Sunday, 30 August 2020

❣️*पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*❣️-------------------------------भारतीय पिता पुत्र की जोड़ी भी बड़ी कमाल की जोड़ी होती है ।❤️️घर में दोनों अंजान से होते हैं,एक दूसरे के बहुत कम बात करते हैं, कोशिश भर एक दूसरे से पर्याप्त दूरी ही बनाए रखते हैं।बस ऐसा समझो कि दुश्मनी ही नहीं होती।❤️️माहौल कभी भी छोटी छोटी सी बात पर भी खराब होने का डर सा बना रहता है और इन दोनों की नजदीकियों पर मां की पैनी नज़र हमेशा बनी रहती है।❤️️ऐसा होता है जब लड़का,अपनी जवानी पार कर, अगले पड़ाव पर चढ़ता है, तो यहाँ, इशारों से बाते होने लगती हैं, या फिर, इनके बीच मध्यस्थ का दायित्व निभाती है माँ ।❤️️पिता अक्सर पुत्र की माँ से कहता है, जा, "उससे कह देना"और, पुत्र अक्सर अपनी माँ से कहता है, "पापा से पूछ लो ना"इन्हीं दोनों धुरियों के बीच, घूमती रहती है माँ । ❤️️जब एक, कहीं होता है, तो दूसरा, वहां नहीं होने की, कोशिश करता है,शायद, पिता-पुत्र नज़दीकी से डरते हैं।जबकि, वो डर नज़दीकी का नहीं है, डर है, माहौल बिगड़ने का । ❤️️भारतीय पिता ने शायद ही किसी बेटे को, कभी कहा हो, कि बेटा, मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ...जबकि वह प्यार बेइंतहा ही करता है।पिता के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी वही होता है,क्योंकि, पिता, हर पल ज़िन्दगी में, अपने बेटे को, अभिमन्यु सा पाता है ।❤️️पिता समझता है,कि इसे सम्भलना होगा, *इसे मजबूत बनना होगा,* ताकि, ज़िम्मेदारियो का बोझ, इसको दबा न सके । ❤️️पिता सोचता है,जब मैं चला जाऊँगा, इसकी माँ भी चली जाएगी, बेटियाँ अपने घर चली जायेंगी,तब, रह जाएगा सिर्फ ये, जिसे, हर-दम, हर-कदम, परिवार के लिए, अपने छोटे भाई के लिए,आजीविका के लिए,बहु के लिए,अपने बच्चों के लिए, *चुनौतियों से, सामाजिक जटिलताओं से, लड़ना होगा ।*❤️️पिता जानता है कि, हर बात, घर पर नहीं बताई जा सकती,इसलिए इसे, खामोशी से ग़म छुपाने सीखने होंगें ।❤️️परिवार और बच्चों के विरुद्ध खड़ी...हर विशालकाय मुसीबत को, अपने हौसले से...दूर करना होगा।❤️️कभी कभी तो ख़ुद की जरूरतों और ख्वाइशों का वध करना होगा । इसलिए, वो कभी पुत्र-प्रेम प्रदर्शित नहीं करता।❤️️पिता जानता है कि, प्रेम कमज़ोर बनाता है ।फिर कई बार उसका प्रेम, झल्लाहट या गुस्सा बनकर, निकलता है, ❤️️वो गुस्सा अपने बेटे कीकमियों के लिए नहीं होता,वो झल्लाहट है, जल्द निकलते समय के लिए, वो जानता है, उसकी मौजूदगी की, अनिश्चितताओं को । ️पिता चाहता है, कहीं ऐसा ना हो कि, इस अभिमन्यु की हार, *मेरे द्वारा दी गई,**कम शिक्षा के कारण हो जाये...*❤️️पिता चाहता है कि, पुत्र जल्द से जल्द सीख ले, वो गलतियाँ करना बंद करे,हालांकि गलतियां होना एक मानवीय गुण है,लेकिन वह चाहता है कि *उसका बेटा सिर्फ गलतियों से सबक लेना सीख ले।*सामाजिक जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं, रिश्ते निभाना भी सीखे,R❤️️फिर, वो समय आता है जबकि, पिता और बेटे दोनों को, अपनी बढ़ती उम्र का, एहसास होने लगता है, बेटा अब केवल बेटा नहीं, पिता भी बन चुका होता है, कड़ी कमज़ोर होने लगती है।❤️पिता की सीख देने की लालसा, और, बेटे का, उस भावना को नहीं समझ पाना, वो सौम्यता भी खो देता है, यही वो समय होता है जब, *बेटे को लगता है कि,**उसका पिता ग़लत है,* बस इसी समय को समझदारी से निकालना होता है, वरना होता कुछ नहीं है,बस बढ़ती झुर्रियां और बूढ़ा होता शरीर जल्द बीमारियों को घेर लेता है । फिर, *सभी को बेटे का इंतज़ार करते हुए माँ तो दिखती है,* पर, *पीछे रात भर से जागा,**पिता नहीं दिखता,* जिसकी उम्र और झुर्रियां, और बढ़ती जाती है, बीमारियां भी शरीर को घेर रहीं हैं।*❤️पिता अड़ियल रवैए का हो सकता है लेकिन वास्तव में वह नारियल की तरह होता है।*कब समझेंगे बेटे, कब समझेंगे बाप, कब समझेगी दुनिया ????❤️पता है क्या होता है, उस आख़िरी मुलाकात में, जब, जिन हाथों की उंगलियां पकड़, पिता ने चलना सिखाया था, वही हाथ, लकड़ी के ढेर पर पड़ेपिता को लकड़ियों से ढकते हैं,उसे घी से भिगोते हैं, और उसे जलाते हैं, *इसे ही पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाना कहते हैं।*ये होता है,हो रहा है, होता चला जाएगा ।❤️जो नहीं हो रहा,और जो हो सकता है,वो ये, कि, *हम जल्द से जल्द,**कहना शुरु कर दें,**हम आपस में,* *कितना प्यार करते हैं?*और कुछ नहीं तो कम से कम घर में हंस के मुस्कुरा कर बात तो की ही जा सकती है,सम्मान पूर्वक।*समस्त पिता एवं पुत्रो को समर्पित🙏💐,#Beautifullife.

