Tuesday, 31 January 2023

जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी।पुत्र जब वयस्क हुआ तो पूरा कारोबार पुत्र के हवाले कर दिया। स्वयं कभी अपने तो कभी दोस्तों के आॅफिस में बैठकर समय व्यतीत करने लगे।पुत्र की शादी के बाद वह ओर अधिक निश्चित हो गये। पूरा घर बहू को सुपुर्द कर दिया।पुत्र की शादी के लगभग एक वर्ष बाद दोहपर में खाना खा रहे थे, पुत्र भी लंच करने ऑफिस से आ गया था और हाथ–मुँह धोकर खाना खाने की तैयारी कर रहा था।उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही उपलब्ध नहीं है। खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये।थोडी देर बाद पुत्र अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा। खाने में प्याला भरा हुआ दही भी था। पुत्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और खाना खाकर स्वयं भी ऑफिस चला गया।कुछ दिन बाद पुत्र ने अपने पिताजी से कहा- ‘‘पापा आज आपको कोर्ट चलना है, आज आपका विवाह होने जा रहा है।’’पिता ने आश्चर्य से पुत्र की तरफ देखा और कहा-‘‘बेटा मुझे पत्नी की आवश्यकता नही है और मैं तुझे इतना स्नेह देता हूँ कि शायद तुझे भी माँ की जरूरत नहीं है, फिर दूसरा विवाह क्यों?’’पुत्र ने कहा ‘‘ पिता जी, न तो मै अपने लिए माँ ला रहा हूँ न आपके लिए पत्नी,*मैं तो केवल आपके लिये दही का इन्तजाम कर रहा हूँ।*कल से मै किराए के मकान मे आपकी बहू के साथ रहूँगा तथा आपके ऑफिस मे एक कर्मचारी की तरह वेतन लूँगा ताकि *आपकी बहू को दही की कीमत का पता चले।’’**👌Best message👌* *-माँ-बाप हमारे लिये* *ATM कार्ड बन सकते है,* *तो ,हम उनके लिए* *Aadhar Card तो बन ही सकते है.

ये matter नहीं करता आप कितने honest और loyal है,एक वक्त के बाद सबका मन भर जाएगा आपसे।

Saturday, 28 January 2023

घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है, आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है।जानते हैं भारतीय समाज अपनी बेटियों को लेकर इतना संवेदन शील क्यों है,भारतीय इतिहास में हर्षवर्धन के बाद तक अर्थात सातवीं आठवीं शताब्दी तक बसन्तोत्सव मनाए जाने के प्रमाण मौजूद हैं, बसन्तोत्सव बसन्त के दिनों में एक महीने का उत्सव था जिसमें विवाह योग्य युवक युवतियाँ अपनी इच्छा से जीवनसाथी चुनती थीं और समाज उसे पूरी प्रतिष्ठा के साथ मान्यता देता था, आश्चर्यजनक है ना आज उसी देश में कुछ गांवों की पंचायतें जो प्रेम करने पर कथित रूप से मृत्यु दण्ड तक दे देती थी, पता है क्यों? इस क्यों का उत्तर भी उसी इतिहास में है, वो ये कि भारत पर आक्रमण करने आया मोहम्मद बिन कासिम भारत से धन के साथ और क्या लूट कर ले गया था जानते हैं, सिंधु नरेश दाहिर की दो बेटियां... उसके बाद से आज तक प्रत्येक आक्रमणकारी यही करता रहा है.. गोरी, गजनवी, तैमूर सबने एक साथ हजारों लाखों बेटियों का अपहरण किया, प्रेम के लिए...? नहीं... बिल्कुल नही... उन्होंने अपहरण किया सिर्फ और सिर्फ बलात्कार व यौन दासी बनाने के लिए,जबकि भारत ने किसी भी देश की बेटियों को नहीं लूटा, भारत की बेटियाँ सब से अधिक लूटी गई हैं, कासिम से ले कर गोरी तक, खिलजी से ले कर मुगलों तक, अंग्रेजों से ले राँची के उस रकीबुल हसन ने राष्ट्रीय निशानेबाज तारा सहदेव को, आफताब ने श्रद्धा को, सबने भारत की बेटियों को लूटा;भारत का एक सामान्य पिता अपनी बेटी के प्रेम से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के लूटे जाने से!भागी हुई लड़कियों के समर्थन में खड़े होने वालों का गैंग अपने हजार विमर्शों में एक बार भी इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाहता कि भागने के साल भर बाद ही उसका कथित प्रेमी अपने दोस्तों से उसके साथ दुष्कर्म क्यों करवाता है, उसे कोठे पर क्यों बेंच देता है या उसे अरब देशों में लड़की सप्लाई करने वालों के हाथ क्यों बेंच देता है, आश्चर्य हो रहा है न, पर सच्चाई यही है..!!देश के हर रेडलाइट एरिया में सड़ रही प्रत्येक बेटी जिहादियों द्वारा प्रेम के नाम पर फँसा के यहां लाई जाती है,उन बेटियों पर, उस "धूर्त प्रेम" पर कभी कोई चर्चा नहीं होती, उनके लिए कोई मानवाधिकार वादी, कोई स्त्री वादी विमर्श नहीं छेड़ता।यही एक पिता की आज्ञा ना मान कर कसाई के साथ भागी हुई बेटियों का सच है,प्रेम के नाम पर "पट" जाने वाली मासूम बेटियां नहीं जानती कि वे अपने व अपने पिता के लिए कैसा अथाह दुःख का सागर खरीद रही हैं जानता और समझता है तो बस उनका बेबस निरीह पिता।साभार....#हर_बेटी_मेरी #beti

