Tuesday, 30 November 2021
Monday, 29 November 2021
Sunday, 28 November 2021
।।।।।।।।।। मन के विचार ।।।।।।।।।।एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों,पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।"______________________________________ यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? ______________________________________दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाए। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।______________________________________ अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था। बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। ______________________________________दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया। जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।______________________________________जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।.......... यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे।______________________________________ "कर्म क्या है?" "हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ.।" हमारे सोच विचारों से ही हमारे कर्म बनते हैं।______________________________________
।।।।।।।।।।।। मन का भूत ।।।।।।।।।।।।एक आदमी ने एक भूत पकड़ लिया और उसे बेचने शहर गया , संयोगवश उसकी मुलाकात एक सेठ से हुई, सेठ ने उससे पूछा - भाई यह क्या है,उसने जवाब दिया कि यह एक भूत है। इसमें अपार बल है कितना भी कठिन कार्य क्यों न हो यह एक पल में निपटा देता है। यह कई वर्षों का काम मिनटों में कर सकता है।सेठ भूत की प्रशंसा सुन कर ललचा गया और उसकी कीमत पूछी......., उस आदमी ने कहा कीमत बस पाँच सौ रुपए है ,कीमत सुन कर सेठ ने हैरानी से पूछा- बस पाँच सौ रुपए.......उस आदमी ने कहा - सेठ जी जहाँ इसके असंख्य गुण हैं वहाँ एक दोष भी है।अगर इसे काम न मिले तो मालिक को खाने दौड़ता है।सेठ ने विचार किया कि मेरे तो सैकड़ों व्यवसाय हैं, विलायत तक कारोबार है यह भूत मर जायेगा पर काम खत्म न होगा , यह सोच कर उसने भूत खरीद लिया मगर भूत तो भूत ही था , उसने अपना मुँह फैलाया और बोला - काम काम काम काम...सेठ भी तैयार ही था, उसने भूत को तुरन्त दस काम बता दिये ,पर भूत उसकी सोच से कहीं अधिक तेज था इधर मुँह से काम निकलता उधर पूरा होता , अब सेठ घबरा गया ,संयोग से एक सन्त वहाँ आये,सेठ ने विनयपूर्वक उन्हें भूत की पूरी कहानी बताई..सन्त ने हँस कर कहा अब जरा भी चिन्ता मत करो एक काम करो उस भूत से कहो कि एक लम्बा बाँस ला कर आपके आँगन में गाड़ दे बस जब काम हो तो काम करवा लो और कोई काम न हो तो उसे कहें कि वह बाँस पर चढ़ा और उतरा करे तब आपके काम भी हो जायेंगे और आपको कोई परेशानी भी न रहेगी सेठ ने ऐसा ही किया और सुख से रहने लगा.....यह मन ही वह भूत है। यह सदा कुछ न कुछ करता रहता है एक पल भी खाली बिठाना चाहो तो खाने को दौड़ता है।श्वास ही बाँस है।श्वास पर भजन- सिमरन का अभ्यास ही बाँस पर चढ़ना उतरना है।आप भी ऐसा ही करें। जब आवश्यकता हो मन से काम ले लें जब काम न रहे तो श्वास में नाम जपने लगो तब आप भी सुख से रहने लगेंगे...
