हर इंसान दुसरो को बदलने में लगा हुआ है!खुद को बदलने का तो कोई विचार ही नही करता।
:जलालुदीन रूमी : एक सूफी फकीर हुए। जब वो जवान थे तो खुदा से कहा मुझे इतनी ताकत दे कि दुनिया को बदल दूँ। खुदा ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर समय बीता।
रूमी ने कहा खुदा इतनी ताकत दे कि मैं अपने बच्चों को बदल सकुं।
फिर कोई जवाब नहीं मिला।
रूमी जब बूढ़ा हो गया उसने कहा कि खुदा इतनी ताकत दे कि मैं खुद को बदल सकुं। तब खुदा ने कहा कि रूमी ये बात तो जवानी में पूछता तो कभी की क्रांति घट जाती।
दुनिया में सबसे ज्यादा कलेश यही है, पत्नी अपने पति को बदलना चाहती है, पति अपनी पत्नी को, माँ बाप अपने बच्चों को,, बस इसी जद्दोजहद में जीवन बीत जाता है।पर कोई अपने आप को बदलना नहीं चाहता।۔۔۔