Wednesday 14 February 2024

फूल नहीं जानता वह कौनसा फूल हैहवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता हैजमीन भी कहाँ तय कर पाती हैकौन सा फूल कब गिरेगापत्तियों को भी कहाँ पता होगा खुद का रंगबारिश भी कितना जानती होगी अपनी बूंदों कोक्या तुम बता सकते होसिल बटटे की हरी चटनी का तीखापनमात्र उसको देख कर ही,नहीं ना ?फिर क्यों करते हो खुद का आकलन परिक्षण किये बिना ही,क्यों स्वीकार्य करते हो पूर्वानुमानों कोजब करना चाहते हो प्रयास,क्यों भिगोते हो खुद को अनगिनत आभाओं सेजब रचना है तुम्हे स्वर्णिम इतिहाससुबह की शुरूआत हमेशा सूरज से नहीं होतीकई बार वो खुद के जागने से भी होती हैक्या तुमने देखा है ऐसा कोई वसंत जोबिना पतझड़ के आया होनहीं ना?फिर क्यों होते हो व्यथित संघर्ष पथ परजब जानते हो सफलता का मार्ग संघर्ष से ही संभव हैतुम साहस से भरे हुए हो तुम में सारे रस हैओ सारे रसो से परिपूर्ण मनुष्य तुम नहीं जानते तुम कौन हो।- सौंदर्या