|||||||||||||| क्रोध ||||||||||||______________________________एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। संत ने सेठ से अनाज लिया और कहा कि ठीक है पूछो। सेठ ने कहा कि मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं? संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले कि मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया। ______________________________________ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया। उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और बोला कि तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसा बोल रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। संत चुपचाप सुन रहे थे। उन्होंने एक भी बार पलटकर जवाब नहीं दिया। ______________________________________कुछ देर बाद सेठ का गुस्सा शांत हो गया, तब संत ने उससे कहा कि भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे। अगर इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता।______________________________________*शिक्षा:-*क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है और शांति हर विवाद को खत्म कर सकती है। अगर हम क्रोध ही नहीं करेंगे तो कभी भी वाद-विवाद नहीं होगा। जीवन में सुख-शांति चाहते हैं तो क्रोध को नियंत्रित करना चाहिए। क्रोध को काबू करने के लिए रोज ध्यान करें..!!______________________________________
Saturday, 27 November 2021
Friday, 26 November 2021
अरदास करना कभी मत भूलें. अरदास में अपार शक्ति होती है, रोज़ अरदास किया करो... ऐ मेरे सतगुरु जी तेरेहर पल का “शुकराना” हर स्वांस का “शुकराना” हाथ थामने का “शुकराना” सिर पर हाथ रखने का “शुकराना” हर दुख से बचाने का “शुकराना”अंग संग रहने का “शुकराना” अपना बनाने का “शुकराना” जब समस्या भारी हो और आपकी ताकत उसके लिए काफी न होतो परेशान मत होना.. क्योंकि जहाँ हमारी ताकत खत्म होती है, वहां से गुरु की रहमत शुरू होती है।
Thursday, 25 November 2021
*अजीनोमोटो* "दिमाग़ को पागल करने का मसाला"*शादी-ब्याह* *दावतों* में भूल कर भी हलवाई को ना देवें !आजकल व्यंजनों में, खासकर चायनीज वैरायटी में, एक सफेद पाउडर या क्रिस्टल के रूप में *मोनो सोडियम ग्लुटामेट* (M.S.G.) नामक रसायनजिसे दुनिया *अजीनोमोटो* के नाम से जानती है, का प्रयोग बहुत बढ़ गया है,बिना यह जाने कि यह वास्तव में क्या है? *अजीनोमोटो* नाम तो असल में इसे बनाने वाली मूल चायनीज कम्पनी का है !यह एक ऐसा रसायन है, जिसके जीभ पर स्पर्श के बाद जीभ भ्रमित हो जाती है और मस्तिष्क को झूठे संदेश भेजने लगती है। जिस सें *सड़ा-गला* या *बेस्वाद* खाना भी अच्छा महसूस होता है। इस रसायन के प्रयोग से शरीर के अंगों-उपांगों और मस्तिष्क के बीच *न्यूरोंस* का नैटवर्क बाधित हो जाता है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं। चिकित्सकों के अनुसार *अजीनोमोटो* के प्रयोग से 1-एलर्जी, 2-पेट में अफारा, 3-सिरदर्द, 4-सीने में जलन, 5-बाॅडीे टिश्यूज में सूजन, 6-माइग्रेन आदि हो सकते है। *अजीनोमोटो* से होने वाले रोग इतने व्यापक हो गये हैं कि अब इन्हें ‘*चाइनीज रेस्टोरेंट सिंड्रोम* कहा जाता है। दीर्घकाल में *मस्तिष्काघात* (Brain Hemorrhage)हो सकता है जिसकी वजह से *लकवा* होता है।अमेरिका आदि बहुत से देशों में *अजीनोमोटो* पर प्रतिबंध है। न जाने *फूड सेफ्टी एण्ड स्टैन्डर्ड अथाॅरिटी आॅफ इंडिया’* ने भारत में *अजीनोमोटो* को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया है? *सुरक्षित खाद्य अभियान* ("Safe Food Abhiyan")की पाठकों से जोरदार अपील है कि दावतों में हलवाई द्वारा मंगाये जाने पर उसे *अजीनोमोटो* लाकर ना देवें। हलवाई कहेगा कि चाट में मजा नहीं आयेगा, फिर भी इसका पूर्ण बहिष्कार करें। कुछ भी हो (AFTER ALL) दावत खाने वाले आपके *प्रियजन* हैं, आपके यहां दावत खाकर वे बीमार नही पड़ने चाहिए ! जब आपने बाकि सारा बढ़िया सामान लाकर दिया है तो लोगों को *अजीनोमोटो* के बिना भी खाने में, चाट में पूरा मजा आयेगा, आप निश्चिंत रहें। *अजीनोमोटो* तो *हलवाई की अयोग्यता* को छिपाने व होटलों, ढाबों, कैटरर्स, स्ट्रीट फूड वैंडर्स द्वारा सड़े-गले सामान को आपके *दिमाग* को पागल बनाकर स्वादिष्ट महसूस कराने के लिए डाला जाता है।क्या *हलवाई की अयोग्यता* का दंड अपने *प्रियजनों*को देंगे ????*सुरक्षित खाद्य अभियान*(Safe Food Abhiyan)द्वारा "विज्ञान प्रगति’ मई-2017"में छपी सामग्री पर आधारित।
उम्रदराज न बनेंउम्र को दराज़ में रख देंखो जाएं ज़िन्दगी मेंमौत का इन्तज़ार न करेंजिनको आना है आएजिसको जाना है जाएपर हमें जीना हैये न भूल जाएंजिनसे मिलता है प्यारउनसे ही मिलें बार बारमहफिलों का शौक रखेंदोस्तों से प्यार करेंजो रिश्ते हमें समझ सकेंउन रिश्तों की कद्र करेंबंधें नहीं किसी से भीना किसी को बँधने परमजबूर करेंदिल से जोड़ें हर रिश्ताऔर उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहेंहँसना अच्छा होता हैपर अपनों के लियेरोया भी करेंयाद आएं कभी अपने तोआँखें अपनी नम भी करेंज़िन्दगी चार दिन की हैतो फिर शिकवे शिकायतेंकम ही करेंउम्र को दराज़ में रख देंउम्रदराज़ न बनें।........
