Wednesday, 23 September 2020

budapa..... सुबह सुबह किसी ने द्वार खटखटाया, मैं लपककर आयी,जैसे ही दरवाजा खोलातो सामने “बुढ़ापा खड़ा” था,भीतर आने के लिए, जिद पर अड़ा था..😔मैंने कहा :नहीं भाई ! अभी नहीं 😔“अभी तो “मेरी उमर” ही क्या है..''वह हँसा और बोला :बेकार कि कोशिश ना कर, मोहतरमा,मुझे रोकना नामुमकिन है... मैंने कहा :".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,अभी तक “दूसरो के लिए जी” रही हूँ ..अब अकल आई है तो कुछ दिनअपने लिए और दोस्तों के साथ भी जीने दे..''बुढ़ापा हंस कर बोला :अगर ऐसी बात है तो चिंता मत कर..उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी मगर बुढ़ापा नहीं आएगा, तू जब तक “दोस्तों” के साथ जियेगीखुद को जवान ही पाएगी..Dedicated to my beautiful friends 🥰❤️