Tuesday, 28 January 2020

“इज्जत” और “तारीफ”मांगी नही जाती, कमाई जाती है।“नेत्र” केवल “दृष्टि” प्रदान करते हैं...परंतु हम कहाँ क्या देखते हैं , यह हमारे मन की भावना पर निर्भर है ॥