Thursday 17 October 2024

*श्री हरिवंश राय बच्चन जी की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Wednesday 16 October 2024

WHEN I AM GONEWhen I leave, I don't want you to be too sad. Stay silent, save the words, and remember the happy moments that warm the soul. When I fall asleep, let me rest. I'm gone for a reason. If you miss me, don't say anything. In silence, look for my presence in my house, my books, my letters, and my photos, as well as in those papers that I wrote in a hurry.Wear my shirts, my sweater, and my jacket. Walk in my shoes. My room is yours, as are my pillow and my bed. If it's cold, wrap yourself in my scarves. Enjoy the chocolate and wine I left. Listen to that song I loved so much, use my perfume, and take care of my plants.If they bury my body, don't be afraid. Run free and let your tears flow. Let the wind caress your face. Feel the poetry, music, and singing. Kiss the earth, drink the water, and learn the language of the birds. If you miss me deeply, try to hide it and look for me in the children, the coffee, the radio, and those places where I used to hide. Never say the word 'death.' Sometimes being forgotten is sadder than dying many times and still being remembered.When I fall asleep, bring flowers to my grave and shout with all your might that life goes on. The flame of life does not go out just because I am not there. Those who "live" never die completely; they only fall asleep momentarily. Eternal sleep is just an excuse.When I leave, extend your hand, and you will feel my touch. You will know that I will always be by your side. And one day, with a smile, you will feel that I have returned to stay with you forever.✍🏻 Worth Sharing

ईमानदारी से रिश्ते निभाने वाले लोग ही, अक्सर ज्यादा रोया करते हैं.!!

KEEP YOUR CIRCLE SMALLA Short Valuable StoryA young girl asked an elderly woman: "Do I really need friends in life?"The elderly woman responded:"Yes. Life is truly very rough. There should be someone by your side with whom you can talk for hours without feeling that they would judge you; on whose shoulders you can cry, one who will give you emotional support. When no one will be there for you, they should be there. One who should help you share the good times and overcome the difficult ones."The young girl asked:"Is it true that a fake friend is more dangerous than an enemy?"The elderly woman responded:"Yes. It's because you know who your enemy is and you're not going to let them get close to you. But a false friend is pretending while getting your trust. They find out your vulnerabilities, your secrets and your dreams. They know which button to press and how to stab you in the back."The young girl asked: "How do I avoid being surrounded by fake friends?"The elderly woman paused for a short moment, then asked,"Between a small garden and a forest, which one has more snakes and scorpions?"The young girl responded:"The forest, sure!"The elderly woman smiled, and then said:"Good! When you keep your circle of friends small like a small garden, the less snakes and scorpions you have to worry about, even rats. The fewer people you hang out with, the fewer problems you have to deal with. When I was young, I had a very big group of friends. But as I grew old and wise with experience, my circle of friends became smaller. I realized that quality outweighs quantity when it comes to friendship. Don’t fool yourself by holding onto the illusion that everyone is your friend. You may have numerous acquaintances, but real friends will always be just a few people you love and trust. The best way to prevent yourself from falling into the fake friend trap is by being more mindful about the size of your circle."✍🏻 Worth Sharing #story #beautifullifeskl

Tuesday 15 October 2024

ईमानदारी से रिश्ते निभाने वाले लोग ही, अक्सर ज्यादा रोया करते हैं.!!

जिंदगी में कुछ सीखो या ना सीखो,मगर लोगों को पहचानना जरूर सीखो,क्यूंकि लोग जो दिखते हैं वैसे होते नहीं है।

सिर्फ धोखा देना ही धोखा नहीं होता..बल्कि किसी के साथ अपनेपन का झूठा नाटक करना उससे भी बड़ा धोखा होता है.. #jhooth #rishtey #beautifullife #hindisuvichar

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

रिश्तों में दरार दूर रहने से नहीं बल्कि... झूठ बोलने से आती है !

