*हमें गहराई से सोचना होगा**ऐसा क्या माँग लिया बाबाजी ने हमसे जो हम लोग दे नहीं सकते ?**हमारी जायदाद माँग ली ? रुपये-पैसे माँग लिये ? तो फिर ? ऐसा क्या माँग लिया जो हम मन का बहाना बनाकर टालमटोल करते रहते हैं ?**अरे भई सिर्फ 2:30 घंटे ही तो माँगे हैं ,वो भी हम सभी की खुशी के लिये।कि मेरी प्यारी रूहें काल के पिंजरे से आज़ाद हो जाएं ।**ना फूल,ना माला,ना धूप-अगरबत्ती , ना प्रशाद चढ़ाना है।सभी नियमों से आज़ाद कर दिया है।**सिवाय एक नियम के**वो एक नियम ही तो निभाना है**बस... वो एक ही नहीं पूरा होता हमसे...**क्या नहीं दिया है सतगुरु ने हमें और अब क्या रह गया है लेने को...**एक ही बात समझाने के लिए हज़ारो सत्संग घर बनवा दिये हैं बाबाजी ने...**फिर भी मेरे जैसे नालायकों को न जाने क्यूँ यह बात नहीं समझ आती....**क्या हम इतने नालायक हैं कि कई-कई सालों से एक ही क्लास में रहकर खुश हैं..**अगर इस जामे में भी नहीँ सुधरेंगे तो फिर और कब सुधरेंगे हम ...**क्या आँखे नहीं भर आती हम सभी की? जब बाबाजी हाथ जोड़कर कहते हैं कि-: *"भई लगदा है मेरे ही समझाण विच कोई कमी रह गयी है..."**और क्या सुनना बाकी रह गया है मुर्शिद से...**आखिर क्यों ? और कब तक ?* 🙏