कड़वा सच है लेकिन हकीकत यही है।मुँह से हमदर्दी और दिल मे नफरत का ज्वालामुखी।इनका सिद्धान्त होता है "कल क्या होगा किसने देखा है"? लेकिन ईश्वर की लाठी जब चलती है तो दिखाई नही देती लेकिन कचरा साफ कर देती है।

मंजिल मिले न मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी न करेये तो गलत बात है "।

कौन कहता है के इंसान रंग नहीं बदलता..किसी के मुँह पर सच बोल के तो देखिये ..फिर देखना रंग उसका .।

Friday, 28 August 2020

कमजोर होते हैं वो लोग , जो शिकवा किया करते हैं , उगने वाले तो पत्थर का सीना चीर के भी उगा करते हैं।

कड़वा सच है लेकिन हकीकत यही है।मुँह से हमदर्दी और दिल मे नफरत का ज्वालामुखी।इनका सिद्धान्त होता है "कल क्या होगा किसने देखा है"? लेकिन ईश्वर की लाठी जब चलती है तो दिखाई नही देती लेकिन कचरा साफ कर देती है।

कभी भी किसी को बददुआ मत दो वो अपनी करनी खुद भुगत लेगा. आप अपना मन साफ रखें बाकी ईश्वर के हाथ में सब छोड़ दें

उस रिश्ते का कोई वजूद नहीं होता,जो एक तरफ से निभाया जाता हो।

आज का ज्ञान ‎~ ‏क्रीम लगाओ ‎~~~~ ‏लड़की पटाओपाउडर लगाओ ‎~~~ ‏लड़की पटाओडीयोडरंट लगाओ ‎~~ ‏लड़की पटाओफैयर&हैंडसम लगाओ ‎~ ‏लड़की पटाओकोक पेप्सी पियो ‎~ ~ ‏लड़की पटाओ दिमाग की बत्ती जलाओ ‎~ ‏लड़की पटाओ एंटी डैंड्रफ शैम्पू लगाओ ‎~ ‏लड़की पटाओ कोई भी चिप्स खाओ ‎~ ‏लड़की पटाओ मंजन करो, ‏कुल्ला करो, ‏ताजा साँसों से ‎~ ‏लड़की पटाओ फोन में फ्री स्कीम का रिचार्ज कराओ और ‎~ ‏लड़की पटाओ हद तो तब हो गयी, ‏जब ‎... ‏पुरुषों के वस्त्रों से भी लड़की पट रही है. ‏इनके विज्ञापनों में खास बात ये है, ‏कि आपको कुछ करना नहीं है, ‏सिर्फ ‎...👆 ‎~ ‏इन चीजों को इस्तेमाल करो ‎~ ‏लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी. ‏आखिर ‎... ‏क्या हो गया है ‎? ‏हमारे मीडिया और समाज को. ‏क्या ज़िंदगी का एक ही मकसद है ‎~ ~ ‏लड़की पटाओ ‎~ ‏लगता है ‎~ ‏भारत में सभी उत्पादों के ‎~ ‏विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है ‎~👉 ‎~ ‏लड़की पटवाना ‎~. ‏〰〰〰〰 पटती होंगी ‎... ‏तुम्हारे पश्चिम में ‎~ ‏इस तरह लड़कियाँ ‎~ ... ‏लेकिन ‎... ‏माफ़ करना ‎... ‏मेरे भारत की बहन-बेटियाँ इतनी गिरी हुई नहीं हैं, ‏जिन्हें तुम इस तरह पटाने के तरीके बता रहे हो.अफ़सोस ‎~ ‏कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के फिल्मी लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं, ‏और औरत को इतना नीचा समझते हैं.. ‏〰〰〰〰〰विदेशी कम्पनियों ने ये सब शुरू किया. ‏अब कुछ भारतीय कम्पनियाँ भी उन्हीं की नकल कर रही हैं.और ‎... ‏अंग्रेजों के गुलाम लोग इसी को फैशन कह रहे हैं.. ‏〰〰〰〰〰 👇 इनके खिलाफ 👇 सबको खड़ा होना पड़ेगा. ‏भारत ‎~ ‏धार्मिक, ‏सांस्कृतिक, ‏आध्यात्मिक देश है. ‏पश्चिम की तरह अय्याश देश नहीं. ‏ये वहाँ की मानसिकता ‎... ‏भारत में पैदा करना चाहते हैं. ‏👇 आज महिला 👇 भोग की वस्तु बन गयी है. ~~ ‏इन्ही सब की साजिश से ‎~~ ~ ‏जागो भारत ‎~ ‏वन्दे मातरम ‎~

*इसे पढे़ं और सेव कर सुरक्षित कर लेवे। सोशल मीडया पर ऐसी पोस्ट बहुत कम ही आती है।*विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान )■ क्रति = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग■ 2 त्रुति = 1 लव ,■ 1 लव = 1 क्षण■ 30 क्षण = 1 विपल ,■ 60 विपल = 1 पल■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,■ 7 दिवस = 1 सप्ताह■ 4 सप्ताह = 1 माह ,■ 2 माह = 1 ऋतू■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,■ 4 युग = सतयुग■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग■ 76 महायुग = मनवन्तर ,■ 1000 महायुग = 1 कल्प■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है lदो लिंग : नर और नारी ।दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर... हैं ।यह आपको पसंद आया हो तो अपने बन्धुओं को भी शेयर जरूर कर अनुग्रहित अवश्य करें यह संस्कार का कुछ हिस्सा है 🙏

नाबालिग बच्चा अगर पेट के लिए काम करे तो वह बाल अपराध हैऔर पैसे वाले का बच्चा सीरियल में काम करे तो वह बाल कलाकार है ।

