Thursday, 13 December 2018

रिश्तों को निभाने के समय किसी के आगे इतना मत झुको कि उठते वक्त सहारे की जरुरत पड़े* क्योंकि जो आपको झुका रहा है वो आपको उठने में कभी मदद नहीं करेगा और *जो रिश्तों को झुकाने में विश्वास करता है वो कभी रिश्तों को निभाने में विश्वास नहीं कर सकता।* ऐसे रिश्ते को उनके हाल पर छोड़ देना या समय को प्रतिकूल जानकर शांत बैठ जाना ही अच्छा है। *कोई अपना है या हम किसी के हों क्या फर्क पड़ता है* अपना वही है जो हर हाल में आपको आगे बढ़ाता है जो पीछे धकेल रहा है वो कभी आपका नहीं हो सकता है।