When Parents die 💔, nothing is the same anymore. We can no longer be children, we will no longer feel carried away by their hugs, kisses and words of encouragement. It seems like life is getting harder because their protective love is no longer there. When parents are no longer with us, we are orphans and that is hard regardless of age. Even though you created your family, the face of your parents is ingrained in you for eternity. All people, even if we are adults, have this living child inside us who wants to be protected all the time by his parents. Turning to their unconditional love whenever necessary, but when they are gone, that option is no longer possible...!!! 😭#Beautifullife #motivationalquotes

Monday 14 October 2024

"बचपन तो मेरा बहुत अच्छा था। लेकिन जब माता-पिता का तलाक हुआ तो हम भाईयों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी। उस ज़माने में तलाक आज की तरह कोई नॉर्मल बात नहीं थी।" कुछ साल पहले रतन टाटा जी ने एक इंटरव्यू में ये बातें कही थी। उस इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपने जीवन की कई बातों पर रोशनी डाली थी। उन्होंने बताया था कि माता-पिता के तलाक के बाद उनकी दादी ने उनका बहुत ख्याल रखा। जब उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी तब स्कूल के दूसरे बच्चे उनके बारे में तरह-तरह की बातें करते थे। कुछ लड़के छेड़ते थे। तो कुछ उकसाने की कोशिश करते थे। उन बातों पर रतन टाटा को बहुत गुस्सा आता था। लेकिन दादी उस वक्त उन्हें शांत रहने को कहती थी। दादी कहती थी कि किसी भी कीमत पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है। उस इंटरव्यू में रतन टाटा ने पिता संग अपने रिश्तों पर भी बात की थी। रतन टाटा ने बताया था कि मैं वॉयलिन बजाना सीखना चाहता था। पिता कहते थे कि पियानो सीखो। मैं अमेरिका में पढ़ना चाहता था। पिता मुझे ब्रिटेन भेजना चाहते थे। मुझे आर्किटेक्ट बनना था। लेकिन पिता ज़िद करते थे कि मैं इंजीनियर ही बनूं। मगर बाद में दादी की मदद से मैं अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी पढ़ने गया। शुरू में मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। लेकिन बाद में मैंने आर्किटेक्चर में डिग्री ली।#ratantata#tata#ratantatasir#everyonefollowers

Sunday 13 October 2024

स्वाद छोड़ दो तो शरीर को लाभ हैं विवाद छोड़ दो तो संबंधों को लाभ हैं और अगर व्यर्थ चिंता छोड़ दो तो पूरे जीवन को लाभ हैं।

झूठ और बेईमानी का कार्य करके एक इंसान दूसरे इंसान को धोखा दे सकता हैन्याय करने वाले उस ईश्वर को नहीं!!

मुश्किलें नहीं आयेंगी तो निखरोगे कैसे, कौन अपना है कौन नहीं समझोगे कैसे, डरते ही रहोगे गिरने से तो आगे बढ़ोगे कैसे, तपोगे नहीं जब तक तो सोने सा चमकोगे कैसे।।

"होशियार" होना अच्छी बात है पर दुसरो को "मूर्ख" समझना बेवकूफी है..

दुनिया की सबसे कमजोर चीज शराफत है जिसका फायदा अक्सर घटिया लोग उठाते हैं...

Saturday 12 October 2024

*जीवन के इन तीन चरणों में दुखी न हों:**(1) पहला कैंप :-58 से 65 वर्ष*कार्यस्थल आपसे दूर हो जाता है।अपने करियर के दौरान आप चाहे कितने भी सफल या शक्तिशाली क्यों न हों, आपको एक साधारण व्यक्ति ही कहा जाएगा। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी या व्यवसाय की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें*(2) दूसरा कैंप :-65 से 72 वर्ष*इस उम्र में, समाज धीरे-धीरे आपको दूर कर देता है। आपके मिलने-जुलने वाले दोस्त और सहकर्मी कम हो जाएँगे और आपके पिछले कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो।यह न कहें कि "मैं था..." या "मैं कभी था..." क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं पहचानेगी, और आपको इसके बारे में बुरा नहीं मानना चाहिए!*(3) तीसरा कैंप :-72 से 77 वर्ष*इस कैंप में, परिवार धीरे-धीरे आपको दूर कर देगा। भले ही आपके कई बच्चे और नाती-नातिन हों, लेकिन ज़्यादातर समय आप अपने साथी के साथ या अकेले ही रह रहे होंगे।जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!और अंत में 77+ के बाद,धरती आपको नष्ट करना चाहती है। इस समय, दुखी या शोक मत करो, क्योंकि यह जीवन का अंतिम चरण है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!*इसलिए, जब तक हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जिएँ!**आपका**जो पसंद है वो खाएँ,**पीएँ, खेलें और जो पसंद है वो करें।**खुश रहें, खुशी से जिएँ..**प्रिय वरिष्ठ नागरिक भाइयों और बहनों*,*उपरोक्त लेख लेखक द्वारा बहुत बढ़िया लिखा गया है।* *लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई*।58+ के बाद दोस्तों का एक समूह बनाएँ और कभी-कभार एक निश्चित स्थान पर, एक निश्चित समय पर मिलते रहें। टेलीफोनिक संपर्क में रहें। पुराने जीवन के अनुभवों को याद करें और एक-दूसरे के साथ साझा करें।*हमेशा खुश रहें।🙏*#motivational #highlightseveryone #followers #entertainment #beautifullife #hindisuvichar