=वैचारिक आकलन =एक पुत्र अपने पिता के विषय में उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है....*4 वर्ष :* मेरे पापा महान है ।*6 वर्ष :* मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है।। *10 वर्ष :* मेरे पापा अच्छे है, परन्तु गुस्से वाले है।*12 वर्ष :* मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे ।*16 वर्ष :* मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान ही नही है !*18 वर्ष :* मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिड़े और अव्यवहारिक होते जा रहे है।*20 वर्ष :* ओहो... अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है....मालुम नही मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती है।*25 वर्ष :* मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते है, कौन जाने, कब वो दुनिया को समझ सकेंगे।*30 वर्ष :* मेरे छोटे बेटे को सम्भालना मुश्किल होता जा रहा है... बचपन में मै अपने पापा से कितना डरता था ?*40 वर्ष :* मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था, आजकल के लड़को में कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नही है।*50 वर्ष :* मुझे आश्चर्य होता है, मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेल कर हम चार भाई-बहनो को बड़ा किया, आजकल तो एक सन्तान को बड़ा करने में ही दम निकल जाता है।*55 वर्ष :* मेरे पापा कितनी दूरदृष्टि वाले थे, उन्होंने हम सभी भाई-बहनो के लिये कितना व्यवस्थित आयोजन किया था, आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपुर्वक जीवन जी सकते है।*60 वर्ष :* मेरे पापा महान थे, वे जिन्दा रहे तब तक हम सभी का पूरा ख्याल रखा। सच तो यह है की..... पापा ( पिता ) को अच्छी तरह समझने में पुरे 60 साल लग गये ।कृपया आप अपने पापा को समझने में इतने वर्ष मत लगाना, समय से पहले समझ जाना।क्योंकि हमारे पिता हमारे बारे में कभी भी गलत विचार नही रखते सिर्फ हमारे विचार उनके प्रति गलत होते है जो हमे समय निकल जाने के बाद अहसास होता है।अपने पिता का सम्मान करे और उनके विचार का सम्मान करै

प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है।मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।

जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे, और पराये लोग अपने लगने लगे, तो समझ लीजिये विनाश का समय आरम्भ हो चुका है !!

लोग कहते हैं आईना सच दिखाता है...हाँ यह सच है, मगर पूरा कब दिखाता है!!

Thursday, 27 August 2020

मुझे हराकर कोई मेरी जान भी लेजाये मुझे मंजूर है...लेकिन धोखा देने वालों को मैंदुबारा मौका नहीं देता !!

इन्सानियत को मार के इँसान मर रहा है,शैतान रूपी जानवर सँग वो जिन्दा हो रहा है।ये कैसी विडम्बना है ये कैसा जमाना हैं,हर तरफ छल की राहें और झूँठ का तराना हैं।हैवानों की बस्ती है यहाँ हवशी निगाहें हैं,गुल-गुलशन क्या करे जब जहरीली हवाएँ हैं।निर्दोंष कि फरियाद को मिलता नहीं सहारा,जज्बातों को कफन देके रोता है बेसहारा।सूना हुआ सफर है जल के सुलगती रातें,अब साए से डर लगता मायावी है जग की बाते।इस भूल-भुलैया में भटका हुआ मुसाफिर,पग पग पर मिल जाते हैं वहशी दरिन्दे काफिर..!!

