जिसने सुमिरन नही किया उसने कुछभी नही किया !चाहे उसने लाखो दान पुण्य किये हो चाहे रोज सत्संग सुनता हो पर सुमिरन केबिना व्यर्थ है ।उदाहरण के तौर पर एक किसान है उसने खेत मे हल जोता , खादडाली, पर फसल नही हुई और कोई समझदारआदमी उसके पास जाये और पूछे कि खेत को हल से जोता औरकिसान कहे 'हाँ बहुत अच्छी तरह से'क्या खादडाली ?किसान - हाँ अच्छी गुणवता वाली और फिर समझदारआदमी ने पूछा के बीज किस प्रकार का उपयोग किया ?और किसान ने कहा कि बीज तो मैनेडाला ही नहीँ ?यही बात रुहानियत की है इसमे बिना सुमिरन केसतगुरु रुपी फसल के दर्शनकभी नहीँ हो सकते ।सच्ची तडप से15 मिनट भी की गयी भकित कुछदिनो तक की जाने वाली भकित सेभी ज्यादा बेहतर है ।