Wednesday, 4 March 2020

चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज "साहिब".!!पर वक्त से आगे कभी निकल न सके..जिनके पास अपने हैं, वो अपनों से झगड़ते हैजिनका कोई नहीं अपना वो अपनों को तरसते हैकल न हम होंगे न गिला होगा।सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा.जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा?