Wednesday, 30 September 2020
Tuesday, 29 September 2020
*💥क्रोध💥*************एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।**संत ने सेठ से अनाज लिया और कहा कि ठीक है पूछो। सेठ ने कहा कि मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं?**संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले कि ने मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया।**ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया। उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और बोला कि तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसी बोल रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। संत चुपचाप सुन रहे थे। उन्होंने एक भी बार पलटकर जवाब नहीं दिया।**कुछ देर बाद सेठ का गुस्सा शांत हो गया, तब संत ने उससे कहा कि भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे। अगर इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता।**क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है और शांति हर विवाद को खत्म कर सकती है। अगर हम क्रोध ही नहीं करेंगे तो कभी भी वाद-विवाद नहीं होगा। जीवन में सुख-शांति चाहते हैं तो क्रोध को नियंत्रित करना चाहिए। क्रोध को काबू करने के लिए रोज ध्यान करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें।**कथा की सीख:*****************इस प्रसंग का सार यह है कि घर-परिवार हो या कार्यस्थल हमें शांत रहना चाहिए। अगर कोई गुस्सा कर भी रहा है तो हमें उसका जवाब शांति से देना चाहिए। जैसे ही हमने शांति को छोड़ा और क्रोध किया तो छोटी सी बात भी बड़ा नुकसान कर सकती है।*🌹जय महाकाल 🙏
पारिवारिक संबंधों में मत-भेद भले हो, मन-भेद न हो।*************हम अपने जीवन में बहुत सारी खट्टी-मीठी बातें लेकर घूमते रहते हैं और उन्हें बार-बार याद करके दुःखी-सुखी होते रहते हैं। हमारी यादों में मीठी यादें भी होती है, लेकिन कड़वी यादों के सामने मीठी यादें प्रायः भूल जाती है। इन यादों के कारण हम अपने जरूरी कार्यों में एकाग्रचित्त नहीं हो पाते, किसी भी काम में मन लगाकर नहीं कर पाते क्योंकि हमारा मन इन दुःखी करने वाली बातों के कारण परेशान और अस्थिर बना रहता है। समय बीतने के साथ हमारा दुःख भले ही कम हो जाता है, लेकिन उन बातों को लेकर हम रोते रहते हैं और उन्हें कभी सुलझाते नहीं हैं। होता यह है कि जिस क्षण हम किसी से झगड़ते हैं, लड़ते हैं, वह क्षण तो बीत जाता है, लेकिन इसके कारण हम अपने जीवन के वर्तमान क्षणों को प्रभावित करते रहते हैं। वह अतीत में होने वाले लड़ाई-झगड़ा हमारे साथ इस कदर जुड़ जाता है कि हम उसे भूल नहीं पाते, जैसे वही हमारा साथी हो, जबकि हमें उसे भुला देना चाहिए और अपने जीवन के हर पल को नई मुस्कुराहट के साथ जीना चाहिए। जो बीत गया उससे सीखना चाहिए कि हमसे गलतियां कहाँ-कहाँ पर हो जाती है और वह दोहराई न जाए इसके लिए प्रयास करना चाहिए। यदि हम अपनी गलतियों को सुधारेंगे नहीं, दूसरों को माफ नहीं करेंगे, अपने आप को ही सबसे सही मानेंगे और दूसरों को हमेशा अपने आगे झुकाने का प्रयास करेंगे, दूसरों को अपने अनुसार चलाएंगे तो फिर परिवार में सही सामंजस्य मधुरता कैसे बन पाएगी? यदि परिवार के सदस्य आपस में ही एक दूसरे को नहीं समझेंगे, एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान नहीं करेंगे और मनमानी करते रहेंगे तो परिवार में कलह होना स्वाभाविक है। अतः परिवार की कलह को यदि दूर करना है तो प्यार, सम्मान, स्नेह, माधुर्य व आत्मीयता का जीवन में समावेश करना चाहिए। इसके साथ ही परिवार के हर सदस्य को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध होना चाहिए और उसके लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए, अन्यथा एक ही व्यक्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों के भरण पोषण व निर्वाह का भार पड़ेगा और वह मानसिक रूप से बोझिल महसूस करेगा। पारिवारिक संबंध होते ही ऐसे हैं, जहाँ किसी भी तरह का आडंबर नहीं होता। यहाँ व्यवहार, वार्तालाप, रहन-सहन सब स्वाभाविक होता है और यही कारण है कि इन संबंधों में अपनापन होता है।-
Monday, 28 September 2020
Sunday, 27 September 2020
बिटिया दिवस की हार्दिक शुभकामनाए बेटियाँ घर में संगीत की तरह है... जब बोलती बिना रुके ओर सब कहते हैं.. चुप भी कर जावो.. जब खामोश रहती हैं तो माँ कहती हैं.. तबियत ठीक है ना... पापा कहते घर में खामोशी क्यों हैं. भाई कहता हैं ..नाराज हो क्या.. जब शादी कर दी जाती सब कहते है. घर की रौनक चली गई.. सच में बिटिया न रुकने वाला संगीत है ..
Saturday, 26 September 2020
Friday, 25 September 2020
#beti ...एक हृदयस्पर्शी कहानी.....!एक घर में एक बेटी ने जन्म लिया जन्म होते ही माँ का स्वर्गवास हो गया। बाप ने बेटी को गले से लगा लिया रिश्तेदारों ने लड़की के जन्म से ही ताने मारने शुरू कर दिए कि पैदा होते ही माँ को खा गयी।मनहूस पर बाप ने कुछ नही कहा अपनी बेटी को, बेटी का पालन पोषण शुरू किया, खेत में काम करता और बेटी को भी खेत ले जाता, काम भी करता और भाग कर बेटी को भी संभालता।रिश्तेदारों ने बहुत समझाया के दूसरा विवाह कर लो पर बाप ने किसी की नही सुनी और पूरा ध्यान बेटी की और रखा। बेटी बड़ी हुयी स्कूल गयी फिर कॉलेज।हर क्लास में फर्स्ट आयी बाप बहुत खुश होता लोग बधाइयाँ देते।बेटी अपने बाप के साथ खेत में काम करवाती, फसल अच्छी होने लगी, रिश्तेदार ये सब देख कर चिढ़ गए। जो उसको मनहूस कहते थे वो सब चिढ़ने लग गए।लड़की एक दिन अच्छा पढ़ लिख कर पुलिस में SP बन गयी।एक दिन किसी मंत्री ने उसको सम्मानित करने का फैसला लिया और समागम का बंदोबस्त करने के आदेश दिए। समागम उनके ही गाँव में रखा गया।मंत्री ने समागम में लोगों को समझाया के बेटा बेटी में फर्क नही करना चाहिए, बेटी भी वो सब कर सकती है जो बेटा कर सकता है।भाषण के बाद मंत्री ने लड़की को स्टेज पर बुलाया और कुछ कहने को कहा। लड़की ने माइक पकड़ा और कहा-मैं आज जो भी हूं अपने बाबुल (पिता) की वजह से हूं जो लोगों के ताने सह कर भी मुझे यहाँ तक ले आये। मेरे पालन पोषण के लिए दिन रात एक कर दिया।मैंने माँ नहीं देखी और न ही कभी पिता से कहा के माँ कैसी थी, क्योंकि अगर मैं पूंछती तो बाप को लगता के शायद मेरे पालन पोषण में कोई कमी रह गयी।मेरे लिये मेरे पिता से बढ़ कर कुछ नही बाप सामने लोगों में बैठ कर आंसू बहा रहा था बेटी की भी बोलते बोलते आँखे भर आयी।उसने मंत्री से पिता को स्टेज पर बुलाने की अनुमति ली। बाप स्टेज पर आया और बेटी को गले लगाकर बोला -रोती क्यों है बेटी, तू तो मेरा शेर पुत्तर है, तू ही कमजोर पड़ गया तो मेरा क्या होगा, मैंने तुझको सारी उम्र हँसते देखना है।बाप बेटी का प्यार देखकर सब की आँखें नम हो गयी। मंत्री ने बेटी के गले में सोने का मेडल डाला। लड़की ने मैडल उतार कर बाप के गले में डाल दिया।मंत्री ने कहा- ये क्या किया, तो लड़की बोली- मैडल को उसकी सही जगह पहुँचा दिया। और कहा इसके असली हकदार मेरे पिता जी हैं।समागम में तालियाँ बज उठी...!!यह उन लोगों के लिए सबक है जो बेटियों को चार दीवारी में रखना पसंद करते हैं, पर ये फूल बाहर खिलेंगे अगर आप पानी लगाकर इन फूलों की देखभाल करोगे
Thursday, 24 September 2020
Wednesday, 23 September 2020
budapa..... सुबह सुबह किसी ने द्वार खटखटाया, मैं लपककर आयी,जैसे ही दरवाजा खोलातो सामने “बुढ़ापा खड़ा” था,भीतर आने के लिए, जिद पर अड़ा था..😔मैंने कहा :नहीं भाई ! अभी नहीं 😔“अभी तो “मेरी उमर” ही क्या है..''वह हँसा और बोला :बेकार कि कोशिश ना कर, मोहतरमा,मुझे रोकना नामुमकिन है... मैंने कहा :".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,अभी तक “दूसरो के लिए जी” रही हूँ ..अब अकल आई है तो कुछ दिनअपने लिए और दोस्तों के साथ भी जीने दे..''बुढ़ापा हंस कर बोला :अगर ऐसी बात है तो चिंता मत कर..उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी मगर बुढ़ापा नहीं आएगा, तू जब तक “दोस्तों” के साथ जियेगीखुद को जवान ही पाएगी..Dedicated to my beautiful friends 🥰❤️
school time. पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें ।*पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ।*"पुस्तक के बीच विद्या , *पौधे की पत्ती* *और मोरपंख रखने* से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"। कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था ।*हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था ।**माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी , न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी* । सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । *एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा* हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं । *स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?*पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी , "पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" , पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा। *हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था* ।आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं ।*हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे ।*कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे ।अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।*हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए ।* Copied..👨🎨👩🏻🚒"REMEMBER YOUR CHILDHOODS" 😎😎😎😎
Tuesday, 22 September 2020
Monday, 21 September 2020
Sunday, 20 September 2020
Saturday, 19 September 2020
Friday, 18 September 2020
Thursday, 17 September 2020
मार्मिक संदेश ..... 🙏🏻🙏🏻आज ऊपर बैठी रूह ने ... बड़ा ठहाका लगाया है. देखो .. आज मेरे बच्चों ने पंडित को बुलाया है.कितने जतन से पकवान बनाया है, और बड़े ही आदर भाव से खिलाया है. जिसके लिए मुझे तरसाया था .. वही सब आज बनायाहै. और तो और .... कौवे और कुत्ते को भी दावत में बुलाया है बड़े ही प्यार से इनको भी खाना खिलाया है. जगह नहीं थी मेरे लिए घर में वृद्धाश्रम पहुँचाया था, आज मेरा फोटो भगवान के साथ ही लगाया है. पैसा ही नहीं था मेरे लिए आज पंडित को हरा नोट सरकाया है. देखो !! कैसे दिखावा कर रहे हैं, अपने आप से ही छलावा कर रहे हैं. ये सब मेरे सताने के डर से कर रहे हैं. अरे ! इन्हें इतना भी नहीं पता, क्या माँ-बाप होते हैं कभी खफ़ा ? बस ... सभी बच्चों से ... 📍 इतनी सी गुज़ारिश है 📍 मेरे साथ रहने वालों की भी सिफ़ारिश है. मरने के बाद नहीं, माँ-बाप का जीते जी करो सम्मान. नहीं चाहते हैं वो पैसे, न चाहें पकवान.. बस थोड़ा सा समय निकालो, थोड़ी सी घर में जगह दो, और ... रखो उनका ध्यान..!!🙏🏻🙏🏻
Wednesday, 16 September 2020
Tuesday, 15 September 2020
Monday, 14 September 2020
Sunday, 13 September 2020
Saturday, 12 September 2020
-हंसो ऐसे कि आप 10 साल के हो -पार्टी ऐसे करो कि आप 20 साल के हो -घूमो ऐसे कि जैसे आप 30 साल के हो -सोचो ऐसे कि जैसे आप 40 साल के हो -सलाह ऐसे दो कि जैसे आप 50 साल के हो -परवाह ऐसे करो कि जैसे आप 60 साल के हो -प्यार ऐसे करो की जैसे आप 70 के साल के हो -जियो ऐसे कि जैसे आज आपकी जिंदगी का आखरी दिन हो...यकीन मानो दोस्तों हमेशा खुश रहोगे!
Friday, 11 September 2020
*🙏बुजुर्गों का सम्मान....🙏**छोटे ने कहा," भैया, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया करो."**गौरव बोला, " ले तो जायें पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा.* *याद है, पिछली बार जब हम तीनों ने डिनर लिया था, तब सोलह सौ का बिल आया था.* *हमारे पास अब इतने पैसे कहाँ बचे हैं.**" पिंकी ने बताया," मेरे पास पाकेटमनी के कुछ पैसे बचे हुए हैं."* *तीनों ने मिलकर तय किया कि इस बार दादी को भी लेकर चलेंगे,* *इस बार मँहगी पनीर की सब्जी की जगह मिक्सवैज मँगवायेंगे और आइसक्रीम भी नहीं खायेंगे.**छोटू, गौरव और पिंकी तीनों दादी के कमरे में गये और बोले,**"दादी इस' संडे को लंच बाहर लेंगे, चलोगी हमारे साथ."**दादी ने खुश होकर कहा," तुम ले चलोगे अपने साथ."* *"हाँ दादी "**संडे को दादी सुबह से ही बहुत खुश थी.* *आज उन्होंने अपना सबसे बढिया वाला सूट पहना, हल्का सा मेकअप किया, बालों को एक नये ढंग से बाँधा.* *आँखों पर सुनहरे फ्रेमवाला नया चश्मा लगाया.**यह चश्मा उनका मँझला बेटा बनवाकर दे गया था जब वह पिछली बार लंदन से आया था.* *किन्तु वह उसे पहनती नहीं थी, कहती थी, इतना सुन्दर फ्रेम है, पहनूँगी तो पुराना हो जायेगा.* *आज दादी शीशे में खुद को अलग अलग एंगिल से कई बार देख चुकी थी और संतुष्ट थी.**बच्चे दादी को बुलाने आये तो पिंकी बोली,"अरे वाह दादी, आज तो आप बडी क्यूट लग रही हैं".**गौरव ने कहा," आज तो दादी ने गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा पहना है. क्या बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड को भी बुला रखा है क्या."* *दादी शर्माकर बोली, " धत."**होटल में सैंटर की टेबल पर चारो बैठ गए.* *थोडी देर बाद वेटर आया, बोला, " आर्डर प्लीज ".* *अभी गौरव बोलने ही वाला था कि दादी बोली," आज आर्डर मैं करूँगी क्योंकि आज की स्पेशल गैस्ट मैं हूँ."* *दादी ने लिखवाया- दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता वैजेटेबिल वाला, सलाद, पापड, नान बटरवाली और मिस्सी रोटी.**हाँ खाने से पहले चार सूप भी.**तीनों बच्चे एकदूसरे का मुँह देख रहे थे.**थोडी देर बाद खाना टेबल पर लग गया.**खाना टेस्टी था,* *जब सब खा चुके तो वेटर फिर आया, "डेजर्ट में कुछ सर".* *दादी ने कहा, " हाँ चार कप आइसक्रीम ".* *तीनों बच्चों की हालत खराब, अब क्या होगा, दादी को मना भी नहीं कर सकते पहली बार आईं हैं.**बिल आया,**इससे पहले गौरव उसकी तरफ हाथ बढाता,**बिल दादी ने उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं करूँगी.