Sunday, 22 January 2023

"A young man asked his grandfather, "Grandpa, how did you live in the past without technology . . .without computers,without Internet connection,without TVs,without air conditioners,without cars,no cell phones?"Grandpa answered:"As your generation lives today . . .there are no prayers,there is no compassion,there is no respect,no real education,there is no personality,there is no shame at all,there is no modesty,there is no honesty.(Of course, marami pa naman ang matitino ngayon)We, the people born between the years 1940-1980, were the blessed ones. Our lives are living proof."• While playing and riding a bike, we have never worn a helmet.• Before school we played, and again after school, until dusk and hardly ever watched television.• We played with real friends, not virtual friends.• If we were thirsty, we would drink tap water, or water from the hose, not mineral water.• We never worried even as we shared the same cup of juice with four friends.• We never gained weight by eating plates of pasta every day.• Nothing happened to our feet despite roaming barefoot.• We never used food supplements to stay healthy.• We used to make our own toys and play with them.• Our parents were not rich. They gave love, not stuff.• We never had a cell phone, DVD, game console, Xbox, video game, PC, internet, chat . . . but we had true friends.• We VISITED FRIENDS WITHOUT BEING INVITED and shared and enjoyed the food with them.• Parents lived nearby to take advantage of family time.• We may have had black and white photos, but you can find colorful memories in them.• We are a unique and the most understanding generation, because we are the LAST GENERATION THAT LISTENED TO THEIR PARENTS.And we are also the FIRST ONES WHO LISTEN TO THEIR CHILDREN.• We are a limited edition!Take advantage of us. LEARN FROM US. We are a treasure destined to disappear soon."ANONYMOUS

Saturday, 21 January 2023

पूरी दुनिया जीती जा सकती हैं संस्कार से, और जीता हुआ भी हार जाते हैं अंहकार से.।

बड़प्पनवह गुण है जो पद से नहींसंस्कारों से प्राप्त होता है

यहां कोई किसी का खास नहीं होता, लोग तभी याद करते हैं जब उनका टाइम पास नहीं होता ।।

औरतें कभी रीती नहीं रहतीअक्सर देखा होगा तुमने औरतों कोएक उम्र के बाद बहुत कुछ करते हुएकिसी को ब्यूटी प्रोडक्ट बेचते हुएकिसी को सलवार कमीज रखते हुए कोई इंसोरेंस की एजेंट बन जातीतो कोई बच्चों के स्कूल में पढ़ाती कोई कुकिंग कर सब को खिलातीतो कोई डांस क्लास हैं चलातीपैसे की तंगी से नहीं करती ये सबना किसी अपने सपने को ये बुनतीतो सोचा कभी, क्या वज़ह रही होगीजो इस उम्र में ये राह चुनी होगीक्योंकि औरतो को कभी भी खुद के लिए जीना ही नहीं आतासदा से वो देती ही आई हैं प्यार, समय,हुनर, समर्पण.... अचानक जब देना बंद हो जातातो अक्सर खालीपन उन्हें डराताइसलिए चल पड़ती हैं फिर सेअपने पकवानों को देनेअपनी काबिलियत को बेचनेऔरते कभी खुद के लिए नहीं जीतीइसलिए वो कभी रीती नहीं रहतीAuthor: Unknown #aurat #women

