Tuesday 30 July 2024

Middleclassमिडिल-क्लास" मतलब थोडी सी अमीरी थोडी सी गरीबी का होना,,,😎😎😎ये किसी वरदान से कम नहीं है कभी बोरियत नहीं होती. जिंदगी भर कुछ ना कुछ आफत लगी ही रहती है, न इन्हें तैमूर जैसा बचपन नसीब होता है न अनूप जलोटा जैसा बुढ़ापा, फिर भी अपने आप में उलझते हुए व्यस्त रहते हैं.★ मिडिल क्लास होने का भी अपना फायदा है. चाहे BMW का भाव बढ़े या AUDI का या फिर नया i phone लाँच हो जाये, कोई फर्क नहीं पड़ता.★ मिडिल क्लास लोगों की आधी जिंदगी तो ... झड़ते हुए बाल और बढ़ते हुए पेट को रोकने में ही चली जाती है. मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िन्दगी तो "बहुत महँगा है" बोलने में ही निकल जाती है. इनकी "भूख" भी ... होटल के रेट्स पर डिपेंड करती है. दरअसल महंगे होटलों की मेन्यू-बुक में मिडिल क्लास इंसान 'फूड-आइटम्स' नहीं बल्कि अपनी "औकात" ढूंढ रहा होता है.★ इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता. "जिम्मेदारियाँ" जिंदगी भर परछाईं की तरह पीछे लगी रहती हैं. मध्यम वर्गीय दूल्हा-दुल्हन भी मंच पर ऐसे बैठे रहते हैं मानो जैसे किसी भारी सदमे में हों. अमीर शादी के बाद चलता बनते हैं , और मिडिल क्लास लोगों की शादी के बाद टेन्ट बर्तन वाले पीछे पड़ जाते हैं. मिडिल क्लास बंदे को पर्सनल बेड और रूम भी शादी के बाद ही अलाॅट हो पाता है. एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी गीजर बंद करके तब तक नहाता रहता है जब तक कि नल से ठंडा पानी आना शुरू ना हो जाए. रूम ठंडा होते ही AC बंद करने वाला मिडिल क्लास आदमी चंदा देने के वक्त नास्तिक हो जाता है, और प्रसाद खाने के वक्त आस्तिक.★ दरअसल मिडिल-क्लास तो चौराहे पर लगी घण्टी के समान है, जिसे लूली-लगंड़ी, अंधी-बहरी, अल्पमत-पूर्णमत हर प्रकार की सरकार पूरा दम से बजाती है.★ मिडिल क्लास को आज तक बजट में वही मिला है, जो अक्सर हम 🔔 मंदिर में बजाते हैं. 🔔 फिर भी हिम्मत करके मिडिल क्लास आदमी पैसा बचाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन बचा कुछ भी नहीं पाता.★ हकीकत में मिडिल मैन की हालत पंगत के बीच बैठे हुए उस आदमी की तरह होती है जिसके पास पूड़ी-सब्जी चाहे इधर से आये, चाहे उधर से उस तक आते-आते खत्म हो जाती है.★ मिडिल क्लास के सपने भी लिमिटेड होते हैं❤️💔 "टंकी भर गई है, जीमोटर बंद करना है" गैस पर दूध उबल गया है, चावल जल गया है,इसी टाईप के सपने आते हैं. दिल में अनगिनत सपने लिए बस चलता ही जाता है ... चलता ही जाता है. और चला जाता है❤️💔ये मिडिल क्लास आदमी🙂🙂🙂🙏🙏 😃😃😃👍