Monday 7 October 2024

(मालिक बदलते रहते हैं कमाई की हद तय करो)💯💥100 साल से ज्यादा एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती जमीन....😳जब ये मकान बनना शुरू हुआ होगा तो घर वालों ने कितने शौक से बनाया होगा कितनी शिद्दत से इसकी सजावट की होगी । बीवी कहती होगी यहां ये डिज़ाइन बनाना है यहां पर ये दरवाज़ा लगना है और यहाँ पर ऐसी खिड़की रखनी है.आह चले गए ना सब. यहां से सब को जाना है ज़मीन और मकान के लिए न लड़ा करो मालिको। ज़मीन 100 साल से ऊपर एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती है। 👌💯मालिक बदलते रहते हैं कमाई की हद तय करोजीना सीखो एक उम्र के बाद अपनी मर्जी से कहीं जा भी नही सकोगे। आज खुद के लिए वक्त नहीं निकलता कल कहीं गिर ना जाओ कहीं खो ना जाओ, नही पापा वहां नही जाना है आकर बीमार पड़ जाओगे। बच्चे भी फिर बहाना लगा देंगे । और अगर गलती से जिद्द कर के चले भी गए और कहीं चोट लग गई या बीमार हो गए तो वही बच्चे बहू सो ताने देने लगेंगे हमने तो पहले ही रोका था अब कौन करेगा इनका । बच्चे देखें या इन्हें। अगली बार से ऐसे करेंगे तो मैं नही करूंगी करके बहू भी पल्ला झाड़ लेगी। जब तक जियो जी भर कर जियो। क्योंकि जिनके लिए जोड़ रहे हो कल वही तुम्हे आराम नही करने देंगे।उनसे पूछ कर आराम करना होगा।""ये दुनियां एक नाटक है अपना किरदार निभाते चलो तुम इस नाटक का हिस्सा भर हो## । किसी बेतहाशा कमाने वाले से उसके अंतिम दिनों के समय पूछना क्या मिला जोड़ते जोड़ते सपने मारते मारते जीकर।वो कहेगा तजुर्बा और तजुर्बा यही कहता है एक उम्र के बाद ये बातें आम हो जाती है।💯💥💪#beautifullife #hindisuvichar

"सफलता की शुरुआत"1. सबसे पहले अपना लक्ष्य बनाओ।2. आलस को जिंदगी से निकाल दो।3. हमेशा अपने गोल पर फोकस करते रहो।4. समय को मैनेज करना सीखो5. ध्यान से सुनना सीखो।6. सेल्फ कॉन्फिडेंस होना चाहिए।7. सबके प्रति अच्छे भाव रखो।8. ईमानदारी से रहना सीखो।9. बोलने का तरीका सीखो।10. सकारात्मक रहना सीखो11. हमेशा सीखते रहे।12. खुद को मजबूत और बेहतर समझे।