दहेज़मुझे दहेज़ चाहिएतुम लाना तीन चार ब्रीफ़केसजिसमें भरे होतुम्हारे बचपन के खिलौनेबचपन के कपड़ेबचपने की यादेंमुझे तुम्हें जानना हैबहुत प्रारंभ से..तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे में बंद करअपनी स्वर्ण जैसी आभाअपनी चांदी जैसी मुस्कुराहटअपनी हीरे जैसी दृढ़ता..तुम लाना अपने साथछोटे बड़े कई डिब्बेजिसमें बंद होतुम्हारी नादानियाँतुम्हारी खामियांतुम्हारा चुलबुलापनतुम्हारा बेबाकपनतुम्हारा अल्हड़पन..तुम लाना एक बहुत बड़ा बक्साजिसमें भरी हो तुम्हारी खुशियांसाथ ही उसके समकक्ष वो पुराना बक्साजिसमें तुमने छुपा रखा हैअपना दुःखअपने ख़्वाबअपना डरअपने सारे राज़अब से सब के सब मेरे होगे..मत भूलना लानावो सारे बंद लिफ़ाफेजिसमें बंद है स्मृतियांजिसे दिया हैतुम्हारे मां और बाबू जी नेभाई-बहनों नेसखा-सहेलियों नेकुछ रिश्तेदारों ने..न लाना टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीनलेकिन लाना तुमकिस्सेकहानियांऔर कहावतें अपने शहर के..कार,मोटरकार हम ख़ुद खरीदेंगेतुम लाना अपने तितली वाले पंखजिसे लगाउड़ जाएंगे अपने सपनों के आसमान में..Author: Unknown #dahej #daaz

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे....पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BE किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर हैकोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...??पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो...दूसरा :- और कुछ...पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए..मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए..वो क्या है लडाई झगड़े होते है...दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है..पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो...कहते कहते उनका गला भर आया..फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी....पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा...दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नही... मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे ,घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है... वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी...पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नही बोल पाए...दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे. #parivaar #family

सुनो स्त्रियोंजब रहना मुश्किल हो जाए समाज मेंजब हर रिश्ता काटने को दौड़ेजब हर रिश्ता बेवजह तोहमत लगाए जब ससुराल पक्ष के लोग दुश्मन नजर आएजब मन घुटने लगेऔर दुनिया छोड़ जाने का मन करनें लगेखुद को खत्म करने के अनेक विचार आयेंतब एक पल को ठहरनाऔर सोचना जरूर.. कि खुद को खत्म करकेमिलना क्या हैसाबित कर दी जाओगीसमाज के द्वारा उद्दंडसाबित कर दी जाओगी जिद्दीसाबित कर दी जाओगी बदचलन.तुम्हारी चिता की राख ठंडी होने से पहले हीलोग ढूंढने लगेंगे तुम्हारा ऑप्शनहो सकता है तुम्हारे पति को तुम से बेहतर पत्नी मिल जाएतुम्हारी सास और नंद को तुमसे अच्छी बहू और भाभी मिल जाएऐसा सदियों से होता आया हैइसलिएतुम शक्ति बटोरनाऔर जीने के लिएलड़ाई करनाजीवन को भरपूर जीनाजीवन छोड़ना कोई ऑप्शन नहींजीवन बिताना ही दरियादिली हैऔर एक स्त्री में होती है इतनी शक्तिवह पार कर सकती है सभीदुर्गम रास्तों को.....Author: Unknown #women #girl

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे....पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BE किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर हैकोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...??पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो...दूसरा :- और कुछ...पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए..मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए..वो क्या है लडाई झगड़े होते है...दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है..पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो...कहते कहते उनका गला भर आया..फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी....पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा...दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नही... मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे ,घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है... वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी...पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नही बोल पाए...दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे. #parivaar #family