पिछले 10 सालों में एक पीढी आई है जिनमे न जाने क्यों सारे रिश्तेदारों के लिए एक घृणा भरी हुई है। कोई रिश्तेदार घर मे आये तो अपने कमरे में छुप जाने को " कूल" माना जाता है।कोई रिश्तेदार अगर अच्छे भाव से भी पूछ लें कि क्या पढ़ाई चल रही है या नौकरी का क्या हो रहा है तो बच्चों को गुस्सा आ जाता है। मुझे लगता है पूछने वाले के इटेंशन से ज्यादा खुद के फ्रस्ट्रेशन के कारण इनको गुस्सा आता है।किसी भी खुशी या दुख में रिश्तेदार ही काम आते हैं।कुछ लोग irritating या जलने वाले हो सकते हैं, अधिकतर रिश्तेदार भला ही चाहते हैं। _______________________हम सभी बचपन से किसी ना किसी के मुँह से ये सुनते हुए ही आ रहे हैं कि कोई सगा नहीं/ कोई किसी के काम नहीं आता/ रिश्तेदार बस नाम के होते हैं आदि इत्यादि।फलस्वरूप हम शुरू से ही अपने रिश्तेदारों को भी शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। ऐसी सोच डाल देने से स्वस्थ रिश्ते नहीं पनपते। अब जब हम ही हाथ पीछे खींच के रखेंगे तो सामने वाला भी हमारी ओर हाथ क्यूँ बढ़ाएगा?कितना अच्छा हो कि हम बच्चों को शुरू से प्यार और सहयोग सिखाएँ तो ये नफ़रत ही उत्पन्न नहीं हो।जबकि हर इंसान प्यार चाहता है, पर पहल नहीं करता। क्योंकि शक का चश्मा चढ़ा हुआ है आँखों पर। सबने ख़ुद को रोक रखा है।

*ना जाने किसकी रचना है ?**बहुत ही उम्दा लिखा है, झिंझोड कर रख दिया 😥* ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ ❓​ *कुछ रह तो नहीं गया. !* ❓ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ तीन महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जाने वाली माँ को दाई ने पूछा ~ कुछ रह तो नहीं गया ? पर्स, चाबी सब ले लिया ना ? अब वो कैसे हाँ कहे ? पैसे के पीछे भागते-भागते सब कुछ पाने की ख्वाहिश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है, वही रह गया है !😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा ~ भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना ? चेक करो ठीक से ..! बाप चेक करने गया, तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे. सब कुछ तो पीछे रह गया. 21 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था, लाड़ से, वो नाम पीछे रह गया, और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था, वो नाम भी पीछे रह गया अब. भैया, देखा ? कुछ पीछे रह तो नहीं गया ? बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आँसू छुपाता बाप जुबाँ से तो नहीं बोला, पर दिल में एक ही आवाज थी ~ सब कुछ तो यहीं रह गया .!😔 बड़ी तमन्नाओं के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था, और वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया. पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था, और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया ~ सब कुछ चेक कर लिया ना ? कुछ रह तो नहीं गया ? क्या जबाब देते, कि अब अब छूटने को बचा ही क्या है ..!😔 सेवानिवृत्ति की शाम पी.ए. ने याद दिलाया ~ चेक कर लें सर ..! कुछ रह तो नहीं गया ? थोड़ा रूका, और सोचा कि पूरी जिन्दगी तो यहीं आने-जाने में बीत गई. अब और क्या रह गया होगा ?😔 श्मशान से लौटते वक्त बेटे ने ... फिर से गर्दन घुमाई, एक बार पीछे देखने के लिए ... पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया. भागते हुए गया पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की .... और वापिस लौट आया. दोस्त ने पूछा ~ कुछ रह गया था क्या ? भरी आँखों से बोला ~ नहीं , कुछ भी नहीं रहा अब. और जो कुछ भी रह गया है, वह सदा मेरे साथ रहेगा .!😌एक बार ... समय निकालकर सोचें, शायद ... पुराना समय याद आ जाए, आँखें भर आएं, और आज को जी भर जीने का !!.. मकसद मिल जाए ..!! यारों ! क्या पता ? कब इस जीवन की शाम हो जाये. इससे पहले कि ऐसा हो सब को गले लगा लो, दो प्यार भरी बातें कर लो. ताकि ... कुछ छूट न जाये ..!!! •┈┈┈•✦✿✦•┈┈┈•🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पिछले 10 सालों में एक पीढी आई है जिनमे न जाने क्यों सारे रिश्तेदारों के लिए एक घृणा भरी हुई है। कोई रिश्तेदार घर मे आये तो अपने कमरे में छुप जाने को " कूल" माना जाता है।कोई रिश्तेदार अगर अच्छे भाव से भी पूछ लें कि क्या पढ़ाई चल रही है या नौकरी का क्या हो रहा है तो बच्चों को गुस्सा आ जाता है। मुझे लगता है पूछने वाले के इटेंशन से ज्यादा खुद के फ्रस्ट्रेशन के कारण इनको गुस्सा आता है।किसी भी खुशी या दुख में रिश्तेदार ही काम आते हैं।कुछ लोग irritating या जलने वाले हो सकते हैं, अधिकतर रिश्तेदार भला ही चाहते हैं। _______________________हम सभी बचपन से किसी ना किसी के मुँह से ये सुनते हुए ही आ रहे हैं कि कोई सगा नहीं/ कोई किसी के काम नहीं आता/ रिश्तेदार बस नाम के होते हैं आदि इत्यादि।फलस्वरूप हम शुरू से ही अपने रिश्तेदारों को भी शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। ऐसी सोच डाल देने से स्वस्थ रिश्ते नहीं पनपते। अब जब हम ही हाथ पीछे खींच के रखेंगे तो सामने वाला भी हमारी ओर हाथ क्यूँ बढ़ाएगा?कितना अच्छा हो कि हम बच्चों को शुरू से प्यार और सहयोग सिखाएँ तो ये नफ़रत ही उत्पन्न नहीं हो।जबकि हर इंसान प्यार चाहता है, पर पहल नहीं करता। क्योंकि शक का चश्मा चढ़ा हुआ है आँखों पर। सबने ख़ुद को रोक रखा है।

