निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय,बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।निंदक नियरे राखिये दोहे का अर्थ है कि हमें निंदा करने वाले इन्सान को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, ऐसा इन्सान हमारे अंदर की दुर्बलता और कमियों को हमारे सामने लाता है जिस कारण हम बिना पानी, साबुन के ही निर्मल हो जाते हैं।व्यक्ति का चरित्र ही उसकी पहचान है हर किसी में कुछ ना कुछ अवगुण जरुर होते हैं, पर अगर उसके साथ में ऐसा व्यक्ति है यानि की निंदक है ,जो उसके इन अवगुणों को उसे बिना हिचकिचाहट के बता देता है तो वह इंसान इन अवगुणों को गुणों में बदल सकता है इसीलिए कहा गया गया है कि निंदक आपके चरित्र और व्यवहार को निर्मल करता है।निंदा करने वाले को पास रखने का क्या मतलब है?, हमें पानी या साबुन की आवश्यकता के बिना शुद्ध होने में मदद करते हैं। आलोचना को अपने नजदीक ही रखना चाहिए. ” “” शब्द उस आलोचक को संदर्भित करता है जो आलोचनाएँ प्रदान करता है...