Wednesday, 24 November 2021
#Ardaas 🙏🌹वाहेगुरु जी🌹🙏 *"काश! हम उतना देख पाते"*🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏*मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को पृथ्वी पर भेजा। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था।**देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी जुड़वा लड़कियां एक अभी भी उस मृत स्त्री से लगी हुई चीख रही है, पुकार रही है।* *एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं। और स्त्री मर गयी है, और कोई देखने वाला भी नहीं है। पति पहले ही मर चुका था। परिवार में और कोई भी नहीं है। इन तीन छोटी बच्चियों का क्या होगा?**उस देवदूत को यह खयाल आया , तो वह खाली हाथ वापस लौट गया। उसने जा कर अपने प्रधान को कहा कि मैं न ला सका, मुझे क्षमा करें, लेकिन आपको स्थिति का पता ही नहीं है।* *तीन जुड़वां बच्चियां हैं,* *छोटी-छोटी, दूध पीती। एक अभी भी मृत से लगी है, एक रोते-रोते सो गयी है, दूसरी अभी चीख-पुकार रही है। मेरा हृदय ला न सका।**क्या यह नहीं हो सकता कि इस स्त्री को कुछ दिन और जीवन के दे दिए जाएं? कम से कम लड़कियां थोड़ी बड़ी हो जाएं। और कोई देखने वाला नहीं है।**मृत्यु के देवता ने कहा, तो तुम फिर समझदार हो गया, उससे ज्यादा, जिसकी मर्जी से मौत होती है, जिसकी मर्जी से जीवन होता है!**तो तुमने पहला पाप कर दिया, और इसकी तुझे सजा मिलेगी। और सजा यह है कि तुझे पृथ्वी पर जाना पड़ेगा। और जब तक तुम अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस नही लेगा , तब तक वापस नहीं आ सकेगा।**इसे थोड़ा समझना। तीन बार न हंस लेगा अपनी मूर्खता पर, क्योंकि दूसरे की मूर्खता पर तो अहंकार हंसता है। जब तुम अपनी मूर्खता पर हंसते हो तब अहंकार टूटता है।**देवदूत ने बुरा नहीं माना । वह दंड भोगने को राजी हो गया , लेकिन फिर भी उसे लगा कि सही तो मैं ही हूं। और हंसने का मौका कैसे आएगा?**उसे पृथ्वी पर भेज दिया गया।**सर्दियों के दिन करीब आ रहे थे एक जूता कारीगर अपने बच्चों के लिए कोट और कंबल खरीदने शहर गया था,**कुछ रुपए इकट्ठे कर के। जब वह शहर जा रहा था तो उसने राह के किनारे एक नंगे आदमी को पड़े हुए, ठिठुरते हुए देखा।**यह नंगा आदमी वही देवदूत है जो पृथ्वी पर फेंक दिया गया था। उस कारीगर को दया आ गयी। और बजाय अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदने के, उसने इस आदमी के लिए कंबल और कपड़े खरीद लिए।* *इस आदमी को कुछ खाने-पीने को भी न था, घर भी न था, छप्पर भी न था जहां वह रुक सके।* *तो कारीगर ने कहा कि अब तुम मेरे साथ ही आ जाओ। लेकिन अगर मेरी पत्नी नाराज हो, जो कि वह निश्चित होगी, क्योंकि बच्चों के लिए कपड़े खरीदने गया था, वह पैसे तो खर्च हो गए-वह अगर नाराज हो, चिल्लाए, तो तुम परेशान मत होना। थोड़े दिन में सब ठीक हो जाएगा।**उस देवदूत को लेकर कारीगर घर लौटा। न तो कारीगर को पता है कि यह देवदूत घर में आ रहा है, न पत्नी को पता है।* *जैसे ही देवदूत को लेकर कारीगर घर में पहुंचा, पत्नी एकदम पागल हो गयी। बहुत नाराज हुई, बहुत चीखी चिल्लायी और देवदूत पहली दफा हंसा।**कारीगर ने उससे कहा, हंसते क्यों हो, क्या बात है? उसने कहा, मैं जब तक तीन बार हंस न लूंगा तब तक बता नही सकूंगा।**देवदूत हंसा पहली बार, क्योंकि उसने देखा कि इस पत्नी को पता ही नहीं है कि कारीगर देवदूत को घर में ले आया है, जिसके आते ही घर में हजारों खुशियां आ जाएंगी।