Sunday, 21 January 2024

#oldtime#newtimeA young man asked his grandfather, "Grandpa, how did you live in the past without technology . . .without computerswithout droneswithout bitcoinswithout Internet connectionwithout TVswithout air conditionerswithout carswithout mobile phones?"Grandpa answered:"Just as your generation lives today . . .no prayers,no compassion,no respect,no GMRC,no real education,poor personality,there is no human kindness,there is no shame,there is no modesty,there is no honesty.We, the people born between the years 1930-1980, were the blessed ones. Our lives are a living proof."¶ While playing and riding a bike, we have never worn a helmet.¶ after school we did our homework ourselves and we always played in meadows until sunset¶ We played with real friends, not virtual friends.¶ If we were thirsty, we would drink frim the fountain, from the waterfalls, faucet water, not mineral water.¶ We never worried and get sick even as we shared the same cup or plate with our friends.¶ We never gained weight by eating bread and pasta every day.¶ Nothing happened to our feet despite walking barefoot.¶ We never used food supplements to stay healthy.¶ We used to make our own toys and play with them.¶ Our parents were not rich. They gave us love, not material gifts.¶ We never had a cell phone, DVD, PSP, game console, Xbox, video games, PC, laptop, internet chat . . . but we had true friends.¶ We visited our friends without being invited and shared and enjoyed the food with their family.Parents lived nearby to take advantage of family time.¶ We may have had black and white photos, but you can find colorful memories in these photos.¶ We are a unique and the most understanding generation, because we are the last generation that listened to their parents.And we are also the first ones who were forced to listen to their children.~We are limited edition.Take advantage of us. Learn from us. We are a treasure destined to disappear soon

Monday, 15 January 2024

Alwida Munawwar Rana saab 🙏 मां' पर किसने क्या नहीं लिखा ! लेकिन जैसा मुनव्वर ने लिखा वैसा किसी ने नहीं लिखा, ख़ासकर उर्दू साहित्य में। उर्दू ग़ज़ल में मुनव्वर राना से पहले सब कुछ था- माशूक़, महबूब, हुस्न, साक़ी, तरक़्क़ीपसंद अदब और बग़ावत इत्यादि पर 'मां' नहीं थी। इसलिए उन्होंने कहा भी है कि- ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती हैछू नहीें सकती मौत भी आसानी से इसकोयह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए हैयूँ तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिनमाँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती हैविज्ञापनवह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गयामाँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी हैमैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी हैसिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे 'राना'रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देतेमैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसूमुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होतीबस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की 'राना'माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती हैगले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैंअभी मस्जिद के दरवाज़े पे माँएँ रोज़ आती हैंऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गयामाँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गयाइस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती हैमेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँमाँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँलिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकतामैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती हैयारों को मसर्रत मेरी दौलत पे है लेकिनइक माँ है जो बस मेरी ख़ुशी देख के ख़ुश हैतेरे दामन में सितारे होंगे तो होंगे ऐ फलक़मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगीजब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती हैमाँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती हैघेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईंढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती मुझे तो सच्ची यही एक बात लगती हैकि माँ के साए में रहिए तो रात लगती है#munawwarranasahab #maa #,beautifullife

Tuesday, 9 January 2024

गलती सिर्फ एक पल की ही होती है, परन्तु उससे होने वाले प्रभाव को हम सारा जीवन महसुस करते हैं.।

मैं अब किसी को अपने जीवन से जाने से नहीं रोकती। जो जाना चाहता है उसे कोई भी दलील दे कर रुक जाने को मजबूर भी नहीं करती।एक वक्त था जब किसी अज़ीज़ के चले जाने के अहसास भर से ही दिल दहक जाता था। रोते, ऐसा लगता था की उनके जाने के बाद जीवन में कुछ और बचेगा ही नहीं, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ कई ठोकरें खाने के बाद ये समझ आने लगा की हमारे जीवन में आने और जाने वाले लोग हमारे जीवन का मात्र एक हिस्सा भर है पूरा जीवन नहीं।अब मैं जाने वालों को वास्ता देकर रोकती नहीं, बल्कि उन्हें रास्ता देकर उनकी मुश्किल आसान बना देती हूं।बहुत से लोग समझ रहे होंगे कि मैं समझदार हो गई हूं, लेकिन मुझसे पूछे तो मैं कहूँगी की मैं अब थोड़ी चालाक और कठोर हो गई हूं।जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव ने कब मेरी मासूमियत छीन ली उसका एहसास ही नहीं हुआ।कितनी चालाकी से वक्त मासूमियत छीन कर समझदारी का झोला थमा देता है हमें। 2024 का पहला पन्ना मेरी कलम से.✍️😌

