Wednesday, 19 December 2018

*कल* खो दिया *आज* के लिये;    *आज* खो दिया *कल* के लिये; कभी जी ना सके हम *आज*; *आज* के लिये ... बीत रही है जिदंगी, *कल, आज* और *कल* के लिये.