**बच्चों मुझे तुम्हारे पर्स की नहीं,**तुम्हारे समय की आवश्यकता है,* *तुम्हारी कंपनी की आवश्यकता है.* *मैं पूरा दिन अपने कमरे में अकेली पडे पडे बोर हो जाती हूँ.**टी.वी. भी कितना देखूँ,,**मोबाईल पर भी चैटिंग कितना करूँ.**बोलो बच्चों क्या अपना थोडा सा समय मुझे दोगे,"**कहते कहते दादी की आवाज भर्रा गई.* *पिंकी अपनी चेयर से उठी,**उसने दादी को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर दादी के गालों पर किस करते हुए बोली," मेरी प्यारी दादी जरूर."**गौरव ने कहा, " यस दादी, हम प्रामिस करते हैं, कि रोज आपके पास बैठा करेंगे* *और तय रहा कि हर महीने के सैकंड संडे को लंच या डिनर के लिए बाहर आया करेंगे और पिक्चर भी देखा करेंगे."**दादी के होठों पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई,**आँखों में फ्लैशलाइट सी चमक आ गई और चेहरे की झुर्रियाँ खुशी के कारण नृत्य सा करती महसूस होने लगीं...-**मित्रों,**बूढ़े मां-बाप रूई के गठठर समान होते है,**शुरू में उनको बोझ नहीं महसूस होता, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जैसे रुई भीग कर बोझिल होने लगती है. वैसे जिंदगी की थकान बोझ लगती है।**बुजुर्ग समय चाहते हैं पैसा नही,**पैसा तो उन्होंने सारी जिंदगी आपके लिए कमाया-की बुढ़ापे में आप उन्हें समय देंगे।* *यदि वृक्ष से फल न मिले,**तो कोई बात नहीं,* *किन्तु छाया सकून प्रदान करती है।।.अच्छे दोस्त के वाल से।
Thursday, 10 September 2020
गुलज़ार जी की लिखित पंक्तियाँ :- *स्त्री तुम* *पुरुष न हो पाओगी....*ज्ञान की तलाश क्या सिर्फ बुद्ध को थी?क्या तुम नहीं पाना चाहती वो ज्ञान?किन्तु जा पाओगी,अपने पति परमेश्वरऔर नवजात शिशु को छोड़कर....तुम तो उनपर जान लुटाओगी....उनके लिये अपने भविष्य को दाँव पर लगाओगी...उनकी होठों कीएक मुस्कुराहट के लिएअपनी सारी खुशियों की बलि चढ़ाओगी....*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी....*क्या राम बन पाओगी????क्या कर पाओगी अपने पति का परित्याग,उस गलती के लिए जो उसने की ही नहीं????ले पाओगी उसकी अग्निपरीक्षाउसके नाज़ायज़ सम्बधों के लिए भी????क्षमा कर दोगी उसकी गलतियों के लिए,हज़ार गम पीकर भी मुस्काओगी....*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी....*क्या कृष्ण बन पाओगी????जोड़ पाओगी अपना नाम किसी परपुरुष के साथ????जैसे कृष्ण संग राधा....अगर तुम्हारा नाम जुड़ा....तो तुम चरित्रहीन कहलाओगी....तुम मुस्कुराकर बात भी कर लोगी,तो भी कलंकिनी कुलटा कहलाओगी....*स्त्री तुम* *पुरुष न हो पाओगी........*क्या युधिष्ठिर बन पाओगी????जुए में पति को हार जाओगी?????