Friday, 20 January 2023

एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी:राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी जीत से प्रसन्न था और उसने हर्षवर्धन के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा...यदि तुम एक प्रश्न का जवाब हमें लाकर दे दोगे तो हम तुम्हारा राज्य लौटा देंगे, अन्यथा उम्र कैद के लिए तैयार रहें।प्रश्न है.. एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?इसके लिए तुम्हारे पास एक महीने का समय है हर्षवर्धन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया..वे जगह जगह जाकर विदुषियों, विद्वानों और तमाम घरेलू स्त्रियों से लेकर नृत्यांगनाओं, वेश्याओं, दासियों और रानियों, साध्वी सब से मिले और जानना चाहा कि एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ? किसी ने सोना, किसी ने चाँदी, किसी ने हीरे जवाहरात, किसी ने प्रेम-प्यार, किसी ने बेटा-पति-पिता और परिवार तो किसी ने राजपाट और संन्यास की बातें कीं, मगर हर्षवर्धन को सन्तोष न हुआ।महीना बीतने को आया और हर्षवर्धन को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला..किसी ने सुझाया कि दूर देश में एक जादूगरनी रहती है, उसके पास हर चीज का जवाब होता है शायद उसके पास इस प्रश्न का भी जवाब हो..हर्षवर्धन अपने मित्र सिद्धराज के साथ जादूगरनी के पास गए और अपना प्रश्न दोहराया।जादूगरनी ने हर्षवर्धन के मित्र की ओर देखते हुए कहा.. मैं आपको सही उत्तर बताऊंगी परंतु इसके एवज में आपके मित्र को मुझसे शादी करनी होगी ।जादूगरनी बुढ़िया तो थी ही, बेहद बदसूरत थी, उसके बदबूदार पोपले मुंह से एक सड़ा दाँत झलका जब उसने अपनी कुटिल मुस्कुराहट हर्षवर्धन की ओर फेंकी ।हर्षवर्धन ने अपने मित्र को परेशानी में नहीं डालने की खातिर मना कर दिया, सिद्धराज ने एक बात नहीं सुनी और अपने मित्र के जीवन की खातिर जादूगरनी से विवाह को तैयार हो गयातब जादूगरनी ने उत्तर बताया.."स्त्रियाँ, स्वयं निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं | "यह उत्तर हर्षवर्धन को कुछ जमा, पड़ोसी राज्य के राजा ने भी इसे स्वीकार कर लिया और उसने हर्षवर्धन को उसका राज्य लौटा दियाइधर जादूगरनी से सिद्धराज का विवाह हो गया, जादूगरनी ने मधुरात्रि को अपने पति से कहा..चूंकि तुम्हारा हृदय पवित्र है और अपने मित्र के लिए तुमने कुरबानी दी है अतः मैं चौबीस घंटों में बारह घंटे तो रूपसी के रूप में रहूंगी और बाकी के बारह घंटे अपने सही रूप में, बताओ तुम्हें क्या पसंद है ?सिद्धराज ने कहा.. प्रिये, यह निर्णय तुम्हें ही करना है, मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया है, और तुम्हारा हर रूप मुझे पसंद है ।जादूगरनी यह सुनते ही रूपसी बन गई, उसने कहा.. चूंकि तुमने निर्णय मुझ पर छोड़ दिया है तो मैं अब हमेशा इसी रूप में रहूंगी, दरअसल मेरा असली रूप ही यही है।बदसूरत बुढ़िया का रूप तो मैंने अपने आसपास से दुनिया के कुटिल लोगों को दूर करने के लिए धरा हुआ था ।अर्थात, सामाजिक व्यवस्था ने औरत को परतंत्र बना दिया है, पर मानसिक रूप से कोई भी महिला परतंत्र नहीं है।इसीलिए जो लोग पत्नी को घर की मालकिन बना देते हैं, वे अक्सर सुखी देखे जाते हैं। आप उसे मालकिन भले ही न बनाएं, पर उसकी ज़िन्दगी के एक हिस्से को मुक्त कर दें। उसे उस हिस्से से जुड़े निर्णय स्वयं लेने दें। #aurat #women

एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था। खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया।उनके कपड़े साफ़ किये, उनका चेहरा साफ़ किया, उनके बालों में कंघी की,चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया।सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा।तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँअपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? "बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ करनहीं जा रहा। "वृद्ध ने कहा " बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो,प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद(आशा)। "आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीँ करतेऔर कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जातानहीं ठीक से खाया भी नहीं जाता आप तो घर पर ही रहो वही अच्छा होगा.क्या आप भूल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया करते थे,आप जब ठीक से खा नही पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थीफिर वही माँ बाप बुढापे मे बोझ क्यो लगने लगते हैं???माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और प्यार दीजिये...क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होगें।Respect our Parents.. #maabaap #Mata #pita #father

एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी:राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी जीत से प्रसन्न था और उसने हर्षवर्धन के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा...यदि तुम एक प्रश्न का जवाब हमें लाकर दे दोगे तो हम तुम्हारा राज्य लौटा देंगे, अन्यथा उम्र कैद के लिए तैयार रहें।प्रश्न है.. एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?इसके लिए तुम्हारे पास एक महीने का समय है हर्षवर्धन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया..वे जगह जगह जाकर विदुषियों, विद्वानों और तमाम घरेलू स्त्रियों से लेकर नृत्यांगनाओं, वेश्याओं, दासियों और रानियों, साध्वी सब से मिले और जानना चाहा कि एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ? किसी ने सोना, किसी ने चाँदी, किसी ने हीरे जवाहरात, किसी ने प्रेम-प्यार, किसी ने बेटा-पति-पिता और परिवार तो किसी ने राजपाट और संन्यास की बातें कीं, मगर हर्षवर्धन को सन्तोष न हुआ।महीना बीतने को आया और हर्षवर्धन को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला..किसी ने सुझाया कि दूर देश में एक जादूगरनी रहती है, उसके पास हर चीज का जवाब होता है शायद उसके पास इस प्रश्न का भी जवाब हो..हर्षवर्धन अपने मित्र सिद्धराज के साथ जादूगरनी के पास गए और अपना प्रश्न दोहराया।जादूगरनी ने हर्षवर्धन के मित्र की ओर देखते हुए कहा.. मैं आपको सही उत्तर बताऊंगी परंतु इसके एवज में आपके मित्र को मुझसे शादी करनी होगी ।जादूगरनी बुढ़िया तो थी ही, बेहद बदसूरत थी, उसके बदबूदार पोपले मुंह से एक सड़ा दाँत झलका जब उसने अपनी कुटिल मुस्कुराहट हर्षवर्धन की ओर फेंकी ।हर्षवर्धन ने अपने मित्र को परेशानी में नहीं डालने की खातिर मना कर दिया, सिद्धराज ने एक बात नहीं सुनी और अपने मित्र के जीवन की खातिर जादूगरनी से विवाह को तैयार हो गयातब जादूगरनी ने उत्तर बताया.."स्त्रियाँ, स्वयं निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं | "यह उत्तर हर्षवर्धन को कुछ जमा, पड़ोसी राज्य के राजा ने भी इसे स्वीकार कर लिया और उसने हर्षवर्धन को उसका राज्य लौटा दियाइधर जादूगरनी से सिद्धराज का विवाह हो गया, जादूगरनी ने मधुरात्रि को अपने पति से कहा..चूंकि तुम्हारा हृदय पवित्र है और अपने मित्र के लिए तुमने कुरबानी दी है अतः मैं चौबीस घंटों में बारह घंटे तो रूपसी के रूप में रहूंगी और बाकी के बारह घंटे अपने सही रूप में, बताओ तुम्हें क्या पसंद है ?सिद्धराज ने कहा.. प्रिये, यह निर्णय तुम्हें ही करना है, मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया है, और तुम्हारा हर रूप मुझे पसंद है ।जादूगरनी यह सुनते ही रूपसी बन गई, उसने कहा.. चूंकि तुमने निर्णय मुझ पर छोड़ दिया है तो मैं अब हमेशा इसी रूप में रहूंगी, दरअसल मेरा असली रूप ही यही है।बदसूरत बुढ़िया का रूप तो मैंने अपने आसपास से दुनिया के कुटिल लोगों को दूर करने के लिए धरा हुआ था ।अर्थात, सामाजिक व्यवस्था ने औरत को परतंत्र बना दिया है, पर मानसिक रूप से कोई भी महिला परतंत्र नहीं है।इसीलिए जो लोग पत्नी को घर की मालकिन बना देते हैं, वे अक्सर सुखी देखे जाते हैं। आप उसे मालकिन भले ही न बनाएं, पर उसकी ज़िन्दगी के एक हिस्से को मुक्त कर दें। उसे उस हिस्से से जुड़े निर्णय स्वयं लेने दें। #aurat #women

Tuesday, 17 January 2023

एक मछली छोटे तालाब में अपने परिवार के साथ रहती थी, तालाब में पानी कभी सूख भी जाता था तो उस परमपिता परमेश्वर को याद करती थी पूजा तप आदि खूब किया करती थी! एक दिन तेज़ तूफ़ान और बारिश आयी जिससे मछली का परिवार बहकर नदी में बहने लगा, मछली ने व् उसके परिवार ने नदी के विपरीत दिशा में बहने की काफी कोशिश् की पर उनकी एक न चली! थक हारकर नदी के प्रवाह में ही बहकर ईश्वर को खूब कोसा और भला बुरा कहा और कुछ दिन में ही समुन्दर में पहुच गये और वहाँ जाकर उनको अहसास हुआ क़ि ईश्वर ने हमको दरिया से निकाल कर विशालता में ला दिया उसने हमारे जीवन में तूफ़ान लाकर अपने विशाल स्वरुप से जोड़ दियामित्रो हर पल उसकी रजा में राजी रहो, वो पूरा समुन्दर दे रहा है और हम एक चम्मच लेकर खड़े है! हम उसके हर कार्य के लिए कोसते रहते है negative सोचते रहते है, अपनी सोच बदलो हर पल positive सोचो! एक माँ अपने बच्चे का एक पल के लिए भी बुरा नहीं सोच सकती तो फिर वो पालनहार कैसे बुरा कर सकता है

'अगर आपके जेब में पैसा होगा , तो हर कोई इज्जत करेगा। आज की दुनिया 'मतलबी हो गई है साहब'।

कदर किया करो उनकी , जो तुम्हारे बुरे रवैये के बाद भी तुमसे अच्छे से बात करते हैं..।

Sunday, 15 January 2023

#रिश्ते मोतियों की तरह होते हैं... अगर कोई गिर भी जाए तो झुक कर उठा लेना चाहिए।

एक अकेला गुलाब पूरे बगीचे से सुन्दर हो सकता है....वो गुलाब आप भी हो सकते हैं। इसलिए खुद को बेकार मत समझो।

