दहेज़मुझे दहेज़ चाहिएतुम लाना तीन चार ब्रीफ़केसजिसमें भरे होतुम्हारे बचपन के खिलौनेबचपन के कपड़ेबचपने की यादेंमुझे तुम्हें जानना हैबहुत प्रारंभ से..तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे में बंद करअपनी स्वर्ण जैसी आभाअपनी चांदी जैसी मुस्कुराहटअपनी हीरे जैसी दृढ़ता..तुम लाना अपने साथछोटे बड़े कई डिब्बेजिसमें बंद होतुम्हारी नादानियाँतुम्हारी खामियांतुम्हारा चुलबुलापनतुम्हारा बेबाकपनतुम्हारा अल्हड़पन..तुम लाना एक बहुत बड़ा बक्साजिसमें भरी हो तुम्हारी खुशियांसाथ ही उसके समकक्ष वो पुराना बक्साजिसमें तुमने छुपा रखा हैअपना दुःखअपने ख़्वाबअपना डरअपने सारे राज़अब से सब के सब मेरे होगे..मत भूलना लानावो सारे बंद लिफ़ाफेजिसमें बंद है स्मृतियांजिसे दिया हैतुम्हारे मां और बाबू जी नेभाई-बहनों नेसखा-सहेलियों नेकुछ रिश्तेदारों ने..न लाना टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीनलेकिन लाना तुमकिस्सेकहानियांऔर कहावतें अपने शहर के..कार,मोटरकार हम ख़ुद खरीदेंगेतुम लाना अपने तितली वाले पंखजिसे लगाउड़ जाएंगे अपने सपनों के आसमान में..Author: Unknown #dahej #daaz