Wednesday, 29 May 2019

अपना तो सीधा सा गणित है साहब, जहाँ कदर नहीं वहाँ जाना नहीं। जो पचता नहीं वो खाना नहीं, जो सत्य पर रूठे उसे मनाना नहीं। जो नजरों से गिरे उसे उठाना नहीं, मौसम सा जो बदले वो दोस्त बनाना नहीं। ये तकलीफें तो जिंदगी का हिस्सा हैं ; डटे रहना , पर कभी घबराना नहीं। ​