Friday, 12 July 2019

खुशी जल्दी में थी , रुकी नहीं । ग़म फुरसत में थे, ठहर गए । लोगों की नजरों में फर्क अब भी नहीं है । पहले मुड़ कर देखते थे । अब देख कर मुड़ जाते हैं ।