Thursday 3 October 2024

मेरे घर के आगे रोज कोई नींबू जिसके अंदर शायद सिंदूर लगा रहता है, फेक कर चला जाता था। मैं इन सारी चीजों को नहीं मानता, और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। सुबह घर में झाड़ू लगाते वक्त जब बाहर के गेट को खोलकर मेरी पत्नी कूड़ा बाहर कूड़ेदान में डालने जाती है, तो मुख्य द्वार पर ठीक सामने रोज उसे वह नींबू दिखता, जिसे कि वह हाथ भी नहीं लगती। बाद में सड़क के साफ सफाई के वक्त वह वहां से हट जाता है, या किसी गाड़ी के पहियों के नीचे आकर खत्म हो जाता। लगातार 1 हफ्ते से ऐसा कुछ मेरे घर में हो रहा था। मेरी पत्नी बहुत परेशान हो चुकी थी ,और रोज मुझसे इस बात के लिए बहस करती थी, की पता करो यह सब कौन कर रहा है, पर मैं उसे सिर्फ यही कहता था, यह सब काला जादू वगैरह कुछ नहीं होता। सब मन का वहम होता है । अगर ऐसा होने लगे तो हर कोई दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर ले। जो ऐसा कर रहा है, उसे करने दो। उसे अपने मन की तसल्ली मिलने दो। हमारा कुछ नहीं बिगड़ने वाला। होगा वही जो प्रभु चाहेंगे। लेकिन मेरी पत्नी को कितना भी समझा लो, वह इन सारी दकियानूस बातों को मानती थी । उसने जिद पकड़ ली, कि अब तो उसे पता करना ही है, कि यह सब कुछ कौन कर रहा है, नहीं तो वह हमारे घर में कुछ अनर्थ हो जाएगा। इन सब पर यकीन ना होते हुए भी ,पत्नी की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा, और मैंने अगले दिन अपने घर के हाल के बाहर सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल करवा दिए, जो की सड़क तक की रिकॉर्डिंग आराम से कर सकता था । किसी पड़ोसी को खबर नहीं लगने दी, कि हमने कैमरे लगवाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। अगले दिन सुबह फिर नींबू हमारे गेट पर था, और हमने सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी ,देखकर हमारे होश उड़ गए। उस नींबू को मेरे छोटे भाई ने लाकर मेरे मुख्य द्वार के आगे रखा था। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था, की बगल के घर में रहने वाला मेरा छोटा भाई ऐसा कैसे कर सकता है? मुझे इन सारी चीजों पर कोई विश्वास नहीं था। लेकिन फिर भी आज मुझे दुख हो रहा था, इस बात का, की आखिर मेरे छोटे भाई ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मेरी पत्नी भी यह सब कुछ देखकर हैरान थी। हम दोनों भाइयों के बीच कभी कोई विवाद नहीं रहा था, किसी भी बात को लेकर। माता-पिता के गुजरने के बाद सारी संपत्ति हम दोनों ने बराबर बराबर बाटी थी, और आपस में प्यार मोहब्बत से रहते थे। आज दिल टूट सा गया था। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया। मेरी पत्नी को गुस्सा आ रहा था ,और वह अपने देवर देवरानी से लड़ने के लिए जाना चाह रही थी। लेकिन मैंने उससे बोला तुम चुप रहो, और अपना काम करो। मैं छोटे से बात करके देख लूंगा । पत्नी ने बोला अब बात करने वाली कोई बात नहीं है। यह बहुत बड़ी बात है । सगा भाई होकर वह ऐसा कैसे कर सकता है? मैंने किसी तरह से अपनी पत्नी को समझा बूझाकर ,उसे घर के कामों में व्यस्त कर दिया, और अपने छोटे भाई के पास गया। भाई ने हमेशा की तरह बहुत प्यार से मुझसे बात की, और अपनी पत्नी से मेरे लिए चाय बनाने को कहा। थोड़ी देर में चाय आ गई। मैं भाई से इधर-उधर की बात करने के बाद मुख्य मुद्दे पर आ गया, और बोला कि मेरे घर के मुख्य द्वार पर रोज कोई सिंदूर लगा हुआ नींबू फेंक कर जा रहा है। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंमेरा भाई अनजान बनते हुए बोल रहा था ,अच्छा, ऐसा कौन कर सकता है? उसके बाद मैंने आराम से बोला ,यही जानने के लिए कल मैंने अपने घर में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल करवाए थे, अब तो मेरे भाई के चेहरे का रंग उड़ गया था। उसे समझ में नहीं आ रहा था ,वह क्या बोले? वह मुझसे नज़रे नहीं मिला पा रहा था। मैंने अपने भाई से पूछा, कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई थी, कि उसने मेरे साथ ऐसा किया? मैंने अपने भाई से साफ-साफ बोला ,देख भाई मैं इन सब बातों पर विश्वास तो बिल्कुल भी नहीं करता, लेकिन तुझे यह सब करता देख आज मेरा दिल में बहुत दर्द हुआ है। हजारो टुकड़े हो गए हैं मेरे दिल के। बस इतना बता दे ,कि मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई, कि तुमने मेरे साथ ऐसा किया? मेरा भाई और उसकी पत्नी मुझसे नजरे नहीं मिल पा रहे थे। धीरे-धीरे हकलाते हुए मेरे भाई ने बोला, भैया आपने कुछ भी नहीं किया है। बस आपकी दुकान, मेरी दुकान से ज्यादा अच्छी चलती है, और आपकी आमदनी मेरी आमदनी से दुगनी है। मैं भी चाहता था, कि मेरी आमदनी बढ़ जाए। किसी ने मुझे बताया था, कि अगर मैं नींबू में सिंदूर लगाकर आपके घर के सामने रख दूंगा, और आपने अगर उसे छू लिया, तो उसके प्रभाव से आपका भाग्य मुझे मिल जाएगा, और मेरी दुकान भी आपकी दुकान की तरह अच्छी चलने लगेगी । कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंबस भाई मैं यही चाहता था । मैं हैरान था ,अपने भाई की बातें सुनकर। मेरा भाग्य लेने के लिए, मेरे भाई ने काले जादू का इस्तेमाल किया। फिर भी खुद को संभालते हुए मैंने अपने भाई से बोला ,भाई अगर यही बात थी, तो एक बार मुझसे बोल कर तो देखा होता, मैं तो खुद अपने हाथों से इस नींबू को उठा लेता, तुझे यह सब करने की जरूरत ही नहीं पड़ती, कहकर मैंने अपनी जेब में हाथ डाला ,और भाई ने आज सुबह जो नींबू मेरे गेट पर फेंका था, वह अपनी जेब से निकाल कर भाई के सामने अपना हाथ खोल दिया। भाई ने जैसे ही देखा ,कि मैंने वह नींबू अपने हाथों में पकड़ रखा है, वह हैरानी से मेरी ओर देखने लगा। मैने बोला जब मुझे पता चला कि यह सब कुछ तूने किया है ,मुझे लगा जरूर तुझे कुछ जरूरत होगी, जिसकी वजह से तू यह सब कुछ कर रहा है, तो मुझे तो तेरे लिए इसे छूना ही होगा। इसीलिए मैंने इसे उठाकर अपनी जेब में रख लिया, ताकि तेरी जो भी इच्छा है वह पूरी हो जाए। भाई कभी उस नींबू को देख रहा था, और कभी मेरे मेरा चेहरा देख रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था, कि मैं ऐसा कुछ कर सकता था। मैंने बोला तू मेरा छोटा भाई है, और तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। बस एक बार विश्वास करके मुझसे बात तो की होती, मैं उसी वक्त यह नींबू और सिंदूर लेकर उसे अपने जेब में रख लेता, ताकि मेरा भाग्य तुझे मिल जाए। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करेंमेरा भाई शर्म से जमीन में गड़ने को था। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, और मैं अब अपने घर की ओर जा रहा था, यह बोलते हुए, की अगर फिर कभी किसी भी चीज की जरूरत हो ,या कोई भी जादू टोना करना हो, जिससे तुम्हारा कुछ फायदा हो ,तुम सीधे-सीधे मुझसे बात करना, वादा करता हूं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा ,और मैं अपने घर की ओर जाने लगा। लेकिन पीछे से मेरे भाई ने मेरे पैर पकड़ लिये, और रोने लगा। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। वह बोल रहा था भाई मैं तो सच में आपसे ज्यादा भाग्यशाली हूं, जो मुझे आपके जैसा बड़ा भाई मिला है। मुझसे अधिक भाग्यशाली दुनिया में और कौन होगा? मैंने अपने भाई को उठाकर गले से लगा लिया, और भाई ने मेरे हाथों से वह नींबू लेकर डस्टबिन में फेंक दिया।