* *लेकिन आदमी देख ही कितनी दूर तक सकता है!* *पत्नी तो इतना ही देख पा रही है कि एक कंबल और बच्चों के कपड़े नहीं बने। जो खो गया है वह देख पा रही है, जो मिला है उसका उसे अंदाज ही नहीं है। मुफ्त में घर में देवदूत आ गया है।**देवदूत उस कारीगर के घर काम करने लगा , क्योंकि वह देवदूत था, इसलिए वह जल्दी ही सात दिन में ही उसने जूता कारीगर का सब काम सीख लिया।* *और उसके जूते इतने प्रसिद्ध हो गए कि कारीगर महीनों के भीतर धनी होने लगा। आधा साल होते-होते तो उसकी ख्याति सारे लोक में पहुंच गयी कि उस जैसा जूते बनाने वाला कोई भी नहीं, क्योंकि वह जूते देवदूत बनाता था। सम्राटों के जूते वहां बनने लगे।**धन अपरंपार बरसने लगा। एक दिन सम्राट का आदमी आया। और उसने कहा कि यह चमड़ा बहुत कीमती है, आसानी से मिलता नहीं, कोई भूल-चूक नहीं करना।* *जूते ठीक इस तरह के बनने हैं। और ध्यान रखना जूते बनाने हैं, स्लीपर नहीं। क्योंकि इस देश में जब कोई आदमी मर जाता है तब उसको स्लीपर पहना कर मरघट तक लेकर जाते हैं।* *कारीगर ने भी देवदूत को कहा कि स्लीपर मत बना देना।**जूते बनाने हैं, स्पष्ट आज्ञा है, और चमड़ा इतना ही है। अगर गड़बड़ हो गयी तो हम मुसीबत में फंसेंगे।**लेकिन फिर भी देवदूत ने स्लीपर ही बनाए। जब कारीगर ने देखे कि स्लीपर बने हैं तो वह क्रोध से आगबबूला हो गया। वह लकड़ी उठा कर उसको मारने को तैयार हो गया कि तुम मुझे फांसी लगवा दोगे और तुझे बार-बार कहा था कि स्लीपर नहीं बनाने हैं, फिर स्लीपर किसलिए बनाये ?**तभी सम्राट के घर से एक आदमी भागा हुआ आया। उसने कहा, जूते मत बनाना, स्लीपर बनाना ह। क्योंकि सम्राट की मृत्यु हो गयी है।* *भविष्य अज्ञात है। सिवाय उसके और किसी को ज्ञात नहीं।* *और आदमी तो अतीत के आधार पर निर्णय लेता है। सम्राट जिंदा था तो जूते चाहिए थे, मर गया तो स्लीपर चाहिए।**तब वह कारीगर उसके पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा कि मुझे माफ कर दे, मैंने तुझे मारा। पर उसने कहा, कोई हर्ज नहीं। मैं अपना दंड भोग रहा हूं।* *लेकिन वह आज दुबारा हंसा। कारीगर ने फिर पूछा कि हंसी का कारण? उसने कहा कि मैं जब तक तीन बार हंस न लूंगा तब तक नहीं बता सकूंगा।**दुबारा हंसा इसलिए कि भविष्य हमें ज्ञात नहीं है। इसलिए हम इच्छा रखते हैं जो कि व्यर्थ हैं।* *हम इच्छा करते हैं जो कभी पूरी न होंगी। हम मांगते हैं जो कभी नहीं होगा। क्योंकि कुछ और ही घटना तय है। हमसे बिना पूछे हमारी नियति घूम रही है।* *और हम व्यर्थ ही बीच में शोरगुल मचा रहे हैं। चाहिए स्लीपर और हम जूते बनवाते हैं। मरने का वक्त करीब आ रहा है और हम जिंदगी का आयोजन करते हैं।**तो देवदूत को लगा कि वे बच्चियां! मुझे क्या पता, उनका भविष्य क्या होने वाला है? मैं नाहक बीच में आया।**और तीसरी घटना घटी कि एक दिन तीन जवान लड़कियां आयीं।* *उन तीनों की शादी हो रही थी। और उन तीनों ने जूतों के आर्डर दिए कि उनके लिए जूते बनाए जाएं। एक बूढ़ी महिला उनके साथ आयी थी जो बड़ी धनी थी।* *देवदूत पहचान गया, ये वे ही तीन लड़कियां हैं, जिनको वह मृत मां के पास छोड़ गया था और जिनकी वजह से वह दंड भोग रहा है। वे सब स्वस्थ हैं, सुंदर हैं।* *उसने पूछा कि क्या हुआ? यह बूढ़ी औरत कौन है? उस बूढ़ी औरत ने कहा कि ये मेरी पड़ोसिन की लड़कियां हैं। वो एक गरीब औरत थी, उसके शरीर में दूध भी न था। उसके पास पैसे-लत्ते भी नहीं थे। और तीन बच्चे जुड़वां। वह इन्हीं को दूध पिलाते-पिलाते मर गयी।