तुम तो उसके सम्मान की खातिर,दुर्गा चंडी हो जाओगी...खुद को कुर्बान कर जाओगी......मौत भी आये तो ,उसके समक्ष अभय खड़ी हो जाओगी।*स्त्री तुम**पुरुष न हो पाओगी.......**रहने दो तुम**ये सब...क्योंकि...*तुम सबल हो,तुम सरल हो,तुम सहज हो,तुम निश्चल हो,तुम निर्मल हो,तुम शक्ति हो,तुम जीवन हो,तुम प्रेम ही प्रेम हो,*ईश्वर की अद्भुत सुंदरतम**कृति हो तुम....* *"स्त्री हो तुम"*
Wednesday, 9 September 2020
Tuesday, 8 September 2020
Monday, 7 September 2020
Sunday, 6 September 2020
Saturday, 5 September 2020
Friday, 4 September 2020
Thursday, 3 September 2020
#ढाई____अक्षर .... ढाई अक्षर का वक्र,और ढाई अक्षर का तुंड।ढाई अक्षर की रिद्धि,और ढाई अक्षर की सिद्धि।ढाई अक्षर का शंभु,और ढाई अक्षर की सत्तिढाई अक्षर का ब्रम्हाऔर ढाई अक्षर की सृष्टि।ढाई अक्षर का विष्णुऔर ढाई अक्षर की लक्ष्मीढाई अक्षर का कृष्णऔर ढाई अक्षर की कांता।(राधा रानी का दूसरा नाम)ढाई अक्षर की दुर्गाऔर ढाई अक्षर की शक्तिढाई अक्षर की श्रद्धाऔर ढाई अक्षर की भक्तिढाई अक्षर का त्यागऔर ढाई अक्षर का ध्यान।ढाई अक्षर की तृप्तिऔर ढाई अक्षर की तृष्णा।ढाई अक्षर का धर्मऔर ढाई अक्षर का कर्मढाई अक्षर का भाग्यऔर ढाई अक्षर की व्यथा।ढाई अक्षर का ग्रन्थ,और ढाई अक्षर का संत।ढाई अक्षर का शब्दऔर ढाई अक्षर का अर्थ।ढाई अक्षर का सत्यऔर ढाई अक्षर का मिथ्या।ढाई अक्षर की श्रुतिऔर ढाई अक्षर की ध्वनि।ढाई अक्षर की अग्निऔर ढाई अक्षर का कुंडढाई अक्षर का मंत्रऔर ढाई अक्षर का यंत्र।ढाई अक्षर की सांसऔर ढाई अक्षर के प्राणढाई अक्षर का जन्मढाई अक्षर की मृत्युढाई अक्षर की अस्थिऔर ढाई अक्षर की अर्थीढाई अक्षर का प्यारऔर ढाई अक्षर का स्वार्थ।ढाई अक्षर का मित्रऔर ढाई अक्षर का शत्रुढाई अक्षर का प्रेमऔर ढाई अक्षर की घृणा।जन्म से लेकर मृत्यु तकहम बंधे हैं ढाई अक्षर में।हैं ढाई अक्षर ही वक़्त में,और ढाई अक्षर ही अंत में।समझ ना पाया कोई भीहै रहस्य क्या ढाई अक्षर में।
Wednesday, 2 September 2020
Tuesday, 1 September 2020
हमारे घर के हॉल में दो पंखे लगे हैं, जिनमें एक ही अक्सर चलता है और वही धूल लगकर गंदा हो जाता है। जबकि जो नही चलता वह साफ रहता है बाहर से आने वाले उसी साफ दिखने वाले पंखे की तारीफ करते हैं जो नही चलता और कहते हैं कि उसी की तरह इस पंखे को साफ रखा करो!क्या *जवाब* दूं? उन्हें कैसे समझाऊं कि जो *जिम्मेदारी* लेता है वही गंदा होता है *"मशहूर हुए वो जो कभी क़ाबिल ना थे और तो और.... कमबख़्त मंजिल भी उन्हें मिली जो दौड़ में कभी शामिल ना थे..!
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