Sunday, 21 June 2020

"खुदकुशी के किस्से कितने आम हो गएबिन बुलाए मौत के मेहमान हो गएकईयों का दर्द गुमनामी तले दब गयाकईयों का दर्द किताबों में छप गया"खुदकुशी जैसा इतना बड़ा कदम उठाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं।इसे मुमकिन बनाता है उसके मन पे पड़ा बोझ ऊपर से तन्हाई।जब उसके हाल को कोई जान के भी अनजान बना रहे तब यही अकेलापन उसे तोड़ देता है।अपने ही मरने पे मजबूर कर के बाद में कहते हैं__"कायर था जो बिन बताए चला गयाअनाथ अपने ही बच्चों को खुद बनाए चला गयाक्या नहीं करते उसके लिए जो दिल खोल के वो दिखाताहर दर्द अपने दिल में ही दबाए चला गया" किसी का भी अपने परिवार को बीच मझधार छोड़ के जाने का दिल नहीं करता ऐसे वक़्त में उसे बस एक साथी चाहिए होता है जो कहे__"वक़्त जैसा भी हो गुजर जाएगातेरे हर दुख में साथ हूं तू जो भी बताएगाबस हार के भी कभी ज़िन्दगी न वारनातेरा हारना तेरे अपनों को तुझसे पहले हराएगा" बस इतनी सी बात उसे जीने का हौसला देगी वरना उसके दुख उसकी रूह भी बयान करेगी__