लोग अकेलेपन से त्रस्त है , अकेलेपन को दूर करना चाहते हैं,किसी से मन की कह हल्के हो लेना चाहते हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है इसीलिये कोई पेड़ पौधों से बातें कर रहा है कोई कुत्ते बिल्ली से। मन तो है किसी से बोलें पर समस्या है कि बोलें किससे।भाग कर रिश्तेदारों के पास बोलने जाता है, रिश्तेदार पुराने बही खाते संभाले बैठे साहूकार की तरह हैं, तेरे पिताजी ने तेरी शादी में हमें नहीं बुलाया था जैसी बरसों पुरानी शिकायतों के बंडल निकल आते हैं। इंसान वहां गया था मन हल्का करने और बोझ लिए वापिस लौट आता है।फिर इंसान पड़ोसी के पास जाता है, उसके पास भी कई शिकायतें हैं, पानी को लेकर पार्किंग को लेकर। दोस्तों के पास अब समय नहीं रहा । सहकर्मी तो ऑफिस की बातों के अलावा कुछ सुनते समझते नहीं। हममें से ज्यादातर के जीवनसाथी की रुचियाँ बिल्कुल भिन्न है, आप संगीत की बात करो, वो आज खाने में क्या बनाना है के यक्ष प्रश्न पर अटकी है या आप कोई कविता सुनाना चाहती हैं और वो ट्वेंटी ट्वेंटी के मैच में उलझा है।घबराया इंसान यहां सोशल मीडिया पर आता है, अपने मन की बात यहां कह हल्का हो लेता है। धीरे धीरे उसकी बात सुनने या उसकी जैसी कहने वाले लोगों का एक ग्रुप बनता जाता है। यहां अतीत के उलाहने नहीं हैं, यहां पानी और पार्किंग के झगड़े नहीं हैं, रुचियां समान हैं तभी एक चौपाल सजाए बैठे हैं । यहां जुड़ना सरल है और निकलना उससे भी सरल, कुछ चुभे, बस अनफ़्रेंड करो और भूल जाओ, ज्यादा बुरा लगता हो तो ब्लॉक मारो, मिट्टी पाओ।किसी की कोई बड़ी अपेक्षा नहीं, किसी के ताने नहीं। किसी से आजीवन जुड़े रहने की कोई मजबूरी नहीं।लोग कहते हैं ये दुनिया नकली है मैं कहता हूं यही दुनिया असली है यहां किसी को कुछ खोने पाने का डर नहीं है । जिसे असली जीवन में किसी अखबार में एक लाइन लिखने को नहीं मिल सकती वो यहां चंद्रकांता संतति रच दे कौन रोकता है, सब अपनी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन यहां कर दें समान अवसर है। यदि बन्दा बस अपना मन हल्का करने के उद्देश्य से यहां है, किसी लाइक कमेन्ट फॉलोवर्स की विशाल संख्या की अपेक्षा नहीं है तो उसके लिए यह नकली दुनिया स्वर्ग है।संदीप साहनी