पिता जिद कर रहा था कि उसकी चारपाई गैलरी में डाल दी जाये।* *बेटा परेशान था।* *बहू बड़बड़ा रही थी..... कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया.... सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं?* *पिता कमजोर और बीमार हैं....* *जिद कर रहे हैं, तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा। पिता की इच्छा की पू्री करना उसका स्वभाव था।* *अब पिता की चारपाई गैलरी में आ गई थी।* *हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता* *अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते ।* *कुछ देर लान में टहलते । लान में खेलते* *नाती - पोतों से बातें करते ,* *हंसते , बोलते और मुस्कुराते ।* *कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें* *लाने की फरमाईश भी करते ।* *खुद खाते , बहू - बटे और बच्चों को भी खिलाते ....* *धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।* *दादा ! मेरी बाल फेंको... गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी,* *तो बेटा अपने बेटे को डांटने लगा...:* *अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं, उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।* *पापा ! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं....अंशुल भोलेपन से बोला।* *क्या... "निकित ने आश्चर्य से पिता की तरफ देखा ?* *पिता ! हां बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं।* *लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।* *जब से गैलरी मे चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है।* *शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।* *पिता कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था.....* *बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं* *से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है....।* *#बुज़ुर्गों_का_सम्मान_करें ।* *#यह_हमारी_धरोहर_है ...!* *यह वो पेड़ हैं, जो थोड़े कड़वे है, लेकिन इनके फल बहुत मीठे है, और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !* *और_अपने_बुजुर्गों_का_खयाल_हर_हाल_में अवश्य_रखें...।🙏

या तो हमें मुकम्मल चालाकियाँ सिखाई जाएं,नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियाँ बसाई जाएं .।

Wednesday, 26 August 2020

ज़िन्दगी को इतनी सस्ती मत बनाओ ...की दो कौड़ी के लोग खेल के चले जाए ।

जरूरी नहीं हर गिफ्ट कोई चीज ही हो प्रेम, परवाह और इज़्ज़त भी बहुत अच्छे गिफ्ट हैं , किसी को देकर तो देखो।

यूँ तो बहुत कुछ सिखाया जिन्दगी ने अनजाने में, वो किताबों में दर्ज था ही नहीं जो पढ़ाया सबक ज़माने ने...!

यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते हैं ,तो हमें काँटों के साथ तालमेल की कला सीखनी होगी।

आपकी जिंदगी में कुछ नहीं बदलेगा जब तक आप खुद को नहीं बदलेंगे।

Sunday, 23 August 2020

किसी से बदला लेने का आनंद दो चार दिन ही रहेगा; लेकिन माफ कर देने का आनंद जिंदगी भर रहेगा ...

माखन -चोर नन्द -किशोर , बाँधी जिसने प्रीत की डोर , हरे कृष्णा हरे मुरारी , पूजती जिन्हें दुनिया सारी , आओ उनके गुण गायें , सब मिलके जन्माष्टमी मनाएँ श्रीकृष्ण जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

जल्दी जागना हमेशा ही फायदेमंद होता है, फिर चाहे वो नींद से हो या अहम से या फिर वहम से.।

सच्चाई तो यह है कि हम जिसको जितना खास बनाते है, अपनी इज़्ज़त की परवाह ना कर उनकी गलती पर भी झुक कर उन्हें मनाते है, वो लोग हमारी कदर कभी नहीं करते..

मरने वाले को रोने वालेहज़ार मिल जायेंगे, मगर जो ज़िंदा है उसे समझने वाला एक भी नहीं मिलता.।

किसी का बुरा करके खुश मत होना, क्योंकि ऊपर वाला जब हिसाब करता हैं, तो वो संभलने तो क्या,रोने के लायक भी नहीं छोड़ता है..।

Saturday, 22 August 2020

जिन्दगी हसीं है इससे प्यार करो,है रात तो सुबह का इन्तेजार करो,मुश्किलें तो लेती हैं इम्तेहान हर किसी का,पर किस्मत से ज्यादा खुद पर ऐतबार करो ।

कोई अपना जिंदगी से जाता है तो जिंदगी का कुछ भी नहीं रुकता... दिल अंदर से अकेला सा हो जाता और जीने का तरीकाबदल जाता है...

किसी की सहायता करते समय यह मत सोचिये कि वह भविष्य मे वह आपके काम आएगा। बस सहायता करके भूल जाइए। क्योंकि यह आशा का भाव ही भविष्य में आपके दुख का कारण बनता है। आप जो भी कर रहे हैं वह परमात्मा देख रहा है.. उससे छिपा नहीं है। दूसरे जो कर रहे है उसे भी वह देख रहा है। नाकिसी को जताइए और न ही किसी को बताइये .. बस इतना विश्वास रखिये कि जब ईश्वर ने उसकी सहायता के लिए आपको भेजा , तो निश्चित है कि जब आपको आवश्यकता होगी वह किसी ना किसी को भेजेगा।

लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता मत करो,आपको क्या बनना है इस पर विश्वास करो।

बहुत मतलबी हैं यहां के लोग , पहले आदत बनते हैं फिर करीब आते हैं और जब प्यार हो जाए तो छोड़ कर चले जाते हैं ।

Thursday, 20 August 2020

छोटी छोटी बाते दिल में रखने से बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते है। !! आपका दिन शुभ हो!!

छोटी छोटी बाते दिल में रखने से बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते है। !! आपका दिन शुभ हो!!

सुख भी बहुत हैं, और परेशानियां भी बहुत हैं , जिन्दगी में लाभ हैं तो हानियां भी बहुत हैं , क्या हुआ जो प्रभु ने थोड़े गम दे दिए, उसकी हम पर महेरबानियांं भी बहुत हैं !!

जज़्बा रखो सच औरझूठ कोपरखने काकानों में जहर घोलना तोजमाने का काम है।

जिन्दगी में कितने भी आगे निकल जाए,फिर भी सैंकड़ो लोगों से पीछे ही रहेंगे, जिन्दगी में कितने भी पीछे रह जाएं ,फिर भी सैंकड़ो लोगों से आगे ही होंगे । अपनी जगह का लुत्फ़ उठायें ,आगे पीछे तो दुनिया में चलता ही रहेगा !!

ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं, ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....पहले मुड़ कर देखते थे .... अब देख कर मुड़ जाते हैंआज परछाई से पूछ ही लिया कयों चलती हो , मेरे साथ..उसने भी हँसके कहा- दूसरा कौन है तेरे साथ ?!?

Monday, 17 August 2020

मैने अक्सर पाया हैजब किसी को किसी से रिश्ता खत्म करना होता है तब सबसे पहले वो अपनी जुबान की मिठास खत्म कर देता है...॥

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो-बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है! अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी "पानी" डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे।कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी।राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है।दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं।दरअसल ऐसा इसलिये हुआ कि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है।जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और हमारी इसी सोच की वजह से स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं।अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरे देश में भी ऐसा बदलाव ला सकते हैं जिसकी आज ज़रूरत है।.........

Friday, 14 August 2020

सोच ये ना रखें की मुझे रास्ता अच्छा मिले,बल्कि ये होना चाहिए कि मैं जहां पॉव रखुं वो रास्ता अच्छा हो जाए;क्यूँकि जो अपने कदमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं, वो ही अक्सर मंजिल पर पहुंचते है!”

मुझे जिन्दगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,पर इतना तो मालुम है कीछोटा आदमी बड़े मौके पर काम आता है,और बड़ा आदमी छोटी सी बातपर औकात दिखाता है !!

कुछ नशा तिरंगे की आन का हैं,कुछ नशा मातृभूमि की शान का हैंहम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगानशा ये हिन्दुस्तान की शान का हैं !!🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳

Monday, 10 August 2020

“माखन -चोर हैं नन्द -किशोर, बाँधी जिसने हैं प्रीत की डोर, हरे कृष्णा हरे मुरारी, पूजती जिन्हें दुनिया सारी, आओ उनके गुण गायें, सब मिलके जन्माष्टमी मनाएँ।”

इंसान बिना मुहूर्त का पैदा होता है ...और बिना मुहूर्त के मर भी जाता है । फिर सारी जिंदगी शुभ मुहूर्त के पीछे क्यों भागता है ।

नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर, रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…

नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर, रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…

अपनी किस्मत को कभी दोष मत दीजियेइंसान के रूप में जन्म मिला है ...ये किस्मत नहीं तो और क्या है.।

मन की सच्चाई और अच्छाई कभी व्यर्थ नहीं जाती ...ये वो पूजा है , जिसकी खोज ईश्वर खुद करते हैं ..।

Saturday, 1 August 2020