जिसने सुमिरन नही किया उसने कुछभी नही किया !चाहे उसने लाखो दान पुण्य किये हो चाहे रोज सत्संग सुनता हो पर सुमिरन केबिना व्यर्थ है ।उदाहरण के तौर पर एक किसान है उसने खेत मे हल जोता , खादडाली, पर फसल नही हुई और कोई समझदारआदमी उसके पास जाये और पूछे कि खेत को हल से जोता औरकिसान कहे 'हाँ बहुत अच्छी तरह से'क्या खादडाली ?किसान - हाँ अच्छी गुणवता वाली और फिर समझदारआदमी ने पूछा के बीज किस प्रकार का उपयोग किया ?और किसान ने कहा कि बीज तो मैनेडाला ही नहीँ ?यही बात रुहानियत की है इसमे बिना सुमिरन केसतगुरु रुपी फसल के दर्शनकभी नहीँ हो सकते ।सच्ची तडप से15 मिनट भी की गयी भकित कुछदिनो तक की जाने वाली भकित सेभी ज्यादा बेहतर है ।

Wednesday, 11 January 2023

*कौन हो तुम ? क्या है तुम्हारा नाम ? कहां से आते हो ? कहां को जाते हो ?*कोई को हम कहते हैं राम, किसी को कृष्ण, किसी को कुछ, किसी को कुछ। यह तो पुकारू नाम है। तुम जब आये थे, तो कोई नाम लेकर न आये थे। तुम जब आये थे, तब खाली, अनाम आये थे। तुम जब आये थे, तब कोई लेबिल तुम पर लगा न था। न हिंदू थे, न मुसलमान थे, न जैन थे, न ईसाई थे। तुम जब आये थे, तब न सुंदर थे, न कुरूप थे। तुम जब आये थे, न बुद्धू थे, न बुद्धिमान थे। तुम जब आये थे, तब कोई विशेषण न लगा था। विशेषण-शून्य। तुम कौन थे तब ?ध्यान में उसकी फिर से खोज करनी है। ध्यान में फिर उस जगह को छूना है, जहां से संसार शुरू हुआ है, जहां से समाज शुरू हुआ ; जहां तुम्हें नाम दिया गया, विशेषण दिये गये ; शिक्षा दी गयी, संस्कार दिये गये; तुम्हें एक रूप, ढांचा दिया गया ; उस ढांचे के पार कौन थे तुम ? एक दिन मृत्यु आयेगी, यह देह छिन जाएगी। जब तुम्हारी चिता पर जलेगी यह देह, तो अग्नि इसकी फिकिर न करेगी–हिंदू हो, मुसलमान हो, जैन हो, सिक्ख, ईसाई, कौन हो ? सुंदर हो, कुरूप स्त्री हो, पुरुष धनी हो, गरीब हो, अग्नि कोई चिंता न करेगी, बस भस्मीभूत ही कर देगी। मिट्टी तुम्हें अपने में मिला लेगी। तब तुम कौन बचोगे? जो तुमने इस संसार में जाना और माना था, वह सब तो फिर छिन जाएगा। उस सबके छिन जाने के बाद भी जो बच जाता है, वही हो तुम।ध्यान में हम उसी की खोज करते हैं, जो जन्म के पहले था और मृत्यु के बाद भी होगा। तो ध्यान का अर्थ हुआ–किसी भांति इन सारी समाज के द्वारा दी गयी संस्कार की पर्तों को पार कर के अपने स्वभाव को पहचानना है। स्वभाव को पहचान लेना ध्यान है। इसलिए महावीर ने तो धर्म की परिभाषा ही स्वभाव की है। वत्थू सहावो धम्मं। वस्तु के स्वभाव को जान लेना धर्म है। तुम्हारा जो स्वभाव है, उसको जान लेना तुम्हारा धर्म है। जैन और हिंदू और मुसलमान नहीं, तुम कौन हो इसे पहचान लेना धर्म है।तुम जवानी होकि शैशवआप अपना पाठ फिर दोहरा रहा है?जिंदगी हो,या सुनहला रूप धर करमृत्यु विचरण कर रही है?कौन हो तुम ? क्या है तुम्हारा नाम ? कहां से आते हो ? कहां को जाते हो ? तो एक तो हमारे ऊपर पड़ी हुई पर्तें हैं, कंडीशनिंग, संस्कार। इन पर्तों की गहरी गहराई में कहीं हमारा स्वरूप दब गया है। जैसे हीरे पर मिट्टी चढ़ गयी हो। मिट्टी पर मिट्टी चढ़ती चली गयी हो। हीरा बिलकुल खो गया हो। फिर भी खो तो नहीं जाता, मिट्टी हीरे को मिटा तो नहीं सकती, दब जाता है।महावीर कहते हैं, वो दिव्य ऊर्जा सिर्फ दब गयी है। ध्यान से उस दबे तक कुआं खोदना है। अपने भीतर सारी पर्तों को तोड़कर उस जगह पहुंचना है जहां तोड़ने को कुछ भी न रह जाए.......