Wednesday 2 October 2024

#story #kahan बहु हम तुम्हारे साथ नहीं बल्कि तुम हमारे साथ रहती हो....!!संध्या आरती का समय हो चुका था। निर्मला जी और उनके पति भंवरलाल जी ने घर में दीया बत्ती की और फिर संध्या आरती के लिए मंदिर चले गए जो कि घर के पास ही था। पर जाने से पहले घर की बहू सुनीता को आवाज़ लगा गए कि हम मंदिर जाकर आ रहे हैं। लेकिन सुनीता अपने कमरे से निकलकर बाहर ही नहीं आई। वो अक्सर ही ऐसा करती थी। इसलिए निर्मला जी और भंवर लाल जी ने दरवाजा बंद किया और अपने दो साल के पोते समर को लेकर दोनों वहां से रवाना हो गए। जब तक दोनों लौट कर वापस आए तब तक बेटा सूरज भी घर पर आ चुका था। उसे देखते ही भँवरलाल जी खुशी खुशी प्रसाद लेकर उसकी तरफ बढ़े," अरे बेटा, तु आ गया। ले प्रसाद खा। आज तो मंदिर में बहुत ही सुंदर झांकी सजी थी। समर तो देखते ही खुश हो गया। तू और बहू भी जाकर देख आ"लेकिन सूरज ने प्रसाद ना लेकर चिल्लाना शुरु कर दिया," पापा, कब तक चलेगा ये सब। आप लोगों को घर की शांति रास नहीं आती ना। अब मैं ऑफिस में काम करूं या फिर आप लोगों के घर के मैटर सॉल्व करता फिरुँ"उसकी बात सुनकर जैसे भंवर लाल जी को जोरदार झटका लगा हो। वो चुपचाप जड़त्व वही खड़े रह गए। तब निर्मला जी बोली," अरे बात क्या हुई है वो तो बता। क्यों चिल्ला रहा है"" अच्छा! नाटक तो आप ऐसे कर रही है जैसे आपको कुछ पता ही नहीं है। कब तक मैं आप लोगों का बोझ अपने सिर पर ढोती रहूं। नौकरानी बनाकर रख दिया है मुझे। आप अलग क्यों नहीं हो जाती। कम से कम हम तो आजादी से जिंदगी जिए। खुद की जिंदगी तो जी ही ली। अब शांति से हमें तो रहने दो"सूरज के बोलने के पहले ही सुनीता बीच में बोल पड़ी। उसकी बात सुनकर निर्मला जी हैरानी से पूछने लगी,"बेटा मुझे तो अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि तू किस बात से नाराज है। और हमने ऐसी कौन सी टोका टाकी की है तुझ पर जिससे तेरी आजादी में खलल पड़ गया"निर्मला जी ने कहा तो सुनीता ने सूरज की तरफ पलट कर कहा," देख लो अपनी मां के नाटक। आपको तो यही लगता है कि ये मुझ पर टोका टाकी नहीं करती है। अरे सुबह सिर्फ इतनी सी बात थी कि मैं दाल चावल बना रही थी। बहुत दिनों से खाने की इच्छा कर रही थी। लेकिन तुम्हारी मां ने मुझे बनाने तक नहीं दिया। अब बताओ क्या मैं अपनी मर्जी से दाल चावल बना कर नहीं खा सकती। यही औकात है मेरी इस घर में"कहती कहती सुनीता आंखों में आंसू भर लाई। जिसे देखकर सूरज और भड़क गया," मां बहू को बेटी नहीं समझती हो तो बहू तो समझो। आखिर वो भी इंसान है। अरे एक दाल चावल की क्या औकात जो आपने इतनी सी बात पर इसका दिल दुखा दिया। मेरी कमाई का क्या फायदा अगर मेरी ही पत्नी दाल चावल के लिए तरस रही है तो"सूरज की बात सुनकर निर्मला जी ने इतना ही कहा," मैंने बहू को दाल चावल बनाने के लिए मना नहीं किया था। मैंने सिर्फ ये कहा था कि बहू हमारे लिए रोटी बना लेना क्योंकि हमें चावल पचते नहीं है"" हाँ तो? इसका तो यही मतलब है ना कि आपने मुझे रोटी बनाने के लिए कहा, चावल नहीं"" बहु बात का क्यों बतंगड़ बना रही हो। मतलब तो तुमने अपनी मर्जी से निकाला हैं"अब की बार भंवर लाल जी ने कहा।" पापा आप बीच में मत बोलिए। अभी मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूं"सूरज ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की तो भंवर लाल जी ने पलटकर कहा," क्यों ना बोलूं? जब तुम अपनी पत्नी के लिए बोल रहे हो तो मैं भी अपनी पत्नी के लिए बोलूंगा"" तो फिर ठीक है पापा। आप अपने ईगो के साथ खुश रहिए। हमें अपनी आजादी के साथ खुश रहने दीजिए। हमें नहीं रहना आपके साथ। हम अलग हो जाएंगे"सूरज ने दो टूक जवाब दिया।" ठीक है, तुम अलग होना