*ना जाने किसकी रचना है ?**बहुत ही उम्दा लिखा है, झिंझोड कर रख दिया 😥* ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵ ❓​ *कुछ रह तो नहीं गया. !* ❓ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ तीन महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जाने वाली माँ को दाई ने पूछा ~ कुछ रह तो नहीं गया ? पर्स, चाबी सब ले लिया ना ? अब वो कैसे हाँ कहे ? पैसे के पीछे भागते-भागते सब कुछ पाने की ख्वाहिश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है, वही रह गया है !😑 शादी में दुल्हन को बिदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा ~ भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना ? चेक करो ठीक से ..! बाप चेक करने गया, तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे. सब कुछ तो पीछे रह गया. 21 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था, लाड़ से, वो नाम पीछे रह गया, और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था, वो नाम भी पीछे रह गया अब. भैया, देखा ? कुछ पीछे रह तो नहीं गया ? बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आँसू छुपाता बाप जुबाँ से तो नहीं बोला, पर दिल में एक ही आवाज थी ~ सब कुछ तो यहीं रह गया .!😔 बड़ी तमन्नाओं के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था, और वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया. पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था, और चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया ~ सब कुछ चेक कर लिया ना ? कुछ रह तो नहीं गया ? क्या जबाब देते, कि अब अब छूटने को बचा ही क्या है ..!😔 सेवानिवृत्ति की शाम पी.ए. ने याद दिलाया ~ चेक कर लें सर ..! कुछ रह तो नहीं गया ? थोड़ा रूका, और सोचा कि पूरी जिन्दगी तो यहीं आने-जाने में बीत गई. अब और क्या रह गया होगा ?😔 श्मशान से लौटते वक्त बेटे ने ... फिर से गर्दन घुमाई, एक बार पीछे देखने के लिए ... पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया. भागते हुए गया पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की .... और वापिस लौट आया. दोस्त ने पूछा ~ कुछ रह गया था क्या ? भरी आँखों से बोला ~ नहीं , कुछ भी नहीं रहा अब. और जो कुछ भी रह गया है, वह सदा मेरे साथ रहेगा .!😌एक बार ... समय निकालकर सोचें, शायद ... पुराना समय याद आ जाए, आँखें भर आएं, और आज को जी भर जीने का !!.. मकसद मिल जाए ..!! यारों ! क्या पता ? कब इस जीवन की शाम हो जाये. इससे पहले कि ऐसा हो सब को गले लगा लो, दो प्यार भरी बातें कर लो. ताकि ... कुछ छूट न जाये ..!!! •┈┈┈•✦✿✦•┈┈┈•🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

