Wednesday, 31 January 2024

जब पीड़ा से मन फटता हो और बुनने वाला कोई न होजब दिल के टुकड़े बिखरे हों और चुनने वाला कोई न होजब दर्द शब्द में ढलकर यूँ कंठ के अंदर सिमटा होजब लब कहने को आतुर हों, और सुनने वाला कोई न होतब मन की पीड़ा आंखों के राहों से बाहर चलती है,दिल हल्का होते रहता है और दुनिया कायर कहती है।