चाहते हो तो अलग हो जाओ। क्या हमें समझ में नहीं आ रहा है कि आए दिन छोटी-छोटी बातों पर जो बतंगड़ हो रहा है घर में, वो किस लिए हो रहा है"कहकर भंवर लाल जी अपने कमरे में आ गए। पीछे-पीछे निर्मला जी समझाने के लिए कमरे में आई तो भंवर लाल जी ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया," निर्मला अपनी मां की ममता से उठ कर देखो। तुम्हें समझ नहीं आ रहा कि रोज छोटी-छोटी बातों पर बतंगड़ क्यों बन रहा है। घर में तमाशा होता है। क्यों नहीं समझती कि वो लोग तो हम लोगों के साथ रहना ही नहीं चाहते। और सबसे बड़ी बात उन्हे यह गलतफहमी है कि हम लोग उनके साथ रहते हैं, तो हमारा खर्चा वो लोग उठा रहे हैं"आखिर भंवर लाल जी के कहने पर निर्मला जी भी चुप हो गई। आखिर कुछ दिनों से यही सब तो हो रहा था घर में। कल घर में मटर पनीर की सब्जी बनी थी तो सुनीता ने निर्मला जी और भंवर लाल जी को खाना परोसा। उनकी थाली में सिर्फ मटर थे, पनीर का एक टुकड़ा तक नहीं था। जब निर्मला जी ने कहा तो सुनीता ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा," माँ जी पनीर इतना सा ही था, समर ने खा लिया" तब भी निर्मला जी चुप हो गई। अब क्या इतना भी उन्हें समझ में नहीं आता कि एक दो साल का बच्चा जो कि खाना भी खुद से नहीं खाता, अकेले ही भला ढाई सौ ग्राम पनीर खा सकता है क्या, वो भी सब्जी में डाला हुआ?और भी ऐसी कई सारी छोटी छोटी बातें जो अक्सर घर में होने लगी थी। निर्मला जी और भंवर लाल जी को समझ में आ रहा था कि आखिर दोनों क्या चाहते हैं पर फिर भी दोनों चुप थे। लेकिन आज तो सूरज ने मुंह पर बोल ही दिया।खैर, दूसरे दिन ही सूरज और सुनिता ने अपना सारा सामान ऊपर वाले माले में शिफ्ट कर लिया। दोनों के ही माथे पर कोई शिकन तक नहीं थी। बल्कि चेहरे पर एक सुकून था। जैसे उनकी मन की मुराद पूरी हो गई हो। उस समय हैरान परेशान बस घर में कोई था तो वो थी निर्मला जी। जो उन्हें रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी। पर कोई रूकना चाहे तो रुके ना, जिसके मन की मंशा पूरी हो वो भला क्यों रुके। निर्मला जी ने बड़ी उम्मीद से भंवर लाल जी की तरफ देखा कि वो बच्चों को रोक लेंगे लेकिन वो तटस्थ खड़े रहे। अब तो सुनीता और और सूरज की मौज ही मौज थी। लेट तक सोना, मन हुआ तो घर पर खाना बनाया नहीं तो बाहर से मंगा लेना, कुछ दिन तो जैसे ऐशो आराम में ही बीते। यहां तक कि समर को अपने मायके छोड़ कर आए दिन शॉपिंग करना, बाहर घूम कर आना, बाहर ही खाना खाकर आना, कुछ दिन तो ये सब अच्छा लगा।लेकिन लोग भूल जाते हैं कि रहना तो उन्हें धरती पर ही है। हर इंसान की अपनी एक सीमा होती है। जैसे ही पंद्रह बीस दिन बीते, सुनीता के मायके में उसकी भाभी ने साफ कह दिया कि रोज-रोज बच्चे को यहाँ छोड़कर ना जाया करें। हमें भी बहुत से काम होते हैं। इतना ही घूमने फिरने का शौक है तो बच्चे को अपने साथ लेकर ही घुमा फिरा करो।यहां तक कि ऑफिस लेट पहुंचने के कारण और आए दिन छुट्टी लेने के कारण भी सूरज को ऑफिस में अच्छी खासी डांट पड़ चुकी थी।अब जाकर आटे दाल का भाव पता चल रहा था। कभी सिलेंडर तो कभी बिजली का बिल, कभी सब्जियां तो कभी घर का राशन, छोटे बच्चे के साथ आए दिन के खर्चे। दिन में ही दोनों को तारे नजर आने लगे थे। आए दोनों में चिक चिक शुरू हो गई। पहले तो भंवर लाल जी घर का अधिकतर खर्चा उठा लेते थे तो अपने पास होती सेविंग को देखकर दोनों को लगता कि हम सब खर्चा उठा सकते हैं। लेकिन अब असलियत पता चल रही थी।अभी दोनों चिक चिक करके मुंह फुला कर बैठे ही थे कि इतने में निर्मला जी ने दरवाजा खटखटाया। सूरज में जाकर दरवाजा खोला तो निर्मला जी को खड़ी देखकर हैरान रह गया। इससे पहले कि वो कुछ बोलता निर्मला जी ने बिजली का बिल निकाल कर उसे देते हुए कहा," बेटा ये बिजली का बिल आया है, इसे जमा करवा देना"कहकर वो वापस नीचे आ गई। " ये क्या ₹5000 का बिल?"₹5000 का नाम सुनते ही सुनीता भी खड़ी हो गई। अब सूरज और सुनीता भी नीचे आ गए। और आते ही सुनीता बोली," ये क्या है पापा जी, आपने ये बिजली के बिल हमारे पास क्यों पहुंचा दिया? हम क्यों आपका बिल भरेंगे"उसकी बात सुनकर भंवर लाल जी बोले,"देखो बहू हमारे हिस्से का बिल हम दे रहे हैं। ये तो तुम्हारे हिस्से का बिल है। तुम शायद भूल रही हो कि दोनों माले के मीटर अलग-अलग है"" अरे तो ₹5000? क्या हम ₹5000 की बिजली फूँक गए? जरूर आपका बिल भी उसी में मिला हुआ होगा"सुनीता अभी भी मानने को तैयार नहीं थी। भँवर लाल जी मुस्कुरा कर बोले," बहु ये जो तुम रात रात भर टीवी देखती हो, पंखे कूलर चालू करके छोड़ जाती हो तो बिजली का बिल इतना आएगा ही ना। वैसे भी पाँच हजार तो बहुत कम है। कई बार तो आठ हजार दस हजार का बिल आता था, जो मैं भरता था"अब तो सुनीता की आवाज तक नहीं निकल रही थी।" ऐसे कैसे घर चलेगा भला" अचानक सूरज ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा" बेटा तुम्हें लगता है ना कि घर के बड़े बुजुर्ग बहुत टोका टाकी करते हैं। असल में वो लोग होते हैं तो तुम कई चीजों से बच जाते थे। कई चीजों के खर्चे तो हम ही करते थे पर तुम्हें लगता था कि तुम हमें संभाल रहे हो। हमारी जिम्मेदारी उठा रहे हो। पर बहु तुम ये भूल गई कि तुम हमारे साथ रहती थी, हम तुम्हारे साथ नहीं"" माँ जी मुझे माफ कर दो। मुझे सब समझ में आ गया। मायके वालों से रिश्ते बिगड़े सो अलग, यहाँ खुद की गृहस्थी भी नहीं संभाल पाई"सुनीता ने माफी मांगते हुए कहा तो सूरज बोला," मां क्या हम दोबारा साथ नहीं रह सकते"" नहीं बेटा, तुम अपने आजादी के साथ रहो। हमें अपने हिसाब से रहने दो"अब की बार भँवरलाल जी ने कहा।" पर पापा गलती तो बच्चों से ही होती है। माफ कर दो"सूरज ने हाथ जोड़ते हुए कहा।" देख बेटा, तू मेरा बेटा है इसलिए तुझे माफ भी कर दिया। लेकिन रही बात साथ रहने की तो अब नहीं। एक बार बर्दाश्त कर चुके पर अब बर्दाश्त नहीं होगा। और वैसे भी तुम्हें गृहस्थी संभालनी आनी ही चाहिए। हम लोगों की छांव में तुम ये सब नहीं सीख पाए। एक ही मकान में तो है, माले अलग हुए तो क्या हुआ। भविष्य का मुझे पता नहीं। लेकिन अभी फिलहाल तो दोबारा एक साथ नहीं"आखिर भंवर लाल जी के कहने पर सूरज उनकी बात को समझ गया और चुपचाप उनके पैर छूकर ऊपर वाले माले पर चला गया। अब कम से कम एक ही बिल्डिंग में अलग-अलग माले पर रहने के बावजूद वो लोग एक तो थे।#bahu #beta #SaaS #sasur #hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

भरोसा तोड़ने वाले से बड़ा मूर्ख कोई दूसरा नहीं हो सकता क्योंकि वो अपने स्वार्थ के लिए एक अच्छे इंसान को खो देता है

Tuesday 1 October 2024

महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ:1. "अहिंसा के पुजारी, सत्य के राह दिखाने वाले, गांधी जी की शिक्षाएँ आज भी हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।"2. "जिसने लाठी-गोली नहीं, सत्य और अहिंसा से स्वतंत्रता दिलाई, वह महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के सबसे उज्ज्वल सितारे हैं।"3. "गांधी जी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई की राह कठिन हो सकती है, परन्तु अंततः वही विजय दिलाती है।"4. "वह व्यक्ति जिसने अपने विचारों और कर्मों से पूरी दुनिया को बदलने का साहस दिखाया, वह थे महात्मा गांधी।"5. "महात्मा गांधी का हर शब्द, हर कार्य, हमें मानवता, करुणा और सहनशीलता का पाठ पढ़ाता है।"#GandhiJayanti #Gandhi #2october #gandhiji