* *लेकिन मुझे दया आ गयी, मेरे कोई बच्चे नहीं थे, और मैंने इन तीनों बच्चियों को पाल लिया।**अगर मां जिंदा रहती तो ये तीनों बच्चियां गरीबी, भूख और दीनता और दरिद्रता में बड़ी होतीं।* *मां के मरने के बाद ये बच्चियां तीनों बहुत बड़े धन-वैभव में, संपदा में पलीं।**और अब उस बूढ़ी की सारी संपदा की ये ही तीन मालिक हैं और इनका बड़े खानदानी परिवार में विवाह हो रहा है।**देवदूत तीसरी बार हंसा। और कारीगर को उसने कहा कि ये तीन कारण हैं।* *भूल मेरी थी। नियति बड़ी है।* *और हम उतना ही देख पाते हैं, जितना हमारे सामने हैं। जो होने वाला ह वो हम नहीं देख पाते,**और हम जो देख पाते हैं उससे हम कोई अंदाज नहीं लगा सकते, की आगे क्या होने वाला है**मैं अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस लिया हूं। अब मेरा दंड पूरा हो गया और अब मैं जाता हूं।**हम अगर अपने को बीच में लाना बंद कर दे, तो हमे मार्गों का मार्ग मिल जायेगा। फिर असंख्य मार्गों की चिंता न करनी पड़ेगी।* *छोड़ दो उस पर। वह जो करवा रहा है, जो अब तक करवाया है उसके लिए धन्यवाद* *जो अभी करवा रहा है, उसके लिए धन्यवाद। जो वह कल करवाएगा, उसके लिए धन्यवाद।**ईश्वर की लीला है!**होगा वही जो वो चाहेगा..!!* 🙏🌹धन गुरु नानक🌹🙏 #अरदास
एक डाल दो पंछी बैठा,कौन गुरु कौन चेला,गुरु की करनी गुरु भरेगा,चेला की करनी चेला रे साधु भाई,उड़ जा हंस अकेला ॥माटी चुन चुन महल बनाया,लोग कहे घर मेरा,ना घर तेरा ना घर मेरा,ना घर तेरा ना घर मेरा,चिड़िया रैन बसेरा रे साधुभाई,उड़ जा हंस अकेला ॥मात कहे ये पुत्र हमारा,बहन कहे ये वीरा,भाई कहे ये भुजा हमारी,भाई कहे ये भुजा हमारी,नारी कहे नर मेरा रे साधुभाई,उड़ जा हंस अकेला ॥पेट पकड़ के माता रोई,बांह पकड़ के भाई,लपट झपट के तिरिया रोये,लपट झपट के तिरिया रोये,हंस अकेला जाई रे साधुभाई,उड़ जा हंस अकेला ॥कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,जोड़ भरेला थैला,कहत कबीर सुनो भाई साधो,कहत कबीर सुनो भाई साधो,संग चले ना ढेला रे साधुभाई,उड़ जा हंस अकेला ॥एक डाल दो पंछी बैठा,कौन गुरु कौन चेला,गुरु की करनी गुरु भरेगा,चेला की करनी चेला रे साधु भाई,उड़ जा हंस अकेला ॥
Tuesday, 23 November 2021
Monday, 22 November 2021
एक सच ये भी"लोग समझते हैं, कि "नरम दिल" वाले बेवकूफ होते हैं,,,! "जबकि सच्चाई यह है, कि "नरम दिल" वाले बेवकूफ नही होते, "वे बखूबी ये जानते हैं, कि लोग उनके साथ क्या कर रहे हैं"पर हर बार लोगों को माफ करना* ,,,! "यह जाहिर करता है, कि वो एक खूबसूरत “दिल” के मालिक हैं, और वे "रिश्तों" को सँभालना बखूबी जानते हैं
एक सच ये भी"लोग समझते हैं, कि "नरम दिल" वाले बेवकूफ होते हैं,,,! "जबकि सच्चाई यह है, कि "नरम दिल" वाले बेवकूफ नही होते, "वे बखूबी ये जानते हैं, कि लोग उनके साथ क्या कर रहे हैं"पर हर बार लोगों को माफ करना* ,,,! "यह जाहिर करता है, कि वो एक खूबसूरत “दिल” के मालिक हैं, और वे "रिश्तों" को सँभालना बखूबी जानते हैं
Saturday, 20 November 2021
Friday, 19 November 2021
Thursday, 18 November 2021
Wednesday, 17 November 2021
Tuesday, 16 November 2021
Monday, 15 November 2021
Sunday, 14 November 2021
