Tuesday, 24 December 2019

लोग क्या कहेंगे यह बात हमारी आत्मा बन गई हैं।और बड़े मजे की बात हैं आप जिनसे डरते हैं कि ये लोग क्या कहेंगे, वो भी आपसे डरते हैं कि ये लोग क्या कहेंगे।सब एक दूसरे से डर रहे हैं और जीवन गवां रहें हैं।इसलिए दूसरों की आंखों से देखना बंद करो, तुम्हारे पास आंखे हैं, तुम अंधे नहीं हो।जो व्यक्ति सदा दूसरों की आंखों में अपनी छवि खोजता हैं वह कभी भी निजता को उपलब्ध नहीं हो पाता।वस्तुतः वह व्यक्ति नहीं रह जाता, भीड़ हो जाता हैं - प्रदूषित भीड़।और याद रखना भीड़ सदा भेड़ों की होती हैं, सिंह अकेले चलते हैं। 0$H0