पाप शरीर नहीं करता विचार करते हैंऔर गंगा विचारों को नहीं शरीर को धोती है

Saturday 27 July 2024

THE BEST MARRIAGE ADVICE EVER!Choose to love each other even in those moments when you struggle to like each other. Love is a commitment, not a feeling.Always answer the phone when your husband/wife is calling, and when possible, try to keep your phone off when you’re together with your spouse.Make time together a priority. Budget for a consistent date night. Time is the “currency of relationships,” so consistently invest time in your marriage.Surround yourself with friends who will strengthen your marriage and remove yourself from people who may tempt you to compromise your character.Make laughter the soundtrack of your marriage. Share moments of joy, and even in the hard times, find reasons to laugh.In every argument, remember that there won’t be a “winner” and a “loser.” You are partners in everything, so you’ll either win together or lose together. Work together to find a solution.Remember that a strong marriage rarely has two strong people at the same time. It’s usually a husband and wife taking turns being strong for each other in the moments when the other feels weak.Prioritize what happens in the bedroom. It takes more than sex to build a strong marriage, but it’s nearly impossible to build a strong marriage without it!Remember that marriage isn’t 50-50; divorce is 50-50. Marriage has to be 100-100. It’s not splitting everything in half but both partners giving everything they’ve got!Give your best to each other, not your leftovers after you’ve given your best to everyone else.Learn from other people, but don’t feel the need to compare your life or your marriage to anyone else’s. Comparison puts your focus on the wrong person.Don’t put your marriage on hold while you’re raising your kids, or else you’ll end up with an empty nest and an empty marriage.Never keep secrets from each other. Secrecy is the enemy of intimacy.Never lie to each other. Lies break trust, and trust is the foundation of a strong marriage.When you’ve made a mistake, admit it and humbly seek forgiveness. You should be quick to say, “I was wrong. I’m sorry. Please forgive me.”When your husband/wife breaks your trust, give them your forgiveness instantly, which will promote healing and create the opportunity for trust to be rebuilt. You should be quick to say, “I love you. I forgive you. Let’s move forward.”Be patient with each other. Your spouse is always more important than your schedule.Model the kind of marriage that will make your sons want to grow up to be good husbands and your daughters want to grow up to be good wives.Never talk badly about your spouse to other people or vent about them online. Protect your spouse at all times and in all places.Always wear your wedding ring. It will remind you that you’re always connected to your spouse and remind the rest of the world that you’re off limits!Connect into a community of faith. A good church can make a world of difference in your marriage and family.Pray together. Every marriage is stronger with God in the middle of it.When you have to choose between saying nothing or saying something mean to your spouse, say nothing every time!Never consider divorce as an option. Remember that a “perfect marriage” is just two imperfect people who refuse to give up on each other.

स्त्री एक किताब की तरह होती है जिसे देखते हैं सबअपनी अपनी जरूरतों के हिसाब सेकोई सोचता है उसे एक घटिया और सस्ते उपन्यास की तरहतो कोई घूरता है उत्सुक साएक हसीन रंगीन चित्रकथा समझकरकुछ पलटते हैं इसके रंगीन पन्नेअपना खाली वक्त गुजारने के लिएतो कुछ रख देते हैंघर की लाइब्रेरी में सजाकरकिसी बड़े लेखक की कृति की तरहस्टेटस सिंबल बनाकरकुछ ऐसे भी हैंजो रद्दी समझकरपटक देते हैंघर के किसी कोने मेंतो कुछ बहुत उदार होकरपूजते हैं मन्दिर मेंकिसी आले में रखकरगीता कुरान बाइबिल जैसे किसी पवित्र ग्रंथ की तरहस्त्री एक किताब की तरह होती हैजिसे पृष्ठ दर पृष्ठ कभी कोई पढ़ता नहींसमझता नहीं आवरण से लेकर अंतिम पृष्ठ तकसिर्फ देखता हैटटोलता हैऔर वो रह जाती हैअनबांची अनअभिव्यक्तअभिशप्त सीब्याहता होकर भी कुंवारी सीविस्तृत होकर भी सिमटी सीछुए तन में एकअन छुया मन लिए सदा ही स्त्री

Thursday 11 July 2024

*उम्रदराज* न बनें*उम्र को दराज़* में रख दें। खो जाएं ज़िन्दगी में,*मौत का इन्तज़ार न करें*जिनको आना है आए,जिसको जाना है जाए।*पर हमें जीना है*। ये न भूल जाएं।जिनसे मिलता है प्यार, उनसे ही मिलें बार बार। महफिलों का शौक रखें*दोस्तों से प्यार करें* जो रिश्ते हमें समझ सकें,उन रिश्तों की कद्र करें।*बंधें नहीं किसी से भी,*ना किसी को बँधने परमजबूर करें।दिल से जोड़ें हर रिश्ता, और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।*हँसना अच्छा होता है*पर अपनों के लिये,रोया भी करें। याद आएं कभी अपने तो,आँखें अपनी नम भी करें। *ज़िन्दगी चार दिन की है,*तो फिर शिकवे शिकायतेंकम ही करें। *उम्र को दराज़ में रख दें*उम्रदराज़ न बनें !! *हमेशा मुस्कुराते रहिए* ❣️❣️

Saturday 6 July 2024

मुझे अपनी पड़ोस में रहने वाली महिला इसीलिए अच्छी नहीं लगती थी क्यूँकि वो अपने बच्चों को आया के पास छोड़ कर नौकरी करने जाती थी। मैं ही क्या, किसी को भी उसे ग़ैर ज़िम्मेदार कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई।मैं एक सहेली से इसलिए नाराज़ थी कि वो पढ़ाई करते हुए प्रेम में थी।एक स्त्री से इसीलिए नाता तोड़ दिया था क्यूँकि उसने अपने वैवाहिक जीवन को तोड़ने का निर्णय लिया, ज़रा भी मुश्किल नहीं हुई उसे कलुषित घोषित करने में, आसान था,सिर्फ़ इसीलिए क्यूँकि पहल एक स्त्री ने की। मैं उस स्त्री से इसलिए ख़फ़ा थी क्यूँकि उसके ससुराल वाले उसे खुश नहीं थे, मैंने ये कभी जानना ही नहीं चाहा कि क्या वो खुश है अपने ससुराल वालों से, ज़रूरी लगा ही नहीं कभी।संस्कार हीन समझा उन स्त्रियों को को अच्छा खाना नहीं बना पायी। कभी ये दिखा ही नहीं की वो ख़ुद को एक अच्छी इंजीनियर या डॉक्टर बना पायी है। उन स्त्रियों को हिक़ारत की नज़र से देखना जो अपने घर में ख़ुशियाँ नहीं बिखेर पायी। नैतिकता और समाज के पहनाये चश्मों से ना जाने कितनी ही स्त्रियों को मैंने ग़लत देखा और ग़लत समझा, शायद उन्होंने भी ठीक इसी तरह बहुत सी स्त्रियों को ग़लत समझा होगा, इस शृंखला में ना जाने कितनी ही स्त्रियाँ अलग-थलग हुई होंगी। मेरा उन सब से क्षमा माँगने का दिल करता है, उनका पक्ष भी सुनने का मन करता है,उनकी पीड़ा को, उनके भावों को,उनके अभावों को, जानने का मन करता है।कितना ही समय लगता है दूसरों का जीवन सिर्फ़ देख कर उसके बारे में राय बना लेने में और उसे अच्छे या बुरे किसी एक श्रेणी में डाल देने में?हम नाम मात्र की भी कोशिश नहीं करते, किसी के जीवन को, उसके मनोभाव को समझने की, हम हमेशा जल्दी में होते हैं, अच्छा ढूँढने में, ख़ुद से ऊपर, ख़ुद से अच्छा, सर्वश्रेष्ठ को ढूँढते रहते हैं, और उसी के साथ रहना चाहते हैं, उसी को चाहना चाहते हैं, लेकिन उन सबका क्या जो अपने जीवन संघर्ष में मदद चाहते हैं, शायद उनका पीड़ित होना भी हमारी इसी खोज का नतीजा है,समाज ने निःसंकोच बना डाली स्त्रियाँ जो स्त्रियों से बैर कर सके, ताकि ये समाज चल सके।ये जिम्मेदारियां ये रिश्ते नाते,सबमें मेरी ही कमी क्यूं निकाली जाती है,क्या मैं इन सबका हिस्सा नहीं,क्या मुझे अपना समझा ही नहीं गया,हां मैं परिपक्व नहीं हूं,नही हूं पारंगत हर काम में में,हर रिश्ते नाते को निभाने में,मगर कोई मां के पेट से तो सीखकर नही आता न,तो मेरी कमियों पर मुझे ,ताने क्यूं सुनाए जाते हैं,मुझे समझाया भी तो जा सकता है,प्यार से संभाला भी तो जा सकता है,मेरी गलतियों पर चीखने की जगह,कोशिश अच्छी है ,ये भी तो कहा जा सकता है,मैं नहीं रही भरे पूरे परिवार में,तो मुझे रिश्तों की इतनी समझ भी नही,मगर अपनी ममता से ,मुझे भी रिश्तों का पाठ पढ़ाया तो जा सकता है,जहां लगे की मुझसे भूल हो सकती है,वहां मेरे साथ खड़े रहकर ,बिगड़े हालातों को संभाला तो जा सकता है,और मेरी कमियों पर ,क्यूं कहते हैं की मां ने ,कुछ सिखाया नही तुमको,बजाय ये कहने के,मुझे अपनी बेटी का दर्जा ,भी तो दिया जा सकता है,सब छोड़ छाड़कर आना ,इतना आसान तो नही होता न,अपने अपनो के बगैर रहना ,तो फिर ससुराल बनने से पहले ,मुझे मायके जैसा लाड भी तो दिया जा सकता है,(उन लड़कियों के लिए जिन्हे ससुराल में कोई समझने वाला नही मिलता,जिन्हे जाते ही सौंप दी जाती है जिम्मेदारियों की गठरी वो भी पूरी उम्मीदों के साथ)

Wednesday 3 July 2024

अपनी सत्तर बरस की " माँ " को देखकरक्या सोचा है कभी ...?वो भी कभी कालेज में कुर्ती और ,स्लैक्स पहन कर जाया करती थी..तुम हरगिज़ नहीं सोच सकते .. कितुम्हारी "माँ" भी कभी घर के आँगन मेंचहकती हुई, उधम मचाती दौड़ा करती थी ..तोघर का कोना - कोना गुलज़ार हो उठता था...किशोरावस्था में वो जब कभीअपने गिलों बालों में तौलिया लपेटेछत पर आती गुनगुनानी धूप में सुखाने जाती थी, तो ..न जाने कितनी पतंगे आसमान में कटने लगती थी..क्या सोचा है कभी ...?तुमने तो कभी ये भी नहीं सोचा होगा, कितुम्हारे आने की दस्तक देती उसप्रसव पीड़ा के उठने परकैसे दाँतों पर दाँत रख अस्पताल की चौखट पर गई होगीक्या सोच सकते हो कभी ..?अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धितुम्हें मानकर अपनी सारी शैक्षणिक डिगरियाँ जिस संदूक में अखबार के पन्नो मेंलपेटकर ताला बंद की थीउस संदूक की चाभी आज तक उसने नहीं ढूँढी...और तुमउसके झुर्रिदार काँपते हाथों, क्षीण याददाश्त,कमजोर नज़र और झुकी हुई कमर को देखकरउनसे कतराकर खुद पर इतराते हो ये बरसों का सफ़र है ...! कभी तुम भी सफर के साथी बनोगे 🙏🙏😔😔 क्या तुमने कभी सोचा है 🙏 ...!!