7 Rules of Life1. Make peace with your past so it won't disturb your future.2. What other people think of you is none of your business.3. The only person in charge of your happiness is you.4. Don't compare your life to others, comparison is the thief of joy.5. Time heals almost everything. Give it time.6. STOP thinking so much. Its alright not to know all the answers.7. Smile. You don't own all the problems in the world.
Saturday, 13 November 2021
Friday, 12 November 2021
Thursday, 11 November 2021
Wednesday, 10 November 2021
कितना सुंदर लिखा है किसी ने। प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी में जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते! बस यही दो मसले जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा- काश थोड़ा और सब्र होता !!! सब्र ने कहा.....काश थोड़ा और वक़्त होता!!! "शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता..
Tuesday, 9 November 2021
Monday, 8 November 2021
*दु:ख भुगतना ही, कर्म का कटना है. हमारे कर्म काटने के लिए ही हमको दु:ख दिये जाते है. दु:ख का कारण तो हमारे अपने ही कर्म है, जिनको हमें भुगतना ही है। यदि दु:ख नही आयेगें तो कर्म कैसे कटेंगे?* *एक छोटे बच्चे को उसकी माता साबुन से मलमल के नहलाती है जिससे बच्चा रोता है. परंतु उस माता को, उसके रोने की, कुछ भी परवाह नही है, जब तक उसके शरीर पर मैल दिखता है, तब तक उसी तरह से नहलाना जारी रखती है और जब मैल निकल जाता है तब ही मलना, रगड़ना बंद करती है।* *वह उसका मैल निकालने के लिए ही उसे मलती, रगड़ती है, कुछ द्वेषभाव से नहीं. माँ उसको दु:ख देने के अभिप्राय से नहीं रगड़ती, परंतु बच्चा इस बात को समझता नहीं इसलिए इससे रोता है।* *इसी तरह हमको दु:ख देने से परमेश्वर को कोई लाभ नहीं है. परंतु हमारे पूर्वजन्मों के कर्म काटने के लिए, हमको पापों से बचाने के लिए और जगत का मिथ्यापन बताने के लिए वह हमको दु:ख देता है।* *अर्थात् जब तक हमारे पाप नहीं धुल जाते, तब तक हमारे रोने चिल्लाने पर भी परमेश्वर हमको नहीं छोड़ता ।* *इसलिए दु:ख से निराश न होकर, हमें मालिक से मिलने के बारे मे विचार करना चाहिए और भजन सुमिरन का ध्यान करना चाहिए..!!* *🙏🙏🏿 राधा स्वामीजी
Sunday, 7 November 2021
*Positive Thinking*एक महिला की आदत थी, कि वह हर रोज सोने से पहले, अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर, लिख लिया करती थीं.... एक रात उन्होंने लिखा :*मैं खुश हूं,* कि मेरा पति पूरी रात, ज़ोरदार खर्राटे लेता है. क्योंकि वह ज़िंदा है, और मेरे पास है. ये ईश्वर का, शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि मेरा बेटा सुबह सबेरे इस बात पर झगड़ा करता है, कि रात भर मच्छर - खटमल सोने नहीं देते. यानी वह रात घर पर गुज़रता है, आवारागर्दी नहीं करता. ईश्वर का शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि, हर महीना बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का, अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है. यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं. अगर यह ना होती, तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती ? ईश्वर का शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि दिन ख़त्म होने तक, मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है. यानी मेरे अंदर दिन भर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत, सिर्फ ईश्वर की मेहर से है..