Tuesday, 9 January 2024

मैं अब किसी को अपने जीवन से जाने से नहीं रोकती। जो जाना चाहता है उसे कोई भी दलील दे कर रुक जाने को मजबूर भी नहीं करती।एक वक्त था जब किसी अज़ीज़ के चले जाने के अहसास भर से ही दिल दहक जाता था। रोते, ऐसा लगता था की उनके जाने के बाद जीवन में कुछ और बचेगा ही नहीं, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ कई ठोकरें खाने के बाद ये समझ आने लगा की हमारे जीवन में आने और जाने वाले लोग हमारे जीवन का मात्र एक हिस्सा भर है पूरा जीवन नहीं।अब मैं जाने वालों को वास्ता देकर रोकती नहीं, बल्कि उन्हें रास्ता देकर उनकी मुश्किल आसान बना देती हूं।बहुत से लोग समझ रहे होंगे कि मैं समझदार हो गई हूं, लेकिन मुझसे पूछे तो मैं कहूँगी की मैं अब थोड़ी चालाक और कठोर हो गई हूं।जीवन में आए कई उतार-चढ़ाव ने कब मेरी मासूमियत छीन ली उसका एहसास ही नहीं हुआ।कितनी चालाकी से वक्त मासूमियत छीन कर समझदारी का झोला थमा देता है हमें। 2024 का पहला पन्ना मेरी कलम से.✍️😌