Saturday, 16 July 2022

ज़िंदगी से बड़ी कोई सज़ा ही नहीं , और क्या जुर्म है पता ही नहीं ……कितने हिस्से में बँट गया हूँ मैं , मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं …..