कैसे कह दूँ कि
अब थक गया हूँ मैं…
न जाने घर में
कितनों का हौसला हूँ मैं ।
जी रहा हूँ टूटती सांसों को…
जाने कब से अश्कों को पी रहा हूँ मैं।।
चल पड़ा हूँ फिर से कदमों पर….
जाने कितने उम्मीदों की उड़ान हूँ मैं।
कैसे कह दूँ कि, थक गया हूँ मैं…
न जाने कितनों का हौसला हूं मैं।।