*कौन सा पति खरीदूँ...?*शहर के बाज़ार में एक बड़ी दुकान खुली जिस पर लिखा था - *“यहाँ आप पतियों को ख़रीद सकती है |”*देखते ही देखते औरतों का एक हुजूम वहां जमा होने लगा. सभी दुकान में दाख़िल होने के लिए बेचैन थी, लंबी क़तारें लग गयी.दुकान के मैन गेट पर लिखा था -*“पति ख़रीदने के लिए निम्न शर्ते लागू”* 👇👇👇✡ *इस दुकान में कोई भी औरत सिर्फ एक बार ही दाख़िल हो सकती है, आधार कार्ड लाना आवश्यक है ...*✡ *दुकान की 6 मंज़िले है, और प्रत्येक मंजिल पर पतियों के प्रकार के बारे में लिखा है....*✡ *ख़रीदार औरत किसी भी मंजिल से अपना पति चुन सकती है....*✡ *लेकिन एक बार ऊपर जाने के बाद दोबारा नीचे नहीं आ सकती, सिवाय बाहर जाने के...*एक खुबसूरत लड़की को दूकान में दाख़िल होने का मौक़ा मिला...*पहली मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है और नेक है."*लड़की आगे बढ़ी ..दूसरी मंजिल* पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और बच्चों को पसंद करते है.”*लड़की फिर आगे बढ़ी ...*तीसरी मंजिल* के दरवाजे पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और खुबसूरत भी है.”*यह पढ़कर लड़की कुछ देर के लिए रुक गयी मगर यह सोचकर कि चलो ऊपर की मंजिल पर भी जाकर देखते है, वह आगे बढ़ी...*चौथी मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है, खुबसूरत भी है और घर के कामों में मदद भी करते है.”*यह पढ़कर लड़की को चक्कर आने लगे और सोचने लगी *“क्या ऐसे पति अब भी इस दुनिया में होते है ?*यहीं से एक पति ख़रीद लेती हूँ...लेकिन दिल ना माना तो एक और मंजिल ऊपर चली गयी...*पांचवीं मंजिल* पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है , नेक है और खुबसूरत है , घर के कामों में मदद करते है और अपनी बीबियों से प्यार करते है.”*अब इसकी अक़ल जवाब देने लगी वो सोचने लगी *इससे बेहतर और भला क्या हो सकता है ?* मगर फिर भी उसका दिल नहीं माना और आखरी मंजिल की तरफ क़दम बढाने लगी...*आखरी मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“आप इस मंजिल पर आने वाली 3339 वीं औरत है , इस मंजिल पर कोई भी पति नहीं है , ये मंजिल सिर्फ इसलिए बनाई गयी है ताकि इस बात का सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिया जा सके कि महिलाओं को पूर्णत संतुष्ट करना नामुमकिन है.*हमारे स्टोर पर आने का धन्यवाद ! बांयी ओर 8सीढियाँ है जो बाहर की तरफ जाती है !!🙏🙏 *सांराश - आज समाज की सभी कन्याओं और वर पक्ष के माता पिता यह सब कर रहे है एवं 'अच्छा' और "अच्छा" ... के चक्कर में शादी की सही उम्र तो खत्म ही हो रही है.*

*मृत्यु*जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आयो पास।जगत में कैसा नाता रे।

