Monday, 25 July 2022

एक बार एक राजा के राज्य में भयंकर महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग लगातार मरते रहे।दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा।तभी अचानक आकाशवाणी हुई।आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है । अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक - एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा ।राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है। अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था, ठीक उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे ही इसलिए अगर मै अकेली एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया।अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछभी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कंआ पानी से भरा हुआ है । दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी। राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं। दरअसल ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था ,वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।...............दोस्तों.... जैसा इस कहानी में हुआ ठीक वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है। जब भी कोई ऐसा बड़ा काम आता है जिसमें बहुत सारे लोगों की सहयोगिता की ज़रूरत होती है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो यह कार्य कर ही देगा और हमारी इसी सोच की वजह से स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं। अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो हर समस्या का समाधान मुमकिन है ।