*मैं खुश हूं,* कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है, और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है. शुक्र है, मेरे पास घर तो है. जिनके पास छत नहीं, उनका क्या हाल होता होगा ? ईश्वर का, शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि कभी कभार, थोड़ी बीमार हो जाती हूँ. यानी मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं. ईश्वर का, शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि हर साल त्यौहारो पर तोहफ़े देने में, पर्स ख़ाली हो जाता है. यानी मेरे पास चाहने वाले, मेरे अज़ीज़, रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें *तोहफ़ा दे सकूं. अगर ये ना हों, तो ज़िन्दगी कितनी बेरौनक* हो..? ईश्वर का, शुक्र है..*मैं खुश हूं,* कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर, उठ जाती हूँ. यानी मुझे हर रोज़, एक नई सुबह देखना नसीब होती है. ये भी, ईश्वर का ही करम है.._*जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए, अपनी और अपने लोगों की ज़िंदगी, सुकून की बनानी चाहिए. छोटी या बड़ी परेशानियों में भी, खुशियों की तलाश करिए, हर हाल में, उस ईश्वर का शुक्रिया कर, जिंदगी खुशगवार बनाए..,!!!!*_🙏🙏🙏🌹🌹Think Positive in each & every situation.
Saturday, 6 November 2021
Friday, 5 November 2021
Thursday, 4 November 2021
Wednesday, 3 November 2021
Tuesday, 2 November 2021
आप सब को धनतेरस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं🌹धनतेरस के दिन गेहूं खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है गेहूं को दूसरे रूप में सोना भी माना जाता हैइस दिन चने की दाल भी खरीदे.. इसके अलावा चावल चांदी का ही दूसरा रूप माना जाता है तो आज के दिन अक्षत यानी टूटे हुए चावल नहीं होने चाहिए आप साबुत चावल ..अच्छी किस्म के चावल जरूर खरीदें और इसको भी पूजा स्थान में..धन्तेरस और दिवाली के दिन जरूर रखें आप हल्दी खरीद सकते हैं और हल्दी को पीले कपड़े में बांधकर... चाहे साबुत हल्दी या पीसी हुई हल्दी खरीद कर भी अपनी पूजा स्थान में रखें इस दिन शहद खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है आप सोना चांदी की बहुमूल्य वस्तुएं खरीदें लेकिन साथ ही इन वस्तुओं को भी अपने घर में जरूर स्थान देंगेहूं चावल हल्दी मीठा जो भी आप खरीद रहे हैं उसे आप इस्तेमाल कीजिए पूजा करने के बाद यह किसी को भी आपने दान में नहीं देना है बल्कि अपने घर के राशन में इन चीजों को स्थापित कर देना है..खरीदने का शुभ समय शाम 6.15 से 8.22 मिन्ट तक का है.. जय माँ कालिका जी जय जय काली.. काली महाकाली जय काली काली.. महा सरस्वती जय काली काली.. महा लक्ष्मी जी 🙏🌹
शुक्रिया.उन लोगों का जो मुझसे नफरत करते हैं क्योंकि उन्होंने मुझे मज़बूत बनाया । शुक्रिया उन लोगों का जो मुझसे प्यार करते हैं क्योंकि उन्होंने मेरा दिल बड़ा कर दिया।शुक्रिया उन लोगों का जो मेरे लिए परेशान हुए और मुझे बताया कि दर असल वो मेरा बहुत ख्याल रखते हैं।शुक्रिया उन लोगों का जिन्होंने मुझे अपना बना के छोड़ दिया और एहसास दिलाया कि दुनियां में हर चीज आखरी नहीं।शुक्रिया उन लोगों का जो मेरी जिंदगी में शामिल हुए और मुझे ऐसा बना दिया जैसा सोचा भी न था। और ज़्यादा शुक्रियामेरे रब का जिसने हालात का सामना करने की हिम्मत दी।
Monday, 1 November 2021
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