घमंड न करना , “जिन्दगी” में...तकदीर बदलती रहती है..!!शीशा वही रहता है , बस तस्वीरबदलती रहती है ।दुसरों को सुनाने के लिए अपनीआवाज" ऊँची मत करो...बल्कि अपना "व्यक्तित्व" इतना ऊँचा बनाओकि आपको सुनने के लिए "लोग इंतज़ार करें ।“मिज़ाज़ ”अपना कुछ ऐसा बना लिया हमने,,किसी ने कुछ भी कहा, बस मुस्करा दिया हमने । “अस्थियाँ ”बिखरने से पहले जीवन में“आस्था" पैदा हो जायेऔर "चिता" जलने से पहले अपनीचेतना‘ जाग जाये ...जीवन सार्थक हो जायेगा ।