Wednesday 10 November 2021

कितना सुंदर लिखा है किसी ने। प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी में जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते! बस यही दो मसले जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा- काश थोड़ा और सब्र होता !!! सब्र ने कहा.....काश थोड़ा और वक़्त होता!!! "शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता..