Tuesday, 19 October 2021

*ज़िन्दगी से लम्हे चुरा* *बटुए में रखती रही!**फुरसत से खर्चूँगी**बस यही सोचती रही।* *उधड़ती रही जेब**करती रही तुरपाई**फिसलती रही खुशियाँ**करती रही भरपाई।**इक दिन फुरसत पायी**सोचा .......**खुद को आज रिझाऊं**बरसों से जो जोड़े**वो लम्हे खर्च आऊं।**खोला बटुआ..लम्हे न थे**जाने कहाँ रीत गए!**मैंने तो खर्चे नही**जाने कैसे बीत गए !!* *फुरसत मिली थी सोचा* *खुद से ही मिल आऊं।**आईने में देखा जो**पहचान ही न पाऊँ।**ध्यान से देखा बालों पे**चांदी सी चढ़ी थी,**थी तो मुझ जैसी पर**जाने कौन खड़ी थी।* *(हम सब की कहानी )*