे पीले पत्ते* *मत तोड़ो तुम....!**चंद रोज में....**खुद ब खुद झड़ जाएंगे ।**बैठा करो....,**कुछ तो अपने बुजुर्गों के पास तुम,**एक दिन खुद ही ये चुप हो जाएंगे ।**खर्चने दो.....**उन्हें बेहिसाब तुम यारों !**एक दिन.....,**सब तुम्हारे लिए छोड़ जाएंगे ।**मत टोको, मत रोको उनको बार बार**बात दुहराने पर.....,**एक दिन हमेशा के लिए वे ख़ामोश हो जायेंगे ।**इनका आशीर्वाद सर पर ले लिया करो तुम ,**वर्ना फ़िर ये तस्वीरों में ही नज़र आयेंगे ।**खिला दो उनको कुछ उनकी ही पसंद का.... ,**वरना फिर श्राद्ध में भी देखना वे खाने नहीं आयेंगे ।**पौधों की टहनियों पर लगे पीले पत्ते...**मत तोड़ो तुम.....।*चंद रोज मे..... |खुद ब खुद झड़ जायेंगे l