"सहारा...... #hindistoryमम्मी आप यहां...... ऐसे कयुं बैठी है ....चाय बना लाऊं आपके लिए ...... नही कुछ नही सुधा .....बस यूहीं ....नींद नहीं आ रही थी .....सुषमा जी बोली मम्मी .....तबीयत तो ठीक है ना आपकी ....दिखाइए..... बदन को हाथ लगाते हुए सुधा बोली..... ठीक है बहु .....बेकार चिंता मत कर .....अब मुझ बुढिया की उम्र में .....खैर ....जा बिटिया मोहन जाग गया होगा तुम्हें उसके पास जाना चाहिए...... सुधा कुछ परेशान सी होकर पति मोहन के पास पहुंची.... सुनिए .....मोहनजी...... हां.... कया है सुधा ....उठता हूं अभी थोड़ी देर में ...... आप यहां सो रहे है बेफिक्र से वहां मां.... मां....कया हुआ मां को .....कया हुआ ..... मोहनजी पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं वह ना तो ठीक से खाती है और ना ठीक से सो पाती है ....अभी भी बालकनी मे बैठी है गुमसुम सी .....मुझे उनकी चिंता हो रही है ......पापा के अचानक चले जाने से शायद वह ..... सुधा .....पापा का अचानक चले जाना हमसब के लिए बडी क्षति पहुंचाने वाला है एक छाया जो अबतक हमें अपने अनुभवों के पतों से बचाती थी अब वो छाया .....कहकर सुबकने लगा..... मोहनजी ....जो चला गया उसे तो वापस हम नही ला सकते मगर जो है उसे भी खोना .....मोहनजी मां का यूं अकेला रहना नींद ना लेना अच्छे से खाना नही खाना ...उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही है..... ठीक कहती हो सुधा ....मे आज ब्लकी अभी उन्हें डाक्टर के पास..... मोहनजी .....उनका इलाज डाक्टर के पास नहीं ब्लकी हमारे ही पास है ..... कया मतलब..... हमारे पास.... मोहनजी ....जब बचपन में आप डर जाते थे तो और अकेलेपन से घबराते थे तो आप कया करते थे... मां के पास......ओह......समझ गया ...... हां .....अबसे मां के साथ आप उनके कमरे में रहेंगे .....दिन मे मे और आराध्या उनके आसपास रहेंगे उनसे बातचीत करेंगे वैसे ही आप रात मे उनसे बचपने की बातें वो नादानियों से उनकी डांटने वाली समझाने वाली घटनाओं को स्मरण कराएंगे ...... सुधा ......मे आजरात से मां के पास ही सोऊंगा .... हूं..... यही अच्छा होगा...... रात को मां के कमरे में......कौन..... कौन है..... मां....मे हूं मोहन..... मोहन......तू यहां ......बेटा काफी रात हो गई है तू सोया नही ....कुछ काम था .... हां.....आज मे आपके पास सोऊंगा यहां..... कया...... मगर बहु ....और आराध्या .....बेटा तुम्हें उनके पास होना चाहिए ..... नही मां...... मां .....कहा ना मे आपके पास सोऊंगा..... कया सुधा से झगडकर आया है .....देख वो बडी प्यारी बच्ची है उससे झगड़ा मत किया कर ....जा अभी ....और मना ले उसे..... नही मां .....ऐसा कुछ नहीं है .....सुधा सचमुच बहुत अच्छी है .....मां याद है बचपन में जब मे डर जाता था तो आपके पास आकर सोता था .... हां....याद है .....कयोंकि तू उसवक्त बच्चा था .....कमजोर था ......डरता था घबराता था .....इसलिए तू मेरे पास आकार लिपटकर सो जाता था..... मां .......जैसे हम बच्चे बचपन में कमजोर घबराकर डरकर अपने बडे मां के आंचल मे बेखौफ होकर सो जाते थे वैसे ही जब बडे बुजुर्ग अकेले में घबराहट महसूस करने लगे तो कया उन बच्चों का जो अब जवान हो चुके हैं उन बुजुर्गों का सहारा नही बनना चाहिए......मां .....मुझे पता है आप पापा के अचानक चले जाने से अकेला महसूस करने लगी है.......मां ....आप अकेली नही हो ....आपका मजबूत कंधा आपके पास है आपका बेटा ......मां .....कहकर मोहन एकबारगी फिर से मां से बचपने की तरह लिपट गया .....दोनों की आँँखे भीगी हुई थी .....कुछ देर मे बेखौफ बेखबर मां सचमुच बडी अच्छी नींद में सो रही थी .....एक प्ररेणास्त्रोत रचना...🙏🙏🙏