Tuesday, 10 January 2023

*कौन सा पति खरीदूँ...?*शहर के बाज़ार में एक बड़ी दुकान खुली जिस पर लिखा था - *“यहाँ आप पतियों को ख़रीद सकती है |”*देखते ही देखते औरतों का एक हुजूम वहां जमा होने लगा. सभी दुकान में दाख़िल होने के लिए बेचैन थी, लंबी क़तारें लग गयी.दुकान के मैन गेट पर लिखा था -*“पति ख़रीदने के लिए निम्न शर्ते लागू”* 👇👇👇✡ *इस दुकान में कोई भी औरत सिर्फ एक बार ही दाख़िल हो सकती है, आधार कार्ड लाना आवश्यक है ...*✡ *दुकान की 6 मंज़िले है, और प्रत्येक मंजिल पर पतियों के प्रकार के बारे में लिखा है....*✡ *ख़रीदार औरत किसी भी मंजिल से अपना पति चुन सकती है....*✡ *लेकिन एक बार ऊपर जाने के बाद दोबारा नीचे नहीं आ सकती, सिवाय बाहर जाने के...*एक खुबसूरत लड़की को दूकान में दाख़िल होने का मौक़ा मिला...*पहली मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है और नेक है."*लड़की आगे बढ़ी ..दूसरी मंजिल* पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और बच्चों को पसंद करते है.”*लड़की फिर आगे बढ़ी ...*तीसरी मंजिल* के दरवाजे पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है और खुबसूरत भी है.”*यह पढ़कर लड़की कुछ देर के लिए रुक गयी मगर यह सोचकर कि चलो ऊपर की मंजिल पर भी जाकर देखते है, वह आगे बढ़ी...*चौथी मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है, नेक है, खुबसूरत भी है और घर के कामों में मदद भी करते है.”*यह पढ़कर लड़की को चक्कर आने लगे और सोचने लगी *“क्या ऐसे पति अब भी इस दुनिया में होते है ?*यहीं से एक पति ख़रीद लेती हूँ...लेकिन दिल ना माना तो एक और मंजिल ऊपर चली गयी...*पांचवीं मंजिल* पर लिखा था - *“इस मंजिल के पति अच्छे रोज़गार वाले है , नेक है और खुबसूरत है , घर के कामों में मदद करते है और अपनी बीबियों से प्यार करते है.”*अब इसकी अक़ल जवाब देने लगी वो सोचने लगी *इससे बेहतर और भला क्या हो सकता है ?* मगर फिर भी उसका दिल नहीं माना और आखरी मंजिल की तरफ क़दम बढाने लगी...*आखरी मंजिल* के दरवाज़े पर लिखा था - *“आप इस मंजिल पर आने वाली 3339 वीं औरत है , इस मंजिल पर कोई भी पति नहीं है , ये मंजिल सिर्फ इसलिए बनाई गयी है ताकि इस बात का सबूत सुप्रीम कोर्ट को दिया जा सके कि महिलाओं को पूर्णत संतुष्ट करना नामुमकिन है.*हमारे स्टोर पर आने का धन्यवाद ! बांयी ओर 8सीढियाँ है जो बाहर की तरफ जाती है !!🙏🙏 *सांराश - आज समाज की सभी कन्याओं और वर पक्ष के माता पिता यह सब कर रहे है एवं 'अच्छा' और "अच्छा" ... के चक्कर में शादी की सही उम्र तो खत्म ही हो रही है.*

Monday, 9 January 2023

मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ). माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता था माँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनी माँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता था बिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीना माँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिए ले लेती साल भर के लिए देसी चावल जब छोटे छोटे बच्चों के साथ जाती तो कहती भूल जाओ सब , आनंद करो , मस्ती करो सब मैं संभाल लूँगी मेरे घर आती तो सब बनेरों पे पड़े होते धुले हुए चादर खेस लिहाफ़ सारे मोहल्ले को पता होता माँ आईं हैं निहायत बुरे वक्तों में सीने में मेरा मुँह छुपा लेती और कहती मैं हूँ न बुरा सपना आता तो सुबह बस पकड़ आती देखती मैं ठीक हूँ तो शाम को लौट जातींहाँ , काफ़ी छुपाती थी मैं अपने दर्द उन से पर माँ की आँखें तो तस्वीर में भी भाँप जाती है दर्द गईं तो मेरा मायका भी साथ ले गईंएक बार गई मैं तो बाहर वाले कमरे में बैठ घंटों रोती रहीकिसी को ख़बर तक न पड़ी मेरे आने की फिर सालों साल उस शहर में क़दम पड़े ही नहीं वो रास्ते यूँ जैसे नाग फ़न फैलाए बैठे हों सोचा था , अब धुँधला पड़ने लगा है सब अब जाने लगी हूँ उस शहर ख़रीदारी भी कर लेती हूँ वहाँ माँ थीं तो ज़रूरी होता था शॉपिंग पे जाना नहीं तो पूछतींकोई बात है उदास हो क्या पैसे मुझ से ले लो कुछ बचा कर रखे हैं तुम्हारे बाबू जी से परे नहीं , पर कुछ भी धुँधला नहीं पड़ा है पालती मार कर बैठा था कहीं ज़िंदगी की व्यस्तता में कहीं एक शब्द पढ़ा तो ज़ार ज़ार फूट पड़ा सब कोई भी दर्द क्या मर पाता है कभी पूरी तरह यूँ तो सब ठीक है पर काश माँ को कोई दर्द न देती काश उनका दर्द बाँट लेती काश उनके लिए ढेरों सूट गहने ख़रीद पाती काश उन्हें घुमाने ले जा पाती काश उन्होंने कभी जो देखे थे ख़्वाब पूरे कर पाती पर यह काश भी तो ख़ुद माँ बन कर ही समझ आता है इतनी देर से क्यों समझ आता है ? #maa

मेरे लिए किसी से रिश्ता रखने का मतलब है... ईमानदारी, भरोसा और अपनापन.l