Sunday, 7 January 2024

*E L I M I N A T I O N I N L I FE*🙋‍♀️ *Three Stages of Elimination in Life:*🌹🌹🌹*At the age of 60,* *the workplace eliminates you.* *No matter how successful or powerful you were during your career,* *You'll return to being an ordinary person.**So, don't cling to the mindset and sense of superiority from your past job,**let go of your ego, or you might lose your sense of ease!**At the age of 70,* *society gradually eliminates you.* *The friends and colleagues you used to meet and socialize with become fewer,* *and hardly anyone recognizes you at your former workplace.* *Don't say,* *"I used to be..."* *or "I was once..."* *because the younger generation won't know you, and you mustn't feel uncomfortable about it!**At 80/90, family slowly eliminates you.* *Even if you have many children and grandchildren,* *most of the time you'll be living with your spouse or by yourself.* *When your children visit occasionally, it's an expression of affection, so don't blame them for coming less often, as they're busy with their own lives!**After 90, the Earth wants to eliminate you.**At this point, don't be sad or mournful,* *Because this is the way of life, and everyone will eventually follow this path!**Therefore, while our bodies are still capable, live life to the fullest!* *Eat what you want, drink what you desire, play and do the things you love.**Remember,* *the only thing that won't eliminate you is the Whatsapp group.* 🙋‍♀️*So, communicate more in the group,* 🙋‍♀️*say a hello, maintain your presence, be happy, and have no regrets!**Stay blessed always* 🤷‍♀️(*Dedicated to Senior Citizens* )

Thursday, 4 January 2024

#maa #mother.मां के जाने के बाद मायके छूट जाते हैं मां नहीं है फिर भी मां की याद आती है, ठंड का मौसम होता था, बेफिक्र मां की शाल ओढ लिया करते थे, मां के साथ रजाई में छुप जाया करते थे, रजाई की गर्मी से अधिक मां का साथ अच्छा लगता था, सर्दी जाने कहां गुम हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था, मां के साथ कुछ भी बात कर सकते थे, मां कभी बुरा नहीं मानती, बिना कहें बिना जाने सब कुछ जान जाती थी, अपनी मां को मां कहूं या जादूगर बिन मांगे सब कुछ पातें थे, पिता से बहुत कुछ सीखा, संयम, सीखने की शक्ति, माफ करने का गुण, वे कहा करते थे बोलने वाला अपना मुंह गंदा करता है, अपशब्द हमारे शरीर पर कहीं चिपक गए क्या, चिपक गए हो तो ढूंढ कर मुझे लौटा दो, हम हंस पड़ा करते थे, भूल जाओ वह इंसान ऐसा ही है, वह बदलने वाला नहीं खुद को बदल डालो, मां की साड़ी पहन जब मैं गुड़िया गुड़िया खेला करती थी मां साड़ी गंदी होने पर डाटा नहीं करती थी, प्यार किया करती थी, मेरी लाडो रानी ब्याह कर कहीं और चली, ऐसे मीठे संवाद कहती थी, कई वर्ष बीत गए उनसे बिछड़े हुए, उनसी ममता फिर कहीं मिली नहीं, बहुत चाहने वाले हैं फिर भी मां तो मां होती है, मेरे लिए तो सारा जहां थी, अल्प बचत करने का गुण उन्होंने सिखाया भविष्य में बड़ी बचत बनकर तुम्हारे काम आएगा, छोटी-मोटी बातें लेकिन महत्वपूर्ण कहा करती थी, वर्तमान नहीं भविष्य भी सवरेगा अगर मेरी बात पर ध्यान दोगे, मन में कोई स्वास्थ्य नहीं होता है, निस्वार्थ सिर्फ आपका भला चाहती है, पिता आसमान थे जिनकी छत्र छाया मे दुख कभी देखा नहीं, बहुत सौभाग्यशाली रही उन्हीं के हाथों मेरी डोली विदा हुई, जरा सी बात पर रूठ जाऊं तो दौड़ कर गले लगा लेती थी, क्या है क्या हुआ मेरी लाडो रानी चल तुझे कुछ दिलाऊ, मां तेरे हाथ के बने स्वेटर पहनकर बड़े हुए, फुर्सत में बैठना उन्हें पसंद नहीं होता था, कुछ ना कुछ किया करती थी, हर गुण था उन में तभी मुझे मोहब्बत थी उनसे, आज भी हैं, हमेशा रहेगी, अपनी मां का ही अंश हूं ,मां की ही परछाई खुद को कहती हूं..!!

रिश्तों में मिठास तभी बनी रहती है, जब उनमें चालाकियां ना हों

ना बस में जिंदगी और ना काबू मौत पर, लेकिन इंसान फिर भी ख़ुदा बना फिरता है......#beautifullife #Hindisuvichar